वसंत ऋतु पर निबंध
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रूपरेखा : प्रस्तावना - प्रकृति की विचित्र देन - वसंत ऋतु का आगमन – स्वास्थ्यप्रद ऋतु - ऋतुओं का राजा - वसंत के मेले और उत्सव - जीवन के विभिन्न रंगों का त्योहार - उपसंहार ।
वसंत की व्याख्या है, 'वसन्त्यस्मिन् सुखानि।' अर्थात् जिस ऋतु में प्राणियों को ही नहीं, अपितु वृक्ष, लता आदि को भी आनंदमय करने वाला मधुरम प्रकृति से प्राप्त होता है, उसको ' वसन्त' कहते हैं। वसंत ऋतु का आगमन सभी देशों में अलग-अलग होता है। यह सर्दियों के तीन महीनों के लम्बे समय के बाद आती है, जिसमें लोगों को सर्दी और ठंड से राहत मिलती है। वसन्त ऋतु में तापमान में नमी आ जाती है और सभी जगह हरे-भरे पेड़ों और फूलों के कारण चारों तरफ हरियाली और रंगीन दिखाई देता है। भारत में वसंत ऋतु मार्च, अप्रैल और मई के महीने में, सर्दियों और गर्मियों के बीच में आती है। वसंत पुरे संसार को लीन करके समूची धरती को पुष्पाभरण से सजाकर मानव-चित्त की कोमल वृत्तियों को जागरित करता है। इसलिए 'सर्वप्रिये चारुतरं बसन्ते' कहकर कालिदास ने वसंत का अभिनन्दन किया है।
प्रकृति की विचित्र देन है कि वसंत में बिना पानी के बरसे ही वृक्ष, लता आदि बढ़ते होते हैं। फरथई, काँकर, कवड़, कचनार, महुआ, आम और अत्रे के फूल अवनि-अंचल को ढक लेते हैं। पलाश तो ऐसा फूलता है, मानों पृथ्वी माता के चरणों में कोटि-कोटि सुमनांजलि अर्पित करना चाहता हो | घने रूप में उगने वाला कमल -पुष्प जब वसंत ऋतु में अपने पूर्ण युवावस्था के साथ खिलता है। आमों पर नौर आने लगते हैं आदि फूलो जैसे गुलाब, गंधराज, म्थलकमल, कर्माफूल के गुल्म महकते हैं। तो दूसरी और रजनीगंधा, अनार, नींबू, के खेत ऐसे लहरा उठते हैं, मानों किसी ने हरी और पीली मखमल बिछा दी हो ।
वसंत ऋतु का आगमन सभी देशों में अलग-अलग होने के साथ ही तापमान भी अलग-अलग देशों में अलग-अलग होता है। पेड़-पौधों की शाखाओं पर नई और हल्की हरी पत्तियाँ आना शुरु होती है। वृक्षों पर नव पल्लव अंकरित हो जाते हैं और कलियाँ खिलकर फूलों का रूप धारण कर लेती हैं । वसंत के आगमन पर आमों पर बौर आ जाते हैं । पुष्पों से पराग झड़ने लगता है । फलों पर भँवरे मंडराने लगते हैं और उद्यानों में तितलियाँ नृत्य करने लगती हैं । वसंत ऋतु में हमे एक खुशनुमा माहौल मिलता है। हवाओं में अनोखी सुगंध होती है। सभी ऋतुओं की अपनी-अपनी शोभा होती है।
