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दुर्गा पूजा पर निबंध (Durga Puja Essay in Hindi)

दुर्गा पूजा

दुर्गा पूजा हिन्दुओं के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है लेकिन माँ दुर्गा की मूर्ति को सातवें दिन से पूजा की जाती है, आखिरी के तीन दिन ये पूजा और भी धूम धाम से मनाया जाता है। यह हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा हर साल महान उत्साह और विश्वास के साथ मनाया जाता है। यह एक धार्मिक त्योहार है, जिसके बहुत से महत्व है। यह हर साल पतझड़ के मौसम में आता है।

दुर्गा पूजा पर बड़ा और छोटा निबंध (Long and Short Essay on Durga Puja in Hindi, Durga Puja par Nibandh Hindi mein)

दुर्गा पूजा का उत्सव – निबंध 1 (300 शब्द).

भारत त्योहारों और मेलों की भूमि है। ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यहाँ विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं और वे सभी पूरे साल अपने-अपने त्योहारों और उत्सवों को मनाते हैं। यह इस ग्रह पर पवित्र स्थान है, जहाँ बहुत सी पवित्र नदियाँ हैं और बड़े धार्मिक त्योहारों और उत्सवों को मनाया जाता है।

लोगों विशेष रुप से, पूर्वी भारत के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला नवरात्र (अर्थात् नौ रातों का त्योहार) या दुर्गा पूजा एक त्योहार है। यह पूरे देश भर में खुशहाली पूर्ण उत्सवों का वातावरण लाता है। लोग देवी दुर्गा की पूजा के लिए मंदिरों में जाते हैं या घर पर ही पूरी तैयारी और भक्ति के साथ अपने समृद्ध जीवन और भलाई के लिए पूजा करते हैं।

दुर्गा पूजा का उत्सव

नवरात्र या दुर्गा पूजा का उत्सव बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत के रुप में मनाया जाता है। भक्तों द्वारा यह विश्वास किया जाता है कि, इस दिन देवी दुर्गा ने बैल राक्षस महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। उन्हें ब्रह्मा, भगवान विष्णु और शिव के द्वारा इस राक्षस को मारकर और दुनिया को इससे आजाद कराने के लिए बुलाया गया था। पूरे नौ दिन के युद्ध के युद्ध के बाद, उन्होंने उस राक्षस को दसवें दिन मार गिराया था, वह दिन दशहरा कहलाता है। नवरात्र का वास्तविक अर्थ, देवी और राक्षस के बीच युद्ध के नौ दिन और नौ रात से है। दुर्गा पूजा के त्योहार से भक्तों और दर्शकों सहित विदेशी पर्यटकों की एक स्थान पर बहुत बड़ी भीड़ जुड़ी होती है।

दुर्गा पूजा को वास्तव रूप में शक्ति पाने की इच्छा से मनाया जाता है जिससे विश्व की बुराईयों का अंत किया जा सके। जिस प्रकार देवी दुर्गा ने ब्रह्मा, विष्णु और शंकर की शक्तियों को इकट्ठा करके दुष्ट राक्षस महिषासुर का नाश किया था और धर्म को बचाया था उसी प्रकार हम अपनी बुराईयों पर विजय प्राप्त करके मनुष्यता को बढ़ावा दे सकें। दुर्गा पूजा का यही संदेश होता है। हर पर्व या त्योहार का मनुष्य के जीवन में अपना विशेष महत्व होता है, क्योंकि इनसे न केवल विशेष प्रकार के आनंद की प्राप्ति होती है बल्कि जीवन में उत्साह एवं नव ऊर्जा का संचार भी होता है| दुर्गपूजा भी एक ऐसा ही त्योहार है, जो हमारे जीवन में उत्साह एवं ऊर्जा का संचार करने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

दुर्गा की पूजा क्यों की जाती है ? – निबंध 2 (400 शब्द)

दुर्गा पूजा हिन्दुओं के मुख्य त्योहारों में से एक है। यह हरेक साल बहुत सी तैयारियों के साथ देवी दुर्गा के सम्मान में मनाया जाता है। वह हिमालय और मैनका की पुत्री और सती का अवतार थी, जिनकी बाद में भगवान शिव से शादी हुई।

यह माना जाता है कि, यह पूजा पहली बार तब से शुरु हुई, जब भगवान राम ने रावन को मारने के लिए देवी दुर्गा से शक्ति प्राप्त करने के लिए यह पूजा की थी।

देवी दुर्गा की पूजा क्यों की जाती है ?

दुर्गा पूजा से जुडी कई कथाये हैं। माँ दुर्गा इस ने इस दिन महिषासुर नमक असुर का संहार किया था जो की भगवान का वरदान पाकर काफी शक्तिशाली हो गया था और आतंक मचा रखा था। रामायण में कहा गया है की भगवान राम ने दस सर वाले रावण का वध इसी दिन किया था, जिसे बुराई पर अच्छाई की जित हुयी थी। इस पर्व को शक्ति का पर्व कहा जाता है। देवी दुर्गा की नवरात्र में पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि, यह माना जाता है कि, उन्होंने 10 दिन और रात के युद्ध के बाद महिषासुर नाम के राक्षस को मारा था। उनके दस हाथ है, जिसमें सभी हाथों में विभिन्न हथियार हैं। देवी दुर्गा के कारण लोगों को उस असुर से राहत मिली, जिसके कारण लोग उनकी पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं।

दुर्गा पूजा

इस त्योहार पर देवी दुर्गा की पूरे नौ दिनों तक पूजा की जाती है। यद्यपि, पूजा के दिन स्थानों के अनुसार अलग-अलग होते हैं। माता दुर्गा के भक्त पूरे नौ दिन तक या केवल पहला और आखिरी दिन उपवास रखते हैं। वे देवी दुर्गा की मूर्ति को सजाकर प्रसाद, जल, कुमकुम, नारियल, सिंदूर आदि को सभी अपनी क्षमता के अनुसार अर्पित करके पूजा करते हैं। सभी जगह बहुत ही सुन्दर लगती हैं और वातावरण बहुत ही स्वच्छ और शुद्ध हो जाता है। ऐसा लगता है कि, वास्तव में देवी दुर्गा आशीर्वाद देने के लिए सभी के घरों में जाती है। यह विश्वास किया जाता है कि, माता की पूजा करने से आनंद, समृद्धि, अंधकार का नाश और बुरी शक्तियों हटती है। आमतौर पर, कुछ लोग 6, 7, 8 दिन लम्बा उपवास करने के बाद तीन दिनों (सप्तमी, अष्टमी और नौवीं) की पूजा करते हैं। वे सात या नौ अविवाहित कन्याओं को देवी को खुश करने के लिए सुबह को भोजन, फल और दक्षिणा देते हैं।

हिन्दू धर्म के हर त्यौहार के पीछे सामाजिक कारण होता है। दुर्गा पूजा भी मनाने के पीछे भी  सामाजिक कारण है। दुर्गापूजा अनीति, अत्याचार तथा बुरी शक्तियों के नाश के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है। दुर्गापूजा अनीति, अत्याचार तथा तामसिक प्रवृत्तियों के नाश के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है।

Durga Puja Essay

दुर्गा पूजा और विजयदशमी – निबंध 3 (500 शब्द)

हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक दुर्गा पूजा भी है। यह दुर्गोत्सव या षष्ठोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, जिनमें से छः दिन महालय, षष्ठी, महा-सप्तमी, महा-अष्टमी, महा-नवमी और विजयादशमी के रूप में मनाए जाते हैं। देवी दुर्गा की इस त्योहार के सभी दिनों में पूजा की जाती है। यह आमतौर पर, हिन्दू कैलंडर के अनुसार, अश्विन महीने में आता है। देवी दुर्गा के दस हाथ हैं और उनके प्रत्येक हाथ में अलग-अलग हथियार है। लोग देवी दुर्गा की पूजा बुराई की शक्ति से सुरक्षित होने के लिए करते हैं।

दुर्गा पूजा के बारे में

दुर्गा पूजा अश्विन माह में चाँदनी रात में (शुक्ल पक्ष में) छः से नौ दिन तक की जाती है। दसवाँ दिन विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन देवी दुर्गा ने एक राक्षस के ऊपर विजय प्राप्त की थी। यह त्योहार बुराई, राक्षस महिषासुर पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। बंगाल के लोग देवी दुर्गा को दुर्गोत्सनी अर्थात् बुराई की विनाशक और भक्तों की रक्षक के रुप में पूजा करते हैं।

यह भारत में बहुत विस्तार से बहुत से स्थानों, जैसे- असम, त्रिपुरा, बिहार, मिथिला, झारखंड, उड़ीसा, मणिपुर, पश्चिमी बंगाल आदि पर मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर यह पाँच दिनों का वार्षिक अवकाश होता है। यह धार्मिक और सामाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रम है, जो प्रत्येक साल भक्तों द्वारा पूरी भक्ति के साथ मनाया जाता है। रामलीला मैदान में एक बड़ा दुर्गा मेला का आयोजन होता है, जो लोगों की भारी भीड़ को आकर्षित करता है।

मूर्ति का विसर्जन

पूजा के बाद लोग पवित्र जल में देवी की मूर्ति के विसर्जन के समारोह का आयोजन करते हैं। भक्त अपने घरों को उदास चेहरों के साथ लौटते हैं और माता से फिर से अगले साल बहुत से आशीर्वादों के साथ आने की प्रार्थना करते हैं।

दुर्गा पूजा का पर्यावरण पर प्रभाव

लोगों की लापरवाही के कारण, यह पर्यावरण पर बड़े स्तर पर प्रभाव डालता है। माता दुर्गा की मूर्ति को बनाने और रंगने में प्रयोग किए गए पदार्थ (जैसे- सीमेंट, पेरिस का प्लास्टर, प्लास्टिक, विषाक्त पेंट्स, आदि) स्थानीय पानी के स्रोतों में प्रदूषण का कारण बनते हैं। त्योहार के अन्त में, प्रत्यक्ष रुप से मूर्ति का विसर्जन नदी के पानी को प्रदूषित करता है। इस त्योहार से पर्यावरण पर प्रभाव को कम करने के लिए, सभी को प्रयास करने चाहिए और कलाकारों द्वारा पर्यावरण के अनुकूल पदार्थों से बनी मूर्तियों को बनाना चाहिए, भक्तों को सीधे ही मूर्ति को पवित्र गंगा के जल में विसर्जित नहीं करना चाहिए और इस परंपरा को निभाने के लिए कोई अन्य सुरक्षित तरीका निकालना चाहिए। 20 वीं सदी में, हिंदू त्योहारों का व्यावसायीकरण मुख्य पर्यावरण मुद्दों का निर्माण करता है।

गरबा और डांडिया प्रतियोगिता

नवरात्र में डांडिया और गरबा खेलना बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है। कई जगह सिन्दूरखेलन का भी रिवाज है। इस पूजा के दौरान विवाहित औरते माँ के पंडाल में सिंदूर के साथ खेलती है। गरबा की तैयारी कई दिन पहले ही शुरू हो जाती है प्रतियोगिताएं रखी जाती है जितने वलों को पुरस्कृत किया जाता है।

पूजा के अंतिम दिन मूर्तियों का विसर्जन बड़े हर्षोल्लास, धूम-धाम से, जुलूस निकाल कर किया जाता है। नगर के विभिन्न स्थानों से प्रतिमा-विसर्जन के जुलूस निकलते हैं और सब किसी न किसी सरोवर या नदी के तट पर पहुँचकर इन प्रतिमाओं का जल में विसर्जन करते हैं। बहुत से गांवों और शहरों में नाटक और रामलीला जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं। इन तीन दिनों में पूजा के दौरान लोग दुर्गा पूजा मंडप में फूल,  नारियल, अगरबत्ती और फल लेकर जाते हैं और माँ दुर्गा का आशीर्वाद लेते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

दुर्गा की कहानी और किंवदंतियाँ – निबंध 4 (600 शब्द)

दुर्गा पूजा एक धार्मिक त्योहार है, जिसके दौरान देवी दुर्गा की पूजा का समारोह किया जाता है। यह भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह एक परंपरागत अवसर है, जो लोगों को एक भारतीय संस्कृति और रीति में पुनः जोड़ता है। विभिन्न प्रकार के रीति-रिवाजों, जैसे – उपवास, दावत, पूजा आदि, को पूरे दस दिनों के त्योहार के दौरान निभाया जाता है। लोग अन्तिम चार दिनों में मूर्ति विसर्जन और कन्या पूजन करते हैं, जो सप्तमी, अष्टमी, नवीं और दशमी के नाम से जाने जाते हैं। लोग दस भुजाओं वाली, शेर पर सवार देवी की पूरे उत्साह, खुशी और भक्ति के साथ पूजा करते हैं। दुर्गा-पूजा हिन्दुओं का एक महत्त्वपूर्ण और अहम त्यौहार है। यह त्यौहार देवी दुर्गा के सम्मान में मनाया जाता है। दुर्गा को हिमाचल और मेंका की पुत्री माना जाता है। भगवान शंकर की पत्नी सती के आत्म-बलिदान के बाद दुर्गा का जन्म हुआ।

देवी दुर्गा की कहानी और किंवदंतियाँ

देवी दुर्गा की पूजा से संबंधित कहानियाँ और किंवदंतियाँ प्रचलित है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

  • यह माना जाता है कि, एकबार राक्षस राजा था, महिषासुर, जो पहले ही देवताओं पर स्वर्ग पर आक्रमण कर चुका था। वह बहुत ही शक्तिशाली था, जिसके कारण उसे कोई नहीं हरा सकता था। तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) के द्वारा एक आन्तरिक शक्ति का निर्माण किया गया, जिनका नाम दुर्गा (एक दस हाथों वाली और सभी हाथों में विशेष हथियार धारण करने वाली अद्भुत नारी शक्ति) कहा गया। उन्हें राक्षस महिषासुर का विनाश करने के लिए आन्तरिक शक्ति प्रदान की गई थी। अन्त में, उन्होंने दसवें दिन राक्षस को मार दिया और उस दिन को दशहरा या विजयादशमी के रुप में कहा जाता है।
  • दुर्गा पूजा की दूसरी किंवदंती है कि, रामायण के अनुसार भगवान राम ने रावण को मारने के लिए देवी दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए चंडी पूजा की थी। राम ने दुर्गा पूजा के दसवें दिन रावण को मारा था, तभी से उस दिन को विजयादशमी कहा जाता है। इसलिए दुर्गा पूजा सदैव अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है।
  • एक बार कौस्ता (देवदत्त का पुत्र) ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद अपने गुरु वरतन्तु को गुरु दक्षिणा देने का निर्णय किया हालांकि, उसे 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राओं (प्रत्येक 14 विज्ञान के लिए एक-एक मुद्रा) का भुगतान करने के लिए कहा गया। वह इन्हें प्राप्त करने के लिए राजा रघुराज (राम के पूर्वज) के पास गया हालांकि, वह विश्वजीत के त्याग के कारण यह देने में असमर्थ थे। इसलिए, कौस्ता,  इन्द्रराज देवता के पास गया और इसके बाद वह फिर से कुबेर (धन के देवता) के पास आवश्यक स्वर्ण मुद्राओं की अयोध्या में “शानु” और “अपति” पेड़ों पर बारिश कराने के लिए गया। इस तरह से, कौस्ता को अपने गुरु को अर्पण करने के लिए मुद्राएं प्राप्त हुई। वह घटना आज भी “अपति” पेड़ की पत्तियों को लूटने की एक परंपरा के माध्यम से याद की जाती है। इस दिन लोग इन पत्तियों को एक-दूसरे को एक सोने के सिक्के के रुप में देते हैं।

पूजा का आयोजन

दुर्गापूजा बहुत है सच्चे मन और श्रद्धा से की जाती है। यह हर बार महीने के शुक्ल पक्ष में की जाती है। यह त्यौहार दशहरे के त्यौहार के साथ ही मनाया जाता है। अतः कई दिन तक स्कूल और कालेज बन्द रहते हैं। प्रति पदा के दिन से नवरात्रों का प्रारंभ माना जाता है। इन 10 दिनों तक श्रद्धालु स्त्रियों व्रत रखती हैं और देवी दुर्गा का पूजन करती हैं।

हर दिन दुर्गा की प्रतिमा की धूम-धाम से पूजा की जाती है। इस हेतु बड़े-बड़े शामियाने और पण्डाल लगाये जाते हैं। बड़ी संख्या में लोग इन आयोजनों में भाग लेते हैं। पूजा के शामियाने को खूब सजाया जाता है। उस पर तरह-तरह के रंगो से रोशनी की जाती है। वे इसे बड़े उत्साह से सजाते हैं।

दुर्गा पूजा को वास्तव में शक्ति पाने की इच्छा से किया जाता है जिससे विश्व की बुराइयों का नाश किया जा सके। दुर्गा-पूजा बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाई जाती है। जिस प्रकार देवी दुर्गा ने सभी देवी-देवताओं की शक्ति को इकट्ठा करके दुष्ट राक्षस महिषासुर का नाश किया था और धर्म को बचाया था उसी प्रकार हम अपनी बुराइयों पर विजय प्राप्त करके मनुष्यता को बढ़ावा दे सकें। दुर्गा पूजा का यही संदेश होता है। देवी दुर्गा को शक्ति का अवतार समझा जाता है। शक्ति-पूजा से लोगों में साहस का संचार होता है और वे आपसी वैर-भाव भुलाकर एक-दूसरे की मंगल-कामना करते हैं।

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दुर्गा पूजा का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में धूमधाम पूर्वक और उत्साह के साथ मनाया जाता है इस त्यौहार को नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है.

अक्षर विद्यार्थियों को स्कूल में दुर्गा पूजा पर निबंध लिखने को दिया जाता है उनकी सहायता के लिए हमने अलग-अलग शब्द सीमा में निबंध लिखे है.

Essay on Durga Puja in Hindi

Get Some Essay on Durga Puja in Hindi for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12 Students.

10 Line Essay on Durga Puja in Hindi

(1) इस त्योहार में मां दुर्गा के नौ रूपों की नौ दिनों तक पूजा अर्चना की जाती है।

(2) हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन शुक्ला सप्तमी से लेकर दशमी तक उत्सव का आयोजन किया जाता है।

(3) बंगाल, ओडिशा, असम, बिहार में दुर्गा पूजा का उत्सव प्रमुख रूप से मनाया जाता है।

(4) दुर्गा पूजा के इस त्यौहार को को नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है

(5) मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का संहार किया था इसलिए इस दिन को अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में मनाया जाता है।

(6) मां दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम ने भी रावण का वध करने से पहले मां दुर्गा की पूजा की थी।

(7) मां दुर्गा का यह त्योहार खूब उत्साह है और आनंद के साथ मनाया जाता है।

(8) इस उत्सव के उपलक्ष में संध्या के समय डांडिया, नृत्य, भजन इत्यादि रोचक प्रतियोगिताएं की जाती है।

(9) अंतिम तीन दिनों में माता की विशेष पूजा की जाती है और भजन किए जाते है।

(10) दशमी के दिन पवित्र जलाशयों, नदियों और तालाबों में मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है।

Durga Puja Par Nibandh 350 Words

भूमिका –

दुर्गा पूजा के त्यौहार का हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए विशेष महत्व है। दुर्गा पूजा का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष में मनाया जाता है।

त्योहारों से आपस में भाईचारा और सौहार्द की भावना उत्पन्न होती है। मां दुर्गा शक्ति का प्रतीक है इसलिए सभी लोग उनकी पूजा करते है।

दुर्गा पूजा का उत्सव –

दुर्गा पूजा का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से दस दिनों तक मनाया जाता है। इस पर्व की महीने भर पहले से ही तैयारियां होनी प्रारंभ हो जाती है।

मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का संहार किया था जिस के उपलक्ष में यह त्यौहार मनाया जाता है।

प्रत्येक गांव शेर और गलियों में मां दुर्गा की बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं विराजमान की जाती है और उनकी आरती की जाती है कई लोग अपने घरों पर मां दुर्गा की आरती करते है नौ दिनों तक व्रत रखते है।

मां दुर्गा का पंडाल बहुत ही भव्य सजाया जाता है वहां पर रंग बिरंगी फूलों से और तरह-तरह की चमक की लाइटों से इतना अच्छा पंडाल सजाया जाता है कि वह मन को मोहित कर लेता है।

यह त्योहार विशेष रूप से बंगाल उड़ीसा असम राज्यों में मनाया जाता है वहां पर स्कूलों और कॉलेजों की भी विशेष रूप से छुट्टियां कर दी जाती है जिससे विद्यार्थी को धूमधाम से इस उत्सव में भाग लेते है।

उत्तरी राज्यों में इस त्यौहार को नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। मां दुर्गा के त्यौहार के अंतिम 3 दिनों को बहुत खास माना जाता है इसमें पूरे दिन भर भजन, कथा और माता की विशेष पूजा की जाती है।

दशमी के दिन मां दुर्गा की आरती करने के बाद प्रतिमा को पवित्र जलाशयों, नदियों, तालाबों में विसर्जन करने के लिए लेकर जाया जाता है जिसमें पूरे शहर में झांकी निकाली जाती है और लोग ढोल नगाड़ों पर भजन गाते हुए नाचते है।

निष्कर्ष –

त्योहार भारत की विभिन्नता और सांस्कृतिक विविधता को दिखाते है। मां दुर्गा के त्योहार से हमें शिक्षा मिलती है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो उसका अंत अच्छाई से किया जा सकता है।

इसलिए हमें भी हमेशा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए और अपने परिवार और पूरे समाज को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहिए।

Best Essay on Durga Puja in Hindi 1000 words

प्रस्तावना –

दुर्गा पूजा का त्यौहार हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार है इस त्यौहार को नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। दुर्गा पूजा का त्योहार स्त्री सम्मान को भी दर्शाता है।

इस पर्व को भारतीय लोगों द्वारा बड़े ही उत्साह और प्रेम पूर्वक मनाया जाता है। इस समय सभी घरों और बाजारों में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है।

मां दुर्गा शक्ति का प्रतीक है इसलिए सभी उनके आगे नतमस्तक होकर उन्हें प्रणाम करते है। इस त्यौहार का आयोजन दस दिनों तक किया जाता है जिसमें दुर्गा पूजा से लेकर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम किए जाते है।

