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नशाखोरी की समस्या पर निबंध | Drug Abuse Essay In Hindi

नमस्कार आज के निबंध , नशाखोरी की समस्या पर निबंध Drug Abuse Essay In Hindi में आपका स्वागत हैं. आज का निबंध भारत में नशे की समस्या पर आसान भाषा में निबंध दिया गया हैं.

युवाओं में नशाखोरी की समस्या और समाज पर इसके प्रभाव पर स्टूडेंट्स के लिए निबंध दिया गया हैं. उम्मीद करते है आपको यह पसंद आएगा.

नशाखोरी की समस्या पर निबंध Drug Abuse Essay In Hindi

नशाखोरी की समस्या पर निबंध | Drug Abuse Essay In Hindi

पिछले कुछ वर्षो से भारत में नशे के लिए ड्रग्स (Drugs) और मादक दवाओं (Narcotic drugs) का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है. एवं इसने एक विकराल समस्या का रूप ले लिया है. एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 70 लाख लोग नशे की लत के शिकार है.

जिनमे लगभग 10 लाख लोग हेरोइन के नशे की चपेट में है. गैर आधिकारिक आंकड़ो के अनुसार यह संख्या 50 लाख तक भी हो सकती है.

स्कूली छात्रों के मध्य किये गये एक सर्वे में पाया गया कि भारत में नौवी क्लाश तक पहुचने वाले छात्रों में 50 प्रतिशत छात्र ऐसे है. जिन्होंने एक बार किसी न किसी नशे का सेवन किया है.

राजस्थान में भी नशे की गम्भीर समस्या है राजस्थान में मुख्य रूप से डोडा पोस्त (Doda Post) ,अफीम (Opium) व अफीम से बने नशीले पदार्थो का सेवन किया जाता है.

राजस्थान परम्परिक रूप से अफीम उत्पादक है. यहाँ कोटा बारां, झालावाड़, चितोड़गढ़ उदयपुर और प्रतापगढ़ जिलों में अफीम की खेती की जाती है.

नारकोटिक्स सेंट्रल ब्यूरो (Narcotics central bureau) द्वारा इन क्षेत्रों में अफीम की खेती करने के लिए लाइसेंस जारी किये जाते है. सरकार की अफीम कृषि निति के अनुसार जितनी भी अफीम की खेती का उत्पादन होता है उसे दवाइयों में उपयोग करने के लिए सरकारी एजेंसियों को सौपा जाता है.

परन्तु सरकारी स्तर पर चार चौकसी की व्यवस्था नही होने के चलते इस निति का पूर्ण क्रियान्वयन नही हो पाता है. तथा किसान अफीम का एक बहुत बड़ा हिस्सा चोरी छिपे ड्रग माफिया को दे दिया जाता है. क्युकि अफीम का अंतर्राष्ट्रीय मूल्य अधिक होने के कारण इससे किसानों को अधिक आर्थिक लाभ होता है.

यह अफीम देश ही नही दुनिया के कई हिस्सों में स्मगल की जाती है. इस अफीम का एक हिस्सा पश्चिमी राजस्थान में पहुच जाता है. जहाँ विवाह, मृत्यु व अन्य सामाजिक अवसरों पर अफीम का उपयोग करने की पुरानी परम्परा है.

वर्तमान समय में यह परम्परा कुरीति का रूप ले चुकी है. पश्चिमी राजस्थान के कुछ जिले विशेषकर बाड़मेर, बीकानेर व जैसलमेर में अफीम Opium  का काफी प्रचलन है.

पश्चिमी राजस्थान अफीम का अंतर्राष्ट्रीय हब बन चूका है. पाकिस्तान व अफगानिस्तान को यहाँ से अफीम की सप्लाई किये जाने का कारोबार भी बड़े स्तर पर फ़ैल चूका है.

नशे के दुष्प्रभाव (Side effects of intoxication/Drug Abuse In Hindi)

नशे का सेवन करने वाले व्यक्ति न केवल व्यक्तिगत रूप से प्रभावित होते है बल्कि इससे उसका पूरा परिवार तथा समाज प्रभावित होता है. ड्रग्स की लत न केवल व्यक्ति को शारीरिक रूप से अपंग बना देती है बल्कि उसकी मानसिक क्षमताओं को भी बुरी तरह प्रभावित करती है.

परिवार के मुखिया या परिवार के किसी सदस्य को ड्रग्स की लत जाने से पूरा परिवार तबाह हो जाता है. तथा इसका असर समाज और देश पर भी पड़ता है.

नशे का गुलाम व्यक्ति तब तक जीता है, अपने आप पर, अपने परिवार तथा देश पर एक बोझ की तरह जीता है. नशे की लत लग जाने पर नशा प्राप्त करने के लिए व्यक्ति चोरी चकारी करता है तथा जरूरत पड़ने पर बड़े अपराधों को भी अंजाम दे देता है.

ड्रग्स माफिया नशे के आदि व्यक्तियों को कैरियर के रूप में काम में लेते है. तथा उनके माध्यम से ड्रग्स की तस्करी करवाते है वे खुद कभी भी कानून की पकड़ में नही आते है जबकि ड्रग्स का आदि व्यक्ति केवल नशे की पूर्ति के लिए सभी अनैतिक कार्य करने के लिए विवश होता है और इसका परिणाम स्वयं व उसका पूरा परिवार भुगतता है

नशे के उपयोग में लाई गई सूइया hiv का कारण बनती है जो अन्तः एड्स का रूप धारण कर लेती है. नशे के प्रभाव में व्यक्ति पागल व सुसुप्तावस्था में आ जाता है व नशे की उतेजना में अपराध तक कर बैठता है. नशे के सेवन से अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है.

भारत में मादक ड्रग्स का उपयोग बढ़ने के कारण (Due to the increase in the use of narcotic drugs in India In Hindi)

एक आंकलन के अनुसार भारत की आधे से ज्यादा संपदा केवल 50 लोगों के हाथो में है. अमीर और अमीर होता जा रहा है तथा गरीब के लिए अपने परिवार को चलाना ही एक चुनौती है.

गरीब लोगों के पास अपने परिवार को मूलभूत सुविधाएं दे पाना मुश्किल हो गया है. गरीब व्यक्ति बड़ी मुश्किल से अपने परिवार को दो समय का भोजन दे पाता है. अच्छी शिक्षा उपलब्ध करवाना तो बहुत दूर की बात है.

ऐसी स्थति में गरीब व्यक्ति तनाव व अवसाद में रहता है जिसके चलते कई बार अपने आपकों तनाव से मुक्त करने के लिए ड्रग्स का सहारा लेता है और धीरे धीरे इसका आदि हो जाता है.

भारत में अधिकाँश युवा ऊँची शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद भी बेरोजगार है. वे शारीरिक श्रम कर या छोटा मोटा व्यवसाय कर पर्याप्त आय अर्जित नही कर पाते है. क्युकि बड़ी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने किसी छोटे व्यवसायी के लिए कोई जगह नही छोडी है.

ऐसी स्थति में युवावर्ग ड्रग्स माफिया का चंगुल में आ जाता है. तथा थोड़े से लाभ के लिए ड्रग्स कैरियर के रूप में काम करने को तैयार हो जाता है और अंतत नशे की लत का शिकार हो जाता है.

यधपि ड्रग्स की रोकथाम के लिए कठोर कानून एन डी पी एस अधिनियम बनाया गया है परन्तु इसकी पूरी तरह से पालना नही हो रही है. सरकार ने ड्रग्स की रोकथाम के लिए अनेकों एजेंसियों जैसे नारकोटिक्स, कंट्रोल ब्यूरो, केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो, कस्टम आयुक्तालय, केन्द्रीय आबकारी आयुक्तालय, राज्य आबकारी विभाग आदि बनाए गये है.

परन्तु इन एजेंसियों एवं विभागों के मध्य सामजस्य का अभाव है. व ड्रग्स व नशे पर पूरी तरह से रोकथाम लगाने में विफल रहे है.

वर्तमान में व्यवसायिक गतिविधिया बढ़ने के साथ साथ ट्रांसपोर्ट के साधन जैसे ट्रक, बस, ट्रेन हवाई जहाज आदि बढ़ गये हीन सारे ट्रांसपोर्ट माध्यमो पर निगरानी नही हो पाती है. ड्रग्स माफिया इसका फायदा उठाते है और आसानी से ड्रग्स की स्मगलिंग करते है. इससे भी नशे में बढ़ोतरी हुई है.

नशे की समस्या का निवारण (Redressal problem Drug Abuse solution In Hindi)

ड्रग्स की समस्या के निवारण के लिए कठोर अफीम निति और इसका पूरा पालन सुनिनिश्चित किये जाने की आवश्यकता है. अफीम की खेती चारदीवारी या पूरी तरह सरकार की निगरानी में की जानी चाहिए.

किसानों को अफीम का उचित मूल्य दिया जावें, जिससे वे आर्थिक लाभ के लिए अफीम को ड्रग्स माफिया को नही बेचे. किसानों को भी जागरूक किया जाना चाहिए और उन्हें नशे के दुष्प्रभाव को बताकर प्रेरित किया जाना चाहिए कि वे अफीम को सरकारी एजेंसियों को ही सौपे .

कुल मिलाकर एक ऐसी व्यवस्था कायम करने की आवश्यकता है जहाँ एक ग्राम भी अफीम ड्रग्स तस्करों के हाथ नही पहुचे.

ड्रग्स की प्रभावी रोकथाम के लिए समाज में ख़ुफ़िया तन्त्र विकसित करने की आवश्यकता है. जो ड्रग्स की जानकारी मिलते ही इसकी सुचना तुरंत सम्बन्धित एजेंसी को दे.

सुचना देने वाले व्यक्तियों को पर्याप्त पुरस्कार एवं सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए ऐसा करके उनका विश्वास जितने की आवश्यकता है.

ड्रग्स की रोकथाम में लगी हुई विभिन्न एजेंसियों के मध्य सामजस्य के लिए एक केन्द्रीय एजेंसी बनाई जानी चाहिए जो सभी एजेंसियों के मध्य सामजस्य के साथ साथ इसकी गतिविधियों पर नियन्त्रण रखे. इन एजेंसियों को सभी साधन उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है. और समय समय पर आवश्यक प्रक्षिक्षण दिया जाना चाहिए.

विभिन्न सरकारी एजेंसियों को उनके कार्यो के प्रति उतरदायी ठहराया जाना चाहिए एवं यदि उनके द्वारा कर्तव्य पालन में चुक की जाती है. तो उचित उदाहरणत्मक कार्यवाही की जानी चाहिय.

ड्रग्स की रोकथाम के लिए भी न्याय व्यवस्था को सुद्रढ़ किये जाने की आवश्यकता है. एन. डी. पी. एस. अधिनियम के प्रावधान अपने आप में पर्याप्त है. परन्तु इसकी पालना सुन्शिचित करवाने के लिए अनुसन्धान एजेंसियों को पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए.

जिससे अनुसन्धान में रही तकनीक त्रुटी के आधार पर दोषी बचने में सफल नही हो पाए. अभियोजन को पूरी साक्ष्य न्यायालय के समक्ष रखकर सजगता से पैरवी करनी चाहिए. और न्यायालय को छोटी छोटी तकनीकी त्रुटियों के आधार पर अभियुक्तगण को बरी नही किया जाना चाहिए.

ऐसी न्याय व्यवस्था कायम की जानी चाहिए जिसका समाज में यह संदेश जावे कि ड्रग्स का कारोबार करने वाला कोई भी व्यक्ति कानून के शिकंजे से नही बचेगा और उसे अवश्य ही सजा मिलेगी.

निति निर्माताओं को देश की अर्थ निति, कृषि निति और शिक्षा निति पर भी नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता है.

अर्थ निति ऐसी होनी चाहिए जिससे गरीब अमीर का अंतर कम हो सके. कर चोरी पर पूरी तरह से रोकथाम लगे. काले धन का संचय नही हो और पब्लिक मनी का उपयोग राष्ट्रहित में किया जावे.

शिक्षा निति में आवश्यक बदलाव कर यह सुनश्चित किया जाना चाहिए कि उसका उद्देश्य केवल उच्च शिक्षा प्राप्त करना न होकर रोजगार हासिल करना हो.

ग्राम स्वराज्य की तर्ज पर युवाओं को व किसानों को गाँव में ही रोजगार उपलब्ध करवाया जावे जिससे उनमे शहरों की पलायन की प्रवृति रुक सके.

ऐसा करने से गरीब किसान व युवावर्ग को नशे से दूर रखा जा सकता है. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को विभिन्न स्थानों पर, कम से कम एक जिला स्तर पर नशामुक्ति केंद्र स्थापित करना चाहिए.

जहाँ विशेज्ञयों द्वारा नशे की लत से शिकार व्यक्तियों को परामर्श उपलब्ध करवाकर नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया जावे और उन्हें आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाई जावे.

इन केन्द्रों पर आधुनिक तकनीक व सुविधाए होनी चाहिए. गरीब लोगों के लिए वे सुविधाएं मुफ्त होनी चाहिए. इन सुविधाओं का पर्याप्त प्रसार प्रसार होना चाहिए जिससे अधिक से अधिक लोगों को नशे के बारे में जानकारी मिल सके.

नशा छोड़ देने वाले व्यक्ति लो निगरानी के लिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे पुन; नशे की दलदल में नही फसे. ऐसे व्यक्तियों को पुनः समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए रोजगार परक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए एवं उन्हें उत्पादक गतिविधियों में शामिल किया जाना चाहिए जिससे फिर से वे नशे का रुख नही करे.

आवश्यकता होने पर ऐसे व्यक्तियों को नये रोजगार के लिए आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करवाई जानी चाहिए. उनके परिवारों को प्रेरित किया जाना चाहिए कि वे पुरानी बातो को भुलाते हुए खुले दिल से नशा छोड़ने वाले व्यक्ति का स्वागत करे और उसे आत्मीय व्यवहार प्रदान करे.

केवल कानून से ड्रग्स की समस्या से निजात नही पाई जा सकती है. इसके लिए जनचेतना और पुरे समाज की सोच में बदलाव लाने की आवश्यकता है. समाज को ड्रग्स के दुष्प्रभावो के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए.

और ऐसा माहौल तैयार किया जाना चाहिए, जहाँ न केवल आम आदमी नशे से दूर रहे बल्कि नशीले पदार्थो की तस्करी की सप्लाई की कोई भी जानकारी मिलते ही इसकी सुचना तुरंत सरकारी एजेंसियों को दे जिससे नशे के कारोबारियों को तुरंत सजा मिल सके.

नशे की रोकथाम के उपाय (Drug prevention measures In Hindi)

विधिक सेवा संस्थाओ का यह सामाजिक एवं विधिक दायित्व है कि वे ड्रग्स की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाए. विधिक सेवा संस्थाओं को सरकारी एजेंसियों विशेज्ञयों के साथ मिलकर ड्रग्स की रोकथाम के लिए ठोस योजना निति बनानी चाहिए.

जिसके तहत आम जन को ड्रग्स की रोकथाम के लिए बने हुए कानूनों तथा समाज पर इसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जावे. विधिक सेवा संस्थाओं के पैनल अधिवक्ता व पैरालीगल वोलेंटीयर्स सरकारी विभागों के साथ मिलकर इस दिशा में प्रभावी कार्य कर सकते है. 

विधिक सेवा संस्थाओं द्वारा स्कुल कोलेजों में भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जा सकते है. निबंध, पोस्टर, पेंटिंग, वाद विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित कर विद्यार्थियों को जागरूक किया जावे.

विद्यार्थी विधिक सेवा व शान्ति दूत के रूप में कार्य करते हुए नशा मुक्ति का संदेश पूरे समाज में पहुचाना चाहिए. विधिक सेवा संस्थाओं द्वारा नशा मुक्ति केन्द्रों का दौरा कर नशा छोड़ने वाले व्यक्तियों को आवश्यक परामर्श दिया जावें.

यदि विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा अपने कर्तव्य की पालना नही की जाती है तो विधिक सेवा संस्थाए सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय में जनहित याचिकाएं दायर की जा सकती है.

नशे की रोकथाम के लिए हम सभी को पुरे मनोयोग से सामूहिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है एकल प्रयासों इस पर पार पाना संभव नही है.

सभी सरकारी एजेंसियों व विधिक सेवा संस्थाओं को मिलकर इस बुराई की रोकथाम के लिए प्रयास करने चाहिए. तभी नशा मुक्ति भारत का सपना साकार हो सकेगा.

नशा मुक्ति De Addiction Meaning Drug Abuse In Hindi

एक व्यक्ति द्वारा ऐसी मादक दवाएं / नशीली दवाएं अथवा नशीली सामग्री का उपयोग करना जिससे शारीरिक/मानसिक/ मनोवैज्ञानिक क्षमताएं प्रभावित होती हो, नशाखोरी / दुर्व्यसन कहलाता हैं.

लोग प्रायः अपने आधुनिक जीवन में तनाव से मुक्ति पाने के लिए गम या हर्ष का प्रदर्शन करने के लिए, अपनी समर्द्धता या स्फूर्ति अनुभव कराने के लिए नशा करते हैं.

सरकारी आकडे के अनुसार देश में 7.3 करोड़ लोग नशे का सेवन करते है तथा 70 प्रतिशत इसके अभ्यस्त हो चुके हैं. नशाखोरी के उदहारण- भांग, गांजा, चरस, शराब/ एल्कोहल, अफीम, हेरोइन, एलएसडी, मार्फीन, कोकीन आदि.