वसंत स्वास्थ्यप्रद ऋतु है। इसके शीतल-मन्द-सुगंध पुरे शरीर को नीरोग कर देता है। थोड़ा-सा व्यायाम और योग के आसन मानव को 'लम्बी उम्र ' का वरदान देते हैं। इसीलिए आयुर्वेद- शास्त्र में वसंत को “स्वास्थ्यप्रद ऋतु' विशेषण से सजाया गया है। कालिदास ने वसंत के उत्सव को 'ऋतुत्सव' माना है। माघ शुक्ल पँचमी (वसंत पँचमी) से आरंभ होकर फाल्गुन-पूर्णिमा (होली) तक पूरे चालीस दिन, ये उत्सव चलते हैं । आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी इसे मादक-उत्सवों का काल कहते हैं । उनका कहना है कि 'कभी अशोक-दोहद के रूप में, कभी मदन देवता की पूजा के रूप में, कभी कामदेवायन-यात्रा के रूप में, कभी होली के हुड़दंग के रूप में, कभी होलाका (होला), आदि के रूप में समूचा वसंत काल नाचने - गाने उठता है। वसंत ऋतु का प्रथम उत्सव वसंत-पँचमी विद्या और कला की देवी सरस्वती का पूजा भी करते है।
वसंत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। इसी कारण इसे 'ऋतुराज' भी कहा जाता है । प्रकति ऋतुराज वसंत का हृदय की सम्पूर्ण भावनाओं से स्वागत करती है। वसंत ऋतु की शोभा सबसे निराली होती है। वसंत ऋतु का ऋतुओं में सर्वश्रेष्ठ स्थान होता है इसी वजह से यह ऋतुओं का राजा माना जाता है। इस ऋतु का समशीतोष्ण वातावरण सभी को प्रिय लगता है। वसंत का नाम ही उत्कंठा है। ' मादक महकतो वासंती बयार' में, 'मोहक रस पगे फूलों की बहार' में, भौरों की गुंजा' और कोयल की कूक में मानव-हृदय अतिप्रसन्न जाता है। प्राणियों के मनों में मदन-विकार का प्रकट होता है।
कई जगह वसंत के मेले तथा उत्सव भी मनाए जाते है। वसंत के उत्सव का विशेष आकर्षण होता है -- नृत्य-संगीत, खेलकूद प्रतियोगिताएँ तथा पतंगबाजी जैसे खेल खेले जाते है। बच्चो अपने दोस्त के साथ अपने घरो के छत तथा मैदानों में पतंगबाजी का आनंद लेते है। वसंत-पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनकर सभी अपना खुशी प्रकट करते है। वसंती हलुआ, पीले चाबल तथा केसरिया खीर का आनंद लिया जाता है।
वसंत ऋतु में वसंत-पचमी का त्योहार आता है । इस दिन अनेक स्थलों पर माँ सरस्वती की पूजा - अर्चना करते है। समस्त बंगाल , उडीसा असम तथा बिहार में लोग विद्या तथा कला की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की पूजा - उपासना करते हैं । इसी दिन कई लोग वसंती कपड़े पहन कर ऋतुराज के आगमन पर अपनी प्रसन्न व्यक्त करते हैं। वसंत ऋतु त्याग और बलिदान का प्रेरक है । इस ऋतं में गरु गोविन्द सिंह के नन्हे बच्चों ने धर्म के गौरव की रक्षा के लिए बलिदान दिया था । वसंत पंचमी के दिन वीर हकीकत राय ने भी अपने जीवन पुष्प को धर्म की वेदी पर समाप्त कर दिया था। वसंत ऋतु सर्दियों के तीन महीने के लंबे इंतिजार के बाद सुनहरा मौसम आता है।
वसंत ऋतु का वास्तविक सौंदर्य हमारे स्वास्थ्य को पोषण देता है जिससे हमारा शरीर को लम्बी आयु मिलता है। इस प्रकार वसंत ऋतु आते ही सभी के जीवन में खुशहाली लाती है। जिसका बच्चो, युवाओं, तथा बूढ़े इंतिजार करते है। खासकर के किसानों इसका बड़ी बेसब्री से इंतिजार करते है, क्योंकि वे नई फसल को बहुत महीनों की कठिन मेहनत के बाद अपने घर पुरस्कार के रुप में सफलता पूर्वक लाते हैं। यही है वसंत ऋतु जो जन–जन में नवजीवन का संचार कर देती है और सभी के जीवन में नयी उर्जा प्रदान करती है।