दुर्गा पूजा का इतिहास –

मां दुर्गा को हिमाचल और मेनका की पुत्री माना जाता है, ऐसा माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ की पत्नी “सती” के आत्मदाह के बाद मां दुर्गा के अवतार का जन्म हुआ था।

उन्हें सती का दूसरा रूप कहा जाता है। दुर्गा पूजा से जुड़ी कथाओं के अनुसार माता सती ने दुर्गा का अवतार इसलिए दिया था

क्योंकि उस समय महिषासुर नामक असुर ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करना प्रारंभ कर दिया और इससे देवलोक और पृथ्वी लोक पर हाहाकार मच गया था।

मां दुर्गा महिषासुर नामक राक्षस से दस दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका संहार कर दिया था बहुत भगवान राम ने भी रावण का वध करने से पहले मां दुर्गा की पूजा की थी।

इसी के बाद से मां दुर्गा का त्यौहार मनाया जाने लगा। मां दुर्गा ने महिषासुर से दस दिनों तक युद्ध किया था इसलिए इस त्यौहार का आयोजन नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रुपो की पूजा करके दसवें दिन मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है।

दुर्गा की प्रतिमा –

हमारे भारत देश में विभिन्न संस्कृतियों के लोग रहते है इसलिए सभी राज्यों में मां दुर्गा की अलग-अलग कथाओं के अनुसार उनकी पूजा की जाती है।

इसी विभिन्नता के कारण मां दुर्गा की प्रतिमा में भी सभी जगह अलग-अलग रूपों में विराजमान की जाती है। इस त्यौहार के अवसर पर प्रत्येक शहर गली मोहल्लों में मां दुर्गा की विशालकाय प्रतिमा विराजमान की जाती है।

मान्यताओं के अनुसार कुछ राज्यों में मां दुर्गा की प्रतिमा को भगवान शंकर और दो पुत्रियों लक्ष्मी और सरस्वती के साथ दिखाया जाता है तो कहीं 2 पुत्र गणेश और कार्तिकेय के साथ दिखाया जाता है।

मां दुर्गा की विशाल प्रतिमा में एक विशेष तेज के साथ बहुत सुंदर दिखाई देती है। वह अपने दस हाथों में विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र लिए हुए दिखाई जाती है।

मां दुर्गा की सवारी सिंह को माना गया है इसलिए उनकी प्रतिमा का एक पैर सिंह पर होता है और दूसरा महिषासुर की छाती पर होता है।

माता दुर्गा के गले में रंग-बिरंगे फूलों की माला सजाई जाती है उनके सर पर सोने का मुकुट लगाया जाता है। मां की प्रतिमा के ऊपर लाल रंग की चुनरी ओढाई जाती है।

दुर्गा पूजा का आयोजन –

मां दुर्गा के त्यौहार का आयोजन बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ दस दिनों तक किया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन शुक्ला सप्तमी से लेकर दशमी (विजयादशमी) उत्सव का आयोजन किया जाता है।

नौ दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को लगभग पूरे भारत में मनाया जाता है इसकी तैयारियां महीनों पहले से ही की जाने लग जाती है। इन दिनों में विद्यालयों और कॉलेजों की छुट्टियां कर दी जाती है जिसके बारे में विद्यार्थी भी खूब धूमधाम से इस उत्सव को मनाते है।

पहले दिन मां दुर्गा की प्रतिमा को विराजमान किया जाता है फिर नौ दिनों तक माता के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। संध्या की आरती के बाद विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं की जाती है जैसे डांडिया डांस, भजन नृत्य इत्यादि का आयोजन किया जाता है जिससे यह त्यौहार और भी रोचक हो जाता है।

माता का पूरा पांडाल तरह-तरह की रंग बिरंगी फूलों और लाइटों से सजा दिया जाता है यह देखने में बहुत ही खूबसूरत लगता है।

इस त्यौहार में माता को रिझाने के लिए स्त्रियां और पुरुष नौ दिनों तक व्रत रखते है। दुर्गा पूजा का यह त्यौहार विशेष रूप से गुजरात, बंगाल, ओडिशा, असम, बिहार में मनाया जाता है लेकिन वर्तमान में यह सभी जगह पर प्रमुख रूप से मनाया जाता है।

नवरात्र के अंतिम तीन दिनों में यह त्यौहार अपने चरम पर होता है सप्तमी अष्टमी और नवमी को माता की विशेष पूजा की जाती है और कुछ स्थानों पर तो बड़े-बड़े मेलों का भी आयोजन किया जाता है।

उत्तरी भारत में नवमी के दिन मां दुर्गा की पूजा करने के बाद कन्याओं को भोजन करवाया जाता है वहां के लोगों का मानना है कि इस दिन मां दुर्गा स्वयं कन्या के रूप में उनके घर आती है और भोजन करती है।

बंगाल में तो इस त्यौहार को इतनी प्रमुखता से मनाया जाता है कि इस के उपलक्ष पर विवाहित पुत्रियों को माता-पिता द्वारा घर बुलाने की प्रथा है।

प्रतिमा विसर्जन –

नवमी की रात मां दुर्गा के पंडाल में विशाल भजन संध्या का आयोजन किया जाता है जिसमें सभी लोग भक्ति और श्रद्धा भाव से हिस्सा लेते हैं और रात भर मां दुर्गा के भजन गाते है।

दशमी के दिन मां दुर्गा की पूजा करने के बाद दुर्गा मां की मूर्तियों को रंग बिरंगे फूलों से सजा कर पूरे शहर और गांव भर में झांकियां निकाली जाती है। झांकियों में लोग खूब नाचते गाते है, गुलाल रंग उड़ाते है, ढोल नगाड़े बजाते हैं सभी इस त्यौहार में शामिल होकर आनंद उठाते है।

बाद में मां दुर्गा की प्रतिमा को पवित्र जलाशयों, तालाब या नदियों में विसर्जित कर दिया जाता है। विसर्जन के समय लाखों की संख्या में लोग हिस्सा लेते है। यह इस त्यौहार का अंतिम क्षण होता है जब सभी लोग भावुक हो जाते है।

मां के विसर्जन के समय सभी लोग उनका आशीर्वाद देते हैं और सुख समृद्धि और खुशियों की कामना करते हैं इसके बाद सभी लोग अपने अपने घर लौट जाते है।

उपसंहार –

भारत में प्रत्येक त्योहार बड़े ही धूमधाम और उत्साह पूर्वक मनाया जाता है। इन त्योहारों से भारतीय लोगों में परस्पर भाईचारे और प्रेम भाव का विस्तार होता है।

साथ ही हमें इन त्योहारों से आदर्श, सत्यता और नैतिकता की शिक्षा भी मिलती है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की विजय का भी प्रतीक है।

मां दुर्गा के इस त्यौहार को स्त्री सम्मान और शक्ति के रूप में भी देखा जाता है। शक्ति पूजा से लोगों में साहस का संचार होता है और भी बुराई के खिलाफ लड़ते है और विजय पाते है।

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दुर्गा पूजा पर निबंध Essay on Durga puja in Hindi

दुर्गा पूजा पर निबंध Essay on Durga puja in Hindi

इस लेख में हमने दुर्गा पूजा पर निबंध (Essay on Durga Puja in Hindi) लिखा है। अगर आप दुर्गा पूजा पर बेहतरीन निबंध खोज रहे हैं तो यह लेख आपके लिए बेहद मददगार साबित हो सकता है। इस लेख में दुर्गा पूजा क्या है तथा यह कैसे मनाई जाती है साथ ही दुर्गा पूजा के महत्व को आकर्षक रूप से लिखा गया है। निबंध के अंत में दुर्गा पूजा पर 10 लाइनें इस लेख को बेहद आकर्षक बनाते हैं।

Table of Contents

प्रस्तावना (दुर्गा पूजा पर निबंध Essay on the Durga Puja in Hindi)

सनातन संस्कृति में त्योहारों का विशेष महत्व होता है। हिंदू संस्कृति के त्योहारों के पीछे वैज्ञानिक, आध्यात्मिक तथा सामाजिक कारण छुपे होते हैं।

दुर्गा पूजा भी ऐसे ही गूढ़ रहस्यों से भरा पर्व है। वैसे तो इस पर्व को हिंदू समुदाय बढ़ चढ़कर मनाता है लेकिन दुर्गा पूजा खासकर बंगाल में देखने को मिलती है।

सनातन संस्कृति में परम पिता परमेश्वर के दो रूप बताए गए हैं। पहले जो कठोर हैं और अनुशासन तथा विज्ञान के प्रायोजक हैं। दूसरी महामाया जो उनका ही सौम्य अवतार है। जिसमें ममता तथा सौम्यता को अधिक महत्व दिया गया है।

सामान्य भाषा में जिन्हें शिव-शक्ति भी कहा जाता है। महामाया के रूप में देवी दुर्गा की आराधना की जाती है। सनातन संस्कृति में अनेकों कहानियों का जिक्र मिलता है। इसके पीछे का एकमात्र वैज्ञानिक उद्देश्य यह है कि इंसानी मस्तिष्क को कहानियों के माध्यम से किसी भी बात को आसानी से समझाया जा सकता है।

दुर्गा पूजा को बुराई पर अच्छाई की जीत साथ ही मातृत्व शक्ति की महानता के रूप में मनाया जाता है। भले ही चिन्हों के रूप में कितनी भी विभिन्नता हो लेकिन आदर्श एक ही होते हैं।

दुर्गा पूजा क्या है? What is Durga Puja in Hindi?

शक्ति स्वरूपा माता दुर्गा के स्वरूपों की विशेष पूजा-अर्चना होती है, जिसे दुर्गा पूजा कहा जाता है। दुर्गा पूजा के दिन माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।

दुर्गा पूजा यह हिंदू धर्म के कुछ प्रमुख त्योहारों में से एक हैं। हिंदू धर्म के लोग उस परमपिता परमात्मा को अलग-अलग नामों तथा चिन्हों के रूप में पूजते हैं। इसलिए दुर्गा पूजा एक विशेष पर्व के रूप में मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा कब है? When is durga puja in Hindi?

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, शारदीय नवरात्रि के समय में ही दुर्गा पूजा का उत्सव भी मनाया जाता है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से दुर्गा पूजा का शुभारंभ होता है और दशमी के दिन समापन होता है।

शारदीय नवरात्रि की षष्ठी से दुर्गा पूजा का आगाज होता है। दुर्गा पूजा 5 दिन षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी तक मनाया जाता है।

इस वर्ष दुर्गा पूजा 11 अक्टूबर से लेकर 15 अक्टूबर तक पड़ रहा है। ज्योतिष की दृष्टि से यह दिन बेहद ही शुभ है। इस दिन किए गए अनुष्ठान बेहद लाभदायक होते हैं।

दुर्गा पूजा क्यों मनाई जाती है? Why is Durga Puja Celebrated?

दुर्गा पूजा मनाए जाने के पीछे आध्यात्मिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक कारण है। सांस्कृतिक कारण के रूप में सनातन संस्कृति की आराध्य माता दुर्गा की आराधना की परंपरा है। जिसे जारी रखने के लिए हर वर्ष दुर्गा पूजा पर्व को मनाया जाता है।

पुराणों के अनुसार देवी दुर्गा को मातृत्व, सौम्यता तथा करुणा की मूर्ति कहा गया है। लेकिन दुष्टता बढ़ जाने पर उनके महाकाली के रूप को भी भली-भांति दर्शाया गया है। मां दुर्गा उन्हीं के रूपों में से एक है।

पुरातन काल में महिषासुर नामक एक भयंकर दुष्ट और प्रतापी राक्षस हुआ। जिसने अपने ताकत तथा शौर्य के दम पर मासूम लोगों को मारना काटना शुरू कर दिया।

उसके दंभ के कारण साधु-संत तथा सामान्य लोग सुख को पूरी तरह से भूलकर दुख और डर के माहौल में रहने लगे। उस दुष्ट के नाश के लिए सभी ने मां दुर्गा का आवाहन किया।

महिषासुर ने भक्ति का सहारा लेकर भगवान से विशेष वरदान प्राप्त कर रखे थे, इसलिए उसे परास्त करना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं था।

उसकी शक्ति और घमंड के नाश के लिए भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपनी शक्तियों को एकत्रित किया जिसे मां दुर्गा कहा जाता है।

त्रिदेव की शक्ति से माता दुर्गा महिषासुर से लड़ी। महिषासुर से उन्होंने लगातार नौ दिनों तक भयानक युद्ध किया और दसवें दिन उसका समूल नाश कर दिया। उनके भक्तों द्वारा इन 10 दिनों को दुर्गोत्सव के पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।

दूसरी पौराणिक घटना के रूप में इस दिन भगवान राम ने रावण पर विजय पाई थी और माता दुर्गा की उपासना कर वे वापस लौटे थे। उनके अनुयायी इस दिन को दुर्गा पूजा के रूप में मनाने लगे और तब से यह परंपरा लगातार चलती आ रही है।

माता दुर्गा ने इससे पहले कई राक्षसों का संहार कर मानव जाति को दुष्टों के आतंक से मुक्त किया था। माता दुर्गा की पूजा का एकमात्र कारण सिर्फ महिषासुर का वध नहीं बल्कि ऐसे हजारों राक्षसों का वध भी है जिन्होंने मानव जाति का संपूर्ण नाश करने का ताना-बाना रच दिया था।

दुर्गा पूजा का महत्व Importance of Durga Puja in Hindi

सनातन संस्कृति में दुर्गा पूजा का महत्व बेहद अधिक है। जहां एक तरफ दुर्गा पूजा से सांस्कृतिक गौरव में वृद्धि होती है वहीं दूसरी तरफ हिंदू समुदाय में सामाजिक समरसता और एकता का विकास होता है।

ऐसा माना जाता है कि हिंदू समुदाय अपनी स्वार्थपरता के कारण संगठित ना हो सका। इसलिए हमारे महापुरुषों ने हमारी सांस्कृतिक घटनाओं के माध्यम से ऐसे पर्वों का निर्माण किया जिनके माध्यम से हिंदू समुदाय फिर से एक हो सके और अपने धर्म के लिए खड़े हो सके।

आध्यात्मिक दृष्टि से दुर्गा पूजा का महत्व भी बेहद ही अधिक माना जाता है। दुर्गा पूजा को अच्छाई की जीत के चिन्ह के रूप में भी मनाया जाता है। ताकि जन समूह में यह भाव जागृत किया जा सके कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा ही जीत होती है।

ज्योतिष की दृष्टि से इन 9 दिनों में बेहद गूढ़ व रहस्यमई बदलाव होते हैं। इन दिनों में की गई साधना का बेहद ही अधिक प्रभाव होता है।

मनोविज्ञान के अनुसार मानव अपने विचारों को जिन तत्वों पर एकत्रित करता है वह तत्व चमत्कारिक रूप से परिवर्तित होना शुरू हो जाते हैं। भक्ति पर भी यही सूत्र लागू होता है की हम जिन गुणों व शक्तियों को अपने आराध्य में ढूढ़ते हैं वे हमें उसी तरह दिखने लगते हैं।

माता दुर्गा को तमस निवारिणी भी कहा जाता है। तमस निवारण अर्थात अज्ञानता को दूर कर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाएं।

दुर्गा पूजा की विधि Durga Puja vidhi in Hindi

दुर्गा पूजा को पूरे भारत भर में अनेकों विधियों से मनाया जाता है। लेकिन बंगाल में इस दिन बहुत ही अधिक रौनक होती है। बंगाल की दुर्गा पूजा पूरे भारत में प्रसिद्ध है।

बंगाल के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश में विशेष रूप से मनाया जाता है। गुजरात में दुर्गा पूजा के अवसर पर डांडिया तथा गरबा का विशेष आयोजन किया जाता है जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।

दुर्गा पूजा के दिन माता के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है साथ ही लक्ष्मी, सरस्वती , गणेश तथा कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है।

हिंदू समुदाय के लोग इस दिन के लिए विशेष तैयारियां करते हैं। एक-दो दिन पहले से ही मंडप सजा लिए जाते हैं तथा माता की भव्य मूर्ति की स्थापना की जाती है।

लोगों की श्रद्धा के अनुसार दिए गए भेंट के माध्यम से ही प्रसाद तथा अन्य वस्तुओं की व्यवस्था की जाती है। सुबह दुर्गा सप्तशती का पाठ होता है तथा यज्ञ आदि का कार्यक्रम होता है और शाम को दुर्गा चालीसा तथा दुर्गा आरती के बाद रात्रि भोजन का कार्यक्रम प्रारंभ होता है।

दुर्गा पूजा के प्रथम दिन मां की मूर्ति स्थापित की जाती है, प्राण प्रतिष्ठा होती है और 5वें दिन उनका विसर्जन किया जाता है।इस प्रकार लोग अपनी क्षमता के अनुसार उपवास तथा अनुष्ठान रखते हैं तथा माता की भक्ति में तल्लीन रहते हैं।

दुर्गा पूजा की कहानी Story of Durga Puja in Hindi

पुरातन काल में राजा दक्ष की पुत्री माता सती ने हिमालय में रहने वाले योगी यानी भगवान शिव से विवाह कर लिया। लेकिन यह बात उनके पिता यानी पर्वतराज दक्ष को पसंद नहीं आई।

एक बार राजा दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने माता सती और शिव को न्योता नहीं दिया। पिता के प्रेम में माता सती ने शिव के मना करने के बावजूद अपने यज्ञ में पहुंच गई।

राजा दक्ष ने उनका सम्मान करने के बदले, भगवान शिव के बारे में अपमानजनक बातें कहीं। उनकी बातों से माता सती को गहरा आघात पहुंचा और उन्होंने यज्ञ में समाहित होकर अपने प्राण त्याग दिए।

यह खबर सुनते ही भगवान शिव ने अपने सेनापति वीरभद्र को दक्ष का वध करने भेजा और वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया। भगवान शिव दुखी होकर माता सती के बदले शरीर को सिर पर धारण कर भ्रमण करने लगे।

भगवान शिव के क्रोध के कारण धरती पर प्रलय की स्थिति बन चुकी थी। माता सती को सिर पर धारण कर भगवान शिव अंतरिक्ष में घूमने लगे तथा माता सती के अंग के टुकड़े धरती पर 64 जगहों पर गिरे और उन सभी को शक्ति पीठ के रूप में जाना जाने लगा।

यज्ञ कुंड में कूदकर आत्मदाह करने के कारण भी उन्हें सती कहा जाता है। बाद में उन्हें पार्वती के रूप में जन्म लिया। पार्वती नाम इसलिए पड़ा की वह पर्वतराज अर्थात् पर्वतों के राजा की पुत्र थी। राजकुमारी थी। माता पार्वती ने ही आगे चलकर महिषासुर नामक राक्षस का वध किया।

दुर्गा पूजा पर 10 लाइन Best 10 Lines on Durga Puja in Hindi

  • दुर्गा पूजा को बुराई पर अच्छाई की जीत साथ ही मातृत्व शक्ति की महानता के रूप में मनाया जाता है।
  • शक्ति स्वरूपा माता दुर्गा के स्वरूपों की विशेष पूजा-अर्चना होती है जिसे दुर्गा पूजा कहा जाता है।
  • हिन्दू  कैलेंडर के अनुसार, शारदीय नवरात्रि के समय में ही दुर्गा पूजा का उत्सव भी मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि की षष्ठी से दुर्गा पूजा का आगाज होता है।
  • पुराणों के अनुसार देवी दुर्गा को मातृत्व, सौम्यता तथा करुणा की मूर्ति कहा गया है। लेकिन दुष्टता बढ़ जाने पर उनके महाकाली के रूप को भी भली-भांति दर्शाया गया है।
  • त्रिदेव की शक्ति से माता दुर्गा महिषासुर से लड़ी। महिषासुर से उन्होंने लगातार नौ दिनों तक भयानक युद्ध किया और दसवीं दिन उसका समूल नाश कर दिया।
  • दूसरी पौराणिक घटना के रूप में इस दिन भगवान राम ने रावण पर विजय पाई थी
  • ज्योतिष की दृष्टि से इन 9 दिनों में बेहद गूढ़ व रहस्यमई बदलाव होते हैं।
  • यज्ञ कुंड में कूदकर आत्मदाह करने के कारण भी उन्हें सती कहा जाता है। बाद में उन्हें पार्वती के रूप में जन्म लिया।
  • बंगाल में इस दिन बहुत ही अधिक रौनक होती है। बंगाल की दुर्गा पूजा पूरे भारत में प्रसिद्ध है।
  • गुजरात में दुर्गा पूजा के समय किये जाने वाले नृत्य गरबा और डांडिया पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। 

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने दुर्गा पूजा पर निबंध  (Essay on Durga Puja in Hindi) हिंदी में पढ़ा। आशा है यह लेख आप को सरल लगा हो, अब आपको और तो इसे शेयर जरूर करें। 

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दुर्गा पूजा पर निबंध हिंदी में: Durga Puja Essay in Hindi [2024]

दुर्गा पूजा पैराग्राफ हिंदी में: यह आर्टिकल छात्रों और शिक्षकों के लिए हिंदी में दुर्गा पूजा, विजयादशमी या दशहरा के ऊपर 10 लाइन्स एवं 100, 150 और 250 शब्दों में हिंदी निबंध प्रस्तुत करता है. इसे स्कूल के छात्र और कॉलेज के युवा भी इस्तेमाल कर सकते हैं. .

Pragya Sagar

दुर्गा पूजा पर निबंध 10 लाइन्स: Durga Puja Essay in Hindi 10 lines

दुर्गा पूजा निबंध हिंदी में 10 पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं:

लाइन 1: दुर्गा पूजा, नवरात्र, विजयादशमी या दशहरा एक प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है।

लाइन 2: दुर्गा पूजा बुराई को ख़त्म करने और मानव जाति को बचाने के लिए देवी दुर्गा के सम्मान में मनाया जाता है।

लाइन 3: दशहरा की तरह, दुर्गा पूजा भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

लाइन 4: हर साल, दुर्गा पूजा हिन्दू पंचांग के अश्विन (सितंबर-अक्टूबर) महीने में मनाई जाती है।

लाइन 5: दुर्गा पूजा 10 दिनों का त्योहार है।

लाइन 6: इस अवसर पर पूजा पंडालों में दुर्गा माँ की विशाल प्रतिमा की पूजा की जाती है।

लाइन 7: भारत के लोग पंडाल सजाकर, स्वादिष्ट भोजन बनाकर और एक साथ नृत्य करके दुर्गा पूजा मनाते हैं।

लाइन 8: दुर्गा पूजा का मुख्य उत्सव महा षष्ठी से शुरू होता है.