नशाखोरी के प्रकार

उद्दीपक दवाएं अपर्स/पेप पिल्स/स्पीड.

  • मस्तिष्क की क्रियाशीलता बढ़ती है तथा अस्थायी स्फूर्ति आने से व्यक्ति में अतिरिक्त ऊर्जा का संचार हो जाता हैं. जैसे एमफोटेमाईन दवा, कोकेन (कोका के पौधे से प्राप्त क्षारतत्व- एल्केलायड) क्रैक (कोकीन क ही एक ओर रूप) अधिकतर खिलाड़ियों एवं विद्यार्थियों के द्वारा उपयोग
  • कोकीन के अधिक उपयोग से मनोवैज्ञानिक समस्याएं यथा- चिंता, तनाव, भय, अनिद्रा आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं तथा शरीर का वजन कम हो जाता हैं.

अवसादक दवाएं / डाउनर्स

  • मस्तिष्क एवं मांसपेशियों की क्रियाशीलता को कम करती हैं जैसे शराब/ एल्कोहल, मैड्रेक्स, वेलियम, लिब्रियम आदि.
  • गोलियां अधिक उपयोग करने से आलस्य, चिड़चिड़ापन, मानसिक निष्क्रियता आदि हैं.
  • प्रायः अवसादक गोलियों में बार्बीटुरेट रसायन होते हैं. जो नीद की गोलियों में भी पाए जाते हैं.
  • इन दवाओं के अधिक सेवन से या बिना चिकित्सकीय निरिक्षण के इनका उपयोग बंद करने पर खतरे की स्थिति पैदा होती हैं.

विभ्रांति कारक दवाएं/ चेतना प्रसार दवाईयां

  • मानसिक संवेदन को तीव्र करने वाली हमारी चेतना का ढंग/ सुनने/ देखने/ अनुभव का ढंग बदलने वाली दवाईयां
  • इन दवाओं के सेवन से समय, स्थान, पहचान का बोध धीरे धीरे समाप्त हो जाता हैं. व्यक्ति को इसकी कम मात्रा में लगता है जैसे वह अधिक उंचाई पर हैं.

स्वापक दवाएं / अफीमी दवाएं

  • पोस्त के पौधे से बनने वाली दवाइयां जैसे अफीम हेरोइन, मार्फीन, मीथेडीन, पैथीडीन आदि.
  • अफीम पोस्त पौधे से तैयार होती हैं. अफीम का वैज्ञानिक नाम Lachryma Papaveris या पैपेवर सेमेइफेरम हैं. अफीम में
  • 12 प्रतिशत मार्फीन होती हैं. मार्फीन से ही हेरोइन को तैयार किया जाता हैं.
  • हेरोइन महंगी होने के कारण उसके अपरिष्कृत रूप में ब्राउन शुगर एवं स्मैक प्रयुक्त होते हैं.
  • गाँवों में अफीम का उपयोग कब्ज पैदा करने हेतु, सर्दी जुकाम से निजात हेतु, युद्ध के समय मल मूत्र रोकने हेतु एवं यौन शक्ति बढ़ाने हेतु किया जाता था. राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यंत व्यापक रूप से इसका उपयोग होता हैं.
  • राजस्थान में चित्तौड़गढ़ अफीम का सबसे बड़ा उत्पादक जिला हैं.

अन्य नशीले पदार्थ

  • भांग के पौधे से ही भांग गांजा चरस आदि प्राप्त होते हैं जिन्हें खाकर, पीकर, धुम्रपान के रूप में सेवन किया जा सकता हैं.
  • केनबिस सैटिवा के जंगली/ कृषिजात नर / नारी सभ प्रकार के पौधों की पत्तियों से भांग प्राप्त होती हैं.
  • कृषिजात नारी पौधों के फूलदार, फलदार शाखाओं को क्रमश सुखाकर व दबाकर गांजा तैयार करते हैं जो इन्ही पौधों से जो रालदार स्राव निकलता है उससे चरस/ सल्फा प्राप्त करते हैं.
  • चरस गांजे के पेड़ से ही निकला एक प्रकार का गोंद हैं जो मोम की तरह हरें पीले रंग का द्रव्य हैं.

मादक द्रव्यों के दुष्परिणाम

  • मादक पदार्थों से व्यक्ति के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव पड़ता हैं.
  • स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव- मानसिक अक्षमता, संवेगात्मक असंतुलन, अत्यधिक निद्रा
  • विभिन्न दुर्घटनाएं
  • अवैध व्यापार, तस्करी को बढ़ावा, अपराधीकरण, भ्रष्टाचार, अनैतिक आचरण, पारिवारिक पतन
  • आर्थिक संकट

नशाखोरी के तथ्य

  • विश्व में 1968 में अंतर्राष्ट्रीय नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड की स्थापना हुई. यह स्वतंत्र व अर्द्धन्यायिक संस्था है जिसका मुख्यालय वियना आस्ट्रिया हैं.
  • केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो, ग्वालियर (मध्यप्रदेश) की स्थापना नवम्बर 1950
  • विश्व में मादक द्रव्यों के विरोध में अंतर्राष्ट्रीय दिवस- २६ जून

Very nice sir thanku….

Very inspired essay for peoples To abuse drugs

धन्यवाद हर्ष जी

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drug addiction in hindi essay

Essay on Drug Addiction in Hindi Language- मादक पदार्थों की लत निबंध

In this article, we are providing information about Drugs addiction in Hindi. Essay on Drug Addiction in Hindi Language- नशे की बढ़ती प्रवृत्ति,  मादक पदार्थों की लत निबंध Drug Abuse in India Essay.

Essay on Drug Addiction in Hindi Language- मादक पदार्थों की लत निबंध

आज़ादी के लगभग 30 वर्षों तक हमारे देश में नशाखोरी को समृद्धि का प्रतीक नहीं माना जाता था और पीने वाले लोग  चोरी-छिपे या बड़े लोगों की निगाह से बचकर नशे का सेवन करते थे। आज तो इसका प्रचलन स्टेटस सिंबल बन गया है। शादी-विवाहों में ही नहीं घर की छोटी-छोटी बैठकों, जन्म-दिवस जैसी खुशी की घड़ियों में यदि शराब न परोसी गई तो सारे आयोजन  का मजा ही किरकिरा माना जाता है। नशा चाहे शराब का हो अथवा भांग, गांजा या चरस का, उसके समर्थकों की कमी  नहीं रही। फिर भी बुरी लत तो बुरी होती है। वह हमारे मन मस्तिष्क, स्वास्थ्य तथा आर्थिक स्थिति को चौपट करके रख देती है। दीवानगी इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि घर-बार बर्बाद हो जाते हैं।

गांधीजी वे शराबियों की दशा से भली-भाँति अवगत थे तथा इस देश की गरीबी भी उनसे छिपी नहीं थी जिसकी वजह से उन्होंने नशा उन्मूलन को कांग्रेस के कार्यक्रमों में शामिल किया था। आज राजनेताओं में भी शराब की लत बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही है। सरेआम कानून की धज्जियाँ उड़ाई जाती है। सत्ता पाने के लोभ में स्वयं नशे के विरोधी बनकर अंदर से शराब और मांस परोसकर सत्ता के नंबरदार बनना चाहते हैं। कानून के संरक्षकों की नाक के नीचे स्मैक, अफीम तथा कोकीन जैसे निषिद्ध मादक द्रव्य तथा युवकों को चौपट करनेवाली दवाइयों की बिक्री होती है। सरकार खुली शराब बेचने के लाइसेंस दे रही है। शराब की दुकानें बढ़ा रही है और खुद लाभ के लोभ में शराब की दुकानें खोल रही है। विदेशों में मदिरापान, पानी पीने के समान माना जाता है। भारत के यूवा पश्चिम की इस बुराई का अंधानुसरण करने लगा है। किंतु सरकारी ढील, बेरोजगारी और प्रशासनिक तंत्र का शिथिल और लापरवाह होना नशे की बढ़ती प्रवृत्ति के लिए जिम्मेदार है।

नशाखोरों को, चाहे वह कोई भी नशा करते हों उनको महिमामंडित करने के बजाय, उनका सामाजिक तिरस्कार किया जाना चाहिए। नशे की गैर-कानूनी बिक्री रोकने तथा बेचनेवालों को पकड़वाने के लिए जन जागरण लाया जाए। जगह-जगह नशाखोरी के खिलाफ प्रदर्शन तथा नशे की दुकानों के आगे प्रदर्शन किए जाएँ, तभी नशाखोरी की प्रवत्ति कम की जा सकती है और यदि व्यापक प्रयास किए जाएँ तो नशाखोरी का उन्मूलन भी किया जा सकता है। उन्मूलन के लिए जनता को अपनी जिम्मेदारी स्वयं निभानी होगी। नशाखोरी की बढ़ती हुई प्रवृत्ति को रोकने के लिए सामने आना होगा। इसी में देश व समाज का हित है।

#Drug Addiction Essay in Hindi

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drug addiction in hindi essay

नशे की दुष्प्रवृत्ति पर निबंध | Essay on Drug Abuse in Hindi

by Meenu Saini | Aug 18, 2023 | General | 0 comments

Nashe Ki Dushpravrtti Par Nibandh Hindi Essay 

नशे की दुष्प्रवृत्ति  (drug abuse) par nibandh hindi mein.

नशे की दुष्प्रवृत्ति या नशीली दवाओं का दुरुपयोग दुनिया में मौत के सबसे बड़े कारणों में से एक है। धूम्रपान, नशीली दवाओं और शराब के अत्यधिक सेवन से भी लगभग हर साल 350,000 लोग मर जाते हैं। अब समय आ गया है कि हम नशीली दवाओं के दुरुपयोग की गंभीरता को समझें और जितना संभव हो सके इससे दूर रहें, लेकिन हमारे देश में जागरूकता की कमी है। इसी वजह से यह जहर हमारे समाज और देश से हट नहीं रहा है। इसलिए आज हम नशे की दुष्प्रवृत्ति पर निबंध में नशे की दुष्प्रवृत्ति की परिभाषा, नशे की दुष्प्रवृत्ति और नशे की लत में अंतर, कारण, लक्षण, समाज और बच्चों पर प्रभाव एवं इससे कैसे बचा जा सकता पर चर्चा करेंगे। 

नशे की दुष्प्रवृत्ति की परिभाषा

नशे की दुष्प्रवृत्ति और नशे की लत में अंतर, नशे की दुष्प्रवृत्ति के कारण, नशे की दुष्प्रवृत्ति के लक्षण.

  • नशे की दुष्प्रवृत्ति का समाज और बच्चों पर प्रभाव

नशे की दुष्प्रवृत्ति से बचने के उपाय

नई पीढ़ी के लिए नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक बहुत अच्छी तरह से पहचानी जाने वाली समस्या है, लेकिन फिर भी, इससे छुटकारा पाने के लिए आवश्यक प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। नशीली दवाओं का सेवन भारी और अनिर्णायक हो सकता है, लेकिन उस विनाशकारी लत पर काबू पाने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत होती है। प्रत्येक वर्ष 11.8 मिलियन मौतें नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण होती हैं। 

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नशीली दवाओं का दुरुपयोग विशेष रूप से किसी व्यक्ति के मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है। यह मस्तिष्क में बदलाव का कारण बनता है जिससे व्यक्ति के लिए आत्म-नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है और नशीली दवायें लेने की इच्छा को टालने की उनकी शक्ति में बाधा आती है। 

मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में परिवर्तन असहनीय होते हैं और यही कारण है कि यह एक बार ठीक होने के बाद अक्सर दोबारा हो जाता है। यहां तक कि जो लोग ठीक हो जाते हैं, उनके ठीक होने के वर्षों बाद भी फिर से नशीली दवाओं की ओर लौटने का जोखिम अधिक होता है।

नशे की दुष्प्रवृत्ति तब होती है जब आप वैध या अवैध पदार्थों का उपयोग उस तरीके से करते हैं जैसा आपको नहीं करना चाहिए। आप गोलियों की नियमित खुराक से अधिक ले सकते हैं या किसी और के नुस्खे का उपयोग कर सकते हैं। आप अच्छा महसूस करने, तनाव कम करने या वास्तविकता से बचने के लिए दवाओं का दुरुपयोग कर सकते हैं।  लेकिन आमतौर पर, आप अपनी अस्वास्थ्यकर आदतों को बदल सकते हैं या इसका उपयोग पूरी तरह से बंद कर सकते हैं।

नशे की लत तब होती है जब आप रुक नहीं सकते। तब नहीं जब यह आपके स्वास्थ्य को खतरे में डालता हो। तब नहीं जब यह आपके या आपके प्रियजनों के लिए वित्तीय, भावनात्मक और अन्य समस्याओं का कारण बनता है।  नशीली दवाओं को प्राप्त करने और उपयोग करने की इच्छा दिन के हर मिनट में हो सकती है, भले ही आप इसे छोड़ना चाहें। 

अलग-अलग लोग अलग-अलग कारणों से खुद को नुकसान पहुंचाने वाली इस आदत का शिकार होते हैं। नशीली दवाओं की लत के कुछ प्रमुख कारण नीचे साझा किए गए हैं:

ख़ालीपन का एहसास

खालीपन का एहसास सबसे बुरा एहसास हो सकता है और इसे संभालना अक्सर मुश्किल होता है। इन भावनाओं से छुटकारा पाने के लिए कई लोग नशे का रास्ता अपनाते हैं।  उन्हें लगता है कि दवाएं उनकी कमी को पूरा करने में मदद करेंगी।

काम का दबाव

कई छात्र पढ़ाई संबंधी तनाव से उबरने के लिए नशीली दवाओं का सेवन करने लगते हैं। इसी तरह इन दिनों कॉरपोरेट दफ्तरों में भी इतना दबाव है कि लोग इसका सामना नहीं कर पा रहे हैं। काम के दौरान होने वाले तनाव और चिंता से निपटने के लिए वे अक्सर नशीली दवाओं की ओर रुख करते हैं।

परिवार/रिश्ते की समस्याएँ

बहुत से लोग पारिवारिक मुद्दों या रिश्ते की समस्याओं के कारण होने वाले तनाव को दूर करने के लिए नशीली दवाओं का सेवन करना शुरू कर देते हैं और अंततः इसके आदी हो जाते हैं।

किशोर अक्सर सिर्फ प्रयोग के लिए नशीली दवाओं का सेवन करते हैं और इससे पहले कि उन्हें इसका एहसास हो, वे इसके आदी हो जाते हैं। किशोरों में इनकी लत लगने की संभावना अधिक होती है।

प्रिस्क्रिप्शन पर उपलब्ध होना 

डॉक्टरों द्वारा लिखी गई अधिकांश दवाएं सड़क पर मिलने वाली दवाओं की तरह ही लत लगाने वाली होती हैं। कई लोग इन्हें सुरक्षित समझने की भूल करते हैं और इनके बार-बार इस्तेमाल से लत लग जाती है।

प्रतियोगिता का दबाव

स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थल पर बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण दबाव बढ़ जाता है जिसे संभालना अक्सर मुश्किल होता है। इस दबाव से निपटने के लिए कई लोग नशीली दवाओं का सहारा लेते हैं।

नशे की दुष्प्रवृत्ति के निम्नलिखित लक्षण हैं; 

  • अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करने में विफल होना
  • घरेलू दुर्व्यवहार 
  • काम या स्कूल से अनुपस्थिति
  • उच्च रक्तचाप
  • पहले की तुलना में दवा की अधिक खुराक की आवश्यकता। 
  • सुई उपयोगकर्ताओं के बीच बताए गए इंजेक्शन के निशान। जो लोग दवा को सूंघते हैं या सूंघते हैं उनकी नाक की म्यूकोसल परत क्षतिग्रस्त हो सकती है। 
  • स्वच्छता की कमी।
  • गंभीर कुपोषण और विटामिन की कमी।
  • त्वचा संक्रमण।

नशे की दुष्प्रवृत्ति से समाज और बच्चो पर प्रभाव

अमेरिका की लगभग 10% आबादी दवाओं और शराब का दुरुपयोग कर रही है, जिसमें बड़े परिवार, साथी, पड़ोसी, मालिक और सहयोगी सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं।  नशीली दवाओं और शराब से संबंधित खर्चों से हर साल लगभग 600 बिलियन डॉलर की आय का नुकसान होता है।

बच्चों पर प्रभाव: अध्ययनों से पता चलता है कि हर पांच में से एक बच्चा ऐसे माता-पिता के साथ बड़ा होता है जो दवाओं या शराब का दुरुपयोग करते हैं। यदि कोई माता-पिता नशे के सेवन की समस्या से जूझ रहा है, तो उस समस्या का प्रभाव निस्संदेह बच्चे की घटनाओं पर पड़ेगा।  यह एकल-अभिभावक परिवारों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जहां बच्चों के पास जाने के लिए कोई अन्य व्यक्ति नहीं होता है।

जब किसी माता-पिता को नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या होती है, तो वे नशीली दवाओं को खोजने और उसका उपयोग करने में अत्यधिक व्यस्त हो सकते हैं, जिससे वह अपने दायित्वों से मुंह मोड़ लेते है। इसलिए, वे अपने बच्चों की समस्याओं का समाधान नहीं करेंगे।