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बसंत ऋतु पर निबंध | Essay on Basant Ritu
भारत में कुल छ: ऋतु पाई जाती हैं। जिनके नाम है – ग्रीष्म, शरद, वर्षा, वसंत, शिशिर और हेमंत। इन सभी में से वसंत ऋतु को ऋतुराज अर्थात ऋतुओं का राजा कहा जाता है। यह मौसम सर्दियों के जाने की और गर्मी के मौसम के आने का संदेश देती है। इस ऋतु के आने से मौसम में कई सारे बदलाव हो जाते हैं, हवा में ताजगी आ जाती है बगीचों में फूल लहलहाने लगते हैं। इस मौसम में लोग पिकनिक पर जाना बहुत ही ज्यादा पसंद करते हैं।
इस आर्टिकल में हम आपको Vasant Ritu के बारे में बताएंगे। इसकी विशेषताएं, महत्व सभी बातों पर चर्चा करेंगे। इस आर्टिकल में Vasant Ritu पर विस्तार से निबंध लिखा गया, जो सभी कक्षाओं के लिए उपयोगी है, इसलिए अंत तक जरूर पढ़े।
About Vasant Ritu। वसंत ऋतु के बारे में
बसंत ऋतु Basant Ritu को ऋतुराज की संज्ञा दी गई है। यह सर्दी और गर्मी के बीच के मौसम को कहा जाता है। जहा सर्दी में बहुत ज्यादा ठंडी, गर्मी में बहुत गर्म, वर्षा ऋतु में हर जगह जलजमाव, कीचड़ और गंदगी फैली होती है। वही वसंत ऋतु में हर जगह हरा भरा रहता है। जो लोगों के मन को अपनी ओर आकर्षित करता है। जब पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में वसंत ऋतु होती है तो वहीं दक्षिणी गोलार्ध में शरद ऋतु होती है। इस रिट में दिन और रात औसतन 12 घंटे के होते हैं। इस मौसम में आसमान एकदम साफ दिखाई देता है और ठंडी और ताजी हवा चलती है। इस मौसम में आम का पेड़ पूरी तरह से बौर से लद जाता है, ऐसा प्रतीत होता है मानो धरती को छू लेगा। इस मौसम में लोग पिकनिक पर जाना बहुत ही ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि पूरी पृथ्वी हरियाली से भरी होती है चारों तरफ फूल फल बगीचे हरे-भरे होते हैं कोयल की कु कु सुनाई देती है, जो मन को बहुत ही आनंदित करती है। इस मौसम में कुछ महामारिया भी फैलने लगती है, इसलिए हम सभी को स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। समय समय पर टिका लगवाते रहना चाहिए। यह मौसम सभी भारतवासियों का सबसे पसंदीदा मौसम होता है।
Also See : hindi kavita poem on nature | प्रकृति पर कविता
वसंत ऋतु पर निबंध। Essay on Vasant Ritu (200 शब्द )
बसंत ऋतु | Basant Ritu को वर्ष का सबसे अच्छा और सुहावना मौसम माना जाता है। इस मौसम के आने से प्रकृति पूरी तरह खिल जाती है। शीत ऋतु के बाद आने वाला यह मौसम हमारे जीवन में ढेर सारी खुशियां और सुख लाता है। इस मौसम के आने पर फूल खिलने लगते हैं, हर जगह रंग बिरंगे और खूबसूरत फूल दिखाते देते है, और रंग बिरंगी तितलियां उनपर घूमती रहती है। पेड़ों में प्यारी प्यारी नई पत्तियां आने लगते हैं, आम के पेड़ पूरी तरह से बौर से लद