लाइन 9: पूजा के छठे दिन पंडालों में देवी दुर्गा की खूबसूरत मूर्तियों का अनावरण किया जाता है. 

दुर्गा पूजा पर हिंदी निबंध 100 शब्दों में: Essay on Durga Puja in 100 Words

दुर्गा पूजा पर हिंदी निबंध 150 शब्दों में: essay on durga puja in 150 words, दुर्गा पूजा पर हिंदी निबंध 250 शब्दों में: essay on durga puja in 250 words.

नवरात्रि, जिसे अक्सर दुर्गा पूजा के रूप में जाना जाता है, भारत के सबसे उज्ज्वल और प्रसिद्ध पर्वों में से एक है। हालाँकि यह पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन बंगालियों में इसके प्रति एक अनोखा लगाव है। इस दस दिवसीय उत्सव में माँ देवी दुर्गा का सम्मान किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

पूजा की शुरुआत होती है महालया से. इस दिन देवी को पृथ्वी पर लाने के लिए प्रार्थना की जाती है. महा षष्ठी या पूजा के छठे दिन देवी दुर्गा की अद्भुत नक्काशीदार मूर्तियों का पंडालों में अनावरण किया जाता है. दुर्गा देवी की शक्ति और सुंदरता का प्रतिनिधित्व करने वाली ये मूर्तियाँ कला और आध्यात्मिकता का अद्भुत मिश्रण हैं।

कार्यक्रम के दौरान सामाजिक-आर्थिक और धार्मिक बाधाओं को दूर करते हुए सभी व्यवसायों और स्थितियों के लोग एक साथ इकट्ठा होते हैं। सड़कों को चमकदार रोशनी से सजाया गया है, साथ ही हर जगह सांस्कृतिक प्रदर्शन भी होते हैं। पारंपरिक संगीत, नृत्य और नाटक उत्सव का माहौल सभी को भावविभोर कर देती हैं।

अंतिम दिन, जिसे विजयादशमी या दशमी के नाम से जाना जाता है, मूर्तियों को नदियों और झीलों में विसर्जित किया जाता है। यह संस्कार देवी की स्वर्ग में अपने निवास स्थान पर वापसी का प्रतिक है। यह एक भावनात्मक समय है जिसमें देवी माँ के प्यार की खुशी भी है और जाने का दुख भी।

दुर्गा पूजा एक धार्मिक उत्सव से कहीं अधिक है। यह एक सांस्कृतिक अवसर है जो सद्भाव, खुशी और इस विश्वास को बढ़ावा देता है कि अंततः बुराई पर अच्छाई की जीत होगी

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दुर्गा पूजा पर निबंध

Essay on Durga Puja in Hindi: हिन्दू त्यौहारों में दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है। इस पर्व के दौरान माँ दुर्गा के नौ रूपों की नौ दिनों तक पूजा की जाती है। माँ दुर्गा की पूजा बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इन नौ दिनों के बाद दसवें दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाता है।

मां दुर्गा को महिषासुर मर्दनी के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि मां दुर्गा ने महिषासुर दानव का वध किया था। मां भारत के पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का पर्व काफी प्रसिद्ध है।

Essay on Durga Puja in Hindi

हम यहां पर Durga Puja से जुड़ी हर जानकारी शेयर करने जा रहे हैं। जिससे आपको दुर्गा पूजा की जानकारी अच्छे से हो जाएगी और अलग-अलग शब्दों की सीमा में दुर्गा पूजा पर निबन्ध लिखे हैं। जिनसे विद्यार्थियों को परीक्षा में पूछे गये सवाल दुर्गा पूजा पर निबंध लिखें का जवाब भी आसानी से मिल जायेगा। ये निबन्ध बहुत ही सरल भाषा में लिखे गये है। इस निबंध के अंत में हमने दुर्गा पूजा पर निबंध का विडियो भी संलग्न किया है उसे जरूर देखें।

Read Also: हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

दुर्गा पूजा पर निबंध – Essay on Durga Puja in Hindi

निबंध दुर्गा पूजा – durga puja essay in hindi (100 words).

भारत एक ऐसा देश है जहां पर विश्व के सभी त्यौहार धूमधाम मनाये जाते हैं। दुर्गा पूजा भी भारत का एक विशेष धार्मिक पर्व हैं। इस पर्व के दौरान मां दुर्गा की नौ दिन तक पूजा की जाती है। Durga Pooja का पर्व बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। इस दिन मां दुर्गा ने दानव महिषासुर का विनाश किया था और इस दिन राम ने रावण के विनाश के लिए मां दुर्गा से शक्ति प्राप्त करने के लिए चंडी पूजा की थी।

इस त्यौहार के चलते कई लोग लगातार नौ दिन तक उपवास रखते हैं और कई लोग शुरूआत के दिन और अंतिम दिन उपवास रखते हैं। इसके पीछे लोगों का मानना है कि ऐसा करने से उन्हें Durga Devi नकारात्मक प्रभाव से दूर रखती है और उनमें सकरात्मक भाव आता है उनका जीवन शांति से भर जाता है।

दुर्गा पूजा पर लेख हिंदी में – Essay on Durga Puja (300 Words)

विश्व में सबसे अधिक त्यौहार भारत में मनाये जाते हैं और इन सभी त्यौहारों के पीछे एक विशेष कारण होता है। दुर्गा पूजा हर वर्ष मनाया जाने वाला एक विशेष त्यौहार है। यह त्यौहार अश्विन महीने के पहले दस दिनों के अंदर मनाया जाता है।

भारत के कुछ राज्यों में इसका विशेष महत्व है। दुर्गा पूजा के त्यौहार के दिन ओडिशा, त्रिपुरा, सिक्किम और पश्चिम बंगाल में कई बड़े कार्यक्रमों का आयोजन होता है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई के विजय का प्रतीक है।

महिषासुर ने स्वर्ग के देवताओं पर आक्रमण कर दिया था महिषासुर बहुत ही शक्तिशाली था और काफी किसी से हारा नहीं था। इस दिन ब्रम्हा, विष्णु और महेश ने महिषासुर राजा के अंत के लिए आन्तरिक शक्ति का निर्माण किया था और उसका नाम दुर्गा रखा गया था। फिर दुर्गा को आन्तरिक शक्तियां दी थी। दुर्गा अपने दस हाथों में विशेष हथियार लिए एक नारी शक्ति का रूप थी।

durga-puja-essay

माँ दुर्गा ने नौ दिन तक महिषासुर से युद्ध किया और अंत में दसवें दिन उसका अंत कर दिया। इस दिन को आज भी विजयदशमी और दशहरे के रूप में मनाते है। इस दिन राम ने रावण का अंत करने के लिए मां दुर्गा से शक्ति प्राप्त करने के लिए चंडी पूजा भी की थी।

इस पर्व के दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा होती है और अंत के दिन दुर्गा की मूर्ति या प्रतिमा को नदी या तालाब में विसर्जित (Durga Puja Visarjan) कर दिया जात्ता है। इन नौ दिनों में लोग लगतार उपवास भी रखते हैं और कुछ लोग शुरू के दिन और अन्त के दिन उपवास रखते हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि मां दुर्गा उन्हें अच्छे काम करने के लिए शक्ति प्रदान करती और घर में शांति बनी रहती है।

इस दिन डांडिया और गरबा का भी विशेष आयोजन होता है। मां के पंडाल में विवाहित महिलाएं सिंदूर से खेलती है और इस त्यौहार को बड़े धूमधाम से मनाती है।

दुर्गा पूजा पर निबंध – Hindi Essay on Durga Puja (500 Words)

भारत में कई धार्मिक त्यौहार मनाये जाते हैं उन्हीं में से एक दुर्गा पूजा का त्यौहार विशेष महत्व रखता है। इस त्यौहार में भारतीय संस्कृति और रीती-रिवाज का अच्छा सन्देश मिलता है। दुर्गा पूजा को षष्ठोत्सव और दुर्गोत्सव भी कहा जाता है। ये त्यौहार अश्विन महीने के शुरू के दस दिनों में मनाया जाता है।

मां दुर्गा हिमालय और मेनका की पुत्री और मां सती का अवतार थी। जिनका बाद में भगवन शिव से विवाह हुआ था।

दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है – Paragraph on Durga Puja in Hindi

दुर्गा पूजा के मानाने के पीछे कई कारण और कई कथाएं प्रचलित है।

एक महिषासुर राजा था। उसने स्वर्ग के देवताओं पर आक्रमण कर दिया था। वह इतना शक्तिशाली था कि उसने कभी किसी से हार नहीं मानी थी। दुर्गा देवी ने लगातार नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया था और दसवें दिन उसका अंत किया था। इसलिए उस दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है।

रामायण के अनुसार राम ने मां दुर्गा से रावण को मारने के लिए शक्ति प्राप्ति के लिए चंडी पूजा की थी।

दस हाथों में अलग-अलग हथियार लिए मां दुर्गा नारी का रूप है। मां दुर्गा के कारण सभी लोगों राक्षस से छुटकारा मिला था। इसलिए सभी लोग मां दुर्गा की श्रद्धा से पूजा करते हैं। इस दिन गरबा और डांडिया का भी विशेष आयोजन होता है।

about-durga-puja

भारत विश्व का एक ऐसा देश है जहां पर सभी देवी-देवताओं को विशेष महत्व दिया जाता है और सभी का सम्मान किया जाता है। दुर्गा पूजा का दिन भारत में विशेष महत्व रखता है। इस दिन प्राचीन भारत की संस्कृति और रीती-रिवाज लोगों में देखने को मिलते हैं। दुर्गा पूजा का पर्व भारत के अलावा नेपाल और बांग्लादेश देश में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा पर निबंध – Essay on Durga Puja in Hindi (1000 Words)

भारत में कई प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं। सभी त्यौहारों का अलग-अलग और विशेष महत्व होता है। इन्हीं त्यौहारों में से दुर्गा पूजा का त्यौहार विशेष महत्व रखता है। दुर्गा पूजा का पर्व सम्पूर्ण भारत में मनाया जाता है। ये भारत का एक धार्मिक त्यौहार है। यह त्यौहार दुर्गोत्सव और षष्ठोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।

माँ दुर्गा सती का अवतार थी जो हिमालय और मेनका की पुत्री थी। बाद में मां दुर्गा का विवाह शिव से हुआ था। दुर्गा पूजा एक परम्परागत अवसर है। यह अवसर सभी को भारतीय संस्कृति और रीती-रिवाज का अच्छा सन्देश देता है।

दुर्गा पूजा कब से शुरू हुआ – Durga Puja in Hindi

जब राक्षस रावण ने सीता माता का हरण का लिया था। तब भगवान राम ने सीता माता को रावण से आजाद करवाने और रावण का अंत करने के लिए माँ दुर्गा से शक्ति प्राप्त करने के लिए पूजा की थी। तब से मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई का सन्देश देता है।

भारत के ओडिशा, सिक्किम, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में Durga Pooja के दिन विशेष उत्सव और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, बड़े ही धूमधाम से इस पर्व को मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान मां दुर्गा की नौ दिनों तक पूजा की जाती है और बाद में मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति का नदी या तालाब में विसर्जन (Durga Puja Visarjan) कर दिया जाता है।

लोगों की भावना

सभी लोग माँ दुर्गा देवी की नौ दिनों तक लगातार पूजा करते हैं और कई लोग इन नौ दिनों के दौरान उपवास रखते हैं। इन नौ दिनों के भीतर सिर्फ पानी का ही प्रयोग करते हैं। हालांकि कुछ लोग इसके शुरूआत के दिन और अंत के दिन उपवास रखते हैं। सभी लोगों का यह मानना है कि माँ दुर्गा उन्हें नकारात्मकता से दूर रखती है और उनकी हर समस्या का समाधान करती है। उपवास करने से उन्हें दुर्गा देवी का पूरा आशिर्वाद मिलता है।

दुर्गा पूजा का इतिहास – Durga Puja History

दुर्गा पूजा की कहानी के पीछे कुछ कहानियां प्रचलित है जो निम्न है।

कहानी – 1

ऐसा माना जाता है कि महिषासुर नाम का एक राजा था जो कि बहुत ही शक्तिशाली था। इस राजा को कोई हरा नहीं सका था। एक बार इस दानव राजा ने स्वर्ग में देवताओं पर आक्रमण कर दिया। तब ब्रम्हा, विष्णु और शिव (महेश) ने महिषासुर दानव का विनाश करने के लिए एक आन्तरिक शक्ति का निर्माण किया और इस शक्ति का नाम दुर्गा रखा।

दुर्गा अपने दस हाथों में अलग-अलग विशेष हथियार धारण किये, अद्भुत नारी शक्ति थी। दुर्गा को आन्तरिक शक्ति प्रदान की गई। फिर मां दुर्गा ने नौ दिनों तक लगातार दानव महिषासुर के साथ युद्ध किया और अंत में दसवें दिन दानव का विनाश किया। उस दिन को आज हम Vijayadashami और दशहरे के रूप में मानाते है।

कहानी – 2

रामायण के अनुसार भगवान राम ने रावण का अंत करने के लिए मां दुर्गा से शक्ति प्राप्त करने के लिए चंडी पूजा (Chandi Puja) की थी। दुर्गा पूजा के दसवें दिन राम ने रावण का विनाश कर दिया था। उस दिन को विजयदशमी कहा जाता है। ये दुर्गा पूजा का पर्व बुराई का अच्छाई पर विजय का प्रतीक है।

कहानी – 3

देवदत के पुत्र कौस्ता ने अपनी शिक्षा पूरी होने पर अपने गुरू वरतंतु को गुरूदक्षिणा प्रदान करने का निश्चय किया। उन्हें 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राओं के भगतान के लिए कहा गया। इन स्वर्ण मुद्राओं को पाने के लिए वह राम के पूर्वज राजा रघुराज के पास गया।

हालांकि इन स्वर्ण मुद्राओं को विश्वजीत के त्याग के कारण देने में वह समर्थ नहीं थे। फिर कौस्ता इन्द्रराज के पास गया और बाद में धन के देवता कुबेर के पास अयोध्या में आवश्यक स्वर्ण मुद्राओं की “शानु” और “अपति” पेड़ों पर बारिश कराने के लिए गया। इतना करने के बाद कौस्ता को स्वर्ण मुद्राएँ प्राप्त हुई और उन्हें अपने गुरू को अर्पण की।

यह घटना आज भी याद की जाती है। इस दिन लोग पतियों को एक दुसरें को सोने के सिक्के के रूप में देते हैं।

दुर्गा पूजा का महत्व – Durga Puja Hindi

भारत में नारी शक्ति को विशेष महत्व दिया जाता है। इसी कारण लोग अपनी भावना से भारत को भारत माता कहते हैं। विश्व में देवी-देवताओं को सबसे अधिक महत्व भारत में दिया जाता है। मां दुर्गा से सम्पूर्ण विश्व को सभी प्रकार की शक्तियां मिलती है। इस कारण माँ दुर्गा को बाकि देवी-देवताओं से ऊंचा माना जाता है। नवरात्रि और दुर्गा पूजा का त्यौहार अधिक महत्व रखता है।

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यह पर्व लोगों की क्षमता, स्थान, परम्परा और विश्वास के अनुसार मनाया जाता है। नवरात्रि का मतलब होता है नौ रात और इसके अलगे दिन यानी दसवें दिन को दशहरे और विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। दुर्गा पूजा का पर्व नौ दिनों तक चलने वाला एक विशेष पर्व है।

दुर्गा मां की पूजा षष्ठी से दशमी तक होती है। आखिरी दिन देवी दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन (Durga Puja Visarjan) किया जाता है। इसके पीछे लोगों का मानना है कि उन्हें दुर्गा पूजा का पूरा आशिर्वाद और नई ताकत मिलती है। सभी लोग नकारात्मक प्रभाव से दूर रहते हैं और उन्हें एक शांति पूर्ण जीवन मिलता है। सभी लोग इस पर्व को रावण का पुतला जलाकर और पटाखे जलाकर मनाते है।

डांडिया और गरबा का आयोजन

नवरात्रि में डांडिया और गरबा की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है और जीतने वालों को पुरुस्कार भी दिए जाते हैं। इस दिन सभी विवाहित महिलाएं मां के पंडाल में सिंदूर के साथ खेलती है और कई स्थानों पर सिंदूरलेखन का भी रिवाज है।

हिन्दू धर्म में सभी त्योहारों का विशेष महत्व है इस पर्व को मनाने के पीछे भी एक विशेष और सामाजिक कारण है। शक्ति को प्राप्त करने के लिए इस उत्सव को मनाया जाता है जिससे की विश्व में हो रही सभी बुराइयों का विनाश हो सके। दुर्गा पूजा का पर्व अनीति, तामसिक शक्तियों और अत्याचार के नास का प्रतीक है।

Essay on Durga Puja in Hindi Video

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दुर्गा पूजा पर निबंध

hindi essay durga puja

By विकास सिंह

essay on durga puja in hind

दुर्गा पूजा एक वार्षिक हिंदू त्योहार है जो पूरे भारत में महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय को चिह्नित करने के लिए हिंदू देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए मनाता है

दुर्गा पूजा पर निबंध, essay on durga puja in hindi (100 शब्द)

प्रस्तावना:.

दुर्गा पूजा हिंदू के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह हर साल हिंदू धर्म के लोगों द्वारा बहुत उत्साह और विश्वास के साथ मनाया जाता है। यह एक धार्मिक त्योहार है जिसके विभिन्न महत्व हैं। यह हर साल पतझड़ के मौसम में पड़ता है।

विशेष क्या है?

इस त्यौहार के दौरान, लोगों द्वारा सभी नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। त्योहार के अंत में  देवी की छवि को नदी या टैंक के पानी में डुबोया जाता है। कुछ लोग पूरे दिन उपवास रखते हैं, हालांकि कुछ लोग केवल पहले और अंतिम दिन उपवास रखते हैं। लोगों का मानना ​​है कि ऐसा करने से देवी दुर्गा का बहुत सारा आशीर्वाद मिलेगा। उनका मानना ​​है कि दुर्गा माता उन्हें सभी समस्याओं और नकारात्मक ऊर्जा से दूर रखेंगी।

दुर्गा पूजा पर निबंध, essay on durga puja in hindi (150 शब्द)

दुर्गा पूजा भारत का धार्मिक त्योहार है। यह पूरे देश में हिंदू लोगों द्वारा बहुत खुशी के साथ मनाया जाता है। हर कोई इस पूजा को शहर या गांवों में कई स्थानों पर सांस्कृतिक और पारंपरिक तरीके से करता है। यह विशेष रूप से छात्रों के लिए खुशी के अवसरों में से एक है क्योंकि वे छुट्टियों के कारण अपने व्यस्त जीवन से कुछ राहत लेते हैं। यह आश्चर्यजनक रूप से मनाया जाता है, कुछ स्थानों पर एक बड़ा मेला भी आयोजित किया जाता है।

दुर्गा पूजा का महत्व:

दुर्गा पूजा नौ दिनों तक चलने वाला त्योहार है। दुर्गा पूजा उत्सव के दिन स्थान, रिवाज, लोगों की क्षमता और लोगों के विश्वास के अनुसार भिन्न होते हैं। कुछ लोग इसे पाँच, सात या पूरे नौ दिनों तक मनाते हैं। लोग worship षष्टी ’पर दुर्गा प्रतिमा की पूजा शुरू करते हैं जो“ दशमी ”पर समाप्त होती है।

समुदाय या समाज के कुछ लोग इसे आसपास के क्षेत्रों में ‘पंडाल’ सजाकर मनाते हैं। इन दिनों में, आस-पास के सभी मंदिर विशेष रूप से सुबह में भक्तों से भर जाते हैं। कुछ लोग सभी व्यवस्थाओं के साथ घर पर पूजा करते हैं और अंतिम दिन मूर्ति विसर्जन के लिए गंगा नदी में जाते हैं।

दुर्गा पूजा पर निबंध, essay on durga puja in hindi (200 शब्द)

भारत मेलों और त्योहारों का देश है। यह इसलिए कहा जाता है क्योंकि विभिन्न धर्मों के लोग यहां रहते हैं और वे सभी वर्ष भर अपने मेले और त्यौहार मनाते हैं। यह इस ग्रह पर एक पवित्र स्थान है जहाँ विभिन्न पवित्र नदियाँ चलती हैं और बड़े धार्मिक त्योहार मनाए जाते हैं।

नवरात्रि या दुर्गा पूजा एक त्यौहार (नौ रातों का त्यौहार) है जो विशेष रूप से पूर्वी भारत में लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह पूरे देश में एक खुशी का माहौल लाता है। लोग मंदिर जाते हैं या पूरी तैयारी और भक्ति के साथ घर पर देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। भक्त अपने कल्याण और समृद्ध जीवन के लिए देवी दुर्गा की पूजा करते हैं।

दुर्गा पूजा उत्सव:

नवरात्रि या दुर्गा पूजा को बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है। भक्तों द्वारा यह माना जाता है कि इस दिन देवी दुर्गा को बैल दानव महिषासुर पर विजय प्राप्त हुई थी। उसे भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने राक्षस को मारने और दुनिया को उससे मुक्त करने के लिए बुलाया था।

कई दिनों की लड़ाई के बाद आखिरकार उसने दसवें दिन उस राक्षस को मार दिया, उस दिन को दशहरा कहा जाता है। नवरात्रि का वास्तविक अर्थ देवी और शैतान के बीच लड़ाई के नौ दिन और रात हैं। दुर्गा पूजा मेला एक स्थान पर विदेशी पर्यटकों सहित भक्तों और आगंतुकों की भारी भीड़ को आकर्षित करता है।

दुर्गा पूजा पर निबंध, essay on durga puja in hindi (250 शब्द)

