ऊपर के शिखरों पर
जिसको जाना था वह चला गया
हाय मुझी पर पग रख
मेरी बाँहों से
इतिहास तुम्हें ले गया!
सुनो कनु, सुनो
क्या मैं सिर्फ एक सेतु थी तुम्हारे लिए
लीलाभूमि और युद्धक्षेत्र के
अलंघ्य अंतराल में!
अब इन सूने शिखरों, मृत्यु घाटियों में बने
सोने के पतले गुँथे तारोंवाले पुल-सा
निर्जन
निरर्थक
काँपता-सा, यहाँ छूट गया-मेरा यह सेतु जिस्म
जिसको जाना था वह चला गया
(१) संजाल पूर्ण कीजिए: (२)
(२) पद्यांश में आए हुए निम्न शब्दों का चयन परिवर्तन कीजिए: (२)
(३) ‘वृक्ष की उपयोगिता’ इस विषय पर अपने विचार ४० से ४५ शब्दों में लिखिए। (२)
कनुप्रिया की दृष्टि से जीवन की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
अपनी जमुना में धारा में बह-बहकर आते हुए टूटे रथ हारी हुई सेनाएँ, जीती हुई सेनाएँ (जैसे बुलाते थे भटकी हुई गायों को) जितनी समझ तुमसे अब तक पाई है कनु, अर्जुन की तरह कभी
शब्द, शब्द, शब्द, ............. |
1. कृति पूर्ण कीजिए: (2)
कनुप्रिया के अनुसार यही युद्ध का सत्य स्वरूप हैं:
2. कृति पूर्ण कीजिए: (2)
3. निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर 40 से 50 शब्दों में लिखिए: (2)
'युद्ध से विनाश एवं शांति से विकास होता है' - इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
सुनो कनु, सुनो
घाट से आते हुए उजड़े हुए कुंज आज उस पथ से अलग हटकर खड़ी हो |
1. निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर लिखिए। (2)
2. उत्तर लिखिए। (2)
राधा का सेतु जिस्म ऐसा है .....
3. निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर 40 से 50 शब्दों में लिखिए: (2)
“वृक्ष की उपयोगिता" इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
'कनुप्रिया' में अवचेतन मन में बैठी राधा चेतनावस्था में स्थित राधा को संबोधित करती है।” इस बात को स्पष्ट कीजिए।
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
दुख क्यों करती है पगली छूट गए है,
अच्छा, मेरे महान कनु, मान लो कि |
1. निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर लिखिए: (2)
2. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए - (2)
3. निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर 40 से 50 शब्दों में लिखिए: (2)
प्राचीनकाल एवम् आधुनिक काल कीं सेनाओं के बारे में अपना मत स्पष्ट कीजिए।
'मेरा यह सेतु-रूपी शरीर काँपता हुआ निर्जन और निरर्थक रह गया है।'- इसे 'कनुप्रिया' के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
भगवान की सर्वश्रेष्ठ उपासना के रूप में इसे प्रतिष्ठित किया गया है:
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों को पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए:
यह आम्रवृक्ष की डाल आज यह आम की डाल आज खंड-खंड हो जाएगा तो क्या- |
(१) कारण लिखिए: (२)
(२) उचित मिलान कीजिए: (२)
(१) | वृक्ष | टहनी |
(२) | ग्राम | राह |
(३) | पथ | गाँव |
(४) | डाल | पेड़ |
(३) ‘युद्ध के दुष्परिणाम’ इस विषय पर अपने विचार ४० से ५० शब्दों में लिखिए। (२)
निम्नलिखित काव्य पंवितियाँ पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :
घाट से आते हुए कदंब के नीचे खड़े कनु को ध्यानमग्न देवता समझ, प्रणाम करने जिस राह से तू लौटती थी बावरी आज उस राह से न लौट उजड़े हुए कुंज रौंदी हुई लताएँ आकाश पर छाई हुई धूल क्या तुझे यह नहीं बता रही कि आज उस राह से कृष्ण की अठारह अक्षौहिणी सेनाएँ युद्ध में भाग लेने जा रही हैं ! आज उस पथ से अलग हटकर खड़ी हो बावरी ! लताकुंज की ओट छिपा ले अपने आहत प्यार को। |
