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short speech on mahatma gandhi in hindi

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महात्मा गांधी पर भाषण

स्वतंत्रता दिवस 2022 के अवसर पर भारत में आजादी के 76 साल की वर्षगांठ मनाई जा रही है। 15 अगस्त 1947 की नई सुबह देखने के लिए मंगल पांडेय से लेकर भगत सिंह तक कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए।.

इस वर्ष 2 अक्टूबर 2022 को महात्मा गांधी की 153वीं जयंती मनाई जा रही है। स्वतंत्रता दिवस 2022 के अवसर पर भारत में आजादी के 76 साल की वर्षगांठ मनाई गई। 15 अगस्त 1947 की नई सुबह देखने के लिए मंगल पांडेय से लेकर भगत सिंह तक कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए। स्वतंत्रता सेनानियों में महात्मा गांधी ने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अहिंसा के मार्ग पर चलकर गांधी जी के आजाद भारत का सपना साकार किया गया। महात्मा गांधी के आंदोलनों में चंपारण आंदोलन, खेड़ा आंदोलन, खिलाफत आंदोलन, असहयोग आंदोलन, नमक मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन ने लोगों को आजादी के लिए प्रेरित किया।

लोग महात्मा गांधी जी के आन्दोलनों में जुड़ते गए और आजादी की राह को आसान बनाते गए। अंत में 15 अगस्त 1947 को भारत ब्रिटिश राज से आजाद हुआ। स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में महात्मा गांधी पर भाषण लिखने की तैयारी कर रहे हैं तो करियर इंडिया हिंदी आपके लिए सबसे बेस्ट महात्मा गांधी पर भाषण लेकर आया है, जिसकी मदद से आप आसानी से महात्मा गांधी पर भाषण लिख सकते हैं।

महात्मा गांधी पर भाषण

महात्मा गांधी पर भाषण अगर आज गांधीजी जिंदा होते तो 2 अक्टूबर 2022 को 153 साल के हो जाते, लेकिन आज गांधी जी हम सबके मन में जिंदा है। इस साल 2 अक्टूबर 2022 को महात्मा गांधी की 153वीं जयंती मनाई जाएगी। मेरे लिए हर दिन के अचरण में गांधीजी के जीवनदर्शन को उतारना ही सही मायनों में गांधीवादी होना है और सही मायनों में उनके प्रति सम्मान व्यक्त करना है। गांधी जी ने भारत की आजादी के लिए अपना पूरा जीवन देश को समर्पित किया। देश में उनके अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया और उनके नाम में महात्मा शब्द जोड़ा गया। जयंती मनाना महज एक रस्म अदायगीभर होती है। महत्वपूर्ण यह है कि क्या हमारे जीवन में उस जीवन का कोई अंश या प्रभाव है, जिसकी हम जयंती मना रहे हैं? अगर ये होता है तो वह फिर हमारी जिंदगी एक नई राह पर चलती है।

किसी के प्रति सम्मान का सबसे सही तरीका यही है, इसलिए मुझे गांधी जयंती मनाने या उनके भव्य कार्यक्रम में जाने से ज्यादा उनके विचारों को जीवन में उतरना है। भारत जिस तरह की समरस्ता के लिए सदियों से जाना जाता रहा है और जिस तरह के भारत को दुनिया जानती, मानती व सम्मान करती है, उस समरस भारत की तो अब छवि ही ध्वस्त की जा रही है। एक मुल्क के लिए और एक समाज के लिए वह आईना उसकी सूरत को दिखाने वाला आईना नहीं होता बल्कि उसकी आत्मा को दर्शाने वाला आईना होता है। सूरत को हम चाहे जितनी साफ सुथरी बनाकर रखें, उसे सुंदर गढ़ लें, लेकिन जो आईना हमारी आत्मा को दिखाता है, उसे हमारी सूरत से कुछ लेना देना नहीं होता। इसलिए गांधीजी के विचारों का सम्मान करें, यही हमें गांधीवादी बनता है।