दुर्गा पूजा मुख्य हिंदू त्योहारों में से एक है। यह हर साल देवी दुर्गा के सम्मान की तैयारी के साथ मनाया जाता है। वह हिमालय और मेनका की बेटी है और सती का एक संक्रमण है जिसने बाद में भगवान शिव से शादी कर ली। ऐसा माना जाता है कि यह पूजा पहली बार शुरू हुई थी जब भगवान राम ने रावण को मारने के लिए शक्ति प्राप्त करने के लिए देवी दुर्गा की पूजा की थी।

देवी दुर्गा की पूजा क्यों की जाती है:

नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा की जाती है क्योंकि यह माना जाता है कि उन्होंने युद्ध के 10 दिनों और रातों के बाद एक राक्षस महिषासुर का वध किया था। प्रत्येक में एक अलग हथियार के साथ उसके दस हाथ हैं। देवी दुर्गा की इस वजह से लोगों को उस असुर से राहत मिली कि वे पूरी श्रद्धा के साथ उनकी पूजा क्यों करते हैं।

दुर्गा पूजा:

त्योहार के सभी नौ दिनों में देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। हालांकि पूजा के दिन जगह के अनुसार बदलते रहते हैं। माता दुर्गा के भक्त पूरे नौ दिन या केवल पहले और अंतिम दिन उपवास रखते हैं। वे बड़ी भक्ति के साथ क्षमता के अनुसार प्रसाद, जल, कुमकुम, नारियाल, सिंदूर आदि चढ़ाकर देवी की प्रतिमा को सजाते और पूजते हैं।

हर जगह बहुत सुंदर दिखता है और पर्यावरण स्वच्छ और शुद्ध हो जाता है। ऐसा लगता है कि वास्तव में देवी दुर्गा घर में सभी के लिए चक्कर लगाती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। ऐसा माना जाता है कि माता की पूजा करने से सुख, समृद्धि मिलती है, अंधकार और बुरी शक्ति दूर होती है।

आम तौर पर लोग लंबे 6, 7, और 8 दिनों के उपवास रखने के बाद तीन दिनों तक (सप्तमी, अष्टमी और नवमी के रूप में) पूजा करते हैं। वे देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए स्वच्छ तरीके से सुबह सात या नौ अविवाहित लड़कियों को भोजन, फल ​​और दक्षिणा प्रदान करते हैं।

मूर्ति का विसर्जन:

पूजा के बाद, लोग पवित्र जल में मूर्ति का विसर्जन समारोह करते हैं। भक्त उदास चेहरे के साथ अपने घरों को लौटते हैं और माता से अगले वर्ष फिर से बहुत सारे आशीर्वाद के साथ आने की प्रार्थना करते हैं।

दुर्गा पूजा पर निबंध, essay on durga puja in hindi (300 शब्द)

दुर्गा पूजा हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे दुर्गोत्सव या शरदोत्सव के रूप में भी जाना जाता है, जिसके छह दिन महालया, षष्ठी, महा सप्तमी, महा अष्टमी, महा नवमी और विजयादशमी के रूप में मनाए जाते हैं। इस पर्व के दिनों में देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। यह आमतौर पर आश्विन के हिंदी महीने में पड़ता है। देवी दुर्गा के प्रत्येक हाथ में 10 हथियार हैं। दुर्गा शक्ति से सुरक्षित रहने के लिए लोग देवी दुर्गा की पूजा करते हैं।

दुर्गा पूजा के बारे में:

दुर्गा पूजा अश्विन में चमकीले चंद्र पखवाड़े (शुक्ल पक्ष) के छठे से नौवें दिन तक मनाया जाता है। दसवें दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन देवी दुर्गा को एक दानव पर विजय मिली थी। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, एक भैंस दानव महिषासुर। बंगाल में लोग दुर्गा को दुर्गतिनाशिनी के रूप में पूजते हैं, जिसका अर्थ है बुराई को नष्ट करने वाला और भक्तों का रक्षक।

यह व्यापक रूप से भारत के कई स्थानों जैसे असम, त्रिपुरा, बिहार, मिथिला, झारखंड, ओडिशा, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, आदि में मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर यह पांच दिनों का वार्षिक अवकाश बन जाता है। यह भक्तों द्वारा पूरी श्रद्धा के साथ वर्षों से मनाया जाने वाला एक धार्मिक और सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम है। राम-लीला मैदान में एक विशाल दुर्गा पूजा मेला भी आयोजित होता है जो लोगों की एक बड़ी भीड़ को आकर्षित करता है।

दुर्गा पूजा का पर्यावरणीय प्रभाव:

लोगों की लापरवाही के कारण, यह पर्यावरण को विशाल स्तर तक प्रभावित करता है। माता दुर्गा की मूर्तियों को बनाने और रंगने (जैसे सीमेंट, प्लास्टर ऑफ पेरिस, प्लास्टिक, विषाक्त पेंट आदि) में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री स्थानीय जल संसाधनों में प्रदूषण का कारण बनती है।

त्योहारों के अंत में प्रतिमाओं का विसर्जन नदी के पानी को सीधे प्रदूषित करता है। इस त्यौहार के पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के लिए, हर किसी के अंत से प्रयास होने चाहिए कि मूर्तियों को बनाने में कारीगरों द्वारा पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का उपयोग किया जाए, भक्तों को सीधे गंगा के पानी में प्रतिमाओं को विसर्जित नहीं करना चाहिए और कुछ सुरक्षित तरीके खोजने चाहिए। इस त्योहार का अनुष्ठान करें।

20 वीं सदी में हिंदू त्योहारों के व्यावसायीकरण ने प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों को जन्म दिया है।

दुर्गा पूजा पर निबंध, essay on durga puja in hindi (400 शब्द)

दुर्गा पूजा एक धार्मिक त्योहार है जिसके दौरान देवी दुर्गा की एक औपचारिक पूजा की जाती है। यह भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह एक पारंपरिक अवसर है जो लोगों को एक भारतीय संस्कृति और रीति-रिवाजों में फिर से जोड़ता है। दस दिनों के त्योहार जैसे व्रत, भोज और पूजा के माध्यम से अनुष्ठानों की विविधताएं निभाई जाती हैं।

लोग अंतिम चार दिनों में मूर्ति विसर्जन और कन्या पूजन करते हैं जिसे सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी कहा जाता है। लोग शेर की सवारी करने वाले दस-सशस्त्र देवी की पूजा बड़े उत्साह, जुनून और भक्ति के साथ करते हैं।

दुर्गा पूजा की कहानी और किंवदंतियाँ:

दुर्गा पूजा की विभिन्न कथाएँ और किंवदंतियाँ हैं जिनका उल्लेख नीचे दिया गया है:

यह माना जाता है, एक बार एक राक्षस राजा, महिषासुर था, जो स्वर्ग के देवताओं पर हमला करने के लिए तैयार था। वह परमेश्वर से हारने के लिए बहुत शक्तिशाली था। तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश द्वारा एक अनन्त शक्ति का निर्माण किया गया था जिसे दुर्गा (प्रत्येक में विशेष हथियारों के साथ दस हाथों वाली एक शानदार महिला) के रूप में नामित किया गया था। राक्षस महिषासुर को नष्ट करने के लिए उसे अनन्त शक्ति दी गई थी। अंत में उसने दसवें दिन उस राक्षस को मार दिया, जिसे दशहरा या विजयदशमी कहा जाता है।

दुर्गा पूजा के पीछे एक और पौराणिक कथा है भगवान राम। रामायण के अनुसार, रावण को मारने के लिए माँ दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए राम ने एक चंडी-पूजा की थी। राम ने दशहरा या विजयदशमी के रूप में बुलाया जाने वाले दुर्गा पूजा के दसवें दिन रावण का वध किया था। तो, दुर्गा पूजा हमेशा के लिए बुरी शक्ति पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

एक बार कौत्स (देवदत्त के पुत्र) ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वरांतन्तु नाम के अपने गुरु को गुरुदक्षिणा देने का फैसला किया, हालांकि उन्हें 14 करोड़ सोने के सिक्के (प्रत्येक 14 विज्ञान के लिए एक का भुगतान करने के लिए कहा गया)। उसी को पाने के लिए वह राजा रघुराज (राम के पूर्वज) के पास गया, लेकिन विश्वजीत बलिदान के कारण वह असमर्थ था।

अतः, कौत्स भगवान इंद्र के पास गए और उन्होंने कुबेर (धन के देवता) को फिर से अयोध्या में “शानू” और “अपति” वृक्षों पर सोने के सिक्कों की बारिश करने के लिए बुलाया। इस तरह, कौत्सा को अपने गुरु को भेंट करने के लिए सोने के सिक्के मिले। उस घटना को अभी भी “आपती” पेड़ों की पत्तियों को लूटने के रिवाज के माध्यम से याद किया जाता है। इस दिन, लोग इन पत्तों को एक दूसरे को सोने के सिक्के के रूप में उपहार में देते हैं। दुर्गा पूजा का महत्व

नवरात्रि या दुर्गा पूजा के त्योहार के विभिन्न महत्व हैं। नवरात्रि का अर्थ है नौ रातें। दसवें दिन को विजयदशमी या दशहरा के रूप में जाना जाता है। यह वह दिन है जब देवी दुर्गा को नौ दिनों और नौ रातों की लंबी लड़ाई के बाद एक दानव पर विजय मिली। शक्ति और आशीर्वाद पाने के लिए लोगों द्वारा देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।

देवी दुर्गा की पूजा करने से भक्तों को नकारात्मक ऊर्जा और नकारात्मक विचारों को दूर करने के साथ-साथ शांतिपूर्ण जीवन प्राप्त करने में मदद मिलती है। यह बुराई यानी रावण पर भगवान राम की विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। दशहरा की रात रावण की बड़ी प्रतिमा और आतिशबाजी जलाकर लोग इस त्योहार को मनाते हैं।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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दुर्गा पूजा पर निबंध – Durga Puja essay in Hindi

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दुर्गा पूजा भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है । यह पश्चिम बंगाल का सबसे प्रमुख त्योहार है । यह शारदीय नवरात्रें में नौ दिन तक मनाया जाता है और दशहरे वाले दिन समाप्त होता है । यह सितंबर या अक्टबूर माह में आता है ।

दुर्गा पूजा के पवित्र दिनों में, खूबसूरती से सजे पंडालों में मां दुर्गा की विशाल प्रतिमा का पूजन होता है । पूजा के आखिरी दिन प्रतिमाओं का विसर्जन कर दिया जाता है । यह त्योहार पूरे देश में तथा विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है ।

दुर्गा पूजा का इतिहास

यह त्योहार, दुष्ट व भयंकर राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का प्रतीक है ।

बहुत पहले की बात हैए महिषासुर ने कठोर तप द्वारा ब्रह्मा, शिवजी व दूसरे देवताओं से कई वरदान प्राप्त कर लिए थे । उसे यह भी वरदान प्राप्त था कि कोई स्त्री ही उसे मार सकती थी ।

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ये वरदान पाकर वह पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली व क्रूर हो गया । वह देवों को भी सताने लगा । एक बार उसने देवों को हराकर स्वर्ग से बाहर निकाल दिया ।

Durga puja festival

सभी देवों ने संकट के इन क्षणों में भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश की शरण ली । उन्होंने सर्वोच्च शक्तियों से विनती की कि वे महिषासुर का अंत कर दें । त्रिदेव ने अपनी शक्तियों के मेल से एक दिव्य नारी शक्ति-देवी दुर्गा का सृजन किया ।

देवी बहुत शक्तिशाली व ताकतवर थीं। त्रिदेव ने देवी से कहा कि धरती पर शांति स्थापना व महिषासुर के अंत के लिए ही उनका सृजन किया गया है। सभी देवों ने दुर्गा को अपना आशीर्वाद देते हुए दिव्य अस्त्र-शस्त्र भी प्रदान किए।

Durga puja festival

भगवान विष्णु ने देवी को अपना चक्र तथा शिवजी ने त्रिशूल प्रदान किया । वायुदेव ने दिव्य तीर-कमान दिए । हिमालय से एक शेर आया, जो देवी दुर्गा का वाहन बन गया ।

तब दुर्गा महिषासुर से लड़ने चलीं । महिषासुर देवी को देख भयभीत हो गया । देवी ने उसे चुनौती दी और फिर दोनों के बीच भयंकर युद्ध होने लगा ।

कुछ ही देर में देवी ने उसकी सारी सेना का सफाया कर दिया । राक्षस देवी की शक्तियां देख दंग रह गया, फिर भी वह किसी तरह साहस बटोरकर युद्ध के मैदान में आया । उसने एक शेर, आदमी, हाथी व जंगली भैंसे जैसे कई रूप धारण किए, लेकिन देवी दुर्गा ने राक्षस के सभी रूपों को हरा दिया ।

Durga puja festival

अंत में देवी दुर्गा ने वह दिव्य अमृत पिया, जो उन्हें कुबेर ने दिया था, फिर उन्होंने राक्षस पर हमला किया और उसे मौत की नींद सुला दिया । धरती से पाप का अंत हुआ और शांति की स्थापना हुई । देवों ने आकाश से पुष्पों की वर्षा की और उन्हें अनेक आशीर्वाद दिए । गंधर्वों व अप्सराओं ने देवी का स्तुतिगान किया । देवी की विजय से सारा ब्रह्माण्ड प्रसन्न हो उठा ।

सभी देवों ने दुर्गा से विनती की कि ‘वे सदा तीनों लोकों की रक्षा करें ।’ देवी ने वचन दिया कि, ‘वे त्रिलोक की रक्षा करेंगी और हर संकट में उनकी सहायक होंगी ।’

मां दुर्गा की उसी विजय के उपलक्ष्य में दुर्गा पूजा का उत्सव मनाया जाता है ।

Durga puja festival

देवी दुर्गा के नौ रूप

देवी दुर्गा के नौ रूप हैं, इन्हें मिला कर ही वे ‘नवदुर्गा’ कहलाती हैं ।

पहला रूप है, शैलपुत्री । देवी का दूसरा रूप है, ब्रह्मचारिणी । तीसरा है चंद्रघंटा । चौथा है कूष्मांडा । पांचवा है स्कंद माता । छठा है मां कात्यायनी । सातवां रूप है कालरात्रि । आठवां रूप है महागौरी और नवां रूप है, सिद्धिदात्री ।

माना जाता है कि पूरे भक्तिभाव से दुर्गा के नौ रूपों को पूजने वाले प्रसन्नता, संपदा, स्वास्थ्य व समृद्धि पाते हैं ।

Durga puja festival

दुर्गा पूजा का समारोह

सितंबर-अक्टूबर माह भारत में उत्सवों के महीने हैं । उत्तरी भारत में दशहरा तथा नवरात्र मनाए जाते हैं, वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा होती है ।

लगभग दो माह पहले ही त्योहार की तैयारियां आरंभ हो जाती है । यह सामुदायिक उत्सव है, जो बड़े-बड़े पंडालों में मनाया जाता है । पश्चिम बंगाल में अनेक एसोसिएशन व कमेटियां शहर के चप्पे-चप्पे में उत्सव के पंडाल सजाती हैं । चूंकि बंगाली परिवार भारत के दूसरे हिस्सों में भी बसे हुए हैं, इसलिए भारत के हर शहर व प्रांत में इन समारोहों का आनंद लिया जा सकता है ।

Durga puja festival

पूजा के लिए देवी दुर्गा की भव्य तथा विशाल प्रतिमाएं बनाई जाती हैं, फिर पंडालों में इनकी प्राण-प्रतिष्ठा होती है । इन पंडालों को बड़ी खूबसूरती से सजाया जाता है । पूरे नौ दिन तक पंडालों में दुर्गा के नौ रूपों का पूजन होता है ।

यह त्योहार महालय से आरंभ होता है । पुजारी पूजा के छठे दिन बोधन नामक पूजा करते हैं, महाअष्टमी को मां दुर्गा के दर्शन किए जा सकते हैं । पूरा पंडाल से मां के स्वागत की हुलू-ध्वनि व चंडी पाठ गूंज उठता है । विवाहिता स्त्रियां इस दिन व्रत रखकर परिवार के कल्याण की कामना करती हैं ।

Durga puja festival

महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी, इन तीन आखिरी दिनों में प्रमुख पूजन व समारोह होता है । महाअष्टमी को मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होती है । पवित्र मंत्रें व श्लोकों के उच्चारण के साथ पूजा की धार्मिक विधि संपन्न होती है ।

दसवें व आखिरी दिन विजयादशमी मनाई जाती है । इस दिन प्रतिमाओं का विसर्जन होता है । ये जुलूस बड़े ही दर्शनीय होते हैं । देवी दुर्गा के साथ जुलूस में गणेश, कार्तिकेय, लक्ष्मी व सरस्वती की मूर्तियां भी होती हैं । इन्हें देवी दुर्गा की संतान माना जाता है ।

चारों ओर शंख व ढोल के स्वर सुनाई देते हैं । लोग मां दुर्गा का गुणगान करते हुए नाचते-गाते हैं । मां दुर्गा की इस शोभायात्र में हिस्सा लेने का आनंद ही निराला होता है ।

Durga puja festival

नदी के किनारे पहुंचकर कुछ धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, फिर पूरी भक्ति व श्रद्धा भाव से प्रतिमाएं विसर्जित कर दी जाती हैं ।

इस उत्सव में शामिल होने के लिए पंडालों में हजारों लोगों की भीड़ एकत्र होती है । कई प्रकार के नृत्य-गान होते हैं ।

  • पंचतंत्र की कहानियां
  • नैतिक कहानियां
  • प्रेम कहानियां
  • बच्चों की कहानियां

मां दुर्गा द्वारा महिषासुर पर विजय का प्रसंग भी खेला जाता है । इन पंडालों में अनेक प्रतियोगिताएं होती हैं ।

लोग एक-दूसरे से मिलते हैं और नमकीन आलूर दम, लूची व रसगुल्ले का स्वाद लेते हैं । दुर्गापूजा परिवार व इष्ट मित्रें से मिलने व मौज-मस्ती करने का भी अवसर होता है ।

Durga puja festival

घरों में भी साफ-सफाई व सजावट के बाद मां दुर्गा की छोटी मूर्तियां स्थापित की जाती है । अनेक प्रकार के व्यंजन तैयार किए जाते हैं । ये दिन शुभ माने जाते हैं । लोग नए वस्त्र पहनते हैं तथा घर की नई वस्तुएं खरीदते हैं ।

महिलाएं थोड़े लाल किनारे वाली सफेद साड़ियां पहनती है । वे पैरों में आलता लगाना भी शुभ मानती हैं । नौ दिन तक लोग परस्पर मिलते हैं व उपहारों का भी आदान-प्रदान करते हैं ।

बच्चों को दुर्गा पूजा विशेष रूप से प्रिय है । बच्चों केा मौज-मस्ती के अलावा, प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा दिखाने का भी अवसर मिलता है । वे नए वस्त्र व वस्तुएं खरीदते है एवं भाई-बहनों से मिलकर, धमाचौकड़ी मचाते हैं ।

Durga puja festival

पश्चिम बंगाल में पूरे नौ दिन तक स्कूल, कॉलेज, कार्यालय व सरकारी संस्थान बंद रहते हैं । कर्मचारियों को पूजा बोनस भी मिलता है । लोग सारी चिंता व परेशानियां भूलकर त्योहार का आनंद लेते हैं ।

हमें इस मौज-मस्ती के दिन परिवार के बुजुर्ग लोगों के लिए भी थोड़ा वक्त निकालना चाहिए । गरीबों व जरूरतमंदों को भी याद रखते हुए उन्हें दान देना चाहिए ।

दूसरों की देख-रेख करने वाला इंसान ही बेहतर कहलाता है । हम इन नेक कामों को करके ही मां दुर्गा का आशीर्वाद पा सकते हैं ।

Durga puja festival

मां दुर्गा का यह पवित्र त्योहार हमें याद दिलाता है कि बुराई पर सदा अच्छाई की जीत होती है । अच्छाई के आगे बुराई टिक नहीं पाती ।

पूरे वर्ष हम बेसब्री से इस प्यारे-से त्योहार की प्रतीक्षा करते हैं । हमें मां दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए पूरे भक्तिभाव से उनकी पूजा करनी चाहिए ।

Durga puja festival

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दुर्गा पूजा पर निबंध। durga puja essay in hindi

durga puja essay in hindi

दुर्गा पूजा हिन्दुओ के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। आज इस लेख में हम durga puja essay in hindi लेकर आये है। स्कूलों में कॉलेज में अक्सर durga puja essay पुछा जाता है। दुर्गा पूजा पे निबंध हिंदी में आप इस पोस्ट में पढ़ेंगे।

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते

दुर्गा पूजा हिन्दुओ के प्रमुख त्योहार में से एक है। देवी दुर्गा को शक्ति व पार्वती भी कहते है। पूरे भारत मे ये त्योहार धूम धाम से मनाया जाता है। बच्चों से लेकर वृद्धों तक ये त्योहार उत्साह और उमंग की किरण लाता है। ये त्योहार विजय का प्रतीक है। नव दिन और नव रात्री तक देवी दुर्गा ने महिषासुर से युद्ध किया था। देवी दुर्गा ने दानव महिषासुर को परास्त कर विजय प्राप्त की थी। भारतीय संस्कृति में दुर्गा पूजा बंगाली पंचांग के छठे माह आश्विन में, बढ़ते चंद्रमा की छठी तिथि से मनाया जाता है। कभी कभी इसे कार्तिक मास में भी मनाते है। 

प्रस्तावना – दुर्गा पूजा को दुर्गोत्सव भी कहते है। बंगाल का दुर्गोत्सव  पूरे देश मे प्रसिद्ध है। कही 5 तो कहीं 9 दिन तक  दुर्गापूजा का भव्य आयोजन होता है। श्रद्धा और निष्ठा से लोग देवी दुर्गा की पूजा करते है। देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के प्रयास में लोग उपवास करके देवी की आराधना करते है। भगवान राम ने भी देवी दुर्गा का शीतकाल मे अकाल बोधन आह्वाहन किया था। इसीलिए इस त्योहार को अकाल बोधन के नाम से भी जाना जाता है। भारत के हर प्रदेश में दुर्गा पूजा का आयोजन होता है। समूचे भारत मे बंगाल की दुर्गा पूजा की कीर्ति होती है। पूरे भारत मे हर जगह देवी दुर्गा  की उपासना, आराधना होती है। छ: दिवस  महालय षष्टी, महा सप्तमी, महा अष्टमी, महा नवमी और विजयदशमी के रूप में मनाए जाते है। 