(१) कारण लिखिए : (२)
(२) उचित मिलान कीजिए : (२)
(१) | ध्यानमग्न | राधा |
(२) | बावरी | प्यार |
(३) | अक्षौहिणी | देवता |
(४) | आहत | सेनाएँ |
(३) "वर्तमान युग में युद्ध नहीं शांति चाहिए'' इस विषय पर अपने विचार ४० से ५० शब्दों में लिखिए। (२)
"राधा ने चरम तन्मयता के क्षणों में डूबकर जीवन की सार्थकता पाई है," इस कथन को स्पष्ट कौजिए।
वृक्ष : हमारे जीवन के आधार
Vriksh-Hamare Jeevan ka Adhar
क्या आपने कभी कल्पना की है कि यदि धरती पर वृक्ष न हों, तो क्या होगा? ऐसी कल्पना कर भी असंभव लगता है। वृक्ष हमारे जीवन के आधार हैं। वृक्ष हमें प्राणवायु देते हैं, जिसके बिना किसी भी प्राणी का जीवित रहना असंभव है। इन्हीं से हमें फल, सब्जी, लकड़ी, कपड़े, दवाई आदि मिलते हैं। प्राचीन काल में वृक्षों को देवता के रूप में पूजा जाता था। आज भी पीप केला तलसी आदि वृक्षों की पूजा की जाती है। वृक्ष न केवल हमें भोजन, कपड़ा, ऑक्सीजन आदि देते हैं, बल्कि वर्षा लाने में भी सहायक होते हैं। जिन क्षेत्रों में वृक्ष नहीं होते या कम ह हैं. वहाँ वर्षा भी नहीं के बराबर होती है। इसके विपरीत जहाँ वृक्ष अधिक होते हैं, वहाँ वर्षा अधिक होती है। वृक्षों की हरियाली हमारे तन-मन को शांति प्रदान करती है। गरमी के मौसम मे कड़ी धूप में ये हमें छाया प्रदान करते हैं। ये गंदी वायु लेकर हमें स्वच्छ वायु देते हैं। इसी कारण प्रदूषण की मात्रा में भी कमी आती है। वृक्ष निस्वार्थ रूप से सभी को अपना सर्वस्व दे देते हैं हमें भी वृक्षों का उतना ही ध्यान रखना चाहिए, जितना कि वे हमारा रखते हैं। हमें वृक्षों काटना नहीं चाहिए, बल्कि अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाने चाहिए।
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Plss post drawing of vraksh Kata jivan ghata. And post an essay also on it??????. Thank you , this is very helpful.
loved the essay. I would appreciate it if you could shorten it for me. Thankyou very much for your cooperation and kindness.
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Vriksh hamare mitra par anuched.
दोस्तों नमस्कार, आज हम आपके लिए लाए हैं पेड़ हमारे मित्र हैं पर हमारे द्वारा लिखा गया यह अनुच्छेद, आप इसे जरूर पढ़ें और हमारे द्वारा लिखित इस पैराग्राफ से अपने स्कूल की परीक्षाओं की तैयारी करें तो चलिए पढ़ते हैं हमारे आज के इस आर्टिकल को
पेड़ हमारे मित्र होते हैं क्योंकि पेड़ हमारे साथ मित्रता जैसा व्यवहार करते हैं जिस तरह से एक मित्र हर परिस्थिति में हमारा साथ देता है, वह जीवन में हमारी बहुत मदद करता है, हमारे सुख-दुख का साथी होता है उसी तरह पेड़ पौधे भी हमारे इस तरह के मित्र होते हैं वह जीवन में हमारी बहुत ही मदद करते हैं और सुख दुख में हमारा साथ निभाते हैं।
आजकल हम देख रहे हैं कि पेड़ पौधे हमें गर्मियों में छाया प्रदान करते हैं, हमें ऑक्सीजन देते हैं, फल फूल देते हैं एक तरह से हमारे सच्चे मित्र हैं।
दोस्तों मेरे द्वारा लिखा गया पैराग्राफ Paragraph on ped hamare mitra in hindi आप अपने दोस्तों में शेयर कर रहे हैं और हमें सब्सक्राइब करें धन्यवाद।
It helps me to complete me work Thank you
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वृक्ष हमारे मित्र" पर हिंदी निबंध | essay on vruksha hamare mitra in hindi .