यदि आपके घर का कोई सदस्य नशीली दवाओं का सेवन कर रहा है तो आपके बच्चे में मादक द्रव्यों के सेवन की समस्या विकसित होने की अधिक संभावना है। इसलिए बच्चों पर नशीली दवाओं की लत के नकारात्मक परिणामों से बचने के लिए देखभाल की आवश्यकता है।

यहां, यह ध्यान रखना जरूरी है कि नशीली दवाओं का दुरुपयोग सिर्फ एक बीमारी है, और किसी को नशे की लत वाले लोगों के साथ मरीजों की तरह व्यवहार करना चाहिए, न कि आलोचनात्मक नजर से।

अगर समय पर देखभाल मिले तो नशे की लत से ग्रस्त व्यक्ति एक अच्छा नागरिक बन सकता है। 

परिवार पर प्रभाव : नशीली दवाओं के आदी लोगों के निकटतम लोग ही सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।  इसमें माता-पिता, भाई-बहन, चचेरे भाई-बहन, पति-पत्नी और बच्चे शामिल हैं। जिन परिवारों में एक व्यक्ति नशीली दवाओं या शराब का आदी है, उनमें उच्च स्तर की आलोचना और नकारात्मकता, माता-पिता की असंगति, या माता-पिता के मार्गदर्शन की कमी शामिल है। गलत तरीके से किया गया गुस्सा भी परिवारों पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग का एक आम दुष्प्रभाव है, जिसमें गैर-आदी परिवार के सदस्य स्थिति से निपटने की कोशिश में गुस्सा कर सकते हैं।

लत से प्रभावित परिवारों में एक और आम विषय सह-निर्भर रिश्ते हैं। “सह निर्भर” शब्द का उपयोग उन रिश्तों का वर्णन करने के लिए किया जाता है जहां कोई व्यक्ति जरूरतमंद होता है या किसी और पर निर्भर होता है। सह-निर्भर रिश्तों का वर्णन करने का एक और तरीका यह है कि जब एक साथी को दूसरे साथी की ज़रूरत होती है, जिसे बदले में भी ज़रूरत होती है। सह-निर्भरता किसी भी प्रकार के रिश्ते में हो सकती है। अक्सर, इस प्रकार के रिश्ते जिनमें लत शामिल होती है, केवल व्यक्ति को नशीली दवाओं या शराब का सेवन करने की आदत को बढ़ावा देने का काम करते हैं।

इसके अलावा, नशीली दवाओं के आदी लोगों के बच्चे अक्सर अपने माता-पिता की ज़िम्मेदारी उठाते हैं। इन स्थितियों में बच्चों को अक्सर आश्रय और स्वास्थ्य देखभाल जैसी आवश्यकताओं की कमी होती है। 

राष्ट्रीय औसत की गणना करते समय, एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 38.9% बच्चों के माता-पिता नशीली दवाओं या शराब के दुरुपयोग से जूझ रहे थे, जिन्हें उनके घरों से निकाल दिया गया था और घर से बाहर देखभाल में रखा गया था।  इससे मानसिक और व्यवहार संबंधी विकारों का बढ़ता जोखिम, दुर्व्यवहार, उपेक्षा और बड़े होने पर नशीली दवाओं के सेवन विकार विकसित होने का जोखिम शामिल होता है। 

कार्यालयों में प्रभाव: नशीली दवाओं या शराब के आदी लोगों के सहकर्मियों को उत्पादकता में कमी को ठीक करने के लिए अतिरिक्त जिम्मेदारियाँ उठानी पड़ती है। वे उन व्यक्तियों के काम को “कवर-अप” करने के लिए लंबे समय तक काम करते हैं। इसके अतिरिक्त, जो लोग मादक द्रव्यों के सेवन में संलग्न होते हैं, विशेष रूप से काम पर उनके  उत्पादकता में कमी सीधे नियोक्ताओं और उनकी कंपनियों को प्रभावित करती है, और यदि नशीली दवाओं का उपयोग अन्य सहकर्मियों में भी फैलता है, तो यह विनाशकारी हो सकता है। 

नशे की दुष्प्रवृत्ति से निम्नलिखित तरीकों से बचा जा सकता है; 

घनिष्ठ पारिवारिक संबंध विकसित करें : शोध से पता चलता है कि जो लोग अपने परिवारों के साथ घनिष्ठ संबंध साझा करते हैं, उनके नशीली दवाओं के आदी होने की संभावना कम होती है। परिवार द्वारा प्रदान किया गया मार्गदर्शन और समर्थन व्यक्ति के लिए जीवन के दबावों से निपटना और सभी प्रकार के हानिकारक पदार्थों से दूर रहना आसान बनाता है। जिम्मेदार और भरोसेमंद अच्छे दोस्तों के साथ घनिष्ठ संबंध रखना भी फायदेमंद हो सकता है। 

भावनात्मक लड़ाइयों को लड़े: कई लोग नकारात्मक भावनाओं को सुन्न करने के लिए नशीली दवाओं और शराब का दुरुपयोग करते हैं।  इस कारण से नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए, भावनात्मक लड़ाइयों को लड़ना महत्वपूर्ण है।  

हर कोई अपने जीवन में विभिन्न बिंदुओं पर उदास, अकेला, अलग-थलग, शर्मिंदा, अयोग्य और अन्य नकारात्मक भावनाएं महसूस करता है। इन भावनाओं को महसूस करने में कुछ भी गलत नहीं है। 

इन भावनाओं से निपटने का सबसे अच्छा तरीका यह सीखना है कि उन्हें ठीक से कैसे खत्म किया जाए, जिसमें किसी से बात करना, जर्नल में लिखना, व्यायाम करना, ध्यान करना और बहुत कुछ शामिल हो सकता है। 

इन विचारों और भावनाओं से निपटने का सही तरीका जानने के माध्यम से, कोई व्यक्ति दवाओं के माध्यम से उन्हें सुन्न करने के लिए प्रलोभित नहीं होगा।

परहेज़ : नशीली दवाओं के दुरुपयोग या लत को रोकने के लिए संयम सबसे अच्छा तरीका है।  कुछ दवाएं अत्यधिक लत लगाने वाली होती हैं; कई लोगों में पहली बार उपयोग के तुरंत बाद लत विकसित हो जाती है। कुछ लोगों के लिए नशीली दवाओं को कभी न छूना आसान होता है। हालाँकि, दूसरों के लिए, यह अविश्वसनीय रूप से कठिन हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो साथियों के दबाव का अनुभव कर रहे हैं या जो लंबे समय से शारीरिक या भावनात्मक दर्द में हैं। 

इन मामलों में, नशीली दवाओं के उपयोग से पूरी तरह से परहेज करने के लिए बहुत अधिक कौशल और इच्छाशक्ति की आवश्यकता हो सकती है, जिनमें से अधिकांश इस पृष्ठ पर कुछ अन्य सुझावों का पालन करके प्राप्त किया जा सकता है।

एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जिएं: संतुलित आहार खाना और नियमित व्यायाम करना नशीली दवाओं और शराब की लत को रोकने का एक और तरीका है।  स्वस्थ और सक्रिय रहने से लोगों के लिए जीवन के तनावों से निपटना आसान हो जाता है। इससे तनाव से निपटने के लिए दवाओं और शराब पर निर्भर रहने के प्रलोभन को कम करता है। स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम मस्तिष्क में अच्छे रसायनों को बढ़ावा देते हैं।

अपने लिए समय निकालें: आधुनिक जीवन तनाव से भरा है, जिससे किसी व्यक्ति में नशीली दवाओं का सेवन करने या नशीली दवाओं की लत विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है। मोबाइल डिवाइस पर काम से संबंधित ईमेल या फोन कॉल प्राप्त करना आसान होने के कारण, कई लोगों को कार्यालय में काम छोड़ना मुश्किल लगता है। इसमें पारिवारिक दायित्वों, सामाजिक गतिविधियों और काम पर आने-जाने का दबाव भी जुड़ जाता है। 

इसके कारण कई लोगों को दीर्घकालिक तनाव की स्थिति से जूझना पड़ता है और उनके पास अपना ख्याल रखने और आराम करने का समय नहीं होता है। दीर्घकालिक तनाव कई शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है, जिससे राहत के लिए व्यक्ति नशीली दवाओं और शराब की ओर रुख कर सकता है।  

लोग आराम करने, ध्यान का अभ्यास करने और अपना ख्याल रखने के लिए समय निकालकर इनमें से कुछ ट्रिगर्स को रोक सकते हैं। इसमें सप्ताह में कुछ घंटे जर्नलिंग, पढ़ने, सॉना, नींद पूरी करने या यहां तक कि सप्ताह में एक दिन के लिए सेल फोन बंद करने के लिए अलग रखना शामिल हो सकता है।

नशे की दुष्प्रवृत्ति या नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक बढ़ती हुई समस्या है, विशेषकर युवाओं में। ऐसे कई कारण हैं जो इस समस्या को जन्म देते हैं और इसका प्रभाव बेहद हानिकारक होता है। इन दवाओं के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए दवाओं के नकारात्मक परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाना आवश्यक है। 

इस समस्या से ग्रस्त लोगों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग की नारकीय दुनिया से बाहर आने के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए और अपने करीबी लोगों से मदद लेनी चाहिए।

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दा इंडियन वायर

दवाई का दुरूपयोग पर निबंध

drug addiction in hindi essay

By विकास सिंह

essay on drug abuse in hindi

नशीली दवाओं के दुरुपयोग का मतलब एक समय में दवाओं का अत्यधिक सेवन होता है। नशीली दवाओं के बार-बार उपयोग से नशे की लत विकसित होती है जिसमें हानिकारक परिणाम होते हैं। यह एक ऐसी समस्या है जो मस्तिष्क की संरचना और कार्यप्रणाली को सीधे प्रभावित करती है जिससे इसे गंभीर नुकसान पहुंचता है।

नशीली दवाओं का दुरुपयोग, जुनूनी और दवाओं के अत्यधिक उपयोग के लिए एक शब्द है, जो इन दिनों एक आम समस्या है। दवाओं का नियमित उपयोग स्वयं हानिकारक है। यह लत की ओर जाता है और व्यवहार में परिवर्तन का कारण बनता है। नशीली दवाओं का दुरुपयोग विशेष रूप से मस्तिष्क को प्रभावित करता है और अन्य स्वास्थ्य मुद्दों जैसे कि गुर्दे की विफलता और हृदय की समस्या को भी जन्म दे सकता है।

दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, essay on drug abuse in hindi (200 शब्द)

नशीली दवाओं का दुरुपयोग दवाओं का बार-बार और अत्यधिक उपयोग है। यह एक व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है जिससे मस्तिष्क को एक बड़ी क्षति होती है। नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक व्यक्ति की आत्म-नियंत्रण करने की शक्ति को बाधित करता है और ड्रग्स लेने के आग्रह का विरोध करने की उनकी क्षमता में हस्तक्षेप करता है।

ड्रग्स को शुरू में पसंद से बाहर ले जाया जाता है, हालांकि, जितना जल्दी आपको एहसास होता है, उनका विरोध करना कठिन हो जाता है। इस समस्या से उबरना मुश्किल है और यहां तक ​​कि जो लोग इसे फिर से विकसित करने का एक उच्च जोखिम खड़ा करते हैं।

निम्न के कारण होने वाले तनाव पर अंकुश लगाने के लिए लोग आमतौर पर नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं:

  • पारिवारिक मामले
  • काम पर दबाव
  • स्कूलों और कॉलेजों में बढ़ती प्रतियोगिता
  • रिश्ते की समस्याएं
  • वित्तीय समस्याएं
  • खालीपन का एहसास
  • इसके अलावा, यह एक आनुवांशिक समस्या भी हो सकती है। जो भी कारण हो, यह समझना आवश्यक है कि नशीली दवाओं का दुरुपयोग केवल समस्याओं को हल करने के बजाय उन्हें बढ़ाता है। इस प्रकार इससे दूर रहना ही बुद्धिमानी है। जो लोग पहले ही इस समस्या के शिकार हो चुके हैं, वे इससे उबरने के लिए विशेषज्ञ मार्गदर्शन ले सकते हैं। उचित दवा, प्रियजनों का समर्थन और दृढ़ इच्छा शक्ति नशाखोरी की अंधेरी दुनिया से बाहर ले जा सकती है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के लिए उपचार लंबी अवधि में बढ़ाया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि समस्या से छुटकारा न मिले।

दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, essay on drug abuse in hindi (300 शब्द)

नशीली दवाओं के दुरुपयोग का तात्पर्य दवाओं के अत्यधिक उपयोग से है। यह एक व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जिससे मुख्य रूप से मस्तिष्क को नुकसान होता है। ड्रग्स को शुरू में अलग-अलग कारणों से पसंद के कारण लिया जाता है। हालांकि, धीरे-धीरे उनका विरोध करना मुश्किल हो जाता है। अलग-अलग कारण हैं कि लोग दवाओं का रास्ता क्यों अपनाते हैं। यहाँ इन पर एक नज़र है और इस समस्या पर अंकुश लगाने के तरीके भी हैं।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण:

पारिवारिक / संबंध समस्याएँ कई लोगों के परिवार में समस्याएं हैं। उनके लिए, नशीली दवाओं का दुरुपयोग उन समस्याओं के कारण होने वाले तनाव से एक आसान लगता है। युवा, विशेष रूप से मादक पदार्थों के सेवन से अपने संबंधों की समस्याओं से निपटने की कोशिश करते हैं।

काम का दबाव स्कूल और कॉलेज स्तर पर या कार्य स्थल पर प्रतिस्पर्धा और दवा दुरुपयोग का एक और प्रमुख कारण है।

जीन अक्सर यह देखा जाता है कि एक व्यक्ति के जीन भी उसके / उसके मुड़ने वाले व्यसनी की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। समस्या आमतौर पर, परिवार में नहीं चलती है।

अकेलापन अकेलेपन या खालीपन की भावना भी एक व्यक्ति को दवाओं की ओर मुड़ने के लिए मजबूर कर सकती है।

दवा के दुरुपयोग समाधान:

नशीली दवाओं के दुरुपयोग के विभिन्न चरणों से पीड़ित लोगों को विभिन्न प्रकार की दवाएं दी जाती हैं। यहाँ इन पर एक नज़र है:

उपचार में रहना दवाओं की अनुपस्थिति के अनुकूल होने के लिए रोगी के मस्तिष्क को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता होती है। यह उपचार रोगियों को दवाओं के लिए उनकी लालसा को नियंत्रित करने में मदद करता है।

वापसी उपचार जो लोग दवाओं का उपयोग करना बंद कर देते हैं वे तनाव, चिंता, मनोदशा में बदलाव आदि जैसे लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं। इन लक्षणों को दूर करने के लिए उन्हें दवाएँ दी जाती हैं।

पलायन को रोकें कई कारक हैं जो एक रिलैप्स को ट्रिगर कर सकते हैं। इन ट्रिगर को नियंत्रित करने के लिए दवाएं विकसित की जा रही हैं।

निष्कर्ष:

इन दिनों ड्रग एब्यूज एक आम समस्या है। हालांकि प्रतिरोध करने में मुश्किल है, दवाओं का उपयोग उचित दवा और मार्गदर्शन के साथ नियंत्रित किया जा सकता है।

दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, essay on drug abuse in hindi (400 शब्द)

नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक पुरानी बीमारी है। जो लोग नशीली दवाओं का दुरुपयोग करते हैं, वे उनके हानिकारक परिणामों के बारे में पूरी तरह से जागरूक होने के बावजूद उनका विरोध करने में असमर्थ हैं। दवाओं का नियमित सेवन मस्तिष्क को प्रतिकूल रूप से नुकसान पहुंचा सकता है और विभिन्न अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दे सकता है।

दवाओं के भारी सेवन के कारण होने वाले मस्तिष्क परिवर्तन लगातार हो सकते हैं। इस प्रकार नशीली दवाओं की लत एक समस्या के रूप में जानी जाती है। यहाँ नशीली दवाओं के दुरुपयोग के विभिन्न कारणों पर एक नज़र है और इस समस्या को दूर करने के तरीके भी हैं:

नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारक:

नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारक मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किए गए हैं। यहाँ इनमें से प्रत्येक पर एक नज़र है:

पर्यावरणीय कारक किसी व्यक्ति के वातावरण में विभिन्न कारक शामिल होते हैं जैसे कि उसकी सामाजिक स्थिति, परिवार, दोस्त, पेशेवर जीवन, आदि। परिवार में समस्याएं, बुरी कंपनी, काम पर प्रतिस्पर्धा और उचित मार्गदर्शन और माता-पिता या शिक्षकों से समर्थन की कमी के कारण अक्सर नशीली दवाओं का सेवन हो सकता है।

जैविक कारक नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक आनुवंशिक समस्या भी हो सकती है। एक बच्चा नशीली दवाओं के दुरुपयोग के शिकार होने की एक उच्च संभावना रखता है यदि उसके माता-पिता में से कोई भी उसी के प्रभाव में रहा हो। कुछ मानसिक विकार भी व्यक्ति को दवाओं की ओर मोड़ सकते हैं।

आयु कारक हालांकि नशा किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है, लेकिन जो लोग कम उम्र में ड्रग्स लेना शुरू करते हैं, उन्हें नशे की लत लगने की संभावना अधिक होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके मस्तिष्क में वे क्षेत्र जो आत्म-नियंत्रण, निर्णय और निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार हैं, वे अभी भी अपने विकास के चरण में हैं। यही कारण है कि किशोरों में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की संभावना अधिक होती है।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग का इलाज करने के तरीके

हालांकि मुश्किल है, नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या को ठीक करने के तरीके हैं। यहां कैसे:

विशेषज्ञ मार्गदर्शन इस समस्या को दूर करने के लिए डॉक्टर से मिलने और उचित दवा लेने का सुझाव दिया जाता है। जो लोग इस गंभीर समस्या से पीड़ित हैं, उनमें से अधिकांश को इसे नियंत्रित करने के लिए पुनर्वास केंद्र में शामिल होने की सिफारिश की जाती है।

सही खाएं और व्यायाम करें नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण होने वाली क्षति को शारीरिक और मानसिक रूप से ठीक होने के लिए फिर से भरना चाहिए और यह केवल एक स्वस्थ आहार के द्वारा किया जा सकता है। खाड़ी में तनाव बनाए रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करने का भी सुझाव दिया जाता है।

नशीली दवाओं का दुरुपयोग, मुख्य रूप से किसी के जीवन में भावनात्मक उथल-पुथल को दूर करने के प्रयास के कारण होता है, यह स्वयं हानिकारक हो सकता है। इसे एक व्यक्ति की जीवनशैली को खतरा हो जाता है और उसका स्वास्थ भी इससे खराब हो जाता है।

दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, essay on drug abuse in hindi (500 शब्द)

नशीली दवाओं का दुरुपयोग दवाओं के अत्यधिक, बाध्यकारी और दोहराया उपयोग है। यह एक पुरानी बीमारी है जो मरम्मत से परे एक व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है। प्रारंभ में, एक व्यक्ति पसंद से ड्रग्स लेता है। हालाँकि, कुछ समय बाद उनका विरोध करना उनके लिए लगभग असंभव हो जाता है। नशीली दवाओं की लत को नियंत्रित करना मुश्किल है और अक्सर इसे एक बीमारी के रूप में संदर्भित किया जाता है। यह मुख्य रूप से मस्तिष्क को प्रभावित करता है।

यह समस्या क्यों होती है?