बंगाल की दुर्गा पूजा- बंगाल की दुर्गा पूजा विश्व प्रसिद्ध है। बंगाल क्षेत्र में सबसे बड़ा आयोजन दुर्गा पूजा का होता है। असंख्य संख्या में लोग अन्य देश व अन्य राज्य से देवी दुर्गा के दर्शन के लिए आते है। बंगाल में दुर्गा जी के बड़े बड़े पंडाल बनते है। जिन्हें फूलों दीपकों और अन्य सज्जित वस्तुओ से सजाया व सवारा जाता है। दुर्गा पूजा की तैयारियों में बंगाल वासी कोई कसर नही छोड़ते। जब देवी दुर्गा की मूर्ति का विषय सामने आता है तब देश के नामी कलाकार आकर माता की मूर्ति सृजित करते है। अप्रतिम कला के इस्तेमाल से मूर्ति को बनाया जाता है। दुर्गा जी की विशाल मूर्ति बनवाने के लिए लोग श्रद्धा से माता के चरणों मे नेक चढ़ाते है। 15 करोड़ का पंडाल कोलकाता में वर्ष 2018 में सजाया गया था। विशाल पंडाल में देवी दुर्गा जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होती है।

ऐसा प्रतीत होता है कि मानो साक्षात देवी दुर्गा हमारे सामने विराजमान है। देवी दुर्गा की एक झलक पा लेने को लोग अपना सौभाग्य समझते है।अलग-अलग मिष्ठान, पकवान,नैवेद्य आदि का भोग देवी दुर्गा को चढ़ाया जाता है। हर दिन के लिए देवी दुर्गा की सुंदर सुंदर पौशाख तैयार की जाती है। बंगाल की दुर्गा पूजा का भव्य कार्यक्रम 5 दिन का रहता है। षष्ठी के दिन प्राण प्रतिष्ठा होती है। महा सप्तमी पर माता की आराधना होती है। अष्टमी पर बलि व महापूजा की परंपरा है। नवमी के दिन विभिन्न कार्यक्रम होते है। देवी दुर्गा की कृपा से किसी कार्य मे विघ्न नही आते और नन्ही बालिकाओं को देवी दुर्गा का स्वरूप जान भोजन कराया जाता है। जगह जगह भंडारों का विशेष आयोजन होता है। देवी दुर्गा की आरती में लाखों की संख्या में लोग एकत्रित होते है।

सिन्दूर की होली दुर्गा पूजा का एक अनमोल हिस्सा है । जिसमे स्त्रियां पहले माता के माथे पर सिंदूर लगाती है। फिर उसी सिंदूर से होली खेलती है। इसी प्रकार से बंगाली नृत्य का भी विशाल आयोजन होता है। विभिन्न कलाओ के साथ नृत्य की प्रस्तुति दी जाती है। प्रत्येक दिन का अपना अलग महत्व है। प्रत्येक दिन को ज़ोरो शोरों से मनाते है। धीरे धीरे हर एक दिन धूम धाम से गुज़र जाता है। फिर दशमी का दिन आता है, जिस दिन प्रत्येक मनुष्य चाहता है कि ये दिन काश यही थम जाए। दशमी का दिन वह होता है जब देवी दुर्गा आमजन से विदाई लेती हैं। देवी दुर्गा के विसर्जन को सोच कर ही आमजन अश्रु से पूर्ण, भावविभोर हो जाता है। मानो कोई माँ को अपने संतान से दूर कर रहा हो।चाह कर भी माता को लोग रोक नही पाते। अलगे वर्ष जल्दी से दुर्गा जी वापिस आएंगी इसी आस के साथ देवी दुर्गा का विसर्जन किया जाता है। माता को फूलों के सेज पर बैठाकर उनकी पूजा के बाद यही आस से विसर्जन किया जाता है की माँ दुर्गा दोबारा हमारे बीच फिर आएंगी।

अन्य प्रदेश व विदेश में दुर्गा पूजा-  दुर्गा पूजा का भारत के हर राज्य में महत्व है। असम, बिहार, झारखंड, मणिपुर, ओडिशा, त्रिपिरा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, कश्मीर, आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, मध्यप्रदेश आदि हर प्रदेश में मनाते है। गुजरात, उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश में इसे नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। गुजरात की नवरात्रि में गरबा नृत्य प्रसिद्ध है। वहां गरबा का विशाल आयोजन होता है। सब सुंदर पौशाख  लहँगा-चोली  पहन कर आते है। हिमाचल प्रदेश में इसे कुल्लू घाटी के नाम से जाना जाता है। तमिल नाडू में बोमाई गोलू के नाम से जानते है।

सभी प्रदेश में जगह जगह देवी दुर्गा के पंडाल सजाये जाते है। 250 से अधिक पंडाल दिल्ली जैसे बड़े शहर में लगते है। देवास मध्य प्रदेश में 9 दिन का मेला लगता है। वैष्णोदेवी के धाम में रौनक के साथ माता के प्रेम में सब नत्मस्तक नज़र आते है।

विदेश में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, नीदरलैंड, सिंगापुर जैसे कई देशों में दुर्गा पूजा का महा पर्व मनाया जाता है। नेपाल में और भूटान में ये पर्व भारत की तरह ज़ोरो शोरों से मनाया जाता है। माता के भक्त सिर्फ भारत मे नही बल्कि समुचे विश्व मे है। विदेशो में भी बड़े बड़े पंडाल में माता को बैठा कर उनकी पूजा अर्चना की जाती है। बड़े बड़े आयोजन व प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। भारत के प्रवासी इसे पूरी निष्ठा के साथ मानते है।

देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर का वद्ध-  महिषासुर रंभ और जल में रहने वाले भैंस के योग से जन्मा दानव था। महिषासुर कभी मनुष्य तो कभी भैंस का रूप धारण कर लेता था। यह ब्रह्मा का भक्त था। महिषासुर को ब्रह्मा जी द्वारा वरदान प्राप्त था कि कोई भी देवता या दानव उसे मार नही सकता। इस वरदान का गलत इस्तेमाल कर वह देवताओ को परेशान करता था। महिषासुर ने इंद्र देव को भी परास्त कर दिया था। महिसासुर से परेशान होकर सभी देवताओं ने साथ मिलकर युद्ध किया पर असफल रहे। अपनी समस्या का समाधान प्राप्त करने सभी देवता ब्रह्मा विष्णु व महेश के पास गए। और तब भगवान द्वारा माँ दुर्गा का सृजन हुआ। नव दिन और नव रात्री तक दुर्गा जी ने युद्ध किया और दशमी की दिन महिषासुर जैसे दानव का स्त्री रूपी भगवान,माँ दुर्गा द्वारा विनाश हुआ।

एक स्त्री की शक्ति का प्रतीक है ये त्योहार। भगवान द्वारा रचित ये कथा दर्शाती है की स्त्री शक्ति विश्व की कोई भी शक्ति से बड़ी है। नारी जो चाहे वो हासिल कर सकती हैं। नारी शक्ति के रूप में देवी दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया और समूचे विश्व को नारी शक्ति का बोध कराया।

उपसंहार- देवी दुर्गा के पराक्रम से नारी शक्ति की विजय हुई। दुर्गा पूजा उनकी उपासना के साथ साथ लोग स्त्री को आदर व सम्मान देने के लिए भी मनाते है। दुर्गा पूजा बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ नारी की भी विजय का पर्व है। जिस राक्षस को कोई देवता नही परास्त कर पाए उसका देवी दुर्गा ने सर्वनाश किया। दुर्गा पूजा लोगो के हृदय को भाव विभोर करने वाला पर्व है। देवी दुर्गा से सब मंगल जीवन, यश, समृद्धि की कामना करते हैं। ये पर्व दर्शाता है कि स्त्री को हमे कम नही आंकना चाहिए। वो अगर कोमल वाणी व हृदय से सबका भला कर सकती है तो वो अपने क्रोध से दुश्मन का सर्वनाश भी कर सकती है।

दुर्गा जी की कृपा दृष्टि हर एक व्यक्ति पर बनी रहे ये ज़रूरी नही, 

पर अगर आपके हृदय में सच्चाई है, तो माता का वास हमेशा आपके दिल मे ही होगा।

हमें आशा है आपको maa durga पर निबंध पसंद आया होगा। आप चाहे तो इस आर्टिकल को essay on durga puja के रूप में भी प्रयोग कर सकते है। आप इसे durga puja speech के रूप में भी संशोधनक करके इसी लेख को प्रयोग कर सकते है। अगर आप चाहते है की हम माँ दुर्गा पूजा स्पीच पे भी लेख लेकर आये तो जरूर कमेंट कर के हमें बताये।

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दुर्गा पूजा पर निबंध-Essay On Durga Puja In Hindi

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Essay On Durga Puja In Points

1. दुर्गा पूजा भारत का एक धार्मिक त्यौहार है। 2. दुर्गा पूजा को दुर्गोत्सव या षष्ठोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। 3. दुर्गा पूजा पहली बार तब शुरू हुई थी जब भगवान राम ने रावण को मारने के लिए देवी दुर्गा से शक्ति प्राप्त करने के लिए पूजा की थी। 4. यह एक परंपरागत अवसर है जो लोगों को एक भारतीय संस्कृति और रीति में पुनः जोड़ता है। 5. दुर्गा पूजा का त्यौहार हर साल पतझड़ के मौसम में आता है। 6. इस त्यौहार को हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा हर साल महान उत्साह और विश्वास के साथ मनाया जाता है। 7. दुर्गा पूजा के त्यौहार को बहुत ही अच्छे तरीके से मनाया जाता है और कुछ बड़े स्थानों पर मेलों का भी आयोजन किया जाता है। 8. दुर्गा पूजा को बहुत से राज्यों जैसे – ओडिशा, सिक्किम, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के लोग बहुत ही बड़े तौर पर मनाते हैं। 9. इस दिन लोगों द्वारा दुर्गा देवी की पूरे नौ दिन तक पूजा की जाती है। त्यौहार के अंत में दुर्गा देवी की मूर्ति या प्रतिमा को नदी या पानी के टैंक में विसर्जित किया जाता है। 10. हुत से लोग नौ दिन का उपवास रखते हैं हालाँकि कुछ लोग केवल पहले और आखिरी दिन ही उपवास रखते हैं। लोगों का मानना होता है कि इससे उन्हें देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होगा। 11. सभी देवी देवताओं में माँ दुर्गा को सबसे ऊँचा माना जाता है क्योंकि उन्ही से विश्व को सभी प्रकार की शक्तियाँ मिलती हैं। 12. नवरात्रि का अर्थ नौ रात होता है। दसवें दिन को विजयदशमी या दशहरे के नाम से जाना जाता है। 13. दुर्गा पूजा के दिनों को स्थान , परंपरा , लोगों की क्षमता और लोगों के विश्वास के अनुसार मनाया जाता है। 14. बहुत से लोग इस त्यौहार को पांच , सात या पूरे नौ दिनों तक मनाते हैं। 15. समाज या समुदाय में कुछ लोग दुर्गा पूजा को पास के क्षेत्रों में पंडाल को सजा कर भी मनाते हैं। 16. इस दिन आस-पास के सभी मन्दिर विशेष तौर पर सुबह के समय पूर्ण रूप से भक्तिमय हो जाते हैं। 17. बहुत से लोग इस दिन घरों में भी सुव्यवस्थित ढंग से पूजा करते हैं और आखिरी दिन प्रतिमा के विसर्जन के लिए भी जाते हैं। 18. देवी दुर्गा अपने भक्तों को नकारात्मक उर्जा और नकारात्मक विचारों को हटाने के साथ ही शांतिपूर्ण जीवन देने में मदद करती हैं। 19. इसे भगवान राम की बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है। लोग इस दिन को रात के समय रावण के बड़े पुतले को जलाकर और पटाखे जलाकर मनाते हैं। 20. पूजा शुरू होने से लगभग दो महीने पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। तीन से चार महीने पहले से ही मूर्तिकार मूर्तियाँ बनाना शुरू कर देते हैं। 21. बाजारों में दुकाने सजने लगती हैं। हस्तशिल्पी तरह-तरह के सामान और खिलौने बनाने लगते हैं और बाजारों में कपड़े-गहने तथा अन्य चीजें खरीदने-बेचने वालों की भीड़ लग जाती है। 22. देवी दुर्गा ने बहुत दिनों के युद्ध के बाद दसवें दिन उस राक्षस को मार गिराया था जिसे दशहरे के नाम से जाना जाता है। 23. नवरात्रि का वास्तविक अर्थ देवी दुर्गा और राक्षस महिषासुर के बीच युद्ध के नौ दिन और नौ रातों से है। 24. दुर्गा देवी जी की पूजा के त्यौहार से भक्तों और दर्शकों सहित पर्यटकों की एक स्थान पर बहुत बड़ी भीड़ जुड़ जाती है। 25. शहरों और गांवों में कई जगह माँ दुर्गा की बड़ी-छोटी मूर्तियाँ को बनाया और सजाया जाता है। ये मूर्तियाँ देखने में बहुत ही सुंदर लगती हैं। 26. बहुत से गांवों में नाटक और रामलीला जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं। 27. जिस प्रकार देवी दुर्गा ने सभी देवी-देवताओं की शक्ति को इकट्ठा करके दुष्ट राक्षस महिषासुर का नाश किया था और धर्म को बचाया था उसी प्रकार हम अपनी बुराईयों पर विजय प्राप्त करके मनुष्यता को बढ़ावा दे सकें यही दुर्गा पूजा का यही संदेश होता है।

Essay On Durga Puja In Details

भूमिका :  दुर्गा पूजा भारत का एक धार्मिक त्यौहार है। दुर्गा पूजा को दुर्गोत्सव या षष्ठोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।

दुर्गा देवी जी हिमालय और मेनका की पुत्री और सती का अवतार थीं जिनकी बाद में भगवान शिव से शादी हुई थी। दुर्गा पूजा पहली बार तब शुरू हुई थी जब भगवान राम ने रावण को मारने के लिए देवी दुर्गा से शक्ति प्राप्त करने के लिए पूजा की थी। यह एक परंपरागत अवसर है जो लोगों को एक भारतीय संस्कृति और रीति में पुनः जोड़ता है।

दुर्गा पूजा का त्यौहार हर साल पतझड़ के मौसम में आता है। दुर्गा पूजा हिन्दुओं के महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। इस त्यौहार को हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा हर साल महान उत्साह और विश्वास के साथ मनाया जाता है। सभी लोग कई स्थानों पर शहरों या गांवों में दुर्गा पूजा को अच्छे से सांस्कृतिक और परम्परागत तरीके से मनाते हैं।

यह अवसर बहुत ही खुशी वाला होता है खासकर विद्यार्थियों के लिए क्योंकि उन्हें छुट्टियों के कारण अपने व्यस्त जीवन से कुछ आराम मिल जाता है। दुर्गा पूजा के त्यौहार को बहुत ही अच्छे तरीके से मनाया जाता है और कुछ बड़े स्थानों पर मेलों का भी आयोजन किया जाता है। दुर्गा पूजा को बहुत से राज्यों जैसे – ओडिशा, सिक्किम, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के लोग बहुत ही बड़े तौर पर मनाते हैं।

विशेष : इस दिन लोगों द्वारा दुर्गा देवी की पूरे नौ दिन तक पूजा की जाती है। त्यौहार के अंत में दुर्गा देवी की मूर्ति या प्रतिमा को नदी या पानी के टैंक में विसर्जित किया जाता है। बहुत से लोग नौ दिन का उपवास रखते हैं हालाँकि कुछ लोग केवल पहले और आखिरी दिन ही उपवास रखते हैं। लोगों का मानना होता है कि इससे उन्हें देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होगा। लोगों का विश्वास होता है कि दुर्गा माता उन्हें सभी समस्याओं और नकारात्मक उर्जा से दूर रखेंगी।

दुर्गा पूजा के नाम : दुर्गा पूजा को बंगाल, असम, उड़ीसा में अकाल बोधन, दुर्गा का असामयिक जागरण शरदकालीन पूजा, पूर्वी बंगाल वर्तमान में बांग्लादेश में दुर्गा पूजा को भगवती पूजा के रूप में भी मनाया जाता है, इसे वेस्ट बंगाल, बिहार, उड़ीसा, दिल्ली और मध्य प्रदेश में दुर्गा पूजा के नाम से जाना जाता है।

दुर्गा पूजा की कहानी : यह माना जाता है कि एक बार महिषासुर नामक एक राजा था। महिषासुर ने स्वर्ग में देवताओं पर आक्रमण किया था। महिषासुर बहुत ही शक्तिशाली था जिसके कारण उसे कोई भी हरा नहीं सकता था। उस समय ब्रह्मा , विष्णु और शिव भगवान के द्वारा एक आंतरिक शक्ति का निर्माण किया गया जिनका नाम दुर्गा रखा गया था।

देवी दुर्गा को महिषासुर का विनाश करने के लिए आंतरिक शक्ति प्रदान की गई थी। देवी दुर्गा ने महिषासुर के साथ पूरे नौ दिन युद्ध किया था और अंत में दसवें दिन महिषासुर को मार डाला था। दसवें दिन को दशहरा या विजयदशमी के रूप में कहा जाता है। रामायण के अनुसार भगवान श्री राम ने रावण को मारने के लिए देवी दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए चंडी पूजा की थी।

श्री राम ने दुर्गा पूजा के दसवें दिन रावण को मारा था और तभी से उस दिन को विजयदशमी कहा जाता है। इसीलिए देवी दुर्गा की पूजा हमेशा अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। एक बार देवदत्त के पुत्र कौस्ता ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद अपने गुरु वरतन्तु को गुरु दक्षिणा देने का निश्चय किया हालाँकि उसे 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राओं का भुगतान करने के लिए कहा गया था।

कौस्ता इन्हें प्राप्त करने के लिए राम के पूर्वज रघुराज के पास गया हालाँकि वो विश्वजीत के त्याग के कारण यह देने में असमर्थ थे। इसलिए कौस्ता इंद्र देव के पास गए और इसके बाद वे कुबेर के पास आवश्यक स्वर्ण मुद्राओं की अयोध्या में शानु और अपति पेड़ों पर बारिश कराने के लिए गए।

इस तरह से कौस्ता को अपने गुरु को गुरु दक्षिणा देने के लिए मुद्राएँ प्राप्त हुई थीं। उस घटना को आज के समय में अपति पेड़ की पत्तियों को लूटने की एक परंपरा के माध्यम से याद किया जाता है। इस दिन लोग इन पत्तियों को एक दूसरे को सोने के सिक्के के रूप में देते हैं।

दुर्गा पूजा का महत्व : भारत को मातृभक्त देश कहा जाता है। हम भारत को ही श्रद्धा से भारत माता कहते हैं। भारत देश में देवताओं से ज्यादा देवियों को अधिक महत्व दिया जाता है। सभी देवी देवताओं में माँ दुर्गा को सबसे ऊँचा माना जाता है क्योंकि उन्ही से विश्व को सभी प्रकार की शक्तियाँ मिलती हैं। इसीलिए दुर्गा पूजा का महत्व भी अन्य पूजा-पाठ से बढकर माना जाता है। नवरात्रि या दुर्गा पूजा के त्यौहार का बहुत अधिक महत्व होता है।

नवरात्रि का अर्थ नौ रात होता है। दसवें दिन को विजयदशमी या दशहरे के नाम से जाना जाता है। दुर्गा पूजा एक नौ दिनों तक चलने वाला त्यौहार है। दुर्गा पूजा के दिनों को स्थान , परंपरा , लोगों की क्षमता और लोगों के विश्वास के अनुसार मनाया जाता है। बहुत से लोग इस त्यौहार को पांच , सात या पूरे नौ दिनों तक मनाते हैं।

लोग दुर्गा देवी की प्रतिमा की पूजा षष्टी से शुरू करते हैं और दशमी को खत्म करते हैं। समाज या समुदाय में कुछ लोग दुर्गा पूजा को पास के क्षेत्रों में पंडाल को सजा कर भी मनाते हैं। इस दिन आस-पास के सभी मन्दिर विशेष तौर पर सुबह के समय पूर्ण रूप से भक्तिमय हो जाते हैं। बहुत से लोग इस दिन घरों में भी सुव्यवस्थित ढंग से पूजा करते हैं और आखिरी दिन प्रतिमा के विसर्जन के लिए भी जाते हैं।

लोगों द्वारा देवी दुर्गा की पूजा ताकत और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए की जाती है। देवी दुर्गा अपने भक्तों को नकारात्मक उर्जा और नकारात्मक विचारों को हटाने के साथ ही शांतिपूर्ण जीवन देने में मदद करती हैं। इसे भगवान राम की बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है। लोग इस दिन को रात के समय रावण के बड़े पुतले को जलाकर और पटाखे जलाकर मनाते हैं।

दुर्गा पूजा का उत्सव :  पूजा शुरू होने से लगभग दो महीने पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। तीन से चार महीने पहले से ही मूर्तिकार मूर्तियाँ बनाना शुरू कर देते हैं। बाजारों में दुकाने सजने लगती हैं। हस्तशिल्पी तरह-तरह के सामान और खिलौने बनाने लगते हैं और बाजारों में कपड़े-गहने तथा अन्य चीजें खरीदने-बेचने वालों की भीड़ लग जाती है।

देवी दुर्गा की मूर्ति में उनके साथ दस हाथ और उनका वाहन सिंह होता है। असुरों और पापियों का नाश करने के लिए माँ दुर्गा दस तरह के हथियार रखती हैं। देवी दुर्गा के पास लक्ष्मी, सरस्वती , कार्तिकेय और गणेश जी की मूर्तियाँ भी स्थापित की जाती हैं। दुर्गा पूजा के उत्सव को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।