जब तक कि हम गांधीजी के जीवनदर्शन को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में नहीं उतारते, तक तब उनके सपनों का भारत का निर्माण नहीं होगा। मुझे चिंता इस बात की है कि गांधीजी को उत्सव में तब्दील करने के बाद भी मुल्क के आईने में जो हमारी आत्मा की तस्वीर नजर आयेगी, क्या उसे हम खुद स्वीकार कर पायेंगे? यह गांधी की छवि पूजा का दौर है, उनका दिनरात खूब नाम लिया जा रहा है। लेकिन अपने जीवन और अपनी सोच में उन्हें बिल्कुल जगह नहीं दी जा रही। इसका बहुत बुरा असर पड़ा रहा है। गांधी के नाम पर जो बड़े बड़े कार्यक्रम करने की होड़ लगी हुई, वह दरअसल जनता को कन्फ्यूज करने के लिए है। जनता को यह बताने या दर्शाने की कोशिश की जा रही है कि सरकार गांधीजी के बताये हुए मार्ग पर चल रही है और इसी के बल पर उससे अपने लिए समर्थन मांगा जाता है।

जब लोग नासमझी में किसी को समर्थन देते हैं तो ऐसे लोग गर्व से यह कहते हें, उन्हें जनता ने चुना है। यह गांधी दर्शन के साथ एक राजनीतिक साजिश है। लेकिन मैं समझता हूं, जो खरा है, वो कभी खत्म नहीं होगा। इतिहास गवाह है जो खरा है, उसे थोड़े समय तक के लिए भले बरगला दिया जाए लेकिन कोई भी ताकत खरे प्रभाव को कभी भी खत्म नहीं कर सकती। अगर गांधीजी को इस किस्म से बरगलाना आसान होता तो अब तक दुनिया में गांधीजी का प्रभाव खत्म हो गया होता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हर गुजरते दिन के साथ गांधीजी पहले से ज्यादा महत्वपूर्ण और पहले से ज्यादा दुनिया की जरूरत बन गए हैं, जो लोग गांधीजी की मूर्ति की पूजा के बहाने अपने मंसूबो को अंजाम देने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें मालूम होना चाहिए कि नकली भक्ति हमेशा के लिए कभी नहीं टिकती, वह जल्दी बेनकाब हो जाती है।

गांधीजी के साथ कुछ वैसा ही हो रहा है जैसा मर्यादा पुरुषोत्तम राम के साथ हुआ या हो रहा है। जो लोग राम के भक्त कहलाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें वह मर्यादा पुरुषोत्तम राम याद नहीं आता जिसके कारण उन्हें भगवान का दर्जा मिला। वह तो बस राम का नाम लेकर अपनी राजनीति को चमकाना चाहते हैं। इसी तरह गांधी के साथ हो रहा है। इस दौर के राजनेता आईकोनिक पूजा का दिखावा करते हैं, लेकिन जिन्हें अपना आदर्श बताते हैं, कभी उनके कदमों पर चलने की कोशिश नहीं करते। क्योंकि यह उन्हें बहुत कठिन लगता है और यह भी सही है कि उनकी फितरत भी अलग है। आज के दौर में राजनीति, आईकोनिक पूजा के बहाने अपने उद्देश्यों को गाठने की कोशिश करती है। इस क्रम में भले उसे अपने ही आर्दश की छवि के साथ नाइंसाफी करनी पड़े।

बापू के साथ भी यही कोशिश हो रही है। लेकिन जनता अब ऐसी नहीं है कि राजनेताओं के बरगलाने पर वह लंबे समय तक बरगलायी जाती रहे। अब जनता का भ्रमित होना आसान नहीं है। हां, थोड़े बहुत लोग भ्रमित हो भी रहे हैं तो उसकी वजह यह है कि आज की दुनिया में ऐसे लोग दिखते ही नहीं जिनकी तुलना गांधीजी से की जा सके या जिन्हें आज के दौर का गांधी कहा जा सके। किसी भी महान आत्मा से दर्शाया गया प्रेम हमारे आचरण और व्यवहार में तभी दिखता है जब वह सच्चा या सचमुच का प्रेम हो। अभी जो बापू के प्रति प्रेम दिखता है, जो भक्ति दिखती है, वह एक छलावा है। बापू के नाम पर अपने ही एजेंडा को सेट करने का षडयंत्र है, एक तरह से बापू का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस सबसे देश को कोई फायदा नहीं होगा, देश को फायदा तब होगा जब हम उनके बताए मार्ग पर चलेंगे।