अलग-अलग लोगों को अलग-अलग कारणों से ड्रग्स की लत लग जाती है। यहाँ कुछ मुख्य कारणों पर एक नज़र डाली गई है जो इस समस्या का कारण बनते हैं:

अकेलापन अकेलेपन की भावना को दूर करने के लिए कई लोग ड्रग्स लेते हैं। कई बार, लोगों को लगता है कि उनके पास अपने सुख और दुख साझा करने के लिए कोई नहीं है और वे अंततः इस भावना से छुटकारा पाने के लिए ड्रग्स लेते हैं।

प्रतियोगिता स्कूलों, कॉलेजों और काम पर बढ़ती प्रतिस्पर्धा से दबाव पैदा होता है जिसे संभालना अक्सर मुश्किल होता है। इस दबाव को संभालने के लिए कई लोग दवाओं का सहारा लेते हैं।

रिश्ते की समस्याएं यह नशीली दवाओं के दुरुपयोग का एक सामान्य कारण भी है। असफल रिश्तों के कारण होने वाली भावनात्मक उथल-पुथल को दूर करने के लिए युवा अक्सर ड्रग्स लेते हैं।

प्रयोग बहुत से लोग, ज्यादातर किशोर सिर्फ यह जानने के लिए उत्सुक होते हैं कि ड्रग्स का स्वाद और साथ ही उनके आफ्टर इफेक्ट्स कैसे होते हैं। बहुत कम लोगों को पता है कि इस प्रयोग से पहले से ही लत लग सकती है।

जीन नशीली दवाओं का दुरुपयोग अक्सर वंशानुगत होता है। यदि माता-पिता में से कोई भी नशे का आदी है, तो बच्चे को समस्या होने का खतरा अधिक होता है।

इस समस्या पर अंकुश कैसे लगाया जाए?

हालांकि नशीली दवाओं के दुरुपयोग की अंधेरी दुनिया से बाहर निकलना मुश्किल है और इस समस्या से छुटकारा पाने की बहुत अधिक संभावना है, कुछ चीजें हैं जो इस समस्या से छुटकारा पाने की कोशिश कर रहे लोगों की मदद कर सकती हैं। इन पर नीचे विस्तार से चर्चा की गई है:

विशेषज्ञ परामर्श यह एक डॉक्टर से परामर्श करने या बेहतर अभी भी एक पुनर्वास केंद्र में शामिल होने का सुझाव दिया जाता है ताकि नशीली दवाओं के दुरुपयोग से छुटकारा मिल सके। इस समस्या का शिकार होना जितना आसान है, उससे बाहर आना भी उतना ही मुश्किल। पुनर्वास केंद्रों पर कदम दर कदम दृष्टिकोण इस मुद्दे पर अंकुश लगाने का एक प्रभावी तरीका है।

स्वस्थ खाओ दवाओं के भारी सेवन से आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बिगड़ता है। खोए हुए पोषक तत्वों को फिर से भरने के लिए, एक स्वस्थ आहार का सुझाव दिया जाता है।

व्यायाम शारीरिक गतिविधियाँ जैसे जॉगिंग, डांसिंग, स्विमिंग, योगा आदि, एंडोर्फिन के विकास को बढ़ावा देते हैं, जिन्हें हैप्पी हार्मोन भी कहा जाता है। नशीली दवाओं की लत से छुटकारा पाने के लिए इस तरह की गतिविधियों में लिप्त होने का सुझाव दिया जाता है क्योंकि दवा की खुराक कम करने से तनाव का स्तर बढ़ सकता है।

ड्रग एब्यूज़ एक गंभीर समस्या है। इन दिनों युवाओं में विशेष रूप से आम है, यह उन लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है जो नशे के साथ-साथ उनसे जुड़े हैं। मुद्दे की संवेदनशीलता को पहचानना होगा और किसी भी स्थिति में इस अभ्यास को शुरू नहीं करना चाहिए। याद रखें, अकेलेपन, भय, चिंता और दिल टूटने जैसी समस्याओं से निपटने के बेहतर तरीके हैं।

दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, 600 शब्द:

नशीली दवाओं का दुरुपयोग, दवाओं का अनिवार्य और अत्यधिक उपयोग, विशेष रूप से किसी व्यक्ति के मस्तिष्क को प्रभावित करता है। यह मस्तिष्क में परिवर्तन का कारण बनता है जो किसी व्यक्ति के लिए आत्म-नियंत्रण का अभ्यास करना और ड्रग्स लेने की इच्छा को रोकने के लिए उनकी शक्ति में हस्तक्षेप करना मुश्किल बनाता है।

मस्तिष्क के कामकाज में परिवर्तन अक्षम्य हैं और यही कारण है कि यह अक्सर रिलेप्स होता है। यहां तक ​​कि जो लोग ठीक हो जाते हैं, वे पुनर्प्राप्ति के वर्षों के बाद भी दवाओं की वापसी का एक उच्च जोखिम रखते हैं। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि उपचार पर्याप्त प्रभावी नहीं है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उपचार बंद नहीं किया गया है। यह एक सतत प्रक्रिया है, हालांकि डॉक्टर मरीजों से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर समय-समय पर दवा बदलते रहते हैं।

क्या है ड्रग्स की लत?

अलग-अलग लोग अलग-अलग कारणों से इस आत्म-हानिकारक आदत के शिकार होते हैं। मादक पदार्थों की लत के कुछ प्रमुख कारण नीचे दिए गए हैं:

खालीपन का अहसास खालीपन का एहसास सबसे बुरा एहसास हो सकता है और अक्सर संभालना मुश्किल होता है। इन भावनाओं से छुटकारा पाने के लिए, बहुत से लोग दवाओं का रास्ता अपनाते हैं। उन्हें लगता है कि ड्रग्स उन्हें शून्य को भरने में मदद करेंगे।

काम का दबाव कई छात्र अध्ययन से संबंधित तनाव को दूर करने के लिए ड्रग्स लेना शुरू कर देते हैं। इसी तरह, कॉरपोरेट कार्यालयों में इन दिनों इतना दबाव है कि लोग इसका सामना नहीं कर पा रहे हैं। काम पर होने वाले तनाव और चिंता से निपटने के लिए वे अक्सर दवाओं की ओर रुख करते हैं।

परिवार / रिश्ते की समस्या कई लोग पारिवारिक मुद्दों या रिश्ते की समस्याओं के कारण होने वाले तनाव को दूर करने के लिए ड्रग्स लेना शुरू कर देते हैं और अंततः उसी के आदी हो जाते हैं।

प्रयोग किशोर अक्सर केवल प्रयोग करने के लिए दवाओं की कोशिश करते हैं और उन्हें महसूस होने से पहले ही आदी हो जाते हैं। किशोरों को उनकी लत लगने की संभावना अधिक होती है।

जेनेटिक ड्रग की लत आनुवांशिक भी हो सकती है। अक्सर देखा गया है कि यह समस्या परिवारों में चलती है। इसलिए, अगर उनके माता-पिता ड्रग्स का सेवन करते हैं, तो बच्चों को इसकी लत लगने का खतरा अधिक होता है।

पर्चे पर उपलब्ध दवाएं डॉक्टरों द्वारा निर्धारित अधिकांश दवाएं सड़क दवाओं के समान ही नशे की लत हैं। बहुत से लोग उन्हें सुरक्षित मानते हैं और इनका बार-बार उपयोग करने से व्यसन होता है।

नशीली दवाओं की लत पर काबू पाने के उपाय:

नशा पर काबू पाना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, यह असंभव नहीं है। दवा, विशेषज्ञ मार्गदर्शन और परिवार और दोस्तों के समर्थन की मदद से, कोई भी इस समस्या को दूर कर सकता है। मादक द्रव्यों के सेवन को दूर करने में आपकी सहायता के लिए नीचे चर्चा की गई है।

डॉक्टर से सलाह लें मादक पदार्थों की लत से छुटकारा पाने के लिए एक मजबूत इच्छा शक्ति की तुलना में बहुत अधिक है। यदि आपने ड्रग्स की अंधेरी दुनिया से बाहर निकलने का संकल्प लिया है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श करने का सुझाव दिया गया है।

व्यायाम दवा की खुराक कम करने से तनाव का स्तर बढ़ सकता है। आप शारीरिक गतिविधियों जैसे जॉगिंग, साइकलिंग, तैराकी, नृत्य और योग को दूसरों के बीच में शामिल करके इसे काफी हद तक दूर कर सकते हैं।

स्वस्थ खाओ दवाओं के नियमित सेवन से आपका शारीरिक स्वास्थ्य ख़राब होता है। इस प्रकार भोजन करने की सलाह दी जाती है जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं।

लोगों से बात करें अपनी भावनाओं को खुद पर रखने के बजाय, उन्हें बाहर निकालने का सुझाव दिया जाता है। अपने मुद्दों के बारे में अपने परिवार और दोस्तों से बात करें। यह ड्रग्स पर भरोसा करने के बजाय तनाव को दूर करने का एक अच्छा तरीका है।

नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक बढ़ती हुई समस्या है, खासकर युवाओं में। ऐसे कई कारण हैं जो इस समस्या का कारण बनते हैं और इसका जो प्रभाव पड़ता है वह बेहद हानिकारक है। उनके उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए दवाओं के नकारात्मक नतीजों के बारे में जागरूकता फैलाना आवश्यक है। इस समस्या की चपेट में आने वाले लोगों को एक डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और नशीली दवाओं के दुरुपयोग की नारकीय दुनिया से बाहर आने के लिए उन लोगों से मदद लेनी चाहिए।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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दवाई का दुरूपयोग हेल्थ सेंटर

दवाई का दुरूपयोग - drug abuse in hindi, dr. ayush pandey mbbs,pg diploma july 15, 2017, february 01, 2024.

दवाई का दुरूपयोग

जब कोई व्यक्ति किसी दवा पर शारीरिक या मनोवैज्ञानिक रूप से इस कदर निर्भर हो जाए है कि वह शख्स बार-बार नियमित रूप से उस दवा का सेवन करने के लिए मजबूर हो जाए तो ऐसी स्थिति को ही ड्रग एब्यूज या दवाइयों का दुरुपयोग कहते हैं। दवाइयों का अत्यधिक इस्तेमाल या दुरुपयोग एक ऐसी विनाशकारी समस्या है जिसका सामना एक बहुत बड़ी संख्या में दुनियाभर के किशोर बच्चे और वयस्क कर रहे हैं। यह देखने में आया है कि ज्यादातर नशीली दवाइयां या वैसी दवाइयां जिनकी व्यक्ति को लत लग जाती है वे मस्तिष्क को हद से ज्यादा उत्तेजित कर देती हैं ताकि मस्तिष्क कुछ ऐसे न्यूरोट्रांसमिटर्स का उत्पादन करे जो व्यक्ति को ऐसे उत्साह या परम सुख का आनंद देता है जिस वजह से उस व्यक्ति में बार-बार वही दवा लेने की तीव्र इच्छा पैदा होती है।

शुरुआत में आप किसी दवा का सेवन करने का विकल्प इसलिए चुनते हैं क्योंकि वह दवा आपको जो महसूस करवाती है वह अनुभव आपको अच्छा लगता है। आप सोचते हैं कि आप इस दवा का उपयोग कितना और कितनी बार करेंगे इसे नियंत्रित कर सकते हैं। लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे, ये दवाइयां आपके मस्तिष्क के काम करने के तरीके को ही बदल देती हैं। इससे जुड़े शारीरिक परिवर्तन लंबे समय तक जारी रह सकते हैं। दवाइयों पर निर्भरता की वजह से आप खुद पर से अपना नियंत्रण खोने लगते हैं और कई बार तो हानिकारक व्यवहार करने के लिए भी प्रेरित हो जाते हैं।

दुनिया भर में करीब 190 मिलियन से अधिक ड्रग उपयोगकर्ता हैं और यह समस्या खतरनाक दरों पर बढ़ रही है, विशेष रूप से 30 वर्ष से कम आयु के वयस्कों में। शरीर में नशीली दवाओं के दुरुपयोग से जो दीर्घकालिक नुकसान होता है उसके अलावा, नशीले पदार्थों का उपयोग करने वाले वे लोग जो सुईयों का इस्तेमाल करते हैं उन्हें एचआईवी और हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी संक्रमण होने का भी जोखिम अधिक होता है।

लत बनाम दुरुपयोग दवाइयों का दुरुपयोग तब होता है जब आप कानूनी या अवैध पदार्थों का उपयोग इस तरह से करते हैं जैसे आपको नहीं करना चाहिए। आप गोलियों की नियमित खुराक से अधिक गोलियां खाने लगते हैं या किसी फिर किसी और की प्रिस्क्रिप्शन वाली दवाइयों का उपयोग करने लगते हैं। आप अच्छा महसूस करने, तनाव कम करने या वास्तविकता से बचने के लिए दवाओं का दुरुपयोग करने लगते हैं। लेकिन आमतौर पर, आप अपनी इन हानिकारक आदतों को बदलने में सक्षम होते हैं या पूरी तरह से इनका इस्तेमाल करना बंद भी कर सकते हैं।

अडिक्शन या लत तब होती है जब आप रुक नहीं सकते। तब भी नहीं जब यह आपके स्वास्थ्य को खतरे में डालता है। तब भी नहीं नहीं जब यह आपके या आपके प्रियजनों के लिए वित्तीय, भावनात्मक और अन्य समस्याओं का कारण बनता है। ड्रग्स प्राप्त करने और उपयोग करने की तीव्र इच्छा दिन के हर मिनट में होने लगती है भले ही आप इसे छोड़ना क्यों न चाहें।

दवाई का दुरूपयोग के लक्षण - Drug Abuse Symptoms in Hindi

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दवाइयों का अत्यधिक इस्तेमाल या दुरुपयोग भारत में भी एक प्रमुख समस्या है और कोई व्यक्ति किसी सामाजिक आर्थिक वर्ग से आता है इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। ज्यादातर मौकों पर तो युवाओं को पता भी नहीं चलता और वे किसी निश्चित प्रिस्क्रिप्शन वाली दवाइयों, बिना प्रिस्क्रिप्शन वाली दवाइयों या अवैध पदार्थों की तरफ आकर्षित हो जाते हैं। दवाइयों के दुरुपयोग के लक्षणों और संकेतों को 3 कैटिगरी में बांटा जा सकता है- शारीरिक, व्यवहारिक और जैविक। शारीरिक लक्षण

  • बहुत ज्यादा सोना या बिलकुल नींद न आना
  • आंखों का एकदम लाल हो जाना
  • आंखों की पुतलियों का संकीर्ण या संकुचित होना
  • शरीर के वजन में अचानक बदलाव होना
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व्यवहारिक लक्षण: दवाइयों के दुरुपयोग के कारण व्यक्ति की आदतों और व्यवहार में कुछ निश्चित बदलाव हो सकता है। निम्नलिखित लक्षणों को पहचान कर आप उन्हें और ज्यादा बिगड़ने से रोक सकते हैं:

  • सामाजिक संपर्कों में बदलाव होना
  • आक्रामक व्यवहार
  • चिड़चिड़ेपन का बढ़ना
  • हर वक्त अकेले रहने की आदत
  • सामाजिक समारोह, भीड़भाड़ या परिवारवालों से कन्नी काटना