जाते हैं, आकाश एकदम साफ और ताजी हवाएं बहने लगती है। पूरी प्रकृतियां दिखती है कि वसंत ऋतु का मौसम आ गया है अतः सभी को जाग जाना चाहिए, यह मौसम कुछ नया करने का है। यह मौसम शरीर को आत्मविश्वास से भर देता है, इसमें लोग खूब व्यायाम करते हैं। इस मौसम में बसंत पंचमी , महाशिवरात्रि, होली, हनुमान जयंती, बिहू, नवरोज त्यौहार खूब उत्सव के साथ मनाए जाते हैं। यह मौसम किसानों के लिए बहुत खास होता है क्योंकि इसमें उनके फसलें पकने लगती हैं और उनके काटने का समय आ जाता है। इस मौसम में हम अपने सभी दुखो को भूल जाते है, पूरा मन खुशी से भरा रहता है। इस मौसम में कवि प्रकृति को देख कर खूब कल्पनाएं करता है, फिर उसे अपने मधुर कविता के रूप में लोगो को सुनाता है। वर्ष में एक इतना प्यारा मौसम देने के लिए भगवान को धन्यवाद करना चाहिए।
वसंत ऋतु पर 10 लाइन। 10 lines on Basant Ritu
- वसंत ऋतु भारतीयों के द्वारा सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला ऋतु है।
- वसंत ऋतु सर्दी के मौसम के बाद शुरू होती है।
- बसंत ऋतु की शुरुआत मार्च और अप्रैल महीने से होती हैं।
- इस ऋतु में सबसे पहला त्यौहार वसंत पंचमी का होता है जो इस ऋतु के आगमन पर मनाया जाता है।
- इस ऋतु में मौसम ना अधिक ठंडा होता है और ना अधिक गर्म होता है, इसीलिए सभी लोग इसका आनंद उठा पाते हैं।
- वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है।
- इस ऋतु में महाशिवरात्रि और होली जैसे बड़े त्योहार मनाए जाते है।
- इस ऋतु के आने से पूरी पृथ्वी पर हरियाली छा जाती है।
- इस ऋतु में कोयल पक्षी के कु कू की आवाज सुनाई पड़ती है।
- इस ऋतु के आने पर किसानों की फसल पकने लगती है इसलिए यह किसानों के लिए एक विशेष मौसम होता है।
Benefits of Vasant Ritu। वसंत ऋतु के लाभ
बसंत ऋतु | Basant Ritu को ऋतुराज कहा जाता है, क्योकी इस ऋतु में पृथ्वी की उर्वरा शक्ति अन्य ऋतुओं की अपेक्षा कई गुना बढ़ जाती है। इस मौसम में पेड़ पौधे लहलहाते रहते है, पशु पक्षी मनुष्य सभी खुश नजर आते है। सब के अंदर एक नया जोश आया हुआ रहता है। शाम की ठंडी हवा अपने साथ फूलो की सुगंध लाती है। यह एक ऐसा मौसम है जब किसान अपनी फसल काट कर अपने घर लाते है, और सुकून से रहते है। यह मौसम शरीर को नई ऊर्जा देता है, कवि ढेर सारी काल्पनिक रचनाएं करते है। बच्चे अपने परिवार के साथ पिकनिक घूमने जाते है। लोग अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए खुले आसमान के नीचे व्यायाम करते है, इस मौसम में आसानी से ताजे फल और सब्जियां मिल जाती है जिससे उनका स्वास्थ्य और भी बेहतर हो पता है। Vasant Ritu में ढेर सारे त्योहार भी मनाए जाते है, जिसमे सभी लोग एकदूसरे से मिलते है, घर पर अलग अलग प्रकार की मिठाई और भोजन बनते है। इस मौसम में फलों का राजा आम भी लोगो को खाने के लिए मिल जाता है। इन सबके साथ लोग Vasant Ritu का खूब आनंद लेते है।