भक्तों के द्वारा यह माना जाता है कि इस दिन देवी दुर्गा ने बैल राक्षस महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। देवी दुर्गा को ब्रह्मा , भगवान विष्णु और शिव जी के द्वारा महिषासुर राक्षस को मारकर दुनिया को इससे आजाद कराने के लिए बुलाया गया था। पहले दिन मंत्रों के साथ देवी का कलश स्थापित किया जाता है। देवी दुर्गा की पूजा अर्चना पूरे दस दिनों तक होती रहती हैं।

देवी दुर्गा ने बहुत दिनों के युद्ध के बाद दसवें दिन उस राक्षस को मार गिराया था जिसे दशहरे के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि का वास्तविक अर्थ देवी दुर्गा और राक्षस महिषासुर के बीच युद्ध के नौ दिन और नौ रातों से है। दुर्गा देवी जी की पूजा के त्यौहार से भक्तों और दर्शकों सहित पर्यटकों की एक स्थान पर बहुत बड़ी भीड़ जुड़ जाती है।

आखिरी तीन दिनों में पूजा का उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। हर गली मोहल्ले में इसकी एक अलग ही झलक दिखाई देती है क्योंकि शहरों और गांवों में कई जगह माँ दुर्गा की बड़ी-छोटी मूर्तियाँ को बनाया और सजाया जाता है। ये मूर्तियाँ देखने में बहुत ही सुंदर लगती हैं।

बहुत से गांवों में नाटक और रामलीला जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं। इन तीन दिनों में पूजा के दौरान लोग दुर्गा पूजा मंडप में फूल , नारियल , अगरबत्ती और फल लेकर जाते हैं और माँ दुर्गा का आशीर्वाद लेते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

दुर्गा पूजा का कारण : नवरात्रियों में देवी दुर्गा की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि यह माना जाता है कि देवी दुर्गा ने 10 दिन और रात तक युद्ध करने के बाद महिषासुर नाम के राक्षस को मारा था। देवी दुर्गा के दस हाथ थे और सभी हाथों में विभिन्न हथियार भी थे। देवी दुर्गा की वजह से सभी लोगों को राक्षस महिषासुर से मुक्ति मिली थी जिसकी वजह से सभी लोग देवी दुर्गा की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं।

दुर्गा पूजा : इस त्यौहार पर देवी दुर्गा की पूरे नौ दिन तक पूजा की जाती है। पूजा के दिन स्थानों के अनुसार अलग-अलग होते हैं। माता दुर्गा के भक्त पूरे नौ दिन तक या केवल पहले या आखिरी दिन उपवास रखते हैं। दसवां दिन विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन देवी दुर्गा ने एक राक्षस के ऊपर विजय प्राप्त की थी।

माता दुर्गा जी की प्रतिमा को सजाकर प्रसाद , जल , कुमकुम , नारियल , सिंदूर आदि को सभी लोग अपनी क्षमता के अनुसार अर्पित करके पूजा करते हैं। ऐसा लगता है जैसे देवी दुर्गा आशीर्वाद देने के लिए सभी के घरों में जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि माता दुर्गा की पूजा करने से आनन्द , समृद्धि की प्राप्ति होती है और अंधकार का नाश तथा बुरी शक्तियाँ खत्म होती हैं।

मूर्ति का विसर्जन : पूजा के बाद लोग पवित्र जल में देवी दुर्गा जी की मूर्ति के विसर्जन के समारोह का आयोजन करते हैं। भक्त अपने घर उदास चेहरों के साथ लौटते हैं और माता से फिर से अगले साल बहुत से आशीर्वाद के साथ आने के लिए प्रार्थना करते हैं।

दुर्गा पूजा के प्रभाव : लोगों की लापरवाही के कारण यह पर्यावरण पर बड़े स्तर पर प्रभाव डालता है। देवी दुर्गा की प्रतिमा को बनाने और रंगने में जिन पदार्थों का प्रयोग किया जाता है वे स्थानीय पानी के स्त्रोतों में प्रदुषण का कारण बनते हैं।

इस त्यौहार से पर्यावरण के प्रभाव को कम करने के लिए सभी को प्रयत्न करने चाहिएँ। भक्तों को सीधे ही मूर्ति को पवित्र गंगा के जल में विसर्जित नहीं करना चाहिए और इस परंपरा को निभाने के लिए कोई अन्य सुरक्षित तरीका निकालना चाहिए।

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नवरात्रि दुर्गा पूजा पर निबंध एवं कविता | Poem, Essay on Durga Puja in Hindi

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दुर्गा पूजा पर निबंध एवं कविता (Durga Puja Poem in Hindi, Essay on Durga Puja in Hindi, Durga Pooja par nibandh , poem, kavita hindi )

भारत में हिंदुओं के लिए दुर्गा पूजा भी दिवाली और होली जैसा ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। हर साल नवरात्रि के दौरान खासकर शारदीय नवरात्रि में दुर्गा पूजन का त्योहार मनाया जाता है।

इस दौरान भारत के पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में दुर्गा पूजन के लिए पंडाल सजाया जाता है जहां दुर्गा माता की मूर्तियां स्थापित कर उनकी पूजा की जाती है।

शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर भव्य पंडाल बनाकर मूर्तियां स्थापित करने के साथ रामलीला रावण दहन तथा दशहरा के अवसर पर मेले का आयोजन भी किया जाता है।

दुर्गा पूजन का उत्सव 10 दिनों तक चलता है जिसमें 9 दिनों तक देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है जबकि 10 वें दिन मूर्ति का विसर्जन होता है। इसी दसवें दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है।

इस बार शारदीय नवरात्रि में दुर्गा पूजन की शुरुआत 15 अक्टूबर 2023 को हुई थी जो आने वाले 24 अक्टूबर 2023 तक चलेगी।

दुर्गा पूजा का पर्व भारतीय हिंदुओं के लिए असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। आज हमने इस आर्टिकल के जरिए आपके साथ दुर्गा पूजा पर निबंध Essay on Durga Puja in Hindi और दुर्गा पूजा पर कविता (Poem On Durga Puja) साझा करने वाले हैं।

आइये पढ़ें – विजयादशमी व दशहरा पर निबंध व भाषण

दुर्गा पूजा पर निबंध, कविता Poem-Speech-and-Essay-on-Durga-Puja-in-Hindi

विषय–सूची

नवरात्रि दुर्गा पूजा पर निबंध (Essay on Durga Puja in Hindi)

प्रस्तावना –.

हमारा भारत त्योहारों का देश है। यहां आए दिनों कोई ना कोई त्यौहार मनाया जाता रहता है। हालांकि हिंदुओं के ज्यादातर त्यौहार एक दिवसीय होते हैं लेकिन नवरात्रि के अवसर पर मनाया जाने वाला दुर्गा पूजन का त्यौहार पूरे 10 दिनों तक चलता है।

दुर्गा पूजा का त्यौहार अखिल भारत में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस उत्सव के अवसर पर लोग बड़ी धूमधाम से दुर्गा पूजा का पांडाल बनाते हैं जिसमें दुर्गा माता की मूर्ति स्थापित की जाती है।

मूर्ति स्थापना के साथ ही पवित्र कलश की स्थापना भी की जाती है और अखंड ज्योति जलाई जाती है जो अगले 10 दिनों तक जलती रहती है जब तक की दुर्गा माता की मूर्ति का विसर्जन नहीं हो जाता। मूर्ति विसर्जन के दिन भी भव्य भंडारा और मेले का आयोजन करके दुर्गा पूजा का भव्य समापन किया जाता है।

वैसे तो भारत में नवरात्रि अर्थात दुर्गा पूजा का त्यौहार सार्वजनिक रूप से दो बार मनाया जाता है जिसमें चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र शामिल हैं। हालांकि वर्ष में आषाढ़ नवरात्रि और पौष नवरात्रि दो नवरात्रि और होती है जिसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।

भले ही चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि का महत्त्व एक समान हो लेकिन शारदीय नवरात्र के दौरान मुख्य और भव्य रूप से दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाया जाता है।

आइये पढ़ें- देवी दुर्गा माता के 9 स्वरूपों के नाम एवं पूजा का महत्व

नवरात्रि कब और क्यों मनाया जाता है?

शारदीय नवरात्रि अर्थात दुर्गा पूजा की शुरुआत अश्विन मास की प्रतिपदा तिथि से होती है और यह महा नवमी के दिन समाप्त हो जाती है जिसके अगले दिन विजयदशमी का त्यौहार आता है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार महिषासुर नाम के राक्षस को शिवजी का वरदान था कि कोई भी देवता या दानव उसका संहार नहीं कर सकता। लेकिन अभिमान के कारण जब पृथ्वी और देवताओं पर असुर महिषासुर का अत्याचार बढ़ने लगा तो देवता भगवान शिव नारायण और ब्रह्मा से अपने रक्षा की प्रार्थना करने लगे। तब त्रिदेवों ने अपनी उर्जा से शक्ति का सृजन किया जिन्हें देवी दुर्गा के नाम से जाना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि प्रतिपदा की तिथि से ही देवी दुर्गा और राक्षस महिषासुर के बीच युद्ध आरंभ हुआ था तथा अगले 9 दिनों तक घमासान युद्ध चलने के बाद विजयदशमी के दिन दुर्गा माता ने महिषासुर का वध कर दिया। इसी विजयदशमी के दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध भी किया था।

इस तरह भारतीय समाज में दुर्गा पूजा की छवि बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मानी जाती है और हर साल दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाया जाता है। भले ही चैत्र नवरात्रि के दौरान दुर्गा पूजन का व्रत कठिन व्रत माना जाता हो लेकिन शारदीय नवरात्र के दौरान दुर्गा पूजन का उत्सव भव्य और संगीतमय होता है क्योंकि इस दौरान लोग भक्ति भाव में लीन रहते हैं और देवी दुर्गा का भजन कीर्तन और जागरण करते हैं।

आइये पढ़ें-

  • चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में अंतर
  • रावण से जुड़े अद्भुत व अनसुने रोचक तथ्य

खासकर उत्तर प्रदेश के लोग दुर्गा पूजा के दौरान रात्रि जागरण करते हैं जिनमें वह दुर्गा माता के भजन कीर्तन गाते हैं। जबकि गुजरात में गरबा और डांडिया जैसे नृत्यों की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। हालांकि भले ही भारत के विभिन्न राज्यों में दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाया जाता हो लेकिन पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का त्यौहार सबसे भव्य होता है। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के अवसर पर माचिस की तीलियों से पंडाल बनाए जाते हैं। पश्चिम बंगाल में आपको दुर्गा पूजा के एक से बढ़कर एक पंडाल देखने को मिलेंगे।

लोग नवरात्रि में दुर्गा पूजन का उपवास रखते हैं इस दौरान लोग अपने घरों में कलश स्थापना करते हैं और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करने से उपासक के सारे संकट कट जाते हैं और परिवार में सुख समृद्धि आ जाती है।

शारदीय नवरात्र की शुरुआत से लेकर विजय दशमी तक दुर्गा पूजा की रौनक चारों तरफ फैली रहती है। दुर्गा पूजन के दौरान प्रतिपदा तिथि पर स्थापित की गई मूर्ति को विजयदशमी के अवसर पर जल में विसर्जित कर दिया जाता है। विभिन्न स्थानों पर मूर्ति विसर्जन के बाद भंडारे का आयोजन भी किया जाता है।

आइये पढ़ें- विश्व ओजोन दिवस पर निबंध भाषण एवं कविता

दुर्गा पूजा केवल एक त्यौहार नहीं बल्कि असत्य पर सत्य बुराई पर अच्छाई के जीत की भावना है। लोग मानते हैं कि जिस प्रकार 9 दिनों का संघर्ष करके देवी दुर्गा ने महिषासुर की बुरी शक्तियों का विनाश किया था ठीक उसी तरह नवरात्रि के दौरान हमारे समाज में फैली हुई बुरी शक्तियों का विनाश भी करेंगी। दैवीय शक्तियों में आस्था ही भारत की सबसे बड़ी शक्ति है और इसी आस्था की उपासना के लिए दुर्गा पूजा मनाया जाता है।

दुर्गा शब्द शक्ति और ऊर्जा का पर्यायवाची होता है यानी कि अपने नाम के अनुरूप ही दुर्गा पूजन का त्यौहार लोगों में एक नई ऊर्जा का संचार करता है और उन्हें अधर्म और बुराई के खिलाफ लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। हमें प्रतिवर्ष सामूहिक रूप से संगठित होकर दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाना चाहिए और अपनी आस्था एवं विश्वास को और भी दृढ़ बनाना चाहिए क्योंकि यही आस्था और विश्वास हमें कुछ करने की शक्ति प्रदान करते हैं।

दुर्गा पूजा पर कविता (Durga Puja Poem in Hindi)

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Essay on Durga Puja : दुर्गा पूजा के महत्व और परम्पराओं पर परीक्षाओं में आने वाले निबंध

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  • Updated on  
  • जून 22, 2024

Essay on Durga Puja in Hindi

दुर्गा पूजा भारत में एक प्रमुख हिंदू त्योहार में से एक है, जो राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का प्रतीक मनाता है। करीब दस दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार में सजावटी पंडालों में कई कलाओं से निर्मित देवी की मूर्तियाँ तैयार की गई होती हैं। इसमें धार्मिक उत्साह के साथ-साथ संगीत, नृत्य और पारंपरिक अनुष्ठानों समेत सांस्कृतिक प्रदर्शन भी शामिल हैं। यह आयोजन समुदायों को एकजुट करता है और भारत की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करता है, बुराई पर अच्छाई की जीत पर जोर देता है और विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों के बीच एकजुटता की भावना को बढ़ावा देता है। यह त्यौहार मूर्तियों के विसर्जन के साथ समाप्त होता है, जो देवी के अपने दिव्य निवास पर लौटने का प्रतीक है। कई बारी परीक्षाओं में छात्रों से इस पाक पर्व के बारे में निबंध लिखने को कहा जाता है। यहां छात्रों की सहायता के लिए essay on Durga Puja in Hindi 10 पंक्तियों, 100, 200 और 500 शब्दों में निबंध दिया गया है।

This Blog Includes:

दुर्गा पूजा पर 100 शब्दों में निबंध , दुर्गा पूजा पर 200 शब्दों में निबंध, दुर्गा पूजा पर 800 शब्दों में निबंध , दुर्गा पूजा कब है, दुर्गा पूजा की उत्पत्ति, दुर्गा पूजा की महत्व और परंपराएँ, दुर्गा पूजा पर 10 पंक्तियाँ, दुर्गा पूजा मंत्र.

भारत के अधिकांश लोग अलग-अलग तरह से दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाते हैं। यह हिंदु धर्म के बीच मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध भारतीय त्यौहार है। इन दिन लोग दिव्य माँ दुर्गा के सम्मान और उनकी उपासना करने के लिए दुर्गा पूजा का त्योहार मनाते हैं। यह त्योहार हर वर्ष सितंबर-अक्टूबर के महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार 10 दिन चलता है। पश्चिम बंगाल और देश के अन्य हिस्सों के लोग पंडालों में देवी दुर्गा की विशाल और सुंदर मूर्तियाँ रखकर इस त्यौहार को मनाते हैं। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, क्योंकि यह राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का स्मरण करता है।

Essay on Durga Puja in Hindi पर 200 शब्दों में नीचे दिया गया है-

भारतीय लोग देवी दुर्गा का सम्मान और पूजा करने के लिए दुर्गा पूजा मनाते हैं, जो दिव्य स्त्री शक्ति और ताकत का प्रतीक है। यह त्यौहार बहुत धार्मिक महत्व रखता है क्योंकि यह राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत का स्मरण कराता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह दुर्गा पूजा एकजुटता और सौहार्द की भावना को बढ़ावा देती है। परिवार, दोस्त और पड़ोसी पूजा करने के लिए एक जगह एकत्रत होते हैं, यह पर्व समुदाय की भावना पैदा करता है और समाज के ताने-बाने को मजबूत करता है। दुर्गा पूजा में कई जगह पंडाल, सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ भव्य पूजा-अर्चना भी होती है। यह त्यौहार भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ विविधता में एकता को भी दर्शाता है, क्योंकि विभिन्न पृष्ठभूमि और क्षेत्रों के लोग इस उत्सव में भाग लेते हैं। यह पर्व पूरे भारत और उसके बाहर लाखों लोगों के दिलों में एक खास जगह रखता है। इस त्योहार का सार न केवल इसके धार्मिक महत्व में निहित है, बल्कि इसके सांस्कृतिक और सामाजिक आयामों में भी निहित है।

Essay on Durga Puja in Hindi नीचे 800 शब्दों में दिया गया है-

भारत देश में दुर्गा पूजा की तैयारी हफ्तों पहले से शुरू हो जाती है। कुशल कारीगर देवी दुर्गा और लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और कार्तिकेय की मूर्तियों को  तैयार करने में बहुत मेहनत करते हैं। मूर्तियों को तैयार करके बड़े-बड़े पंडालों में रखा जाता हैं। अब तो हर पंडाल में एक अनूठी थीम होती है, जो अक्सर पौराणिक कथाओं, वर्तमान घटनाओं से प्रेरित होती है।

यह नवरात्रि का त्योहार दस दिनों तक चलता है, जिसमें अंतिम पांच दिन सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। देवी के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए। यह पर्व बहुत ही सुन्दर तरीकों से हर जगह-जगह पर पारंपरिक परिधान पहन कर, भक्तजन पूजा-अर्चना के लिए पंडालों में एकत्रित होते हैं। संगीत, नृत्य और रंगमंच समेत सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो जीवंत माहौल को और भी बढ़ा देते हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होंगी, जोकि 11 अक्टूबर को समाप्त होंगे। वहीं 12 अक्टूबर को दशहरा यानी विजया दशमी का पर्व मनाया जाएगा।

3 अक्टूबर 2024मां शैलपुत्री पूजन
4 अक्टूबर 2024मां ब्रह्मचारिणी पूजन
5 अक्टूबर 2024मां चंद्रघंटा पूजन
6 अक्टूबर 2024मां कुष्मांडा पूजन
7 अक्टूबर 2024मां स्कंदमाता पूजन
8 अक्टूबर 2024मां कात्यायनी पूजन
9 अक्टूबर 2024मां कालरात्रि पूजन
10 अक्टूबर 2024मां महागौरी पूजन
11 अक्टूबर 2024मां सिद्धिदात्री पूजन
12 अक्टूबर 2024विजया दशमी

दुर्गा पूजा की उत्पत्ति प्राचीन भारतीय शास्त्रों में पाई जा सकती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषासुर एक राक्षस था जिसे भगवान ब्रह्मा से वरदान मिला था कि उसे कोई भी देवता या मनुष्य नहीं हरा सकता है। वरदान पाते ही वह शक्तिशाली हो गया और उसने स्वर्ग में देवताओं को बहुत परेशान किया। देवताओं ने मदद की गुहार से भगवान ब्रह्मा ने भगवान विष्णु और भगवान शिव के साथ मिलकर देवी दुर्गा का निर्माण किया और उन्हें महिषासुर से लड़ने के लिए अपनी सर्वोच्च शक्तियाँ प्रदान की। जिसके बाद महिषासुर और देवी दुर्गा के बीच भयंकर युद्ध हुआ। खुद के बचाव के लिए महिषासुर राक्षस ने खुद को भैंसे में बदल लिया। यह संघर्ष 10 दिनों तक चला, जिसके अंत में देवी दुर्गा ने भैंसे का सिर काटकर और महिषासुर को हराकर विजय प्राप्त की। 

देवी दुर्गा की पूजा विस्तृत अनुष्ठानों और परंपराओं अलग-अलग राज्यों के बीच होती है, देश के प्रत्येक क्षेत्र में त्योहार मनाने का अपना तरीका होता है। इस त्योहार का पहला दिन, देवी पक्ष की शुरुआत का संकेत देता है, या वह अवधि जब देवी अपनी उपस्थिति से मानवता को अनुग्रहित करती हैं। यह पर्व नौ दिन मनाया जाता है, जिसके अंतिम दिन घरों में छोटी-छोटी कन्याओं को भोग लगाने के बाद हवन और पूजा का आयोजन होता है। दुर्गा पूजा का भव्य समापन होने पर मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। यह देवी के अपने दिव्य निवास पर लौटने का प्रतीक है, साथ ही अगले वर्ष उनकी शीघ्र वापसी के लिए प्रार्थना भी की जाती है। 

बंगाल, असम और ओडिशा जैसी जगहों पर, दुर्गा पूजा उत्सव एक अलग तरह से मनाया जाता है, जहाँ स्थानीय क्लब और धार्मिक संगठन अलग-अलग थीम पर पंडाल लगाते हैं। दुर्गा पूजा पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। यह राक्षस राजा महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत का प्रतीक है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत, अंधकार पर प्रकाश और दुनिया की रक्षा करने की दिव्य शक्ति का प्रतीक है।

दुर्गा पूजा पर निबंध में 10 पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं-

  • दुर्गा पूजा एक प्रसिद्ध हिंदू त्यौहार है।
  • दुर्गा पूजा बुराई को मारने और मानव जाति को बचाने के लिए देवी दुर्गा का सम्मान करती है।
  • हर साल, दुर्गा पूजा अश्विन (सितंबर-अक्टूबर) के महीने में मनाई जाती है।
  • दुर्गा पूजा 10 दिनों का त्यौहार है।
  • इस अवसर पर पंडालों में दुर्गा और अन्य दिव्य माताओं की विशाल मूर्तियों की पूजा की जाती है।
  • भारत के लोग पंडालों को सजाकर, स्वादिष्ट भोजन बनाकर और साथ में नृत्य करके दुर्गा पूजा मनाते हैं।
  • मुख्य उत्सव महा षष्ठी से शुरू होता है, जिस दिन देवी दुर्गा की खूबसूरती से तैयार की गई मूर्तियों का पंडालों में अनावरण किया जाता है।
  • मूर्तियों को कला और आध्यात्मिकता के साथ उल्लेखनीय रूप से तैयार किया गया है, जो देवी की शक्ति और सुंदरता को दर्शाती हैं।
  • अष्टमी और महानवमी के दिन कन्या पूजन करना शुभ माना जाता है।
  • विजयदशमी या दशमी कहे जाने वाले अंतिम दिन, मूर्तियों को नदियों में विसर्जित किया जाता है।

12 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी।

हिंदू कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह 16 जून 2024 को है।

10 फरवरी शनिवार से गुप्त नवरात्रि प्रारम्भ हो रहे हैं,जो 18 फरवरी तक रहेंगे।

7 अप्रैल 2025 ।

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Essay on Durga Puja in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य निबंध से संबंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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सीखने का नया ठिकाना स्टडी अब्रॉड प्लेटफॉर्म Leverage Eud. जया त्रिपाठी, Leverage Eud हिंदी में एसोसिएट कंटेंट राइटर के तौर पर कार्यरत हैं। 2016 से मैंने अपनी पत्रकारिता का सफर अमर उजाला डॉट कॉम के साथ शुरू किया। प्रिंट और डिजिटल पत्रकारिता में 6 -7 सालों का अनुभव है। एजुकेशन, एस्ट्रोलॉजी और अन्य विषयों पर लेखन में रुचि है। अपनी पत्रकारिता के अनुभव के साथ, मैं टॉपर इंटरव्यू पर काम करती जा रही हूँ। खबरों के अलावा फैमली के साथ क्वालिटी टाइम बिताना और घूमना काफी पसंद है।

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Essay on durga puja in hindi दुर्गा पूजा पर निबंध.