जैविक लक्षण: दवाइयों का दुरुपयोग आपके अंगों पर भी नकारात्मक असर डालता है। ड्रग एब्यूज के कारण निम्नलिखित जटिलताएं हो सकती हैं:

  • लिवर सिरोसिस
  • एचआईवी इंफेक्शन
  • मुंह की सेहत से जुड़ी समस्याएं

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नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ड्रग एब्यूज के मुताबिक, दुरुपयोग की जाने वाली दवाइयों में शामिल हैं- ऐनाबॉलिक या उपचय वाले स्टेरॉयड्स, ओटीसी (ओवर द काउंटर) दवाइयां, हेरोइन, मेथैमफेटामिन और कई और दवाइयां। दवाइयों के दुरुपयोग शुरू करने का कारण भावनात्मक या इमोशनल भी हो सकता है और सामाजिक भी। ये निम्नलिखित कारक हैं जो किसी व्यक्ति द्वारा दवाइयों के दुरुपयोग का कारण बनती हैं:

  • ऐसे लोगों की संगति में रहना जो आपको दवाइयों का दुरुपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करें
  • परिवार के किसी सदस्य या भाई-बहन को अगर पहले से ही ड्रग्स की लत हो
  • कम उम्र में ही हानि पहुंचाने वाले पदार्थों के संपर्क में आना
  • अकेलापन और अवसाद
  • माता-पिता की देखरेख और निरीक्षण की कमी या परिवार से जुड़ी मुश्किल परिस्थितियां

व्यक्ति के लक्षणों को देखकर ही कुछ निश्चित पदार्थों की लत को प्राथमिक रूप से डायग्नोज किया जा सकता है। व्यक्ति की संपूर्ण जांच करने के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जाते हैं:

  • फिजिशियन द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देना
  • यूरिन टेस्ट  

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दवाइयों का दुरुपयोग चिकित्सा के योग्य स्थिति है और इसका पूरी तरह से इलाज किया जा सकता है। सही तरीके से तैयार किए गए पुनरुद्धार प्रोग्राम के जरिए मरीज की बेहतर तरीके से मदद की जा सकती है। दवाइयों के दुरुपयोग के इलाज से जुड़े 2 स्तंभ हैं- सलाह और चिकित्सा या दवा। मरीज को दवाइयां देकर इलाज किए जाने के साथ ही साइकायट्रिस्ट या साइकोलॉजिस्ट द्वारा काउंसलिंग की जाए तो मरीज की स्थिति में बेहतर तरीके से सुधार हो सकता है। दवाइयों के दुरुपयोग के इलाज में मुख्य रूप से निम्नलिखित दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है:

  • एंटीडिप्रेसेंट
  • एंटीसाइकोटिक्स
  • शराब के लिए एंटीडोट या विषहरण
  • ओपियोइड के दुरुपयोग के मामले में एंटी-ओपियोइड

इसके अलावा जीवनशैली से जुड़े कुछ बदलाव जैसे- नियमित रूप से योग और मेडिटेशन करने से दिमाग को शांति मिलती है और मरीज की रिकवरी का रास्ता आसान हो जाता है। हालांकि दवाइयों के दुरुपयोग की समस्या से बाहर आने यानी रिकवरी का रास्ता बेहद लंबा है, बावजूद इसके सामान्य और स्वस्थ जीवन को फिर से हासिल करना पूरी तरह से संभव है।

डॉक्टर के साथ नियमित रूप से फॉलोअप करना और इलाज के शेड्यूल का सख्ती से पालन किया जाए तो मरीज की पूरी तरह से रिकवरी हो सकती है। दुरुपयोग की इस समस्या में फंसने वाले मरीजों की यह आदत पूरी तरह से छूट जाए इसके लिए परिवार और दोस्तों का सपोर्ट भी बेहद जरूरी होता है।

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ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) - उपचार, लक्षण, और कारण

ड्रग एब्यूज (drug abuse) क्या है.

किसी व्यक्ति द्वारा आदत के रूप में अडिक्टिवे सब्स्टेन्सेस (addictive substances) का लगातार उपयोग, उपयोग के एक विशिष्ट पैटर्न (specific pattern) के बाद ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) कहा जाता है। लंबे समय तक, रेपेटिटिव (repetitive) और कमपलसिव (compulsive) उपयोग उपयोगकर्ता को पदार्थ (substances) के एब्यूज (Abuse) के प्रभावों के प्रति सहनशील बना सकता है। इस तरह के पदार्थों (substances) का उपयोग एब्यूजर (abuser) की प्रणाली में शामिल हो जाता है, और विशिष्ट लक्षणों (specific symptoms) के एक सेट (set) में वापसी परिणाम (withdrawal results) , एक को एक रिलैप्स (relapse)के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उपयोग और निकासी (withdrawal) के इस दुष्चक्र (vicious cycle) में ड्रग एडिक्शन ( drug addiction ) नामक एक कंडीशन (condition) होती है।

जबकि व्यापक धारणा (widespread notion) यह है कि ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) और परिणामी एडिक्शन (resultant addiction) एक बिहेवियरल डिसऑर्डर (behavioral disorder) है, यह वास्तव में एक गलतफहमी है। ड्रग यूज़ (Drug use) के प्रभाव अधिक व्यापक (pervasive) हैं। दवाओं का निरंतर उपयोग मस्तिष्क कोशिकाओं (brain cells) के तंत्रिका कार्य (neural functioning) को बदल देता है। मस्तिष्क पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग के प्रभाव के रूप में देखी जाने वाली तंत्रों (mechanisms) में से 'प्राकृतिक रासायनिक दूतों की नकल (imitation of natural chemical messengers)' और 'रिवॉर्ड सर्किट ओवर-स्टिमुलेशन (reward circuit over-stimulation)' है, जिससे पदार्थ (substance) मस्तिष्क विकार (brain disorder) का दुरुपयोग कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों की चिकित्सा प्रगति के साथ, ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) की पिछली कमी को केवल एक बिहेवियरल डिफ्लेक्शन (behavioral deflection) के बजाय, मस्तिष्क विकार (brain disorder) की तरह निदान और इलाज किया गया है। ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) की पहचान और इसी तरह के इलाज के प्राथमिक कदमों में से एक मजबूत समझ है कि उपचार किसी की इच्छाशक्ति से परे है। ज्यादातर मामलों में, उपचार चिकित्सा सहायता और परामर्श का एक उचित संयोजन है। यह विभिन्न मामलों के लिए परिवर्तनीय (variable) हो सकता है।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के कारण।

किशोरों (teenagers) और युवा वयस्कों (young adults) के बीच ड्रग (Drugs) का उपयोग करना एक आम प्रथा है। लेकिन वह चरण जहां व्यक्ति इस तरह के पदार्थों से रोक नहीं सकता है, ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) की ओर जाता है। सबसे प्रमुख कारण हैं:

  • जेनेटिक्स (Genetics): यह देखा गया है कि कई ड्रग एब्यूजर (Drug Abuser) और एडिक्ट्स (addicts) का परिवार का इतिहास एक ही जैसा होता है। हालांकि ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) और जेनेटिक्स (Genetics) के बीच कोई सीधा संबंध स्थापित नहीं किया गया है, लेकिन यह अनुमान लगाया जा सकता है कि ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) करने वाले परिवार के सदस्यों के लिए उच्च पूर्वाग्रह (predisposition) है।
  • सह-परिस्थितियों की स्थिति (Co-occurring conditions): मानसिक बीमारी (Mental illness), गहन तनाव (profound stress), मौखिक (verbal), शारीरिक (physical) या सेक्सुअल एब्यूज (sexual abuse) ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के शीर्ष कारणों में से हैं। इस तरह के बीमारियों / दुर्व्यवहार के पीड़ितों को निराशा से बाहर निकलने के लिए एक चैनल (channel) की आवश्यकता होती है या वे जिस चिंता का सामना करते हैं उससे राहत दें। इस प्रकार, वे एक विकृति (disorder) के रूप में ड्रग्स (drugs) की ओर मुड़ते हैं।
  • एनवायर्नमेंटल कॉसेस (Environmental causes): एनवायर्नमेंटल कॉस (Environmental cause) मुख्य रूप से सहकर्मी दबाव या धमकाने शामिल होते हैं। ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) करने वाले किशोर (Adolescents) अज्ञानी माता-पिता (ignorant parents) के ध्यान के लिए झुकाव कर सकते हैं।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के लक्षण क्या हैं?

फिजियोलॉजिकल इंडिकेशन (Physiological indications): एक व्यक्ति की एब्यूज हैबिट (abuse habit) मजबूत होने के कारण, वे अपनी ड्रग डोसेज (drug dosage) बढ़ाते हैं, क्योंकि उन्हें छोटी मात्रा में उच्च सहनशीलता का सामना करना पड़ता है। यह स्पष्ट फिजिकल सिम्पटम्स (physical symptoms) देने, अधिक मात्रा में सक्षम बनाता है। इनमें ब्लूडशॉट (bloodshot) या चमकदार आंखें, प्यूपिल कॉन्सट्रिक्शन (pupil constriction) या फैलाव, असामान्य या उनप्रीसीडेटेड वेट अल्ट्रेशंस (unprecedented weight alterations), ड्रग एंट्रेंस (drug entrance) की साइट (site) पर घाव या चोट , से पीड़ित हैं। इनके अलावा, ऑर्गन फेलियर (organ failure) भी देखी जा सकती है। बिहेवियरल चेंजेस (Behavioral changes): व्यवहार में अचानक परिवर्तन, परिवार और दोस्तों की ओर, देखा जा सकता है। पीड़ित नेगेटिव बिहेवियरल मॉडिफिकेशन्स (negative behavioral modifications) दिखाता है खासकर जब उनकी सामान्य ड्रग (usual drug) का उपयोग करने में असमर्थ होता है। किसी की प्राथमिकताओं (priorities) में बदलाव, पूर्व प्रतिबंधित गतिविधियों (previously restricted activities) की ओर अवरोध (inhibitions) को कम करना संकेत हैं।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) का उपचार।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के शिकारों के लिए कई उपचार योजनाओं का पालन किया जा सकता है। आम तौर पर, कार्यवाही का कोर्स (course) केस-स्पेसिफिक फैक्टर्स (case-specific factors) जैसे कि शामिल पदार्थों (substances involved), एब्यूज (Abuse) की फ्रीक्वेंसी (frequency), प्रोग्राम (program) में प्रवेश के समय रोगी की स्थिति आदि के आधार पर तय किया जाता है। उपचार के सबसे महत्वपूर्ण पहलू कंसिस्टेंसी (consistency) और इंटेंसिटी (intensity) हैं। आम तौर पर, उपचार का कोर्स (course) मेडिकल असिस्टेंस (medical assistance) और काउन्सलिंग (counseling) या अन्य बिहेवियरल थेरेपीज (behavioral therapies) का संयोजन है। रोगी की प्रगति की जांच करने और आवश्यकतानुसार संशोधित करने के लिए उपचार की लगातार समीक्षा की जानी चाहिए। किसी भी पूर्व सामना या वर्तमान में सामना करने वाली मानसिक बीमारी के लिए उपचार शामिल होना चाहिए। रोगी ट्रीटमेंट कोर्स (treatment course) के दौरान विशेष रूप से कमजोर है। प्रत्येक दवा के कैरेक्टरिस्टिक विथड्रावल (characteristic withdrawal) के लक्षणों के कारण, एक रिलैप्स (relapse) की संभावना बहुत अधिक है। इसलिए, रोगी की नज़दीकी और सावधानीपूर्वक निगरानी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) से बचने के लिए रोकथाम।

रोकथाम की दिशा में पहला कदम ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के कई पहलुओं के बारे में उचित जागरूकता शामिल है। यह पहले एस्टैब्लिशड (established) किया गया है कि ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) और बाद में सबसीक़ुएन्ट एडिक्शन (subsequent addiction) अनिवार्य रूप से एक ब्रेन डिसऑर्डर (brain disorder) है। यह यंग अबुज़रस (young abusers), ज्यादातर टीनएजर्स (teenagers) और एडोलैसैंट्स (adolescents) को अधिक जोखिम पर रखता है। सबसे प्रभावी रोकथाम रणनीति ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के प्रभाव और परिणामों के बारे में इन्फोर्मटिवे डिसकशंस (informative discussions) हैं। ज्यादातर बच्चों के लिए, यह आकर्षण को खत्म कर देगा, और इसलिए लेइज़र (leisure) के लिए एब्यूज (abuse) की संभावना है। शुरुआती उम्र में ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) को रोकना सबसे फायदेमंद होगा। अत्यधिक तनावपूर्ण स्थितियां (Excessively stressful conditions) वयस्कों (adults) में ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) का कारण बन सकती हैं, जिन्हें शुभचिंतक से रेपेटिटिवे गाइडेंस (repetitive guidance) और मेन्टल सपोर्ट (mental support) से बचा जा सकता है।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के विथड्रावल (Withdrawal) के लक्षण।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) की वापसी के सामान्य लक्षण बेचैनी, मांसपेशियों की ऐंठन और पूर्ण शरीर में दर्द, थकान, प्रोफीयूज़ लैक्रिमशन (profuse lacrimation), चिंता, इंसोम्निया (insomnia), नाक बहने आदि हैं। इनके अलावा, प्रत्येक ड्रग (drug) में इसके स्पष्ट विथड्रावल (Withdrawal) के लक्षण होते हैं। यहाँ कुछ है:

  • हीरोइन (Heroine): पिछले खुराक के 12 घंटों के भीतर लक्षण 24-48 घंटों के बीच बढ़ने लगते हैं। विथड्रावल (Withdrawal) और सामान्य फ्लू के लक्षण समान हैं।
  • कोकीन (Cocaine): डिप्रेशन (Depression) और रेस्टलेससनेस्स (restlessness) आमतौर पर लक्षणों में देखा जाता है। पिछली खुराक के कुछ घंटों के भीतर विथड्रावल (Withdrawal) शुरू होती है, कुछ दिनों के भीतर पीक (peaks) पर होती है, और एब्यूज (abuse) की इंटेंसिटी (intensity) के आधार पर, कुछ महीनों तक, 7-10 दिनों तक लगातार रह सकती है।
  • प्रिस्क्रिप्शन ओपिएट्स (Prescription Opiates): विथड्रावल (Withdrawal) आमतौर पर 5-10 दिनों के लिए फैलता है, 8-12 घंटे के भीतर शुरू होता है और पीक (peak) 12-48 घंटों में देखा जाता है।
  • Eiseman S, Wingard JA, Huba GJ. Drug abuse: Foundation for a psychosocial approach. Routledge; 2019 Apr 15. [Cited 26 July 2019]. Available from: https://books.google.co.in/books?hl=en&lr=&id=pp6RDwAAQBAJ
  • Drug Abuse- Medline Plus, Health Topics, NIH, U.S. National Library of Medicine [Internet]. medlineplus.gov 2019 [Cited 26 July 2019]. Available from: https://medlineplus.gov/drugabuse.html
  • Seeking Drug Abuse Treatment: Know What To Ask- NIH, National Institute on Drug Abuse [Internet]. drugabuse.gov 2013 [Cited 26 July 2019]. Available from: https://www.drugabuse.gov/publications/seeking-drug-abuse-treatment-know-what-to-ask/introduction

Also low capacity of bladder. That's problem occurs at urge when I free at home .even no out gone. Just evening playing volleyball for 1 hrs. I drink alcohol once a month. Evem 3 a month. cigrate one or two per day for 5 month with break 20 days .10 days even last time continue is 4 month with breaks now from last 2 month even not drink and cigrate. I have problem before this symptoms seem release drop in daily life.

I suffered alcoholism and mental depression and i was on mood stabilizers and antidepressants for a long time below are the medications prescribed to me but they are stopped now dicorate er 500 mg nexito 10 mg acamprol 333 mg oleanz 2.5 mg i am facing erection problems. please let me know if it is temporary or needs treatment., mai husband ko disulfiram 250 mg deti hu wo drink krte hai uske dene ke pina band kar dete hai .fir pine lagte ye dea kb tk diya. jata hai isko dene ke bad unhe hafi aayi hai kamjori mahsus hoti kay iski dene se koi preshani hoti hai countinue de to. mai bina kisi doctor ke salah se de rahi. hu .kyo ki bta kr dwa nahi de sakte hai. wo drink puri tarah se nahi chhod rahe jab tk dea deti hu tabhi tk nahi nahi pite unhe pta chal jata hai. please suggest me. log bolte jayda dun dwa dene nukshan krta hai., my husband is an alcoholic for the last so many years. i gave him dizone in the morning n qutan 25 at night. but about a month back, he had a seizure. now the neuro physician has given levepsy, librium. anxilor-2.but these medicines are making him more aggressive n violent. should i give him levepsy, qutan n dizone then., dear doctors thanks for always being helpful. i want to quit alcohol because i have kind of asthma or we can shortness of breathing issue. every evening i drink and in the morning time i have to take medicine like montas-l to normal my breathing. i heard about dexona tablets which helps to quit alcohol. kindly advise if i can use this tablet., what should you know about liver disorders, chronic pancreatitis - everything you should be knowing, preconception counselling - know its importance, avn hip - its causes, diagnosis and treatment, laparoscopy & hysteroscopy - diagnosing unknown infertility & pelvic pain, संबंधित लैब टेस्ट, book appointment with:.

drug addiction in hindi essay

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नशीली दवाओं के प्रकार, नुकसान, लक्षण और उपचार.