नमस्कार दोस्तों आज हम वृक्ष हमारे मित्र" इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। मानव और वृक्षों का सदा साथ रहा है। आदि मानव वनों में वृक्षों के आश्रय में ही रहता था। हमारे ऋषि-मुनि भी वनों में रहकर ही तप करते थे। उनका जीवन पूरी तरह वृक्षों पर ही निर्भर था।
वृक्ष मनुष्य को तरह-तरह के स्वादिष्ट फल देते हैं। वे रंग-बिरंगे फूल भी देते हैं। फूलों से हार बनते हैं। हरे पत्तों और फूलों से तोरण बनाए जाते हैं। जड़, छाल, पत्ते दवा बनाने के काम आते हैं। नीम के पेड़ को तो वैद्य ही कहा जाता है। नीम और बबूल के दातून दाँतों को साफ करते और उन्हें मजबूत भी बनाते हैं।
नारियल के फल के कई उपयोग हैं। नारियल का तेल बालों के लिए उत्तम माना जाता है। वृक्ष सदा मनुष्य का उपकार ही करते रहे हैं। उनसे मनुष्य को घर बनाने की लकड़ी मिलती है। फर्नीचर भी लकड़ी से बनता है। लकड़ी से हल और नाव बनाई जाती है। बैलगाड़ी बनाने में लकड़ी का उपयोग किया जाता है।
वृक्षों के कारण वायुमंडल शुद्ध बनता है। वे वायु प्रदूषण की रोकथाम करते हैं। वक्षों द्वारा छोड़ी हुई प्राणवायु लेकर ही हम जीवित रहते हैं। वृक्षों की हरियाली हमारे जीवन को हरा-भरा बनाए रखती है। वैशाख-जेठ की तपती दोपहरी में वृक्षों की शीतल छाया लोगों को बड़ा सुख देती है।
इस प्रकार हम पर वृक्षों के अनंत उपकार हैं। वृक्ष हमारे लिए अपने जीवन का बलिदान कर देते हैं। सचमुच, वृक्ष हमारे सच्चे मित्र हैं। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।
वृक्ष पर अनुच्छेद | Paragraph on Trees in Hindi!
वृक्षों में जीवधारियों के प्राण बसते हैं । यदि वृक्षों से होनेवाले लाभों के बारे में सोचा जाए तो यह कथन पूरी तरह सही लगता है । वृक्ष जीवसमुदाय को फल, फूल, पत्ती लकड़ी और अनेक प्रकार के उपयोगी द्रव्य प्रदान करते हैं । वे सुखद घनी छाया से पथिकों को आह्लादित कर देते हैं । पक्षी, वानर, गिलहरी आदि जीव वृक्षों पर शरण लेते हैं । वृक्ष धरती की हरियाली एवं शोभा बढ़ाते हैं । ये प्राणवायु छोड्कर सारे संसार का भला करते हैं । ये वर्षाकारक हैं । भूमि का क्षरण और बाढ़ रोकने में वृक्षों सा मददगार कोई नहीं । वृक्षों से रबड़, गोंद, लाख, दातुन, जड़ी–बूटी आदि उपयोगी पदार्थ प्राप्त होते हैं । वृक्ष समुदाय जंगली जीवों की शरणस्थली होते हैं । जंगली जीव भी पेड़-पौधों की रक्षा में अपना योगदान देते हैं । वृक्षों का मूल्य नहीं आँका जा सकता। अतएव वृक्षों का संरक्षण एवं संवर्धन बहुत आवश्यक हो जाता है । धरती पर जितने अधिक वृक्ष होंगे, इसकी सुंदरता और गुणवत्ता में उतनी ही वृद्धि होगी ।
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मित्रता बड़ा अनमोल रत्न
निबंध नंबर – 01
जीवन की सरलता के लिए मित्र की आवश्यकता – ‘मित्रता’ का तात्पर्य है – किसी के दुःख-सुख का सच्चा साथी होना | सच्चे मित्रों में कोई दुराव-छिपाव नहीं होता | वे निश्छल भाव से अपना सुख-दुख दुसरे को कह सकते हैं | उनमें आपसी विश्वास होता है | विश्वास के कारण ही वे अपना ह्रदय दुसरे के सामने खोल पाते हैं |
मित्रता शक्तिवर्धक औषधि के समान है | मित्रता में नीरस से कम भी आसानी से हो जाते हैं | दो मित्र मिलकर दो से ग्यारह हो जाते है |
जीवन-संग्राम में मित्र महत्वपूर्ण – मनुष्य को अपनी ज़िंदगी के दुःख बाँटने के लिए कोई सहारा चाहिए | मित्रता ही ऐसा सहारा है | एडिसन महोदय लिखते हैं – ‘मित्रता ख़ुशी को दूना करके और दुःख को बाँटकर प्रसन्नता बढ़ाती है तथा मुसीबत कम करती है |’