Disadvantage of Vasant Ritu। वसंत ऋतु की हानिया
वैसे तो यह मौसम लोगो को बहुत पसंद आता है, लेकिन अगर इंसान सावधानी न रखे तो कुछ समस्याएं भी आ सकती है, इसमें हम आपको इस मौसम में होनी वाली समस्या के बारे में बताएंगे।
यह मौसम शीत ऋतु के अंत होने पर शुरू होता है, जिसके कारण यह बहुत ही संवेदन शील मौसम होता है, थोड़ी भी लापरवाही करने पर स्वास्थ्य खराब हो सकता है। इस मौसम में सामान्य सर्दी, जुखाम, खासी, चिकनपॉक्स, चेचक और खसरा जैसी बीमारियां शुरू हो जाती है। इसके लिए लोगो को पहले ही सावधानी रखनी चाहिए, जिससे उन्हें किसी प्रकार की समस्या न हो।
Basant Ritu का यह मौसम सभी मौसमों का राजा माना जाता है। इस मौसम के दौरान प्रकृति अपना सुंदर रूप दिखाती है, इस मौसम का आनंद लेने के लिए स्वास्थ्य में सावधानी रखनी चाहिए। महामारियो से बचने के लिए इस मौसम के आने से पहले टीका लगवा लेना चाहिए। इस मौसम में सभी के अंदर खुशी का संचार होता है।
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वसंत ऋतु निबंध – Basant Ritu Essay in Hindi
by Editor updated January 16, 2019, 1:43 PM 4 Comments
वसंत ऋतु निबंध | बसंत ऋतु | Basant Ritu Essay in Hindi
ऋतुओं में सर्वश्रेष्ठ वसंत ऋतु की महिमा का जितना गुणगान किया जाए उतना कम है। प्रकृति की सुंदरता का दर्शन यदि हमें करना हो तो बसंत ऋतु में हम कर सकते हैं। वसंत ऋतु की इसी महिमा को हम निबंध के द्वारा आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं।
वसंत ऋतु निबंध (150 शब्द)
प्रकृति का अगर सौन्दर्य देखना है तो वसंत ऋतु में देखिये, इस ऋतु के समय प्रकृति अपनी सुंदरता के चरम पर होती है। वसंत ऋतु का आगमन फरवरी से लेकर अप्रैल के मध्य में होता है। भारत में छह मुख्य ऋतुओं में वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है।
इस ऋतु के दौरान पेड़ों में नए पत्ते आ जाते हैं, किसानों की फसल पक जाती है और यह समय फसल काटने का होता है, फूलों में नयी कलियाँ खिलने लगतीं हैं, पक्षी बाग-बगीचों में कलरव करने लगते हैं, लोग खुशनुमा मौसम का आनंद लेने के लिए घूमने निकल जाते हैं। इस ऋतु में मौसम बड़ा सुहावना होता है।
कड़ी सर्दी के मौसम के बाद वसंत ऋतु का आगमन होता है, इस समय ना ही अधिक गर्मी पड़ती है और ना ही अधिक सर्दी इसलिए मौसम अत्यंत सुखद होता है और सभी के लिए आनंददायक होता है।
वसंत ऋतु के समय ही वसंत पंचमी, होली और शिवरात्रि त्योहारों को मनाया जाता है। संतुलित मौसम होने के कारण वसंत ऋतु सबकी प्रिय ऋतु होती है।
वसंत ऋतु निबंध (200 शब्द)