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महात्मा गाँधी

महात्मा गाँधी एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही सत्य और अहिंसा का स्मरण होता है। एक ऐसा व्यक्तित्व जिन्होंने किसी दूसरे को सलाह देने से पहले उसका प्रयोग स्वंय पर किया। जिन्होंने बड़ी से बड़ी मुसीबत में भी अहिंसा का मार्ग नहीं छोङा। महात्मा गाँधी महान व्यक्तित्व के राजनैतिक नेता थे। इन्होंने भारत की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया था। गाँधी जी सादा जीवन उच्च विचार के समर्थक थे, और इसे वे पूरी तरह अपने जीवन में लागू भी करते थे। उनके सम्पूर्णं जीवन में उनके इसी विचार की छवि प्रतिबिम्बित होती है। यहीं कारण है कि उन्हें 1944 में नेताजी सुभाष चन्द्र ने राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित किया था।

महात्मा गाँधी से संबंधित तथ्य:

पूरा नाम – मोहनदास करमचन्द गाँधी अन्य नाम – बापू, महात्मा, राष्ट्र-पिता जन्म-तिथि व स्थान – 2 अक्टूबर 1869, पोरबन्दर (गुजरात) माता-पिता का नाम – पुतलीबाई, करमचंद गाँधी पत्नी – कस्तूरबा गाँधी शिक्षा – 1887 मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की,

  • विद्यालय – बंबई यूनिवर्सिटी, सामलदास कॉलेज
  • इंग्लैण्ड यात्रा – 1888-91, बैरिस्टर की पढाई, लंदन युनिवर्सिटी

बच्चों के नाम (संतान) – हरीलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास प्रसिद्धि का कारण – भारतीय स्वतंत्रता संग्राम राजनैतिक पार्टी – भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस स्मारक – राजघाट, बिरला हाऊस (दिल्ली) मृत्यु – 30 जनवरी 1948, नई दिल्ली मृत्यु का कारण – हत्या

महात्मा गाँधी की जीवनी (जीवन-परिचय)

महात्मा गाँधी (2 अक्टूबर 1869 – 30 जनवरी 1948)

जन्म, जन्म-स्थान व प्रारम्भिक जीवन

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबन्दर, गुजरात में करमचंद गाँधी के घर पर हुआ था। यह स्थान (पोरबंदर) पश्चिमी भारत में गुजरात राज्य का एक तटीय शहर है। ये अपनी माता पुतलीबाई के अन्तिम संतान थे, जो करमचंद गाँधी की चौथी पत्नी थी। करमचंद गाँधी की पहली तीन पत्नियों की मृत्यु प्रसव के दौरान हो गई थी। ब्रिटिश शासन के दौरान इनके पिता पहले पोरबंदर और बाद में क्रमशः राजकोट व बांकानेर के दीवान रहें।

महात्मा गाँधी जी का असली नाम मोहनदास था और इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी। इसी कारण इनका नाम पूरा नाम मोहन दास करमचंद गाँधी पङा। ये अपने तीन भाईयों में सबसे छोटे थे। इनकी माता पुतलीबाई, बहुत ही धार्मिक महिला थी, जिस का गाँधी जी के व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव पङा। जिसे उन्होंने स्वंय पुणे की यरवदा जेल में अपने मित्र और सचिव महादेव देसाई को कहा था, ‘‘तुम्हें मेरे अंदर जो भी शुद्धता दिखाई देती हो वह मैंने अपने पिता से नहीं, अपनी माता से पाई है…उन्होंने मेरे मन पर जो एकमात्र प्रभाव छोड़ा वह साधुता का प्रभाव था।’’

गाँधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत को मानने वाले परिवार में हुआ, और उनके जीवन पर भारतीय जैन धर्म का गहरा प्रभाव पङा। यही कारण है कि वे सत्य और अहिंसा में बहुत विश्वास करते थे और उनका अनुसरण अपने पूरे जीवन काल में किया।

गाँधी जी का विवाह (शादी)/ गाँधी जी का वैवाहिक जीवन

गाँधी जी की शादी सन् 1883, मई में 13 वर्ष की आयु पूरी करते ही 14 साल की कस्तूरबा माखन जी से हुई। गाँधी जी ने इनका नाम छोटा करके कस्तूरबा रख दिया और बाद में लोग उन्हें प्यार से बा कहने लगे। कस्तूरबा गाँधी जी के पिता एक धनी व्यवसायी थे। कस्तूरबा गाँधी शादी से पहले तक अनपढ़ थीं। शादी के बाद गाँधीजी ने उन्हें लिखना एवं पढ़ना सिखाया। ये एक आदर्श पत्नी थी और गाँधी जी के हर कार्य में दृढता से उनके साथ खङी रही। इन्होंने गाँधी जी के सभी कार्यों में उनका साथ दिया।