सच्चे मित्र की परख और चुनाव – विद्वानों का कहना है कि अचानक बनी मित्रता से सोच-समझकर की गई मित्रता अधिक ठीक है | मित्र को पहचानने में जल्दी नहीं करनी चाहिए | यह काम धीरे-धीरे धर्यपूर्वक कारण चाहिए | सुकरात का बचन है- ‘ मित्रता करके में शीघ्रता मत करो, परंतु करो तो अंत तक निभाओ |’
मित्रता समान उम्र के, समान स्तर के, समान रूचि के लोगों में अधिक गहरी होती है | जहाँ स्तर में असमानता होगी, वहाँ छोटे-बड़े का भेद होना शुरू हो जाएगा |
सच्ची मित्र वाही है जो हमें कुमार्ग की और जाने से रोके तथा सन्मार्ग की प्रेरणा दे | सच्चा मित्र चापलूसी नहीं करता | मित्र के अवगुणों प्र पर्दा भी नहीं डालता | वह कुशलता-पूर्वक मित्र को उसके अवगुणों से सावधान करता है | उसे सन्मार्ग पर चलने में सहयोग देता है |
सच्चा मित्र मिलना सौभाग्य की बात – यह सत्य है कि सच्चा मित्र हर किसी को नहीं मिलता | विश्वासपात्र मित्र एक खजाना हैजो किसी-किसी को ही मिलता है | अधिकतर लोग तो परिचितों की भीड़ में अकेले रहते हैं | दख-सुख में उनका कोई साठी नहीं होता | जिस किसी को अपना एक सह्रदय मित्र मिल जाए, वह स्वयंक को सौभाग्यशाली समझे |
निबंध नंबर – 02
मित्रता : निस्वार्थ भाव
मनुष्य सामाजिक प्राणी है। समाज के बिना उसका जीवन नहीं चलता। समाज में रहते हुए उसे अपने सुख – दुःख को कहने – सुनने, भावनाओं का आदान – प्रदान करने तथा अपने कार्यो को सम्पादित करते में दूसरों की सहायता की आवश्यकता पड़ती है। उसे ऐसे व्यक्ति की भी आवश्यकता पड़ती है जो उसके सुख – दुःख में उसका हाथ बटा सके, जिसे वह अपने मन की बात बिना किसी संकोच से कह सके, जो कठिनाइयों और बाधाओं में उसका साथ दे, जो सही समय पर उसे सही दिशा की और प्रवृत्ति कर सके तथा जिस पर वह पूरा विश्वास कर सके। ऐसे व्यक्ति ही ‘मित्र’ कहलाता है।
भर्तहरि ने मित्र के गुणों का वर्णन करते हुए कहा है कि एक अच्छा मित्र पाप से बचाता है, अच्छे कामों में लगता है, मित्र के दोषों को छिपाता है और उसके गुणों को प्रकट करता है, विपत्ति के समय साथ देता है और समय पड़ने में उसे सहायता भी करता है। पर ऐसा मित्र मिलना आसान नहीं। जिस व्यक्ति को भी ऐसा मित्र मिल गया मानो उसके जीवन में एक बहुत बड़ी निधि पाली। तुलसीदास ने भी कहा है –
” धीरज धर्म मित्र अरु नारी अपाद काल परखिए चारी “
सच्चे मित्र की पहचान तो विपत्ति पड़ने पर ही होती है। सच्चा मित्र तो जीवन का सबसे बड़ा सहारा है। मित्र के चुनाव में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। इसलिए सुकरात ने मनुष्य को सलाह दी है – “मित्रता करने में शीघ्रता मत करो, पर करो तो अंत तक निभाओ।” केवल बहरी चमक – दमक, वाक पटुता, आर्थिक सम्पनता आदि देखकर ही किसी को मित्र बनाना उचित नहीं। सच्ची मित्रता का आधार मित्र का चरित्र तथा आचरण होता है जिसकी परख एकदम नहीं की जा सकती इसलिए किसी को मित्र बनाए से पूर्व धैर्यपूर्वक निर्णय लेना चाहिए।
जीवन रुपी संग्राम में मित्र की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। वेसे तो कृष्ण और सुदामा की, कर्ण और दुर्योधन की मित्रता के उदाहरण भी दिए जाते हैं। कृष्ण राजा थे तो सुदामा दीं ब्राह्मण। कर्ण महादानी तथा उत्तम चरित्रवान व्यक्ति थे तो दुर्योधन महाअहंकारी, ईर्ष्यालु, क्रोधी तथा जिद्दी। फिर भी मित्रता की कसौटी पर मित्रता के ये दोनों उदाहरण खरे उतरे। महाभारत के युद्ध से पूर्व श्री कृष्ण ने कर्ण से प्रस्ताव किया कि यदि वह दुर्योधन को त्याग पांडवों के पक्ष में आ जाए, तो उसे राज गद्दी पर बिठा दिया जायेगा तथा पांडव उसकी आज्ञा का पालन करेंगे। इस प्रस्ताव को सुनकर कर्ण ने जो उत्तर दिया, वह उसकी सच्ची मित्रता का परिचयक था उसने कहा –