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Essay on Durga Puja in Hindi 200 Words

भारत त्यौहारों की भूमि हैं। विभिन्न तरह के लोग भारत में रहते हैं और वह पूरे वर्ष अपने अपने त्यौहार मनाते हैं। दुर्गा पूजा पूरे उत्साह और खुशी के साथ मनाये जाने वाले त्यौहारों में से एक हैं। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत को अंदाजलि देने के लिए मनाया जाता हैं। ऐसा माना जाता हैं कि दुर्गा पूजा तब शुरू हुई जब भगवान राम ने रावण को मारने की शक्ति पाने के लिए देवी दुर्गा की पूजा की थी।

देवी दुर्गा की पूजा इसलिए की जाती हैं क्योंकि उन्होने दस दिनों की लड़ाई के बाद राक्षस महिषासुर को मार डाला था और लोगों को असुरो से राहत मिली थी। यही कारण हैं कि इस त्यौहार पर लोग देवी दुर्गा की पूजा पूरी भक्ति के साथ करते हैं। पूरे नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती हैं। भक्त सभी दिन या केवल पहले और आखिरी दिन में उपवास रखते हैं। वे अंतिम दिन से सात या नौ दिनों तक फल ग्रहण करते हैं। अविवाहित लडकियों को देवी दुर्गा को खुश करने के लिए साफ तरीके से पूजा करनी होती हैं।

कुछ लोग घर पर इस त्यौहार पर सभी व्यवस्थाओं के साथ पूजा करते हैं और वह पवित्र नदी गंगा में मूर्ति विसर्जन के लिए जाते हैं। इस तरह यह त्यौहार पूरी खुशी और उत्साह के साथ देवी दुर्गा के भक्तों के द्वारा मनाया जाता हैं।

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दुर्गा पूजा पर निबंध | Durga Puja Essay in Hindi

by Meenu Saini | Aug 8, 2022 | Hindi | 0 comments

दुर्गा पूजा पर निबंध, Durga Puja essay in hindi

Durga Puja Essay in Hindi – Hindi Essay Writing Topic 

बंगाल की दुर्गा पूजा, पौराणिक मान्यता.

  • दुर्गा पूजा का महत्त्व
  • दुर्गा पूजा पर निबंध, अनुच्छेद in 100, 150, 200, 250 और 350 Words   

दु र्गा पूजा हिन्दू धर्म के मुख्य त्योहारों में से एक है । दुर्गा पूजा को दुर्गोत्सव या शरदोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर दुर्गा पूजा सितम्बर या अक्टूबर माह में होती है | जिसके लिए लोग महीनों पहले से ही तैयारियां शुरू कर देते है। दुर्गा पूजा वैसे तो पूरे देश में मनाया जाता हैं हालाँकि दुर्गा पूजा मुख्य रूप से बंगाल, असम, उड़ीसा, झारखण्ड इत्यादि जगहों पर बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। 

दुर्गा पूजा हिन्दुओं का महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। दुर्गा पूजा बंगाल में बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है क्योकि यह बंगालियों का प्रमुख त्यौहार होता है। दुर्गा पूजा की शुरुआत तब हुई जब भगवान राम ने रावण को मारने के लिए देवी दुर्गा से शक्ति प्राप्त करने के लिए पूजा की थी। बंगाल में दुर्गा पूजा का मतलब केवल पूजा, आराधना या मां को याद करना ही नहीं हैं।  बल्कि पूरे साल के सारे सुख दुख दर्द गम भुला कर आनंद मनाने का पर्व है। 

बंगाल में माँ दुर्गा की विशेष प्रतिमाएं बनवाई जाती है,  जिनमें देवी की ऑंखें अत्यंत मनमोहक और आकर्षक लगती हैं | 

 दुर्गा पूजा का अवसर बहुत ही खुशियों से भरा होता है। खासकर विद्यार्थियों के लिए क्योंकि इस मौके पर उन्हें छुट्टियां मिलती है। इस अवसर पर घर में नए कपड़ों की खरीददारी की जाती है। कुछ बड़े स्थानों पर मेलों का भी आयोजन किया जाता है। बच्चों का दुर्गा पूजा के अवसर पर उत्साह दोगुना हो जाता है।

दुर्गा पूजा से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं है | ऐसा माना जाता है कि मां दुर्गा ने इस दिन महिषासुर नामक असुर का संहार किया था। दरअसल ब्रह्मा जी ने महिषासुर को यह वरदान दिया था कि कोई भी देवता उस पर विजय प्राप्त नहीं कर सकता,  इस प्रकार भगवान ब्रह्मा का वरदान पाकर वह असुर काफी शक्तिशाली हो गया था | वरदान पाकर वह स्वर्ग लोक में देवताओं को परेशान करने लगा और समस्त संसार में तबाही मचाने लगा | उसने स्वर्ग में एक बार अचानक आक्रमण कर दिया और इंद्र को परास्त कर, स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था। सभी देवता परेशान होकर ब्रह्मा, विष्णु, महेश के पास मदद मांगने पहुंचे | सारे देवताओं ने मिलकर उस राक्षस के साथ युद्ध किया, परंतु असफल हो गए। कोई उपाय ना मिलने पर देवताओं ने महिषासुर के विनाश के लिए देवी दुर्गा का आह्वान किया जिसे शक्ति और पार्वती के नाम से भी जाना जाता है। देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर, उसके साथ नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। इसी उपलक्ष्य में दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाया जाता है। 

दुर्गा पूजा का महत्त्व  

देवी मां दुर्गा के नौ रूपों का विशेष महत्व है |  उनकी पूजा करने से जीवन में शक्ति का संचार होता है। इसके बाद जब आप शक्ति और ऊर्जा के साथ जीवन में आगे बढ़ते हैं और हर कार्य को करने में सफलता हासिल होती है। इसीलिए जरूरी है कि भक्त, तन और मन को पवित्र कर, मां की पूजा अर्चना करें। नवदुर्गा की पूजा शुरू करने से पहले कलश स्थापित किया जाता है।

माँ दुर्गा के नौ रूप 

  • मां दुर्गा का पहला स्वरूप शैलपुत्री है। पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल फूल धारण करती हैं। इनका वहां बैल होता हैं | 
  • मां दुर्गा की नौ शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप का आचरण करने वाली है। इनके दाहिने हाथ में जप की माला बाएं हाथ में कमंडल है | इन्होने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी, इसी वजह से ही इन्हें ‌तपश्चारिणी के नाम से भी जाना जाता है।
  • नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है । इनका स्वरूप शांतिदायक और कल्याणकारी हैं। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र हैं। इसी कारण से इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता हैं। शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला हैं। इनके दस हाथ हैं। मां के दसों हाथों में खड्ग, शास्त्र और वीणा आदि अस्त्र विभूषित हैं। 
  • चौथे दिन भगवती कूष्मांडा की पूजा आराधना की जाती हैं । अपनी हल्की मंद मुस्कान के साथ ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण, इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता हैं।‌ कहते हैं जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था। चारों ओर अंधकार ही अंधकार था, तब कुष्मांडा ने अपने हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। यही सृष्टि की आदि स्वरूप, आदिशक्ति हैं।
  • पुराणों के अनुसार भगवती शक्ति से उत्पन्न हुए सनत कुमार का नाम स्कंद है| उनकी माता होने से स्कंदमाता कहलाती है | भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के इस पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है | मां का यह दिव्य  स्वरूप है। मां की गोद में भगवान स्कंद जी बाल रूप में बैठे रहते हैं।
  • देवताओं का कार्य सिद्ध करने के लिए ऋषि कात्यायन के आश्रम पर प्रकट हुई और महर्षि ने इन्हें अपनी कन्या माना | इसीलिए माता के इस स्वरूप को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। भगवान कृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए ब्रज की गोपियों ने कालिंदी यमुना के तट पर इन्हीं की पूजा की थी | यह ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित है। इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है।
  • दुर्गा मां की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह काला हैं। सिर के बाल बिखरे हैं । गले में बिजली की तरह चमकने वाली मुंड मालाएं हैं। इनके तीन नेत्र हैं । ये दुष्टों का संहार करती है, माँ कालरात्रि ने ही चंड, मुंड, महिषासुर, रक्तबीज जैसे राक्षसों का सर्वनाश किया था | 
  • कठोर तपस्या के माध्यम से महान गौरव प्राप्त किया था इसलिए मां के स्वरूप को मां महागौरी के नाम से जाना जाता हैं। मां दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी हैं। इनका वर्ण गौर हैं। इनका वाहन वृषभ है। इनके बाद में डमरु और दाएं हाथ में वर मुद्रा हैं। यह शांत रूप में भक्तों को दर्शन देती हैं।
  • मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। यह सभी तरह की सिद्धियां देने वाली है। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली है। इनका वाहन सिंह है। यह कमल पुष्प पर आसीन हैं। बाएं हाथ में शंख और दाएं हाथ में कमल पुष्प हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती   है।

इस त्यौहार के अंत में, देवी दुर्गा की प्रतिमा को नदी या पानी के टैंक में विसर्जित कर दिया जाता है। बहुत से लोग पूरे नौ दिनों का उपवास भी रखते हैं। दुर्गा पूजा में लोग नौ दिन तक माँ दुर्गा की पूजा करते हैं और उनसे सुख-समृद्दि का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

  • दुर्गा पूजा पर निबंध Short Essay on Durga Puja in Hindi. 10 lines on Durga Puja in Hindi. Short Essay on Durga Puja (दुर्गा पूजा) in 100, 150, 200, 250, 300 words.

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दुर्गा पूजा कहां मनाया जाता है? जाने दुर्गा पूजा कब मनाया जाता है

hindi essay durga puja

आज हम दुर्गा पूजा पर निबंध (Durga Puja Par Nibandh) लिखने जा रहे हैं। दुर्गा पूजा का त्यौहार मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल में मनाया जाता हैं। इसके साथ ही इसे भारत के कुछ अन्य राज्यों जैसे कि असम, उड़ीसा, बिहार, झारखंड, त्रिपुरा में भी मनाया जाता हैं। दुर्गा पूजा आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती हैं। यह 10 दिनों का त्यौहार होता हैं तथा मुख्य आयोजन षष्टी (छठे दिन) से शुरू होता हैं।

अब आपके दुर्गा पूजा के बारे में कई तरह के प्रश्न होंगे । उदाहरण के तौर पर दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है, दुर्गा पूजा कहां मनाया जाता है, दुर्गा पूजा कब मनाया जाता है, इत्यादि। ऐसे में आज के इस दुर्गा पूजा के लेख ( Durga Puja Par Lekh ) में हम आपके हरेक प्रश्न का उत्तर देने जा रहे हैं।

Durga Puja Par Nibandh | दुर्गा पूजा पर निबंध

इसे हम नवरात्र के नाम से भी जानते हैं क्योंकि दोनों में ही मातारानी की पूजा की जाती हैं। नवरात्र में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विधान हैं तथा दसवें दिन दशहरा मनाया जाता हैं। उसी प्रकार दुर्गा पूजा में पहले नौ दिन माँ दुर्गा की आराधना की जाती हैं तथा दसवें दिन उनकी मूर्ति को नदी में विसर्जित कर दिया जाता हैं।

इसे विभिन्न राज्यों तथा भाषाओँ में विभिन्न नामों से जाना जाता हैं जैसे कि दुर्गोत्सव, दुर्गा पूजो, अकाल उत्सव, शारदीय पूजो, महा पूजो, भगबती पूजो इत्यादि। बांग्लादेश में इसे भगबती पूजो के नाम से जाना जाता हैं तथा वहां रहने वाले सनातानी माँ दुर्गा की पूरे विधि-विधान के साथ आराधना करते हैं।

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में इसे कुल्लू दशहरा, कर्नाटक के मैसूर राज्य में मैसूर दशहरा, तमिलनाडु में बोम्मई गोलू, आंध्र प्रदेश में बोम्मला कोलुवु व तेलंगाना में बठुकम्मा के नाम से जाना जाता हैं। इस तरह से दुर्गा पूजा का त्यौहार (Durga Puja Essay In Hindi) पूरे भारतवर्ष में बहुत महत्व रखता है। आइए इसके बारे में और जानकारी ले लेते हैं।

दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है?

सर्वप्रथम हम दुर्गा पूजा के इतिहास के बारे में जानते हैं कि आखिर क्यों इसका आयोजन किया जाता हैं। एक समय में महिषासुर नामक राक्षस था जो भगवान ब्रह्मा से वरदान पाकर अत्यधिक शक्तिशाली हो गया था। इसी अहंकार में उसने स्वर्ग लोक में देवताओं को पराजित कर दिया व इंद्र से उसका आसन छीन लिया।

तब सभी देवता त्रिमूर्ति से सहायता मांगने गए। त्रिमूर्ति ने अपने तेज से माँ दुर्गा का निर्माण किया जो पार्वती माता का ही एक रूप थी। उन्होंने महिषासुर से नौ दिनों तक भीषण युद्ध किया तथा अंतिम दिन उसका वध कर दिया। इसलिये यह पर्व दस दिनों तक मनाया जाता हैं तथा अंतिम दिन माँ दुर्गा की मूर्ति को नदी में विसर्जित कर दिया जाता हैं।

दुर्गा पूजा कब मनाया जाता है?

दुर्गा पूजा का त्यौहार (Durga Puja Par Nibandh) मुख्य रूप से छह दिनों के लिए मनाया जाता हैं जिसकी शुरुआत नवरात्र के पांचवे दिन से हो जाती है। इस दिन को महालय के नाम से जाना जाता हैं। इसके बाद के दिनों को षष्ठी, महा सप्तमी, महा अष्टमी, महा नवमी तथा विजयादशमी के नाम से जाना जाता हैं। माँ दुर्गा के पंडाल सजने तो बहुत पहले से शुरू हो जाते हैं लेकिन षष्ठी के दिन से यह आम भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं।

इसमें माँ दुर्गा की महिषासुर मर्दिनी वाली प्रतिमा लगी होती हैं अर्थात जिसमे वे अपने रोद्र रूप में हैं व हाथ में त्रिशूल व अन्य अस्त्र-शस्त्र पकड़े हुए हैं। उनके पैरों के नीचे दुष्ट राक्षस महिषासुर हैं व माँ दुर्गा उसे त्रिशूल से मार रही हैं। माँ के पीछे उनका वाहन सिंह होता हैं तथा उनके साथ में माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती, भगवान कार्तिक व भगवान गणेश होते हैं।

दुर्गा पूजा कहां मनाया जाता है?

मुख्यतया बंगाल में माँ दुर्गा के बड़े-बड़े दरबार सजते हैं जिन्हें पंडाल कहा जाता हैं। आजकल यह पर्व बंगाल के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी बहुत लोकप्रिय हो गया हैं तथा वहां भी लोग अपनी सुविधानुसार पंडाल सजाते हैं। हालाँकि उत्तर भारत में मातारानी का नवरात्र त्यौहार, कंजक पूजन व दशहरा पर्व मनाने की परंपरा हैं।

दुर्गा पूजा (Durga Puja Essay In Hindi) में सभी लोग तैयार होकर पंडाल में जाते हैं व माता रानी की पूजा करते हैं। इन दिनों कई उत्सवो व कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता हैं। आइए इन कार्यक्रमों के बारे में जानते हैं:

इस दिन माँ दुर्गा को जगाया जाता हैं व उनका स्वागत किया जाता हैं। यह छठे दिन किया जाता हैं।

यह भी छठे दिन आयोजित किया जाता हैं जिसमें उन्हें विभिन्न भोग लगाए जाते हैं तथा उनकी आराधना की जाती हैं।

नवपत्रिका स्नान

पूजा के सातवें दिन माँ दुर्गा को शुद्ध जल से स्नान करवाया जाता हैं।

संधि पूजा या अष्टमी पुष्पांजलि

मान्यता हैं कि महिषासुर से युद्ध करते-करते अष्टमी के दिन माँ दुर्गा ने अति भयानक रूप ले लिया था तथा युद्ध भीषण हो चला था। इसी दिन माँ दुर्गा की तीसरी आँख से माँ चामुंडा/ चंडी का निर्माण हुआ था जिसनें राक्षसों का संहार किया था। उसी को ध्यान में रखते हुए अष्टमी व नवमी को बड़ी धूमधाम से पूजा की जाती हैं।

होम व भोग/ कुमारी पूजा

यह देवी दुर्गा का सबसे पवित्र रूप माना जाता हैं। इसमें एक वर्ष से लेकर सोलह वर्ष की आयु तक कोई भी कन्या को माँ दुर्गा का रूप मानकर उसकी आराधना की जाती हैं। यह नौवे दिन किया जाता हैं।

संध्या आरती

जब से पंडालों में भक्तों को आना शुरू होता हैं अर्थान षष्ठी से संध्या आरती शुरू हो जाती हैं। तब से लेकर नवमी तक दुर्गा पंडालों में विशाल व भव्य संध्या आरती का आयोजन किया जाता हैं। यह दुर्गा पूजा आयोजन (Durga Puja Par Lekh) का मुख्य हिस्सा कहा जा सकता है जिसके प्रतिभागी सभी बनते हैं।

सिंदूर खेला

यह आयोजन अंतिम दिन किया जाता हैं जिसे केवल सुहागन महिलाएं ही खेलती हैं। यह दिन माँ दुर्गा के द्वारा महिषासुर राक्षस के वध के रूप में याद किया जाता हैं अर्थात बुराई पर अच्छाई की विजय। इस उपलक्ष्य में सुहागन महिलाएं माँ के साथ सिंदूर की होली खेलती हैं तथा एक-दूसरे पर भी सिंदूर डालती हैं।

यह एक प्रकार का शक्ति नृत्य हैं जो माँ दुर्गा के क्रोध, ऊर्जा व शक्ति को दिखता हैं। इसमें नारियल व हवन सामग्री से माँ दुर्गा की आराधना की जाती हैं।

दस दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार का अंत माँ दुर्गा की मूर्तियों को पंडालों से निकालकर उन्हें नदी में विसर्जित कर देने से समाप्त हो जाता हैं। इस दिन सभी भक्त माँ दुर्गा के साथ सिंदूर होली खेलकर उन्हें पंडाल से बाहर निकालते हैं। वे सभी नाचते गाते हुए उन्हें नदी तक लेकर जाते हैं तथा वहां विसर्जित कर देते हैं। मान्यता हैं कि इसके पश्चात माँ दुर्गा पुनः अपने लोक कैलाश पर्वत को चली जाती हैं।

इसके बाद सभी लोग अपने मित्रों, सगे-संबंधियों से मिलते हैं, उन्हें बधाई देते हैं, पकवान खाते हैं व खुशियाँ मनाते हैं। इस प्रकार दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव का समापन हो जाता है।

आज हमने आपको दुर्गा पूजा पर निबंध (Durga Puja Par Nibandh) लिखकर दिया है । इसे आप कहीं भी लिखकर दे सकते हैं या इसमें से कुछ हटाकर कुछ नया भी जोड़ सकते हैं। यदि अभी भी आपके मन में दुर्गा पूजा को लेकर कोई प्रश्न है तो आप नीचे कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं।

दुर्गा पूजा से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: दुर्गा पूजा पर निबंध कैसे लिखा जाता है?

उत्तर: दुर्गा पूजा पर निबंध लिखने के लिए आपको इस पर्व की समूची जानकारी उसमें देनी होगी । इस लेख में आपको दुर्गा पूजा कब, कैसे, कहाँ और क्यों मनाई जाती है, इसके बारे में बताना होगा ।

प्रश्न: दुर्गा पूजा का महत्व क्या है?

उत्तर: दुर्गा पूजा का त्यौहार बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है । माँ दुर्गा ने अधर्म के रूप राक्षस महिषासुर के साथ भीषण युद्ध करके उसका वध कर दिया था ।

प्रश्न: दुर्गा पूजा क्यों मनाई जाती है?

उत्तर: दुर्गा पूजा इसलिए मनाई जाती है ताकि हम अपनी जननी माँ दुर्गा के प्रति अपना सम्मान प्रकट कर सके । माँ दुर्गा ही इस सृष्टि का आधार है और उनकी के कारण ही हमारा अस्तित्व है ।

प्रश्न: दुर्गा पूजा का अर्थ क्या है?