1885 में गाँधी जी जब 15 साल के थे तब इनकी पहली संतान ने जन्म लिया। लेकिन वह कुछ ही समय जीवित रहीं। इसी वर्ष इनके पिताजी करमचंद गाँधी की भी मृत्यु हो गयी। गाँधी जी के 4 सन्तानें थी और सभी पुत्र थे:- हरीलाल गाँधी (1888), मणिलाल गाँधी (1892), रामदास गाँधी (1897) और देवदास गाँधी (1900)।

गाँधी जी की शिक्षा- दीक्षा

प्रारम्भिक शिक्षा

गाँधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबंदर में हुई थी। पोरबंदर से उन्होंने मिडिल स्कूल तक की शिक्षा प्राप्त की। इनके पिता की बदली राजकोट होने के कारण गाँधी जी की आगे की शिक्षा राजकोट में हुई। गाँधी जी अपने विद्यार्थी जीवन में सर्वश्रेष्ठ स्तर के विद्यार्थी नहीं थे। इनकी पढाई में कोई विशेष रुचि नहीं थी। हालांकि गाँधी जी एक एक औसत दर्जें के विद्यार्थी रहे, किन्तु किसी किसी प्रतियोगिता और खेल में उन्होंने पुरुस्कार और छात्रवृतियॉ भी जीती। 21 जनवरी 1879 में राजकोट के एक स्थानीय स्कूल में दाखिला लिया। यहाँ उन्होंने अंकगणित, इतिहास और गुजराती भाषा का अध्यन किया।

साल 1887 में जैसे-तैसे उन्होंने राजकोट हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की और आगे की पढ़ाई के लिये भावनगर के सामलदास कॉलेज में प्रवेश लिया। घर से दूर रहने के कारण वे पर अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाये और अस्वस्थ होकर पोरबंदर वापस लौट आये। यदि आगे की पढ़ाई का निर्णय गाँधी जी पर छोड़ा जाता तो वह डॉक्टरी की पढ़ाई करके डॉक्टर बनना चाहते थे, किन्तु उन्हें घर से इसकी अनुमति नहीं मिली।

इंग्लैण्ड में उच्च स्तर की पढाई

गाँधी जी के पिता की मृत्यु के बाद उनके परिवार के एक करीबी मित्र भावजी दवे ने उन्हें वकालत करने की सलाह दी और कहा कि बैरिस्टर की पढ़ाई करने के बाद उन्हें अपने पिता का उत्तराधिकारी होने के कारण उनका दीवानी का पद मिल जायेगा।

उनकी माता पुतलीबाई और परिवार के कुछ सदस्यों ने उनके विदेश जाने के फैसले का विरोध किया, किन्तु गाँधी जी ने अपनी माँ से वादा किया कि वे शाकाहारी भोजन करेगें। इस प्रकार अपनी माँ को आश्वस्त करने के बाद उन्हें इंग्लैण्ड जाने की आज्ञा मिली।

4 सितम्बर 1888 को गाँधी जी इंग्लैण्ड के लिये रवाना हुये। यहाँ आने के बाद इन्होंने पढ़ाई को गम्भीरता से लिया और मन लगाकर अध्ययन करने लगे। हालांकि, इंग्लैण्ड में गाँधी जी का शुरुआती जीवन परेशानियों से भरा हुआ था। उन्हें अपने खान-पान और पहनावे के कारण कई बार शर्मिदा भी होना पड़ा। किन्तु उन्होंने हर एक परिस्थिति में अपनी माँ को दिये वचन का पालन किया।

बाद में इन्होंने लंदन शाकाहारी समाज (लंदन वेजीटेरियन सोसायटी) की सदस्यता ग्रहण की और इसके कार्यकारी सदस्य बन गये। यहाँ इनकी मुलाकात थियोसोफिकल सोसायटी के कुछ लोगों से हुई जिन्होंने गाँधी जी को भगवत् गीता पढ़ने को दी। गाँधी जी लंदन वेजीटेरियन सोसायटी के सम्मेलनों में भाग लेने लगे और उसकी पत्रिका में लेख लिखने लगे। यहाँ तीन वर्षों (1888-1891) तक रहकर अपनी बैरिस्टरी की पढ़ाई पूरी की और 1891 में ये भारत लौट आये।