वसंत ऋतु भारत की छह ऋतुओं में से एक ऋतु है जिसका आगमन फरवरी, मार्च और अप्रैल महीने के मध्य में होता है। इस ऋतु के आते ही प्रकृति अपने सबसे सुंदर रूप में आ जाती है। इस ऋतु के दौरान प्रकृति का सौन्दर्य देखते ही बनता है। हिन्दू पंचांग के वर्ष का अंत और प्रारम्भ भी वसंत ऋतु में होता है। वसंत ऋतु सर्दी के मौसम के बाद आती है इसलिए इस ऋतु के आते ही ठंड कम हो जाती है। पेड़ों में नए हरे-हरे पत्ते आ जाते हैं, आम के पेड़ नयी बौरों से लद जाते हैं, खेतों में सरसों के पीले-पीले फूल दिखाई देते है और पुष्पों की कलियाँ खिलने लगतीं हैं।
वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है क्यूंकी इस समय मनुष्य, पशु पक्षी, पेड़-पौधे सभी नयी ऊर्जा, नया उत्साह और तरो-ताजा मौसम का आनंद लेते हैं। इस ऋतु में वातावरण अत्यंत सुखद और ताजा होता है। शिवरात्रि, होली का त्योहार भी वसंत ऋतु में ही आता है। इस ऋतु को वसंत पचमी उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
वसंत ऋतु का आनंद सभी लेते हैं, लोग अपने घरों से निकलकर बाग-बगीचों में सैर करने निकल पड़ते हैं, पक्षी मधुर गुंजन करते हैं, पेड़ हरे-भरे हो जाते हैं, पुष्प वातावरण में अपनी सुगंध फैलाकर माहोल खुशनुमा कर देते हैं। मुझे भी वसंत ऋतु बहुत प्रिय है।
वसंत ऋतु निबंध (300 शब्द)
वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है और इसका आगमन फरवरी, मार्च और अप्रैल माह के मध्य में होता है। इस ऋतु के दौरान प्रकृति चारों तरफ अपनी सुंदरता को बिखेरती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह ऋतु माघ महीने की शुक्ल पंचमी से प्रारम्भ होती है और फाल्गुन व चैत्र मास वसंत ऋतु के माने गए हैं। होली, शिवरात्रि और वसंत पंचमी जैसे त्योहार भी वसंत ऋतु के समय मनाए जाते हैं।
वसंत ऋतु का आगमन शीत ऋतु के बाद होता है और इस समय सर्दी भी कम हो जाती है और अधिक गर्मी का एहसास भी नहीं होता। एक तरह से इस ऋतु में मौसम संतुलित होता है, ना ही अधिक गर्मी और ना ही अधिक सर्दी।
वसंत ऋतु में मौसम बड़ा ही सुहाना लगता है इसलिए सभी को यह ऋतु प्रिय है। वसंत ऋतु में पेड़ों में नए हरे-हरे पत्ते आते हैं, मैदान हरी-हरी घास से आच्छादित हो जाते हैं, फूलों में कलियाँ फूटने लगतीं है और चारों तरफ फूलों की खुशबू महकने लगती है, खेतों में सरसों की फसल पक जाती है जिसमे पीले-पीले फूल आ जाते हैं, पक्षी मधुर स्वर से कलरव करते हैं और लोग इस मौसम का आनंद लेने के लिए घूमने निकल पड़ते हैं।
वसंत ऋतु के दौरान चारों तरफ एक उत्सव का माहौल हो जाता है, सभी आनंदमय होकर प्रकृति की खूबसूरती को निहारते हैं, एक नयी ऊर्जा, एक नयी चेतना के साथ सभी तरो-ताजा महसूस करते हैं
पुराणों की कथाओं के अनुसार वसंत को कामदेव का पुत्र माना गया है। भगवान कृष्ण ने गीता में वसंत ऋतु का वर्णन करते हुये कहा है की ऋतुओं में मैं वसंत ऋतु हूँ।
वसंत ऋतु में प्रकृति अपनी सोलह कलाओं से खिल उठती है, प्रकृति का यौवन हमें वसंत ऋतु में देखने को मिलता है। सभी जीवों, पेड़-पौधों को यह ऋतु अपनी ओर आकृष्ट करती है।