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बदलती हुई सामाजिक मान्यताएं, कुछ नया करने की चाहत, तरह-तरह के तनाव आदि तमाम ऐेसे कारण हैं, जिनकी वजह से समाज में नशे का प्रचलन तेजी से बढ़...

Drug addiction

Atyant upyogi jankari di hai, abhar. Pratul Singh, Gangoh, UP

drug addiction in hindi essay

इस विस्तृत जानकारी के लिए धन्यवाद !

मैंने नशीली दवाओ के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावो के बारे मे पढा सच मानिये मुझे रोना आ गया। मै एक हिन्दी प्राधयापक हूं ओर समय समय पर बच्चो को नशे के दुरुपयोग पर बातचीत करता रहता हू। पर अब मै आज के बाद बच्चो के साथ साथ समाज मे भी नशे के सेवन के दुरुपयोग की बातचीत किया करूगा। मै राजिंदर फाजिलका पंजाब 9914410514

ji mera naam raj kumar mai bahoot paresan main hu mai brawn sugar 2 mahine se use kar raha hu mai chodna cahata hu lakin nahi hota kuch upaye bataiye guru

Bhai apne upar cantrol ho bs

Tum apna no. No do

I am 35 years old man and doing govt. Job . I have stared consuming Ganja and Bhang 6 months back . Now am worried of adiction . I tried to give it up but i could live without it only for few days . I need it once in a day . I spoiled my life in this matured age . Shame on me .

Concentrate on ur mind.

Kitna log indea main nasha krta h

mujhe lgta h k mere pti koi drugs use kr rhe h or unki ankhen laal hot I h jb vo. ghar aate h or subah or sham ka unka pkka routine h k bahr Jana hi h chahe kuch bhi ho Jaye

Medam oh gaja pite h darks lene se aak laal nai hota gaja pine se aak laal hota h app unne pyeaar se samjao ladai jgra mat krna ladai jagra krne se oh or nasha krege pyeaar se samjao samj jaygye

Mene b nasha chod dia bhut relax deel krta hu abbb

bahut hi anmol jankari diya hai apne.bahut bahut dhanywad.

Aur vistrut jankari kaha milegi

Main 1 saal se heroin drug le raha hu abb main chodna chata hu koi uppaye btaiye

पुलिसवालो और समाज दोनों के सहयोग से समाज में से ड्गस का अंत कर सकते हैं

पुलिसवालो और समाज दोनों के सहयोग से समाज में से ड्गस का नामोनिसान मिटा सकते है।

Addiction ki itni bariki se imformation dene ke liye Thankyou

Addiction ki itni imfomation dene me liye thankyou

अपनी टिप्पणी लिखें...koi dawa bataye jise patient ko bechani na ho or nind aa jaye

me LLM ka student hu muje or jankari chahiye plz hellp me .is ke bareme govt kaya karti hey or iska koi asar in dargs mafiya par hota hey ya nahi?

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Drug Abuse Essay In Hindi

नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – Drug Abuse Essay In Hindi

नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – essay on drug abuse in hindi, मादक द्रव्य : मौत का द्वार – substance: the gate of death.

  • प्रस्तावना,
  • मादक द्रव्यों के प्रकार और प्रभाव,
  • मादक द्रव्यों के सेवन के दुष्परिणाम,
  • मादक द्रव्यों के सेवन की बढ़ती प्रवृत्ति,
  • मादक द्रव्यों से छुटकारे के उपाय,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – Nashe Ke Dush Pravrtti Nibandh

प्रस्तावना– वैदिक ऋषियों ने राजा सोम (रस) की प्रशंसा में मंत्र रचे और आगे के उपासकों ने अपने–अपने इष्टदेव या इष्टदेवी के साथ कोई–न–कोई मादक द्रव्य जोड़कर उसके सेवन का धार्मिक और सामाजिक अनुमति–पत्र प्र भोले बाबा के उपासकों ने भाँग, महाकाली के अर्चकों ने मदिरा और इन्द्रियसंयम तथा निर्विघ्न–ध्यान समाधि के साधकों ने चरस, गाँजा, तम्बाकू आदि के सेवन की छूट या सामाजिक स्वीकृति प्राप्त कर ली।

मादक द्रव्यों के प्रकार और प्रभाव– परम्परागत मादक द्रव्यों: यथा–शराब, भाँग, अफीम के अतिरिक्त आज अनेक नये और तीव्र प्रभाव वाले मादक द्रव्यों का आविष्कार हो चुका है, जो पुराने मादक द्रव्यों से कहीं अधिक घातक हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

  • (क) मदिरा–मदिरा या शराब तो जैसे मनुष्य के साथ ही पृथ्वी पर जन्मी है। समुद्र मंथन से प्राप्त रत्नों में यह भी सम्मिलित है। मदिरा सेवन की व्यापकता का युवावर्ग में बढ़ते जाना, समाज के लिए एक अशुभ संकेत है। यह सरकारों की आमदनी का भी बड़ा स्रोत है।
  • (ख) मार्फीन–यह अफीम से बनायी जाती है। यह अफीम से अधिक नशीली होती है। इसके अभ्यस्त लोग इसको इंजेक्शन के रूप में प्रयुक्त करते हैं।
  • (ग) हेरोइन–यह मार्फीन से बनायी जाती है और इससे दस गुना अधिक नशीली होती है। इसका सेवन बहुतायत में किया जाता है।
  • (घ) हशीश–यह भाँग से प्राप्त की जाती है। इसे जलाकर सिगरेट की भाँति प्रयोग में लाया जाता है।
  • (ङ) ब्राउन शुगर–यह अशुद्ध हेरोइन होती है। यह कई अन्य पदार्थों को मिलाकर प्रयोग की जाती है और एक प्रकार का विष ही बन जाती है।
  • (च) एल. एस. डी.–कुछ लोग मानसिक तनाव दूर करने के लिए इसका प्रयोग करते हैं।
  • (छ) स्मैक–यह युवावर्ग में प्रचलित सबसे खतरनाक नशा है। व्यक्ति केवल दो–तीन खुराकों में इसका अभ्यस्त हो जाता है। इसकी लत को छोड़ पाना बहुत कठिन होता है।

मादक द्रव्यों के सेवन के दुष्परिणाम– कोई भी नशा हो, अन्ततः मनुष्य के लिए हानिकारक ही होता है। आज समाज में बढ़ती नशाखोरी की प्रवृत्ति बड़ी चिन्ताजनक है। इनका अभ्यस्त होने पर मनुष्य निष्क्रिय और हर तरह से बेकार हो जाता है। वह हर कीमत पर इन द्रव्यों को पाना चाहता है।

आज मादक पदार्थों का अनैतिक और अवैध व्यापार जोरों पर है। अनेक संगठित गिरोह इस धन्धे में लगे हैं। ये चीजें आज सोने से भी कीमती तथा व्यवसाय–सुलभ हैं।

युवावर्ग में मादक पदार्थों का सेवन जिस गति से बढ़ रहा है, वह उन्हीं के लिए नहीं, बल्कि देश और समाज के लिए भी खतरे की घण्टी है। किसी देश को तबाह करने के लिए आज युद्ध की नहीं, बल्कि मादक द्रव्यों की आवश्यकता होती है। मादक–द्रव्यों के व्यापार की छाया में आतंकवाद और अपराध भी पनप रहे हैं।

मादक द्रव्यों के सेवन की बढ़ती प्रवृत्ति– मादक द्रव्यों से धन कमाने वाले लोग घोर अपराधी हैं। ये युवक–युवतियों को बहलाकर या एक–दो खुराक मुफ्त में सेवन कराकर उनको आदी बना देते हैं और फिर वह व्यक्ति इनका गुलाम हो जाता है।

गीच यह प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। कुछ युवक चोरी–छिपे और कुछ इसे शान समझकर अपना रहे हैं। यह युवावर्ग के जीवन को चौपट करने वाली प्रवृत्ति है।

मादक द्रव्यों से छुटकारे के उपाय– मादक द्रव्यों के प्रसार की समस्या किसी व्यक्ति या देश–विशेष की नहीं है। यह एक अन्तर्राष्ट्रीय समस्या है। पूरे विश्व में मादक पदार्थों के विक्रेताओं का जाल फैला हुआ है। इस पर नियन्त्रण न करना विश्व को दारुण विनाश की ओर धकेलना है।

अनेक देशों ने मादक पदार्थों की बिक्री अथवा इसे अपने पास रखने को दण्डनीय अपराध घोषित कर रखा है। कई देशों में इसके अवैध व्यापार पर मृत्यु–दण्ड की भी व्यवस्था है। हर सभ्य और दूरदर्शी देश इसे मौत का व्यापार मानता है।

लेकिन कानूनों के बल पर इस संकट से पार पाना सम्भव नहीं लगता है। जनता को इसके खतरे से जागरूक बनाकर तथा इसकी आदत से ग्रस्त युवक–युवतियों के साथ सहानुभूति से पेश आकर इससे बचने की सम्भावना हो सकती है। सरकार को भी कड़े से कड़े कानून बनाकर और निरन्तर सतर्क रहकर इस पर काबू पाना होगा।

उपसंहार– मादक पदार्थों का सेवन मौत को निमन्त्रण देना है। मौत भी अत्यन्त दारुण, धीरे–धीरे चेतना को ग्रसती और लाचार बनाती मौत! मादक पदार्थों का अब हथियार की तरह भी प्रयोग हो रहा है। यह विरोधी देश की युवाशक्ति को खोखला बनाने और बिना युद्ध के ही उसे नष्ट कर देने का घृणित उपाय है।

सहयोग Summary in Hindi

नशा मुक्ति पर निबंध Essay on De-Addiction in Hindi

इस लेख में हिंदी में नशा मुक्ति पर निबंध (Essay on De-addiction in Hindi) आसान शब्दों में लिखा गया है।

Table of Content

इस निबंध मे नशा मुक्ति क्या है, युवा पीढ़ी पर नशा का प्रभाव, नशा करने का कारण, नशा करने से होने वाली बीमारियाँ, नशा मुक्ति के उपाय इत्यादि के विषय में चर्चा किया गया है। 

नशा मुक्ति क्या है? What is De-addiction in Hindi?

नशा मुक्ति सामाजिक बुराइयों के खिलाफ छिड़ा हुआ एक आंदोलन स्वरूप है, जिसमें सरकार से लेकर अन्य गैर सरकारी संस्थाओं तक सभी एकजुट होकर लोगों को नशे की लत से दूर करने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

युवा पीढ़ी पर नशा का प्रभाव Effect of Drug Addiction on Youth

नशा करने का कारण reasons behind drug addiction, नशा करने के दुष्परिणाम disadvantages of drug addiction, नशा करने से होने वाली बीमारियाँ disease caused by drug addiction.

हालांकि ऐसे अपराधों की कोई सजा नहीं है। तंबाकू और गुटखा के पैकेट पर यह साफ चेतावनी लिखी होती है, कि इसे खाने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। लेकिन किसी को भी इस बात से फर्क नहीं पड़ता और लोग बड़े ही चाव से अपनी मनमानी करते हैं।

कैंसर, किडनी फेल होना, पाचन तंत्र का बेकार पड़ जाना, सांस लेने में दिक्कत होना, ह्रदय रोग और न जाने कितने ही तरह की बीमारियां ऐसी नशीली चीजों के सेवन के कारण आमंत्रित हो जाती हैं। 

नशा मुक्ति के उपाय Drug De-addiction Methods in Hindi

हमारे देश के युवाओं को अंधकार में जाने से बचाने के लिए नशा मुक्ति के लिए कई सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं। 

देश भर में ऐसे नशा मुक्ति केंद्रों को स्थापित करने की आवश्यकता है, जो मजबूत रूप से लोगों तक पहुंच पाए, जो इस समस्या से परेशान हैं। जितना संभव हो सके अधिक से अधिक लोगों को ऐसी जागरूकता अभियान में शामिल करना चाहिए। 

निष्कर्ष Conclusion

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जानिए क्या है एडिक्शन और कैसे पाया जा सकता है इससे छुटकारा?

जानिए क्या है एडिक्शन और कैसे पाया जा सकता है इससे छुटकारा?

एडिक्शन (addiction) को हम बुरी आदत या लत भी कह सकते हैं। हर व्यक्ति को किसी न किसी चीज की आदत होती है जैसे चाय या कॉफी की लत,  अधिक काम करने की लत आदि। लेकिन, इसे हम अधिकतर अल्कोहल या नशीली दवाइयों से जोड़ कर देखते हैं। हालांकि, जुआ खेलना, बार-बार कुछ खाने की आदत को भी एडिक्शन (addiction) कहा जा सकता है। यह एक मनोवैज्ञानिक और शारीरिक अक्षमता है जिसके कारण हम किसी केमिकल, दवाई या चीज का सेवन करने या किसी गतिविधि से खुद को रोक नहीं पाते। फिर चाहे, इससे हमें कितना भी शारीरिक या साइकोलॉजिकल नुकसान हो रहा हो।

यह एक क्रोनिक बीमारी है। शुरुआत में हम खुद अपनी इच्छा से एडक्टिव (addictive) चीज का सेवन या गतिविधि को करते हैं, लेकिन धीरे-धीरे यह हमारी बुरी आदत बन जाती है। एडिक्शन को छोड़ना पूरी तरह से संभव है। जानिए एडिक्शन (addiction) के बारे में विस्तार से। 

एडिक्शन (addiction) की शुरुआत किन फैक्टर्स से होती है? कैसे व्यक्ति इसकी चपेट में आ जाता है?

जब आप किसी एडक्टिव (addictive) चीज का सेवन करना शुरू करते हैं, तो यह शारीरिक और साइकोलॉजिकल रूप से आपको अच्छा लगने लगता है। इसके बाद आपका मन इन पदार्थों का अधिक सेवन करने का करता है। समय के साथ यह इच्छा बढ़ती जाती है और इस एडिक्शन (addiction) को छोड़ना मुश्किल हो जाता है। जानिए कैसे शुरुआत होती है इसकी:

एडिक्शन

कुछ लोग एक बार जब एडक्टिव (addictive) चीजों या गतिविधियों का प्रयोग करते हैं। खुद पर नियंत्रण कर के वो दुबारा उनका प्रयोग नहीं करते। लेकिन, अधिकतर लोग इनके आदि हो जाते हैं। ऐसा कुछ हद तक हमारे दिमाग के फ्रंटल लोब्स के कारण होता है। फ्रंटल लोब्स संतुष्टि की भावना का अनुभव देरी से देते हैं। हमारे दिमाग के कुछ अन्य हिस्से भी एडिक्शन (addiction) में सहयोग करते हैं, जैसे एंटीरियर सिंगुलेट कोर्टेक्स (anterior cingulate cortex) और न्यूक्लियस अकुम्बेंस (nucleus accumbens) जो आनंददायक संवेदनाओं से जुड़े होते हैं। इससे एडक्टिव (addictive) पदार्थों और व्यवहारों के संपर्क में आने पर व्यक्ति की प्रतिक्रिया बढ़ जाती है। नशे के अन्य संभावित कारणों में मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन और मानसिक विकार जैसे की स्किजोफ्रीनिया   (schizophrenia) या बायपोलर विकार भी शामिल हैं। 

यह भी पढ़ें:  Drug addiction: ड्रग एडिक्शन क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

अर्ली एक्सपोजर

एक्सपर्ट्स का ऐसा मानना है कि एडिक्शन (addiction) में  नशे की लत वाले पदार्थों को छोटी उम्र में और बार-बार लेना महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

एडिक्शन के लेवल (level of addiction)

एडिक्शन के कुछ लेवल (level of addiction) होते हैं जो इस प्रकार है:

  • अनुभव : जिज्ञासा और अनुभव लेने के लिए किसी (एडक्टिव ) चीज का सेवन करना या किसी ऐसी गतिविधि में शामिल होना।
  • सामाजिक या नियमित: सामाजिक स्थितियों में नियमित रूप से इनका सेवन करना या गतिविधि में शामिल होना ।
  • समस्या या जोखिम: परिणामों को नजरअंदाज करके बार-बार और अधिक मात्रा में इनका सेवन।
  • निर्भरता: संभव नकारात्मक परिणामों के बावजूद,  रोज इन चीजों का सेवन करना या गतिविधि में शामिल होना।

कितनी तरह के एडिक्शन (Types of addiction) होते हैं?