‘मित्रता बड़ा अनमोल रत्न, कब इसे तोल सकता है धन। सुरपुर की तो है क्या बिसात, मिल जाये अगर बैकुंठ हाथ। कुरुपित के चरणों में धर दूँ,
जब मनुष्य पर मुसीबत के बदल जाते हैं, चारों ओर से निराश का अहंकार दृष्टिगोचर होता है तो केवल सच्चा मित्र ही सुके लिए आशा की किरण बनकर सामने आता है।
आजकल की मित्रता प्रायः स्वार्थवश होती है। जबकि व्यक्ति के पास – दौलत और एश्वर्य के साधन होते हैं तो उनके लोग उससे मित्रता करने की लालायित रहते है, परन्तु विपत्ति पड़ने पर कोई विरला ही साथ देता है और वही सच्चा मित्र कहलाता है। रहीम कवि ने कहा है –
कहि रहीम संपति सगे, बनन बहुत बहुरीत विपत्ति कसोटी जे करे, ते ही साचे मीत ।
निष्कर्ष: सच्चा मित्र वह कवच है जो विपत्ति में हमारी रक्षा करता है, वह संजीवनी है जो देन्ये और निराशा की स्थिति में उत्साह का संचार करती है, एक सघन शीतल छायादार वृक्ष है जो विषय परिस्थितीयों में भी शीतलता प्रदान करता है, विश्वास की आधारशिला है तथा उन्नति का सोपान है। जो मित्र विपत्ति में साथ न दे, उसे तो देखना भी पाप है। गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है –
‘जे न मित्र दुःख होहि दुखरी । तिन्हहि विलोकत मारी ।
निबंध नंबर – 03
मित्रता अनमोल धन है। इसकी तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है। हीरे-मोती या सोने-चाँदी से भी नहीं। मैत्री की महिमा बहुत बड़ी है। सच्चा मित्र सुख और दुख में समान भाव से मैत्री निभाता है। जो केवल सुख में साथ होता है, उसे सच्चा मित्र नहीं कहा जा सकता। साथ-साथ खाना-पीना, सैर, पिकनिक का आनंद लेना सच्ची मित्रता का लक्षण नहीं। सच्चा मित्र तो दीर्घकाल के अनुभव से ही बनता है। सच्ची मित्रता की बस एक पहचान है और वह है विचारों की एकता। विचारों की एकता ही इसे दिनोंदिन प्रगाढ़ करती है। सच्चा मित्र बड़ा महत्त्वपूर्ण है। जहाँ थाह न लगे, वही बाँह बढ़ाकर उबार लेता है। मित्रता करना तो आसान है, लेकिन निभाना बहुत ही मुश्किल । आज मित्रता का दुरुपयोग होने लगा है। लोग अपने सीमित स्वार्थों की पूर्ति के लिए मित्रता का ढोंग रचते हैं। मित्र जो केवल काम निकालना जानते हैं, जो केवल सुख के साथी हैं और जो वक्त पड़ने पर बहाना बनाकर किनारे हो जाते हैं, वे मित्रता को कलंकित करते हैं। मित्रता जीवन का सर्वश्रेष्ठ अनुभव है। वह एक ऐसा मोती है, जिसे गहरे सागर में डूबकर ही पाया जाता है। मित्रता की कीमत केवल मित्रता ही है। सच्ची मित्रता जीवन का वरदान है। यह आसानी से नहीं मिलती। एक सच्चा मित्र मिलना सौभाग्य की बात होती है। सच्चा मित्र मनुष्य की सोई किस्मत को जगा सकता है और भटके को सही राह दिखा सकता है। मित्रता व्यक्ति के लिए एक प्रकार से ईश्वर का वरदान ही है।
निबंध नंबर – 04
भूमिका – खशहाली में दोस्त बनते हैं लेकिन मुश्किलें उनके असली रूप को दिखाती हैं। इसलिए हमें मित्रता किन-किन लोगों के साथ करनी चाहिए, अच्छे मित्र म कौन-कौन से गण होने चाहिएँ. मित्रता का उद्देश्य क्या होना चाहिए, क्या मित्रता सोच समझकर करनी चाहिए या फिर बिना सोचे समझे किसी भी अनजान से दोस्ती कर लेनी चाहिए. सच्ची मित्रता की क्या पहचान है आदि प्रश्न महत्त्वपूर्ण हैं। नवयुवको को यदि सच्चा मित्र मिल जाए तो उनका जीवन सफल हो जाता है। हमारा जीवन मित्रों के सम्पर्क से बहुत अधिक प्रभावित होता है, इसलिए मित्रों के चुनाव करते समय हमें अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