वसंत ऋतु निबंध (400 शब्द)
वसंत ऋतु में प्रकृति अपने उत्कृष्ट सौन्दर्य में होती है अतः इस ऋतु को छह ऋतुओं में से सर्वश्रेष्ठ ऋतुओं का राजा कहा गया है। प्रकृति की वास्तविक सुंदरता हमें वसंत ऋतु में देखने को मिलती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार वसंत ऋतु का आगमन माघ महीने की शुक्ल पंचमी से होता है। यह ऋतु फरवरी, मार्च और अप्रैल में मध्य में प्रारम्भ होती है।
रामायण में वसंत ऋतु का सुंदर चित्रण किया गया है, भगवान श्री कृष्ण गीता में स्वयं को वसंत ऋतु बताते हैं, कवि जय देव ने तो वसंत ऋतु का वर्णन अपनी सुंदर कविताओं से किया है।
वसंत ऋतु के समय मौसम बड़ा ही सुहावना होता है और मनुष्य, पशु-पक्षी सभी को अपनी ओर आकृष्ट करता है। विकट शीत ऋतु के समाप्त होने के बाद और गर्मी शुरू होने से पहले वसंत का आगमन होता है अतः इस समय मौसम संतुलित होता है और सभी प्राणियों के लिए सुखद होता है।
वसंत ऋतु के आगमन होते ही पेड़ों में नए हरे-भरे पत्ते आने लग जाते हैं और सभी वृक्ष नए पत्तों से आच्छादित होकर ताजा हवा का संचार वातावरण में कर देते हैं। बाग-बगीचों में खिल रहे पुष्पों में नयी कलियाँ फूटने लगतीं हैं और चारों तरफ पुष्प अपनी सुगंध फैलाकर मौसम को खुशनुमा बना देते हैं। ठड़ के मौसम से बर्फ की चादर बने नदी, तालाब, झील, जलाशय आदि फिर से बहने लगते हैं। कोयल अपनी कुहु-कुहु की मधुर ध्वनि से गायन करती है, आम के पेड़ नयी बौरों से सज जाते हैं, फसलें पक जातीं हैं और उनके कटने का समय आ जाता है। एक प्रकार से चारों ओर प्रकृति अपने सौन्दर्य को बिखेर देती है।
आम लोगों के लिए वसंत ऋतु घूमने-फिरने का और मौसम का लुफ्त उठाने का समय होता है। इस समय लोग प्रकृति के सौन्दर्य का दर्शन करने के लिए घरों से बाहर निकल पड़ते हैं। स्वास्थ्य के लिए वसंत ऋतु सबसे अच्छी मानी गयी है और एक नयी ऊर्जा का एहसास इस मौसम में हमें होता है।
वसंत ऋतु में ही होली, शिवरात्रि और वसंत पंचमी जैसे प्रमुख त्योहारों को मनाया जाता है। पुराणों में वसंत को कामदेव का पुत्र कहा जाता है जिसके आने की खुशी में प्रकृति चारों ओर सुंदरता को बिखेरकर उत्सव मनाती है।
सभी जीवों, पेड़-पौधों को खुशहाली देने वाली वसंत ऋतु की प्रतीक्षा सभी करते हैं क्यूंकी अन्य ऋतुओं में जो कष्ट होता है वो इस ऋतु में समाप्त हो जाता है और सभी एक नयी ऊर्जा और स्फूर्ति के साथ खड़े हो जाते हैं।
वसंत ऋतु निबंध (600 शब्द)
वसंत ऋतु भारत की मुख्य छह ऋतुओं में से एक है। इस ऋतु को सभी जीवों के लिए अनुकूल और सुखद माना जाता है क्यूंकी इस समय प्रकृति एक नए रंग रूप में उपस्थित होती है। धरती के सभी जीव, पेड़-पौधे इसी ऋतु की प्रतीक्षा करते हैं क्यूंकी इसी ऋतु में उन्हें एक नयी चेतना और ऊर्जा प्राप्त होती है।
वसंत का आगमन