ऐसा माना जाता है कि पूरी दुनिया में हर तीन में से एक व्यक्ति किसी न किसी लत का शिकार है। यह एडिक्शन (addiction) किसी भी चीज या बेहेवियर के रूप में हो सकती है। एडिक्शन के कुछ प्रकार इस तरह हैं (types of addiction):

अल्कोहल:   शराब एक पुरानी बीमारी की तरह है । अगर इसका सेवन नियंत्रण से बाहर हो, तो कई मामलों में यह घातक हो सकती है । यह कार्य और जिम्मेदारियों के अलावा मनुष्य के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक या पारिवारिक स्वास्थ्य में हस्तक्षेप करती है।

तंबाकू : तंबाकू में निकोटिन पाया जाता है, जो कई रोगों का कारण बन सकता है जैसे गले का कैंसर । इसके कारण हर साल हजारों लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं।

मारिउआना : मारिउआना  अवैध दवाओं में से एक है, जो व्यापक रूप से उपयोग की जाती है। किशोरों और युवाओं में इसका इस्तेमाल आम है क्योंकि इसे अक्सर सॉफ्ट दवा माना जाता है। इससे भी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से नुकसान होता है।

कोकीन : कोकेन एक ड्रग है, जो साइकोएक्टिव पदार्थों के समूह से संबंधित है। अर्थात, यह सेंटर नर्वस सिस्टम को मुख्य रूप से मस्तिष्क में उत्तेजक प्रभाव पैदा करता है। कोकीन टॉलरेंस जल्दी विकसित होती है जिसका अर्थ है कि यह अधिक एडक्टिव (addictive) है।

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ऐसे कुछ पदार्थ या बेहेवियर जो एडिक्शन (addiction) को बढ़ाते हैं:

निकोटीन, ड्रग्स और शराब के अलावा, अन्य सामान्य बेहेवियर एडक्टिव (addictive) इस प्रकार हैं:

  • कॉफी या कैफीन : कॉफी या कैफीन का अधिक सेवन भी हमारे शरीर पर बुरा असर डालता है।
  • जुआ: जुए की लत का प्रभाव इंसान की वित्तीय मामलों और इसके साथ ही रिश्तों पर पड़ता है।
  • क्रोध :क्रोध से मनुष्य खुद के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के साथ ही अपने रिश्तों और भी खराब कर लेता है।
  • ईटिंग डिसऑर्डर : ईटिंग डिसऑर्डर के कारण भी कई समस्याएं होती है जैसे वजन का बढ़ना, मोटापा आदि।
  • टेक्नोलॉजी जैसे गेमिंग :कई किशोर इन दिनों अपना ज्यादा समय वर्चुअल दुनिया में रहने में बिताते हैं। इससे न केवल उनके स्वास्थ्य या सोशल लाइफ पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि वो अपनी जिम्मेदारियों को भी पूरा नहीं कर पाते। 
  • काम: काम करना अच्छा है लेकिन जब यह काम आपकी लत बन जाए, तो यह आपके लिए बुरा साबित हो सकता है। इसके कारण आप न तो खुद को समय दे पाएंगे न ही अपने चाहने वालों को। जिसके कारण आप न केवल अपने स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचांएगे बल्कि आप जीवन में भी अकेला महसूस करेंगे ।

इस बारे में फोर्टिस हॉस्पिटल के चीफ इंंटेंसेविस्ट, मुंबई के डॉक्टर संदीप पाटिल का कहना है कि  एंग्जायटी डिसऑर्डर के आज के समय में अधिकतर लोग शिकार हो रहे हैं, जो उनकी हेल्थ के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। उल्टा कई और गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है। स्ट्रेस से निकलने के लिए अच्छी  लाइफस्टाइल का होना बहुत जरूरी है। मेडिटेशन  को मेंटल हेल्थ के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।  इसके अलावा डायट में कई ऐसे फूड को शामिल कर सकते हैं, जो आपकी अच्छी नींद में मदद करता है। इससे शरीर में कई ऐसे हॉर्मोन रिलीज होते हैं, जो अच्छी नींद में सहायक माने जाते हैं।

इन एडिक्शन (addiction) से निपटने के लिए क्या करना चाहिए?

एडिक्शन (addiction) से छुटकारा पाने के लिए आपको अपना सही उपचार कराना चाहिए। नशीली दवाओं की लत (सब्सटांस यूज़ डिसऑर्डर) का निदान करने के लिए गहन मूल्यांकन की आवश्यकता होती है। इनके निदान के लिए डॉक्टर आपको ब्लड, यूरिन या अन्य टेस्टस के लिए कह सकते हैं। एडिक्शन (addiction) से निपटने के लिए इन उपचारों का प्रयोग किया जा सकता है:

  • बेहवियरल थेरेपी और काउन्सलिंग 
  • दवाईयां और ड्रग के अनुसार उपचार 
  • अवसाद जैसे संबंधित मनोवैज्ञानिक कारकों का इलाज करना
  • रिलैप्स के जोखिम को कम करने के लिए देखभाल

य ह भी पढ़ें:  फूड एडिक्शन या खाने की लत के शिकार कहीं आप तो नहीं? इस बीमारी को समझने के लिए खेले क्विज

एडिक्शन का उपचार (treatment of addiction) बहुत ही निजी होता है और अक्सर इसमें रोगी को अपने दोस्तों, प्रियजनों और परिवार के सहारे की जरूरत पड़ती है । इसके उपचार में अधिक समय ले सकता है या यह जटिलतापूर्ण हो सकता है। इसके उपचार के लिए इन तरीकों को अपनाया जाता है।

डिटॉक्सिफिकेशन (Detoxification)

मेडिकली-असिस्टेड डेटॉक्स आपको एडक्टिव (addictive) पदार्थ को सुरक्षित वातावरण में छुटकारा दिलाने में मदद सकता है। यह इसलिए लाभदायक है, क्योंकि कई बार किसी एडक्टिव (addictive) सब्सटांस से छुटकारा पाना बहुत भयानक और जीवन के लिए नुकसानदायक हो सकता है । डिटॉक्स एडिक्शन (addiction) के अंडरलाइंग व्यवहार के कारणों का इलाज नहीं करता है, यह आमतौर पर इसका प्रयोग अन्य उपचारों के साथ मिला कर उपयोग किया जाता है।

चक्रव्यूह के जैसी है लत की दुनिया, क्या आप में है इसे तोड़ने की ताकत

कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (Cognitive Behavioural therapy)

कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी कई तरह की एडिक्शन के उपचार (treatment of addiction) के लिए लाभदायक है जैसे फूड एडिक्शन (food addiction), अल्कोहल एडिक्शन (alcohol addiction)। यह न केवल आपको अपने अनहेल्दी व्यवहार पैटर्न को पहचानने में मदद कर सकता है, बल्कि यह आपको ट्रिगर्स की पहचान करने और उनसे छुटकारा पाने में भी मदद कर सकती है।

रैशनल इमोटिव बिहेवियर थेरेपी (Rational Emotive Behaviour Therapy)

REBT आपके नकारात्मक विचारों को पहचानती है और आपको अच्छा महसूस करने में मदद करती हैं। इसका उद्देश आपको यह महसूस करने में सहायता करना है कि रैशनल थिंकिंग की शक्ति आपके भीतर निहित है और इसका बाहरी स्थितियों या तनाव से कोई संबंध नहीं है।

यह भी पढ़ें :  लाफ्टर थेरेपी : हंसो, हंसाओं और डिप्रेशन को दूर भगाओं

12-स्टेप फैसिलिटेशन (12-Step Facilitation)

यह तरीका अल्कोहल और सब्स्टांस एब्यूज के उपचार में लाभदायक है। यह समूह चिकित्सा का एक रूप है, जिसमें यह मानते हैं कि लत के कई नकारात्मक परिणाम हैं जो सामाजिक, भावनात्मक, आध्यात्मिक और शारीरिक हो सकते हैं ।

जब दवाइयों को बेहेवियर थेरेपी के साथ मिला कर प्रयोग किया जाता है, तो यह बहुत लाभदायक सिद्ध होती हैं। यह दवाईयां क्रेविंग को दूर करती हैं, मूड सुधारती हैं और एडक्टिव (addictive) बेहेवियर को कम करती है। 

लाइफस्टाइल का एडिक्शन (addiction) से छुटकारा पाने में क्या रोल है?

अगर आप एडिक्शन (addiction) से बाहर निकलना चाहते हैं तो आपको खुद में परिवर्तन लाना होगा। केवल दवाई या थेरिपी ही नहीं बल्कि आपको एक स्वस्थ जीवनशैली अपनानी होगी। जानिए, आपको क्या परिवर्तन करने चाहिए अपनी लाइफस्टाइल में:

हेल्दी डायट

एडिक्शन (addiction) से बाहर निकलने के लिए सबसे जरूरत बदलाव है सही आहार। सही और संतुलित आहार से आप अपनी स्ट्रेस और कम कर पाएंगे और आपको कई शारीरिक, मानसिक और इमोशनल लाभ होंगे। कुछ चीजों का खास ध्यान रखें जैसे नाश्ते को नजरअंदाज न करें, अपने आहार में फल, सब्जियों, साबुत अनाज आदि को अवश्य शामिल करें। अगर आपको अपने आहार को लेकर कोई संदेह है तो किसी नूट्रिशनिस्ट या डायटीशियन की सलाह लें।

addiction

नियमित रूप से व्यायाम 

व्यायाम को अपने जीवन का हिस्सा बना लें। इससे न केवल आप स्वस्थ रहेंगे, बल्कि इससे आपके दिमाग के फील गुड केमिकल में भी बढ़ोतरी होगी। जिससे आपका तनाव दूर होगा और मूड सुधरेगा।

नए दोस्त बनाएं 

अगर आपको कोई लत है तो इसका श्रेय आपके दोस्तों या प्रियजनों को भी जा सकता है। क्योंकि हो सकता है कि आपकी कंपनी में केवल वही लोगों हों, जो एडक्टिव (addictive) हों। ऐसे में अब आपको कुछ अच्छे दोस्त बनाने होंगे, जो आपको एडिक्शन (addiction) से बाहर आने और सकारात्मक रहने में मदद कर सके।

अपने शौक करें पूरे 

अपनी पुरानी लाइफस्टाइल को छोड़ कर अपने नए शौक को समय दें और वो सब करें जो आप करना चाहते हैं। जैसे पेंटिंग करना, किसी खेल में भाग लेना, डांस करना आदि । इससे भी आप अपना ध्यान एडिक्शन (addiction) से हटा पाएंगे।

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आराम करें  

अधिकतर लोग ड्रिंकिंग या अन्य ड्रग्स का सेवन इसलिए शुरू करते हैं। क्योंकि, वो रिलैक्स करना चाहते हैं और धीरे-धीरे यह उनकी आदत बन जाती है। अब बदले हुए लाइफस्टाइल में आपको बिना ड्रग्स या अल्कोहल के रिलैक्स करना सीखना होगा।

ईमानदार रहें

एडिक्शन (addiction) का शिकार लोग खुद और अपने साथ ईमानदार नहीं होते। लेकिन, अगर आप एडिक्शन (addiction) से दूर होना चाहते हैं तो आपको ईमानदार रहने की जरूरत है।

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एडिक्शन (addiction) से छुटकारा पाने के लिए खुद को कैसे मोटिवेट कर सकते हैं?

एडिक्शन (addiction) से छुटकारा पाने के लिए मोटीवेट होने के लिए आपको सबसे पहले वो कारण ढूंढना होगा, जिसके कारण आप इसे छोड़ना चाहते हैं। जैसे आप अपने परिवार की सुरक्षा के लिए ऐसा करना चाहते हैं, किसी बीमारी की वजह से या किसी अन्य कारण से। एक स्ट्रांग कारण आपको एडिक्शन से छुटकारा पाने में आपकी मदद और आपको मोटीवेट करेगा।

प्रियजनों का सहारा लें

जब आपने एडिक्शन (addiction) से छुटकारा पाने का निर्णय ले लिया हो, तो इसके बारे में अपने प्रियजनों को अवश्य बताएं। वो आपके इस कार्य में आपको न केवल मदद करेंगे बल्कि उनके सपोर्ट से आप को मोटिवेशन भी मिलेगी।

खुद को इनाम दें

आमतौर पर लोग एडक्टिव (addictive) चीजों का सेवन इसलिए करते हैं क्योंकि वो रिलेक्स रहना चाहते हैं। लेकिन, अगर आपने इसे छोड़ने का निर्णय ले लिया है और इसका पूरी तरह से पालन कर रहे हैं तो खुद को पुरस्कृत करना न भूलें। अपने लिए वो सब लें जिनकी आपको जरूरत हो। अपने शौक भी पूरा करें , इससे भी आप मोटीवेट होंगे।

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अपने भविष्य के बारे में सोचें

एडिक्शन (addiction) के दौरान हम न तो अपने वर्तमान के बारे में सोच पाते हैं ना ही भविष्य के बारे में। यही नहीं,  एडिक्शन (addiction) के दौरान इंसान किसी भी व्यक्ति के बारे में नहीं सोच पाता। इसका असर उनके भविष्य और उनके परिवार पर होता है। लेकिन, एडिक्शन (addiction) से छुटकारा पाने के दौरान या बाद में आप अपने भविष्य और परिवार के बारे में सोचने के साथ ही अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर सकते हैं। इससे भी आप मोटीवेट होंगे।

यदि आप या कोई प्रिय व्यक्ति नशे की लत से जूझ रहे हैं, तो आपको अकेले लड़ाई लड़ने की जरूरत नहीं है। मेडिकल प्रोफेशनल से बात करें। ऐसे कई सफल उपचार उपलब्ध हैं, जो आपकी लत को दूर करने में आपकी मदद कर सकते हैं।

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

What Is a Substance Use Disorder?. https://www.psychiatry.org/patients-families/addiction/what-is-addiction . Accessed on 12/2/21

Dealing With Addiction. https://kidshealth.org/en/teens/addictions.html   Accessed on 12/2/21

Drug addiction (substance use disorder). https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/drug-addiction/symptoms-causes/syc-20365112   Accessed on 12/2/21

Biology of Addiction. https://newsinhealth.nih.gov/2015/10/biology-addiction   Accessed on 12/2/21

What Does Addiction Mean To Me. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3190444/   Accessed on 12/2/21

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Manjari Khare द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Manjari Khare

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drug addiction in hindi essay

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya

Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/07/2022

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  • Last Updated : September 8, 2020, 06:31 IST
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Tags: Health tips , Sushant singh Rajput , Sushant Singh Rajput Case , Lifestyle

नशे की लत पर निबंध

दहेज प्रथा पर निबंध

किसी भी व्यक्ति के जीवन को खराब करने वाली नशे की लत विषय पर आज हम अपने आर्टिकल के जरिए निबंध लेकर आएं हैं। इस निबंध के माध्यम से आपको यह जानकारी अवश्य प्राप्त होगी कि नशे की लत कितनी हानिकारक है।

तो आइए जानते हैं, नशे की लत विषय पर निबंध…..

नशा आज के समय में एक आम समस्या है। दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोग इस समस्या से पीड़ित हैं। दरअसल, ड्रग्स की दवाएं तुरंत आनंद और तनाव से राहत प्रदान करती हैं। बहुत से लोग अपनी दर्दनाक वास्तविकता से बचने के लिए ड्रग्स लेना शुरू कर देते हैं। दूसरे लोग सिर्फ यह अनुभव करने के लिए ड्रग्स लेते हैं कि यह कैसा लगता है। कारण जो भी हो, इससे पहले कि कोई व्यक्ति जानता है, वह नशे का आदी हो जाता है और इस लत से छुटकारा पाना कठिन हो जाता है।

नशीली दवाओं की लत: शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

नशे की लत व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य पर भारी प्रभाव डालती है। यह मस्तिष्क, गले, फेफड़े, पेट, अग्न्याशय, यकृत, हृदय और तंत्रिका तंत्र सहित शरीर के विभिन्न हिस्सों को नुकसान पहुंचाता है। यह मतली, हृदय की समस्या, क्षतिग्रस्त जिगर, स्ट्रोक, फेफड़ों की बीमारी, वजन घटाने और यहां तक ​​कि कैंसर जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। नशा करने वालों में भी एड्स होने का खतरा अधिक होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे आमतौर पर दवाओं को इंजेक्ट करने के लिए सुई साझा करते हैं। जब आप ड्रग्स के प्रभाव में हों तो ड्राइविंग या सड़क पर चलना भी जोखिम भरा हो सकता है। ऐसे व्यक्ति के दुर्घटना होने की प्रबल संभावना रहती है।

ड्रग्स अथवा नशीली दवाओं के प्रकार

औषधियों को मोटे तौर पर तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:

  • अवसाद: अवसाद में भांग, अफीम, बेंजोडायजेपाइन और शराब शामिल हैं। वे मस्तिष्क से आने-जाने वाले संदेशों की गति को धीमा करने के लिए जाने जाते हैं और इस तरह किसी स्थिति को संभालने की क्षमता कम कर देते हैं।
  • उत्तेजक पदार्थ: दूसरी ओर, उत्तेजक पदार्थ मस्तिष्क में जाने वाले संदेशों को गति प्रदान करते हैं। लेकिन ऐसी दवाओं का लगातार उपयोग पैनिक अटैक, चिंता और हृदय गति को कम करने का कारण बनता है। उत्तेजक पदार्थों में निकोटीन, कैफीन, कोकीन और एम्फ़ैटेमिन शामिल हैं।
  • हेलुसीनोजेन्स: हेलुसीनोजेन्स में एलएसएफ, पीसीपी, कैनाबिस, मेस्कलाइन और साइलोसाइबिन शामिल हैं। ये दवाएं मतिभ्रम का कारण बनती हैं और व्यक्ति की वास्तविकता की भावना को विकृत करती हैं। इन दवाओं का लगातार सेवन उच्च रक्तचाप, मतली, व्यामोह और सुन्नता पैदा कर सकता है।

नशीली दवाओं की लत के लक्षण

लक्षण एक व्यक्ति जो ड्रग्स का आदी हो जाता है, उसमे निम्नलिखित लक्षण दिखने की संभावना होती है:

  • भूख में बदलाव
  • अप्रत्याशित वजन बढ़ना या वजन कम होना
  • नींद के पैटर्न में बदलाव
  • अस्पष्ट भाषण
  • अचानक क्रोध का आना
  • खून सी लाल आंखें
  • काम में रुचि ना लेना
  • काम में कम प्रदर्शन
  • सुस्त पड़ना
  • दूर और उदासीन होना
  • चिंतित व्यवहार आदि।

ड्रग्स किसी व्यक्ति की सोचने और कार्य करने की क्षमता पर हावी हो सकते हैं। वे कई स्वास्थ्य खतरों, व्यवहार संबंधी समस्याओं और रिश्ते के मुद्दों को जन्म दे सकते हैं। इसलिए इन नशीली दवाओं से दूर रहना ही सबसे सुरक्षित उपाय है। जो लोग नशीली दवाओं के आदी हो जाते हैं उनके पास इस लत को छोड़ने का बहुत कम मौका होता है। वे अपने जीवन को बर्बाद कर देते हैं और अपने प्रियजनों को बहुत पीड़ा भी देते हैं।

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26 जून नशा मुक्ति दिवस पर नारे हिन्दी स्लोगन

Drug addiction day naare slogan in hindi.