जब हम बाजार से कोई भी वस्तु खरीदने के लिए जाते हैं तो सबसे पहले उसकी जाँच परख करते हैं परन्तु मित्र बनाते समय हम कोई भी जाँच परख नहीं करते। किसी की चाल ढाल देखकर, किसी की मीठी-मीठी बातें सुनकर हम उसी को अपना सच्चा मित्र मान बैठते हैं और इसके लिए मनुष्य को कई बार धोखा भी हो जाता है। बिना किसी के गुण-दोष परखे, मित्र बना लेना उचित नहीं है विश्वास पात्र मित्र ही हमें सही जीवन निर्वाह करने में सहायता देते हैं। ऐसी ही मित्रता का प्रयत्न प्रत्येक नवयुवक को करना चाहिए।
मित्र के चुनाव पर सतर्कता बहुत ही आवश्यक है। सही मित्र के चुनाव की उपयुक्तता पर ही उसके जीवन की सफलता निर्भर करती है क्योंकि संगति का प्रभाव हमारे आचरण पर भी पड़ता है। जैसी ही हमारी संगत होगी वैसे ही हमारे संस्कार भी होंगे। कई बार क्षण भर का कुसंग भी मनुष्य के पतन का कारण बन जाता है। अत: मनुष्य को चाहिए ऐसे लोगों के साथ कभी मित्रता न करे जो विषयी, दुराचारी, पापी या नास्तिक हैं। इस संसार में सच्चा मित्र तो केवल एक ही मिल जाए तो बहुत है, दो मिल जाएं तो बहुत अधिक हैं और तीन तो मिल ही नहीं सकते। संसार में केवल मित्रता ही ऐसी चीज़ है जिसकी उपयोगिता के सम्बन्ध में दो मत हो ही नहीं सकते।
आमतौर पर एक ही स्वभाव वाले व्यक्तियों में मित्रता होती है। कहा भी गया है कि एक ही जाति के पक्षी इक्ट्ठे उड़ते हैं (Birds of feather flock together)। परन्तु कई बार देखने में यह भी आया है कि दो व्यक्तियों के स्वभाव, व्यवसाय और रूचियों के भिन्न होने पर भी मित्रता हो जाती है। प्राय: छात्रावस्था के युवकों में मित्रता की धुन सवार रहती है। मित्रता उनके हृदय में बात-बात में उमड़ पड़ती है। यह मित्रता उनको जीवन भर भूलती नहीं। छात्रावस्था की मित्रता में कितनी जल्दी रूठना या मनाना होता है किसी को पता नहीं चलता। कृष्ण और सुदामा की मित्रता इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
सच्चे मित्र का कर्त्तव्य है कि वह उच्च और महान् कार्यों में अपने मित्र को इस प्रकार सहायता दे कि वह अपने सामर्थ्य से भी अधिक कार्य सम्पन्न कर सके। एक सच्चे मित्र का यह भी कर्तव्य है कि वह उचित मन्त्रण द्वारा अपने मित्र के अन्दर विवेक जागृत करे। सुख दु:ख में उसका पूरा सहयोग करे। एक सच्चे मित्र को अपने मित्र के लिए हमेशा ही अपने सुखों का त्याग करके भी अपनी मित्रता निभानी चाहिए क्योंकि दोस्ती त्याग मांगती है एवं परीक्षा भी लेती है। स्वार्थ की भावना दोस्ती की नींव को हिलाकर रख देती है। सच्चे दोस्त कभी भी अपने दोस्तों का नुक्सान नहीं चाहते। सच्ची दोस्ती जितना लेती है उससे ज्यादा देती है और दुःख में भी मजबूत स्तभ की तरह टिकी रहती है।
कुछ लोग तब तक ही अच्छे दोस्त रहते हैं जब तक जीवन में सुख और मज़ा जिन तक आपके पास पैसे हैं तब तक सभी आपको अपना मित्र मानते हैं और अति आपके पास पैसे नहीं है तो फिर तो मित्र सीधे मुँह आपसे बात भी नहीं करेंगे। पदोसी के घर आना-जाना, उससे मिलना-जुलना, उठना-बैठना, लेन-देन यह सब तब तक रहती है जब तक सुविधा रहती है। सुविधा खत्म हो गई तो दोस्ती भी खत्म होजाती है। व्यक्ति को ऐसे मित्रों से सावधान रहना चाहिए। ऐसी दोस्ती मतलब की दोस्ती होती है जिसमें कोई न कोई मतलब छिपा हुआ होता है।