उत्तर: दुर्गा पूजा दस दिनों का पर्व कहलाया जाता है । हालाँकि इसकी शुरुआत पांचवें दिन महालय से होती है । फिर यह विजयादशमी को समाप्त हो जाता है ।

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए । उनके लिंक हैं:

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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दुर्गा पूजा पर निबंध (Durga Puja Essay In Hindi)

दुर्गा पूजा पर निबंध (Durga Puja Essay In Hindi Language)

भारत में त्योहारों का सामाजिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक, मनोवैज्ञानिक महत्व है। यहां मनाए जाने वाले सभी त्योहार मानवीय गुणों को स्थापित कर लोगों में प्रेम, एकता व सद्भावना को बढ़ाने का संदेश देते हैं। दरअसल, ये त्योहार ही हैं जो परिवारों और समाज को जोड़ते हैं।

कई लोग इस त्यौहार पर नौ दिवस का व्रत रखते हैं और कई लोग केवल सिर्फ पहले और अंतिम दिवस व्रत रखते हैं। वे ऐसा मानते है कि इस व्रत से उन्हें माँ दुर्गा जी का आशीर्वाद मिलेगा।

दुर्गा पूजा का महत्व

जिसमें विवाहित महिलाएं पूजा स्थल पर से खेलती है। गरबा की प्रतियोगिताएं रखी जाती है और विजेता को ईनाम दिए जाते हैं।

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दुर्गा पूजा पर अनुच्छेद | Paragraph on Durga Puja in Hindi

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प्रस्तावना:

दुर्गा-पूजा हिन्दुओं का एक महत्त्वपूर्ण त्यौहार है । यह त्यौहार देवी दुर्गा के सम्मान में मनाया जाता है । दुर्गा को हिमाचल और मेनका की पुत्री माना जाता है । भगवान् शंकर की पत्नी सती के आत्म-बलिदान के बाद दुर्गा का जन्म हुआ ।

उन्हें सती का दूसरा रूप माना जाता है । उनका भगवान् कर से विवाह था । कहा जाता है रावण का वध करने को शक्ति पाने पने लिए भगवान् राम ने दुर्गा की पूजा की थी । अत: इस दिन पहले भगवान राम की पूजा जाती है और उसके बाद माँ दुर्गा की ।

दुर्गा की प्रतिमा:

इस अवसर के लिए देवी दुर्गा की भव्य और विशाल प्रतिमायें तैयार की जाती हैं । कहीं-कहीं उन्हें उनके पति भगवान शंकर, दो पुत्रियों लक्ष्मी और सरस्वती तथा दो पुत्रों गणेश और कार्तिकेय के साथ दिखाया जाता है । देवी दुर्गा की प्रतिमा में उनके दस हाथ दिखाये जाते हें ।

उनके दसों हातों में कोई न कोई अस्त्र होता है । उनकी सवारी सिंह पर होती है । प्रतिमा में उनका एक पैर सिंह पर तथा दूसरा पैर महिषासुर की छाती पर दिखाया जाता है । लक्ष्मी को उनकी दाहिनी ओर तथा सरस्वती को बाईं ओर दिखाया जाता है ।

पूजा का आयोजन:

दुर्गा-पूजा बड़ी निष्ठा और श्रद्धा से की जाती है । यह बार महीने के शुक्ल पक्ष में की जाती है । प्रतिपदा के दिन से नवरात्रों का प्रारंभ माना जाता है । इन 10 दिनों तक श्रद्धालु स्त्रियों व्रत रखती हैं और देवी दुर्गा का पूजन करती हैं । यह त्यौहार दशहरे के त्यौहार के साथ ही मनाया जाता है । अत कई दिन तक स्कूल और कॉलेज बन्द रहते हैं ।

दुर्गा-पूजा का त्यौहार बंगाल, असम, पूर्वी बिहार में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है । पूजा का विशेष आयोजन तीन दिन तक होता है । यह विशेष पूजा सप्तमी, अष्टमी तथा नौमी तिथियों को होती है । इन तीन दिनो बहुत-से भागों में भेड़, बकरे और भैंसों की बलि चढ़ा कर देवी दुर्गा को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है ।

ADVERTISEMENTS:

हर दिन दुर्गा की प्रतिमा की धूम-धाम से पूजा की जाती है । इस हेतु बड़े-बड़े शामियाने और पण्डाल लगाये जाते हैं । बड़ी संख्या में लोग इन आयोजनों में भाग लेते हैं । पूजा के शामियाने को खूब सजाया जाता है । उस पर तरह-तरह के बच्चों से रोशनी की जाती है । वे इसे बड़े उत्साह से सजाते हैं ।

पूजा के बाद बड़े समारोहपूर्वक भजन गाते हुए आरती की जाती है । आरती का थाल सभी लोगों के सामने लाया जाता है । हर व्यक्ति आरती लेकर यथाशक्ति थाल में कुछ सिक्के डाल देता है । अष्टमी की पूजा-शक्ति पूजा कहलाती है । पूजा के बाद इन शामियानो में नाटक, ड्रामा और संगीत सभाओं के आयोजन भी किए जाते हैं ।

प्रतिमा विसर्जन:

तीन दिन की विशेष पूजा के बाद विजय दिवस आता है । यह दशमी का दिन होता है । इस दिन प्रतिमाओं को जल में विसर्जित करने का समारोह होता है । इन प्रतिमाओं को एक जुलूस की शक्ल में पास की नदी या तालाब के किनारे ले जाया जाता है ।

प्रतिमाओं को नाव में रखकर बीच धारा में ले जाकर इनका विसर्जन नदी की बीच धार में या तालाब में कर दिया जाता है । यह दुर्गा-पूजा के त्यौहार की समाप्ति का सूचक है । प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद लोग अपने-अपने घर लौट आते हैं ।

दुर्गा-पूजा बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाई जाती है । देवी दुर्गा को शक्ति का अवतार समझा जाता है । शक्ति-पूजा से लोगों में साहस का संचार होता है और वे आपसी वैर-भाव भुलाकर एक-दूसरे की मगल-कामना करते हैं ।

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Durga Puja Essay in English, Hindi, Bengali 10 Lines [200 Words] -_0.1

Durga Puja Essay in English, Hindi, Bengali 10 Lines [200 Words]

In this Durga Puja Essay in English and in Hindi we will learn how and why we celebrate Durga Puja. The festival represents the universe's "Shakti,"—a celebration of good triumphing over evil.

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Table of Contents

Durga Puja Essay in English is an exciting topic that students can write on to improve their writing skills. Durga Puja is one of India’s most important festivals. It usually happens between September and October. The 16th Committee of Unesco for the Preservation of Intangible Cultural Heritage (ICH), meeting in Paris in 2021, inscribed Bengal’s largest festival on the representative list of Humanity’s Intangible Cultural Heritage. Durga Puja is a Hindu festival that commemorates the Mother Goddess and the warrior Goddess Durga’s victory over the monster Mahisasura. Continue reading all these sample Durga Puja Essay in English to get adequate about the festival.

Durga Puja Essay in English

In this Durga Puja Essay in English and in Hindi we will learn how and why we celebrate Durga Puja. Goddess Durga is thought to represent the physical manifestation of ‘Shakti,’ or “Universal Energy.” She was given life by the Hindu Gods to exterminate the infamous monster ‘Mahisasura’. It is an occasion of Good triumphing over Evil. Colorful pandals and gleaming lighting setups illuminate each and every inch of towns and regions. In addition to serving as a Hindu holiday, it is also a time for family and friend reunions, as well as a celebration of traditional beliefs and practices. While the rites encourage fasting and devotion for 10 days, the final four days of the festival, Saptami, Ashtami, Navami, and Vijaya-Dashami, are celebrated with considerable zeal and splendor in India, particularly in Bengal and abroad.

Durga Puja Essay in English 10 lines

Here is Durga puja essay in English 10 lines are given. If students they can add more information to it to make it more interesting.

  • Durga Puja is one of Bengalis’ oldest and most significant festivals.
  • It commemorates the prevailing of Goddess Durga against the demon Mahishasura.
  • The festival represents the universe’s “Shakti,” or female power—a celebration of good triumphing over evil.
  • It is a Hindu festival, but it is also a time for friends and family reunions, as well as a celebration of cultural beliefs and practices.
  • The 10-day event is celebrated with zeal and excitement throughout the country.
  • Durga was created by Lord Vishnu to fight demons and aid the gods, according to tradition.
  • During the event, massive pandals are raised, and colorful decorations are created.
  • Families give out fruits, sweets, and devotion to the goddess in exchange for blessings and wealth.
  • The event culminates in Dashami when adherents pray to the Hindu goddess for wisdom, power, and wealth.
  • The Durga puja occasion is celebrated and enjoyed by all people, regardless of caste or financial standing.

Durga Puja Essay in English, Hindi, Bengali 10 Lines [200 Words] -_3.1

English Essay on Durga Puja in 100 Words

India celebrates Durga Puja, a colorful and cheerful Hindu festival, with great fervor. It honors the goddess Durga, a representation of the strength and might of women.  The celebration, which spans 10 days, commemorates the triumph of good over evil, symbolized by the deity Durga’s defeat over the demon Mahishasura. The celebration include ornate decorations, processions, and cultural events. The four offspring of Durga, Lakshmi, Saraswati, Ganesha, and Kartikeya, are depicted in clay idols that are installed in pandals, or makeshift pavilions, around the nation to mark the start of the festival. Worshipping exquisitely carved statues of Durga and her four offspring, devotees submerge them in rivers or other bodies of water on the ninth day. People from all walks of life gather to celebrate this time of cohesion, cultural pride, and spiritual devotion.

Essay on Durga Puja in English 200 Words

The celebration is widely recognized throughout the country. It commemorates the triumph of good over evil and pays homage to the goddess Durga, who is revered as the personification of strength and force. Durga Pooja is one of the most important festivals in India.

The origins of this celebration can be traced back to the Mahabharata period. It is claimed that the Durga puja event began when Lord Rama worshipped the goddess in order to obtain powers from her to fight Ravana.

The celebrations begin with Mahalaya when followers ask Goddess Durga to visit the earth. The ritual is completed on the ninth day with a Maha Aarti. It represents the conclusion of the major ceremonies and prayers.

People may be seen performing dances and songs in public places as the Durga pandals are artistically decked. Some groups, particularly in Bengal, celebrate the event by adorning a ‘pandal’ in the surrounding areas. Some people even make elaborate arrangements to worship the deity at home.

This holiday is celebrated and enjoyed by all people, regardless of caste or financial standing. To commemorate Durga Pooja, every job site, educational institution, and commercial establishment in West Bengal is closed.

Durga Puja Essay in 500 Words

Durga Puja celebrates the goddess Durga’s victory over the demon tyrant Mahishasura. This is a Hindu religious and cultural event held in the month of Ashwin. West Bengal, Assam, Odisha, Tripura, Manipur, Jharkhand (Hindi) and other East India states are well-known for their Durga Puja celebrations. The goddess arrives on Mahalaya, the first day of Durga Puja.

Celebrations of Durga Puja

In north India, Durga Puja is commemorated with great zeal and splendor. The temples are exquisitely ornamented, and the idols of Goddess Durga are revered with great reverence. On Ashtami, a few individuals in India perform Kumari Puja, in which they worship unmarried young females. Durga in her Chamunda form defeated Mahisasur. Sandhi Puja is the evening devotion of the Chamunda avatar of Durga, who defeated Mahisasur. The pandals are also quite colorful and draw a lot of enthusiasts.

The festivities differ slightly in South India. On the tenth day, designated as Vijaya Dashami, the goddess is said to return to her husband’s abode. With devotion, people organize the immersion celebration of Goddess Durga’s sculptures into the river. Dussehra is another name for Vijayadashami. Huge people congregate on the river’s banks to view this spectacle. On Dussehra, people burn large statues of Ravana and perform fireworks at night to commemorate Lord Rama’s triumph over Ravana.

How Durga Puja is celebrated in West Bengal?

Durga Puja is the most important event in West Bengal. In the cities of West Bengal, people generally decorate pandals and light them up. People there dress up in traditional attire to celebrate.Tourists also flock to this location to take part in the festivities. Durga puja is a major event for the people of West Bengal. For ten days, they do this puja with all of the ceremonies. Schools and businesses also take the day off to revel in and observe Durga puja. People exchange gifts with family and friends. The Hindu faith, as well as different faiths present in Bengal, are represented in the event.

Ceremonies during Durga Puja

The ceremonies held during Durga Puja are extremely sacred. Prayers are offered to Goddess Durga during the puja. This is done to request the goddess’ blessings for harmony and prosperity. Presenting flowers, lighting lamps, Holy thread weaving, wearing holy vermilion on the front of the head, or ‘tikka’, and practicing aarti (light ceremony) of the deity with chants in Sanskrit or Bengali are the principal rites.

Although the rituals vary slightly based on one’s cultural background, they are all performed to attract spiritual energy and the energy of heavenly mother Durga. Guests are also given fruits, sweets, and snacks, which are followed by traditional music sung by relatives with love and devotion. This is a way to express gratitude to God for the blessings bestowed upon us via their benevolence.

Decoration in Durga Puja

Durga Puja has a different subject each year, based on local customs and trends. Goddess Durga may appear as a warrior with ten arms wielding numerous weapons to represent her power. Decoration possibilities include pandals constructed of bamboo and cloth ribbons to reflect nature’s boundless strength, or idols constructed from terracotta or clay to represent inner strength.

Some distinct themes are also used in modern pujas in West Bengal, such as promoting gender equality and regard, anti-pollution messages, current events, and so on. Themed decorations might take the form of vivid banners with a powerful message.

One of the biggest Hindu holidays in West Bengal in addition to the Indian diaspora, Durga Puja, is celebrated, and all individuals should visit a pandal at least once in their lives. Folks engage themselves in the thrill and color of the celebrations, allowing the festivities to wash away all their worries. Many non-residential Bengali cultural enterprises hold Durga Pooja in the United Kingdom, the United States, Australia, France, and other countries. As a result, the festival educates us that good always triumphs over evil and that we should always choose the correct route.

Durga Puja Essay in Hindi

दुर्गा पूजा एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व वर्ष के अक्टूबर-नवम्बर महीने में आयोजित किया जाता है और नवरात्रि के आखिरी दिन को मनाया जाता है। यह पर्व मां दुर्गा की पूजा के रूप में मनाया जाता है, जो शक्ति का प्रतीक मानी जाती है।

दुर्गा पूजा का आयोजन अक्सर आठ दिनों के लिए किया जाता है। इस दौरान लोग मां दुर्गा के पूजन के लिए खास मंदिर और पंडालों की यात्रा करते हैं और वहाँ पूजन करते हैं। पंडालों को विभिन्न रूपों में सजाया जाता है और वहाँ पर मां दुर्गा की मूर्ति को सजा कर पूजा की जाती है।

इस त्योहार के दौरान, लोग विभिन्न प्रकार के भजन, आरती, और पूजा का आयोजन करते हैं। महिलाएँ विशेष रूप से इस पर्व को मनाने में जुटती हैं और सुंदर साड़ियाँ पहनकर तात्कालिक रूप से दुर्गा मां की पूजा करती हैं।

दुर्गा पूजा के दौरान खास खाद्य-विभिन्न विधियों का बनाने का आयोजन किया जाता है, और खासकर नवरात्रि के दिनों में व्रत करने वाले लोग अलग-अलग प्रकार के व्रत भोजन का सेवन करते हैं।

Durga Puja Essay in Bengali

উদযাপনটি সারা দেশে ব্যাপকভাবে স্বীকৃত। এটি মন্দের উপর ভালোর বিজয়কে স্মরণ করে এবং দেবী দুর্গার প্রতি শ্রদ্ধা জানায়, যিনি শক্তি ও শক্তির মূর্তিরূপে সম্মানিত। দুর্গাপূজা ভারতের অন্যতম গুরুত্বপূর্ণ উৎসব।

এই উদযাপনের উত্স মহাভারত যুগ থেকে পাওয়া যায়। এটা দাবি করা হয় যে দুর্গা পূজা অনুষ্ঠান শুরু হয়েছিল যখন ভগবান রাম রাবণের বিরুদ্ধে যুদ্ধ করার জন্য তার কাছ থেকে শক্তি পাওয়ার জন্য দেবীর পূজা করেছিলেন।

মহালয়া দিয়ে উদযাপন শুরু হয় যখন অনুগামীরা দেবী দুর্গাকে পৃথিবীতে দর্শন করতে বলে। নবমীর দিন মহা আরতির মাধ্যমে অনুষ্ঠান সম্পন্ন হয়। এটি প্রধান অনুষ্ঠান এবং প্রার্থনার উপসংহার প্রতিনিধিত্ব করে।

দুর্গা প্যান্ডেলগুলি শৈল্পিকভাবে সজ্জিত হওয়ায় জনসাধারণকে জনসাধারণের জায়গায় নাচ এবং গান করতে দেখা যেতে পারে। কিছু দল, বিশেষ করে বাংলায়, আশেপাশের এলাকায় ‘প্যান্ডেল’ সাজিয়ে অনুষ্ঠানটি উদযাপন করে। কেউ কেউ বাড়িতে দেবতার পূজা করার জন্য বিস্তৃত ব্যবস্থাও করেন।

এই ছুটিটি জাত বা আর্থিক অবস্থান নির্বিশেষে সকল মানুষ উদযাপন করে এবং উপভোগ করে। দুর্গাপূজা উদযাপনের জন্য, পশ্চিমবঙ্গের প্রতিটি চাকরির সাইট, শিক্ষা প্রতিষ্ঠান এবং বাণিজ্যিক প্রতিষ্ঠান বন্ধ রয়েছে।

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How did you spend your Durga Puja essay?

The Ashtami is the most important day of the Puja. I awoke early in the morning and dressed for the Puja at my house. This section contains further sample essays.

What is Durga Puja in short essay?

Durga Pooja is a Hindu festival that commemorates the Mother Goddess and the warrior Goddess Durga's victory over the monster Mahisasura.

Monisa Baral

Hi buds, I am Monisa, a postgraduate in Human Physiology (specialization in Ergonomics and Occupational health) with 1.5 years of experience in the school education sector. With versatile writing skills, I provide educational content to help students find the right path to success in various domains, such as JEE, NEET, CUET, and other entrance exams.

Dr Sarvepalli Radhakrishnan Essay

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Rollick Ice Cream launches new campaign ahead of Durga Puja

The #jomejabe campaign, created by CYLNDR India, spans all channels, including TV, print, digital, social media, and out-of-home advertising.

CYLNDR India, an advertising and video production company, has launched an impactful advertising campaign for Rollick Ice Cream, a brand under Prestige Ice Creams, ahead of the Durga Puja festivities.

The #jomejabe campaign is a large campaign covering all channels including TV, Print, Digital, Social and OOH. The campaign features a TV commercial and two digital films, released in Hindi with localised versions in Bengali for key markets where Rollick Ice Cream has a strong presence.

The campaign also includes print advertisements and out-of-home (OOH) placements, developed through in-house photoshoots and creative efforts by CYLNDR India. The campaign aims to boost brand visibility and consumer engagement by using the festive spirit of Durga Puja.

CYLNDR India handled the conceptualisation, scripting, pre-production, production, post-production, and lifestyle photo shoot for the print campaign.

Amit Paul, head of brand marketing at Rollick Ice Cream, expressed his enthusiasm for the campaign, stating, “The East of India brims with a rich culture, spanning all aspects of life. Rollick is a Born-in-the-East brand that creates new experiences, inspired by the joy of the familiar. This campaign celebrates the excitement of Durga Puja among young foodies who love the taste of their culture. CYLNDR India has been an exceptional partner in bringing our vision to life with creativity and precision. We are confident that this campaign will resonate deeply with our audience and support our efforts to expand our market presence as we relaunch Rollick Ice Cream with a refreshed perspective."

Albin Jaison, the director behind the campaign, added, "Having worked with Rollick in the past on multiple projects, there was a certain ease and comfort. We had a strong understanding of their audience and brand values, which made it a fun experience. Doing a festive theme is always enjoyable. Shooting in Mumbai meant that we had to be spot-on with the locations, production design, and casting to get the aesthetic right. It is a proud moment to be able to execute the entire project in-house at CYLNDR India, from initial concept to final product."

Meera Ghare, business head at CYLNDR India, commented, “We are honoured to have taken on full creative and production responsibilities for this campaign with Rollick, building on our past successful collaborations. At CYLNDR India, we invested our utmost efforts across all aspects of the project—from casting to production—to deliver cutting-edge films that align with the brand’s ethos. We are grateful to Prestige Ice Creams for entrusting us with this opportunity and eagerly anticipate future collaborations that continue to drive innovative and impactful results.”

The #jomejabe campaign will be launched in East India, targeting key markets. It will be amplified across television, digital platforms, print, outdoor media, OTT channels, social media, and retail touchpoints, ensuring broad reach during Durga Puja and beyond.

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Monday, 02 September 2024

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Agenda - The Sunday magazine

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State Editions

Ram temple replica - a double delight for devotees this durga puja.

For ardent Ram Lalla devotees in Ranchi, a Ram Mandir will be unveiled in the City this Durga Puja.

Revellers, along with paying obeisance to Maa Bhavani who will be seated in the sanctum sanctorum of the pandal, will also be able to pay their respect to Lord Ram. A 26- feet high 4D model of Lord Bajrangbali made of fiber placed in the center of the ground will also be an added attraction.

The idol of Goddess Durga will be about 32 feet wide and 19 feet high while that of Lord Shri Ram which will be made of silicon will be about 8 feet high. The pandal is being constructed at a whopping cost of Rs 98 lakh.

The model of the puja pandal is being constructed in the old Vidha Sabha ground by Shri Ram Lalla Puja Committee, Ranchi. More than 200 artisans are engaged in shaping the structure for which work has been ongoing in Kolkata for about two months. The fabrication of the pillars, peak and other designs which has been done in Bengal has been brought to the City.

As an added attraction for the seekers, fair and food stalls will also be set up in the ground premises.

President Ashok Chaudhary said that the length of the pandal will be 170 feet and the width will be 120 feet while the pandal will rise 100 feet high. “Unprecedented lighting is also being ordered from other places in the country, which will make the colourful decoration inside the pandal look even more beautiful. The idol of Ram Lalla which the devotees will see here will be directly or indirectly similar to the idol of Lord Shri Ram installed in Ayodhya.”

General Secretary of the committee Kunal Ajmani said that this time the Puja pandal will be the biggest pandal made in the whole of Jharkhand till date and will also be a center of attraction for the devotees. More and more people will be able to come to the pandal and see the model of Shri Ram temple of Shri Ram Janmabhoomi of Shri Ayodhya Dham continuously from Pratipada throughout Navratri.

On Saturday, the Khunti Pujan (bhumi pujan) for the construction of the puja pandal was performed under the guidance of Acharya Anup Dadhich in the presence of many guests including the committee's chairman Ashok Chaudhary, general secretary Kunal Ajwani, Prakash Dheliya, Raju Poddar, Rohit Agarwal, Nirmal Jalan and other committee members.

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