प्रत्येक वर्ष नशा को रोकने के लिए 26 जून को नशा विरोध दिवस | Drug Addiction Day मनाया जाता है बढ़ती आबादी के साथ नशा करने वालो की तादात भी बढती जा रही है जिसके कारण नशा करने के भयंकर परिणाम देखे जा रहे है अगर देखा जाय तो नशे के कारण सबसे ज्यादा शिकार युवा ही होते है जिस कारण से युवाओ में नशा के दुष्परिणाम से बचने के लिए प्रत्येक वर्ष नशा मुक्ति दिवस मनाया जाता है

तो चलिए लोगो में नशा के खिलाफ जागरूकता लाने वाले नशा विरोध दिवस के नारे और स्लोगन शेयर कर रहे है जिनसे आप भी दुसरो को नशा ना करने के लिए प्रेरित कर सकते है

नशा मुक्ति दिवस पर नशा को रोकने के लिए प्रेरित करते नशा विरोधी नारे हिन्दी स्लोगन

Drug addiction day slogan in hindi.

Table of Contents :-

नशे को हाथ लगाओगे

मौत को पास बुलाओगे

नशा नाश की जड़ है भाई

इसने ही चारो तरफ आग लगाई

नशा करना, मौत को पास बुलाना

जो करते है अपने जीवन में नशा

उनकी जीवन की हो जाती है दुर्दशा

चलो सबको ये जागरूकता फैलाये

नशा मुक्ति दिवस मिलकर मनाये

खुद को अब समझदार बनाये

नशे को कभी भूलकर भी हाथ मत लगाये

नशा मुक्ति दिवस मनाये

नशे को कोसो दूर भगाए

इससे पहले नशा आपका नशा करे

उससे पहले आप नशे का नाश करे

नशे का रूप हो सकते है अनेक

लेकिन सभी का परिणाम सिर्फ एक

जब किसी के जीवन में नशा आता है

अपने साथ जीवन की बर्बादी लाता है

जन जन जागरूकता फैलाये

सभी मिलकर नशा मुक्ति दिवस मनाये

सबको नशे के प्रति जागरूक बनाये

आओ मिलकर नशा विरोध दिवस मनाये

चलो भारत को विकसित बनाये

नशा को अब अपने देश से भगाये

नशा मुक्ति दिवस मनाना है

सबके जीवन को स्वस्थ्य बनाना है

चलो नशा मुक्ति दिवस का अभियान चलाये

नशे के होंने वाले खतरे से सबको बचाये

हर समझदार नागरिक का यही सपना

नशा मुक्त हो भारत अपना

नशे को अब दूर भगाये

भारत को फिर से महान बनाये..

नशा को छोडो, सुखी जीवन से नाता जोड़ो

हम सबका यही पुकार

नशे का करो अब बहिष्कार

जीवन को खुशहाल बनाना है

तो नशा मुक्ति दिवस मनाना है.

तो अगर समय रहते लोग नशे के प्रति सचेत हो जाते है वे अपने जीवन में आने वाली अनेक परेशानियों से बच जाते है इसी की महत्ता को देखते हुए आज के समय में युवाओ के लिए मुक्ति दिवस की अत्यधिक जरूरत है तो ऐसे में आओ मिलकर नशा विरोध दिवस मनाये और सबको नशे के प्रति होने वाले दुष्प्रभाव से अवगत कराये

तो आप सभी को ये नशा मुक्ति दिवस पर लिखे गये नारे स्लोगन कैसे लगे कमेंट में जरुर बताये और इसे शेयर भी जरुर करे.

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Humhe nashe se dur rehne ke liye usse samjne ki jaroorat hain aur parivar ko yeah manne ki jaroorat hain ki humare parivar mein problem hain.

Bahut acche slogan hai

Ha Ji thank you

Jan jan ka h yahi nara nasha mukt ho Bharat hamara

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नशा मुक्त भारत अभियान

Nasha Mukt Bharat Abhiyaan

The Minister for Social Justice & Empowerment Shri Thawaarchand Gehlot launched the website for the Nasha Mukt Bharat Abhiyaan (NMBA) on the occasion of International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking on 26 June 2021, which is observed worldwide to strengthen action and cooperation in achieving the goal of a sustainable world free of substance abuse. The entire world is facing the menace of drug addiction which has a devastating impact on the addict, individual, family and a large section of society.

The launch of Nasha Mukt Bharat Abhiyaan (NMBA) is for 272 Districts across 32 State/Union Territories that have been identified as the most vulnerable in terms of usage of drugs in the country. These vulnerable districts were identified on the basis of findings from the Comprehensive National Survey and the inputs provided by the Narcotics Control Bureau (NCB) . According to the National Comprehensive Survey conducted by the Ministry of Social Justice and Empowerment , there are more than 60 million drug users in the country of which a large number of users are in the age group of 10-17 years.

Nasha Mukt Bharat Abhiyaan intends to reach out to the masses and spread awareness about substance abuse through various activities like:

  • Awareness generation programmes
  • Focus on higher educational Institutions, university campuses and schools
  • Reaching out to the Community and identifying dependent population
  • Focus on counselling and treatment facilities in hospitals and rehabilitation centres that have been geo-tagged
  • Capacity building programmes for service providers

Initiatives

The Ministry of Social Justice and Empowerment has been mandated to reduce drug demand. It coordinates and oversees all aspects of drug abuse prevention including assessment of the extent of the problem, preventive action, treatment and rehabilitation of addicts, dissemination of information, and public awareness and is mandated to run de-addiction centres.

Nasha Mukt Bharat Abhiyaan is operational with the involvement of more than 500 voluntary organizations across the country, which are assisted financially under the National Action Plan for Drug Demand Reduction (NAPDDR) scheme of the Ministry of Social Justice & Empowerment .

These NGOs have been actively involved in the implementation of Drug-Free India campaign. Nearly 8000 youth volunteers and outreach workers of these institutions/organizations have gone from door to door, village to village and nearby localities, etc. to educate the people about the ill effects of drug abuse and have assisted in the rehabilitation of victims of substance abuse.

The Nasha Mukt Bharat Abhiyaan website provides detailed information about the Abhiyaan and its activities, gives glimpses through the Photo & video gallery, provides IEC resource material and information on the institutions set up by the Ministry with the aim of Drug Demand reduction.

Institutions

The Ministry of Social Justice and Empowerment supports organizations that work for preventive education & awareness generation on substance abuse, capacity building, treatment and rehabilitation. These organizations are:

Nasha Mukt Bharat Abhiyaan Institutions

  • Integrated Rehabilitation Center For Addicts (IRCAs) : are de-addiction centres with inpatient facilities of counselling and treatment for drug dependent persons
  • Community Peer Led Intervention (CPLI) : work with the community supported by youth volunteers for early preventive education, especially for vulnerable adolescents and youth in the community
  • Outreach And Drop In Centres (ODIC) : provide facilities of screening, assessment and counselling along with providing referral & linkage to treatment and rehabilitation services for drug dependents
  • GEO Location : Ministry supported institutions providing Drug addiction counseling, treatment and rehabilitation and other facilities have been Geo-tagged to make their services accessible and easier to locate

For details : Visit

Related Links

  • Nasha Mukt Bharat Abhiyaan (NMBA)
  • Press Release on Nasha Mukt Bharat Abhiyaan (NMBA)
  • Scheme of National Action Plan for Drug Demand Reduction (NAPDDR)

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Fighting Drug Addiction

  • 04 Jan 2021
  • GS Paper - 2
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Why in News

Recently, people in a few villages of Jodhpur district’s Bilara block, Rajasthan have come together to tackle Drug Addiction among the youth.

  • Boycott of persons consuming liquor, tobacco and narcotics.
  • Imposition of a penalty on the sellers and buyers of these substances.
  • It refers to the condition of being addicted to a drug, particularly narcotic drugs.
  • These are generally illegal drugs that affect the mood and behaviour of a person.
  • Drug abuse refers to the use of certain chemicals for the purpose of creating pleasurable effects on the brain.
  • There are over 190 million drug users around the world and the problem has been increasing at alarming rates, especially among young adults under the age of 30.
  • The menace of drug addiction has spread fast among the youth of India.

drug addiction in hindi essay

  • The golden triangle area comprises Thailand, Myanmar, Vietnam and Laos.
  • The golden crescent area includes Pakistan, Afghanistan and Iran.
  • Alcohol is the most abused substance in India.
  • Around 5 crore Indians reported to have used cannabis and opioids at the time of the survey (conducted in the year 2018).
  • It has been estimated that there are about 8.5 lakh people who inject drugs.
  • Of the total cases estimated by the report, more than half of them are contributed by states like Punjab, Assam, Delhi, Haryana, Manipur, Mizoram, Sikkim and Uttar Pradesh.
  • About 60 lakh people are estimated to need help for their opioid use problems.
  • More and more children are taking to alcohol consumption and the highest percentage of children who are addicted to alcohol are in Punjab followed by West Bengal and Uttar Pradesh.
  • To be accepted by the peers.
  • Increasing economic stress.
  • Changing cultural values.
  • Experimentation.
  • Neurotic pleasure.
  • Ineffective Policing.
  • Higher risk of unintentional injuries, accidents, domestic violence incidents , medical problems, and death.
  • Economic potential gets wasted.
  • Affects relationships with family, friends creating emotional and social problems
  • Increases financial burden.
  • Increase in diseases like Hepatitis B and C , Tuberculosis
  • Drug dependence, low self esteem, hopelessness can lead to criminal action and even suicidal tendencies.
  • Such as tobacco is a huge problem which is usually seen as a gateway drug which children take just to experiment with.
  • There is a lack of rehabilitation centres. Also, NGOs operating de-addiction centres in the country, have failed to provide the required kind of treatment and therapy.
  • Smuggling of drugs through the states like Punjab, Assam and Uttar Pradesh which share the border with neighbouring countries.
  • It constituted the Narco-Coordination Centre (NCORD) in November, 2016 and revived the scheme of “Financial Assistance to States for Narcotics Control”.
  • Narcotics Control Bureau has been provided funds for developing a new software i.e. Seizure Information Management System (SIMS) which will create a complete online database of drug offences and offenders.
  • The government has constituted a fund called “National Fund for Control of Drug Abuse” to meet the expenditure incurred in connection with combating illicit traffic in Narcotic Drugs; rehabilitating addicts, and educating the public against drug abuse, etc.
  • The government is also conducting a National Drug Abuse Survey to measure trends of drug abuse in India through the Ministry of Social Justice & Empowerment with the help of National Drug Dependence Treatment Centre of AIIMS.
  • 'Project Sunrise' was launched by the Ministry of Health and Family Welfare in 2016, to tackle the rising HIV prevalence in north-eastern states in India, especially among people injecting drugs.
  • The NDPS Act has since been amended thrice – in 1988, 2001 and 2014.
  • The Act extends to the whole of India and it applies also to all Indian citizens outside India and to all persons on ships and aircraft registered in India.
  • Government has also announced the launch of the ‘Nasha Mukt Bharat’, or Drug-Free India Campaign which focuses on community outreach programs.
  • United Nations (UN) Convention on Narcotic Drugs (1961)
  • UN Convention on Psychotropic Substances (1971).
  • UN Convention against Illicit Traffic in Narcotic Drugs and Psychotropic Substances (1988)
  • UN Convention against Transnational Organized Crime (UNTOC) 2000

Way Forward

  • Addiction should not be seen as a character flaw, but as an ailment that any other person could be struggling with. Therefore, the stigma associated with drug taking needs to be reduced. Society needs to understand that drug-addicts are victims and not criminals.
  • Certain crop drugs which have more than 50% alcohol and opioids need to be contained. Strict action is required from police officers and the excise and narcotics department to curb the problem of drug menace in the country. There is a need to strictly implement the NDPS Act.
  • Radical political decisions like that one of alcohol prohibition in Bihar may be another solution. When people do not exercise self-control, a state has to step in, as part of the Directive Principles of State Policy (Article 47).
  • Education curriculum should include chapters on drug addiction , its impact and also on de-addiction. Proper Counselling is another alternative.

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    टेस्ट सीरीज़. नशीली दवाओं के दुरुपयोग (Drug Abuse), विशेष रूप से नशीले पदार्थों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग के रूप में जाना जाता है। अवैध ...

  10. Drug addiction: ड्रग एडिक्शन क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

    साल 2009-10 के ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे के मुताबिक तकरीबन 7.13 करोड़ भारतीय विभिन्न प्रकार के ड्रग एडिक्शन (Drug Addiction) से जृझ रहे हैं। जानिए ड्रग एडिक्शन के लक्षण ...

  11. नशीली दवाओं के दुरुपयोग के विरुद्ध नीतिगत कार्रवाई

    नशीली दवाओं के दुरुपयोग के विरुद्ध नीतिगत कार्रवाई. यह एडिटोरियल 29/10/2021 को 'द हिंदू' में प्रकाशित ''Should the NDPS Act be amended?''. लेख पर आधारित है ...

  12. ड्रग एब्यूज (Drug Abuse)

    ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) का उपचार। ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) से बचने के लिए रोकथाम। ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के विथड्रावल (Withdrawal) के लक्षण।

  13. मादक पदार्थों की लत पर निबंध » हिंदी निबंध, Nibandh

    मादक पदार्थों की लत पूरी दुनिया में चिंता का एक प्रमुख कारण बन गया है। यह एक विनाशकारी स्थिति है जो किसी भी देश की प्रगति को रोकती है ...

  14. Drug addiction in Hindi

    keywords: types of drugs, drugs addiction pictures, causes of drugs addiction, drugs addiction essay, drugs addiction definition, drugs addiction effects, drugs addiction quotes, drugs addiction speech, drugs addiction in india, drugs addiction information, drug addiction young adults, drug addiction young generation, drug addiction young, drug ...

  15. नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध

    नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध - Essay On Drug Abuse In Hindi मादक द्रव्य : मौत का ...

  16. नशा मुक्ति पर निबंध Essay on De-Addiction in Hindi

    निष्कर्ष Conclusion. इस लेख में आपने नशा मुक्ति पर निबंध (Essay on De-addiction in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको ...

  17. एडिक्शन के बारे में पाएं पूरी जानकारी विस्तार से

    एडिक्शन (addiction) को हम बुरी आदत या लत भी कह सकते हैं। हर व्यक्ति को किसी न किसी चीज की आदत होती है जैसे चाय या कॉफी की लत, अधिक काम करने की लत आदि। लेकिन, इसे हम ...

  18. Drugs de addiction What is addiction know how it affects the brain

    Myupchar. Last Updated : September 8, 2020, 06:31 IST. Join our Channel. किसी भी तरह के नशे की लत (Addiction) नुकसानदायक ही होती है. नशे से छुटकारा पाना भी लगभग सभी लोग चाहते हैं, लेकिन यह ...

  19. नशे के खिलाफ अभियान

    सरकार एम्स के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर (National Drug Dependence Treatment Centre) की मदद से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से ...

  20. नशे की लत पर निबंध

    नशीली दवाओं की लत: शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव. नशे की लत व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य पर भारी प्रभाव डालती है। यह मस्तिष्क, गले ...

  21. 26 जून नशा मुक्ति दिवस पर नारे हिन्दी स्लोगन

    प्रत्येक वर्ष नशा को रोकने के लिए 26 जून को नशा विरोध दिवस | Drug Addiction Day मनाया जाता है बढ़ती आबादी के साथ नशा करने वालो की तादात भी बढती जा रही है जिसके

  22. नशा मुक्त भारत अभियान| भारतीय राष्ट्रीय पोर्टल

    Initiatives. The Ministry of Social Justice and Empowerment has been mandated to reduce drug demand. It coordinates and oversees all aspects of drug abuse prevention including assessment of the extent of the problem, preventive action, treatment and rehabilitation of addicts, dissemination of information, and public awareness and is mandated to run de-addiction centres.

  23. Fighting Drug Addiction

    Why in News. Recently, people in a few villages of Jodhpur district's Bilara block, Rajasthan have come together to tackle Drug Addiction among the youth.. Key Points. Steps Taken By the Villagers: Boycott of persons consuming liquor, tobacco and narcotics.; Imposition of a penalty on the sellers and buyers of these substances.; Drug Addiction: It refers to the condition of being addicted to ...