सच्ची मित्रता एक दूसरे के विश्वास पर आधारित होती है। जो एक-दूसरे की इज्जत और प्रशंसा करते हैं और वे उसी के हिसाब से काम करते हैं। अच्छे कामों का बदला हमें अच्छे दोस्तों के रूप में मिलता है। आपसी विश्वास और भरोसा हर दोस्ती की बुनियाद है। इसलिए हमें अच्छा दोस्त पाने के लिए स्वयं भी एक सच्चे मित्र बनकर रहना चाहिए।
मनुष्य को अपने विवेक से काम लेना चाहिए। मित्रता करते समय बड़ी ही सावधानी बरतनी चाहिए। सच्चा मित्र अपने मित्र को पापों से दूर रखता है, उसे अच्छे हितकर कार्यों में लगाता है, उसके गुप्त रहस्यों को छिपाए रखता है और उसके गुणों को उजागर करता है। आपत्ति में भी उसका साथ नहीं छोड़ता और आवश्यकता पड़ने पर उसे धन भी देता है। प्रकृति जानवरों को अपने मित्र पहचानने की सूझ-बूझ दे देती है इसलिए मनष्य को भी चाहिए कि वह मित्र बनाते समय अपनी पूरी सूझ-बूझ का परिचय दे। अन्त में हम कह सकते हैं कि ऐसे लोगों से दोस्ती करें जिनकी सोच सकारात्मक हो, ऐसे दोस्त न केवल आपकी परेशानी को सुलझाने में मदद करेंगे बल्कि उद्देश्य की पूर्ति के लिए भी सहायक सिद्ध होंगे।
निबंध नंबर – 05
संकेत बिंदु – मित्रता क्या है ? इसका महत्त्व – सच्ची मित्रता – अच्छे मित्र , बुरे मित्र की पहचान – मित्रता से लाभ
छात्रावस्था में मित्रता की धुन सवार होती है। यह मित्रता हृदय में उमड़ी पड़ती है। इसमें मधुरता एवं अनुरक्ति का भाव प्रबल होता है। मित्र पर विश्वास भी देखने योग्य होता है। भविष्य के संबंध में लुभाने वाली कल्पनाएँ मन में रहती हैं, जिससे वह अपने जीवन-युद्ध में बड़े ही सुख और शांति के साथ विजय प्राप्त करता है।
मानव जीवन में मित्रता से कई बहुत बड़े लाभ हैं। मित्र से बढ़कर समाज में सुख और आनंद देने वाला दूसरा कोई नहीं होता। मित्र के सम्मुख ही व्यक्ति अपने हृदय को खोल कर रख सकता है। सच्चा मित्र दु:ख का साथी होता है। वह विपत्ति काल में हमें धैर्य बंधाता है। उसके सहयोग से निराश मन में भी आशा की ज्योति चमक उठती है।
मित्र के चुनाव में हमें सावधानी बरतनी चाहिए। कई व्यक्ति अपना स्वार्थ साधने के लिए मित्र बनते हैं। ऐसे मित्रों से परे रहने में ही भलाई है। ऐसा व्यक्ति आगे तो मीठे वचन बोलता है, पर पीछे से मन में कुटिलता रखता है। तुलसीदास जी ने बताया है-
आगे कह मृदु वचन बनाई। पाछे अनहित मन कुटिलाई॥ जाकर चित्त अहि सम भाई। अस कुमित्र परिहरेहि भलाई। ”
कई व्यक्तियों का कहना है कि मित्रता के लिए स्वभाव और आचरण की समानता आवश्यक है, परंतु दो भिन्न प्रकृति के मनुष्यों में भी बराबर प्रीति और मित्रता रही है। राम धीर और शांत प्रकृति के थे, जबकि लक्ष्मण उग्र स्वभाव के थे, पर दोनों भाइयों में प्रगाढ़ संबंध थे। उन दोनों की मित्रता खूब निभी। समाज में विभिन्नता देखकर व्यक्ति एक-दूसरे के प्रति खुब आकर्षित होते हैं। नीति विशारद अकबर मन बहलाने के लिए बीरबल की ओर देखता था।
सच्चा मित्र शिक्षक की भाँति होता है। वह अपने मित्र को सन्मार्ग की ओर उन्मुख करता है। ऐसे समय में मित्र का मार्गदर्शन ही कल्याणकारी सिद्ध होता है। मित्र परस्पर एक-दूसरे को विवेक एवं शक्ति प्रदान करते हैं। मित्र की पहचान विपत्ति काल में ही होती है-
“ धीरज धर्म मित्र अरु नारी आपत्ति काल परखिए चारी। “
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July 16, 2023 by hindipurni. वृक्ष हमारे मित्र पर निबंध 200, 500, 1000 words (Trees our Best Friend Essay in Hindi, vriksh hamare sache mitra par nibandh) हमारे जीवन में पेड़ पौधे अत्यंत आवश्यक हैं, वृक्ष हमारे ...