हिन्दू पंचांग के अनुसार वसंत ऋतु का आगमन माघ महीने की शुक्ल पंचमी से शुरू होता है। फाल्गुन और चैत्र का महिना वसंत ऋतु का माना गया है। हिन्दू पंचांग के साल का प्रारम्भ और अंत भी वसंत ऋतु में होता है। अँग्रेजी कलेंडर के अनुसार वसंत ऋतु फरवरी,मार्च और अप्रैल के मध्य में आती है। शीत ऋतु के समाप्त होते ही वसंत ऋतु आरंभ होती है और अप्रैल महीने में इसका समापन होता है।गर्मी और ठंड के मध्य में वसंत ऋतु आती है।
वसंत ऋतु के समय ही होली, शिवरात्रि और बसंत पंचमी त्योहारों को मनाया जाता है।
ऋतुओं की राजा वसंत
वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा कहा गया है क्यूंकी इस समय प्रकृति अपने सौन्दर्य की चरम सीमा पर होती है। अन्य ऋतुओं में हमें प्रकृति की वो सुंदरता देखने को नहीं मिलती जो वसंत ऋतु में देखने को मिलती है। प्रकृति का वास्तविक सौन्दर्य अगर हम देखना चाहते हैं तो हमें वसंत ऋतु में देखना चाहिए।
ग्रीष्म ऋतु में अधिक गर्मी पड़ती है, सावन में अधिक वर्षा और शीत ऋतु में अधिक ठंड, लेकिन वसंत ऋतु में मौसम संतुलित होता है। न ही अधिक ठंड पड़ती है और ना ही अधिक गर्मी।
धरती के सभी प्राणियों के लिए वसंत ऋतु का समय सबसे अनुकूल और सुखद माना गया है। वसंत का सुहावना मौसम सभी को प्रिय है। एक नया उत्साह, नयी ताजगी और स्फूर्ति हमें अपने अंदर देखने को मिलती है।
आम लोग इस ऋतु में अपने घरों से बाहर घूमने निकलते हैं। स्वास्थ्य के लिए भी वसंत ऋतु को सबसे अच्छा माना गया है क्यूंकी इस समय हरे-भरे वृक्षों से शीतल और ताजा हवा बहती जो हमारे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार कर देती है।
वसंत ऋतु में प्रकृति का सौन्दर्य
वसंत ऋतु का आरंभ होते ही प्रकृति अपना सबसे सुंदर रूप हमें दिखाती है, प्रकृति अपनी सोलह कलाओं का प्रदर्शन इस समय करती है। ऐसा मनोरम दृश्य चारो तरफ देखने को मिलता है की उसे देखते- देखते आँखें नहीं थकतीं।
वसंत ऋतु के प्रारम्भ होते ही सभी वृक्षों में नए हरे-हरे पत्ते आने लगते हैं और सभी पेड़-पौधे पुनः पत्तों से लद जाते हैं। मैदानों में हरी-हरी घास बिछ जाती है। मुरझाए हुये फूलों में नयी कलियाँ फूटने लगतीं हैं और उनकी सुगंध पूरे वातावरण को सुगंधित कर देती है, कोयल व अन्य पक्षी अपने मधुर स्वर में गायन करते हैं, आम के पेड़ों पर नयी बौरें आ जातीं हैं। ठंड के कारण बर्फ बन गए नदी-तालाब, झरने आदि फिर से शीतल जल से बहने लगते हैं।
खेतों में फसल भी वसंत ऋतु में पक जाती है और उनके काटने का समय आज जाता है। किसानों के चेहरे पर नयी फसल आने की खुशी देखते ही बनती है। चारों ओर खुशहाली का माहौल बन जाता है। हरा-भरा खुशनुमा वातावरण देखकर ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने हरे रंग की चादर ओढ़ ली हो।
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