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Hindi Essay on "Ped Hamare Mitra", "पेड़ हमारे मित्र " Hindi , Paragraph, Speech, Nibandh for Class 6, 7, 8, 9, 10 Students.
पेड़ मनुष्य के मित्र निबंध Essay On Trees Our Best Friend In Hindi. वृक्षों का महत्व- वृक्ष और मानव दोनों ही प्रकृत्ति की सन्तान हैं. वृक्ष अग्रज है जो उन पर ...
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वृक्षों का महत्व. Importance of Trees Essay No. 01. प्रस्तावना-हमारे जीवन में वृक्षों का बहुत महत्व है। वृक्ष हमारे देश की प्राकृतिक सम्पदा हैं। इन्हें पेड़ों के झुण्ड ...
मित्रता पर निबंध-Essay On Friendship In Hindi. मित्रता पर निबंध 1 (100 शब्द) मित्रता "अनमोल रत्न" के समान होते है। जीवन में सच्चा मित्र मिलना सौभाग्य से कम नहीं होता है। वह ...
Hindi Essay, English Essay, Punjabi Essay, Biography, General Knowledge, Ielts Essay, Social Issues Essay, Letter Writing in Hindi, English and Punjabi, Moral Stories in Hindi, English and Punjabi. Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Hindi Essay on "Vriksho Ka Mahatva", "वृक्षों का ...
Hindi Essay on "Vriksho ke Labh - Vriksharopan", "वृक्षों के लाभ - वृक्षारोपण", for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class ...
वृक्षारोपण पर निबंध (Vriksharopan Essay In Hindi) प्रस्तावना. हमारे देश में नहीं अपितु पूरे विश्व में भी वनों का विशेष महत्व है। वन ही प्रकृति की महान शोभा के भंडार है ...
पेड़ हमारे सच्चे मित्र पर निबंध Ped hamare sache mitra essay in hindiपेड़ और पौधे हमारे मित्र है ...
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर 40 से 50 शब्दों में लिखिए: (2) "वृक्ष की उपयोगिता" इस विषय पर अपने विचार लिखिए।. 'कनुप्रिया' में अवचेतन मन में ...
Hindi Essay, Paragraph, Speech on "Vriksh-Hamare Jeevan ka Adhar", "वृक्ष : हमारे जीवन के आधार", Hindi Anuched ...
vriksh hamare mitra par anuched. दोस्तों नमस्कार, आज हम आपके लिए लाए हैं पेड़ हमारे मित्र हैं पर हमारे द्वारा लिखा गया यह अनुच्छेद, आप इसे जरूर पढ़ें और ...
वृक्ष हमारे मित्र" पर हिंदी निबंध | Essay On Hamare Mitra In Hindi नमस्कार दोस्तों आज हम वृक्ष हमारे मित्र" इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। मानव और
"वृक्ष हमारे मित्र" पर 10 लाइन | Vriksh Hamare Mitra Par 10 Lines In Hindi For Kids |#VrikshHamareMitraPar10Lines#HindiShortEssay#PerHamareMitra# ...
वृक्ष पर अनुच्छेद | Paragraph on Trees in Hindi! वृक्षों में जीवधारियों के प्राण बसते हैं । यदि वृक्षों से होनेवाले लाभों के बारे में सोचा जाए तो यह कथन पूरी तरह सही लगता ...
Trees are our Fried Poem in hindi by kamleshkeswani
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June 27, 2016 evirtualguru_ajaygour Hindi (Sr. Secondary), Languages 11 Comments Hindi Essay, Hindi essays, Hindi Nibandh, हिन्दी निबंध About evirtualguru_ajaygour The main objective of this website is to provide quality study material to all students (from 1st to 12th class of any board) irrespective of their background ...