गाँधी जी का 1891-1893 तक का समय

1891 में जब गाँधी जी भारत लौटकर आये तो उन्हें अपनी माँ की मृत्यु का दुखद समाचार प्राप्त हुआ। उन्हें यह जानकर बहुत निराशा हुई कि वकालत एक स्थिर व्यवसायी जीवन का आधार नहीं है। गाँधी जी ने बंबई जाकर वकालत का अभ्यास किया किन्तु स्वंय को स्थापित नहीं कर पाये और वापस राजकोट आ गये। यहाँ इन्होंने लागों की अर्जियाँ लिखने का कार्य शुरु कर दिया। एक ब्रिटिश अधिकारी को नाराज कर देने के कारण इनका यह काम भी बन्द हो गया।

गाँधी जी की अफ्रीका यात्रा

एक वर्ष के कानून के असफल अभ्यास के बाद, गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका के व्यापारी दादा अब्दुला का कानूनी सलाहकार बनने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। 1883 में गाँधी जी ने अफ्रीका (डरबन) के लिये प्रस्थान किया। इस यात्रा और वहाँ के अनुभवों ने गाँधी जी के जीवन को एक महत्वपूर्ण मोङ दिया। इस यात्रा के दौरान गाँधी जी को भारतियों के साथ हो रहें भेदभाव को देखा।

ऐसी कुछ घटनाऐं उनके साथ घटित हुई जिससे उन्हें भारतियों और अश्वेतों के साथ हो रहे अत्याचारों का अनुभव हुआ जैसे: 31 मई 1883 को प्रिटोरिया जाने के दौरान प्रथम श्रेणी की टिकट के बावजूद उन्हें एक श्वेत अधिकारी ने गाडी से धक्का दे दिया और उन्होंने ठिठुरते हुये रात बिताई क्योंकि वे किसी से पुनः अपमानित होने के डर से कुछ पूछ नहीं सकते थे, एक अन्य घटना में एक घोङा चालक ने उन्हें पीटा क्योंकि उन्होंने एक श्वेत अंग्रेज को सीट देकर पायदान पर बैठकर यात्रा करने से इंकार कर दिया था, यूरोपियों के लिये सुरक्षित होटलों पर जाने से रोक आदि कुछ ऐसी घटनाऐं थी जिन्होंने गाँधी जी के जीवन का रुख ही बदल दिया।

नटाल (अफ्रीका) में भारतीय व्यापारियों और श्रमिकों के लिये यह अपमान आम बात थी और गाँधी जी के लिये एक नया अनुभव। यहीं से गाँधी जी के जीवन में एक नये अध्याय की शुरुआत हुई। गाँधी जी ने सोचा कि यहाँ से भारत वापस लौटना कायरता होगी अतः वहीं रह कर इस अन्याय का विरोध करने का निश्चय किया। इस संकल्प के बाद वे अगले 20 वर्षों (1893-1894) तक दक्षिण अफ्रीका में ही रहें और भारतियों के अधिकारों और सम्मान के लिये संघर्ष किया।

दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष का प्रथम चरण (1884-1904) –

  • संघर्ष के इस प्रथम चरण के दौरान गाँधी जी की राजनैतिक गतिविधियाँ नरम रही। इस दौरान उन्होंने केवल सरकार को अपनी समस्याओं और कार्यों से संबंधित याचिकाएँ भेजते थे।
  • भारतियों को एक सूत्र में बाँधने के लिये 22 अगस्त 1894 में “नेटाल भारतीय काग्रेंस का” गठन किया।
  • “इण्डियन ओपिनियन” नामक अखबार के प्रकाशन की प्रक्रिया शुरु की।
  • इस संघर्ष को व्यापारियों और वकीलों के आन्दोलन के नाम से जाना जाता है।

संघर्ष का दूसरा चरण –

  • अफ्रीका में संघर्ष के दूसरे चरण की शुरुआत 1906 में हुई।
  • इस समय उपनिवेशों की राजनीतिक स्थिति में परिवर्तन हो चुका था, तो गाँधी जी ने नये स्तर से आन्दोलन को प्रारम्भ किया। यहीं से मूल गाँधीवादी प्राणाली की शुरुआत मानी जाती है।
  • 30 मई 1910 में जोहान्सवर्ग में टाल्सटाय और फिनिक्स सेंटमेंट की स्थापना।
  • काग्रेंस के कार्यकर्ताओं को अहिंसा और सत्याग्रह का प्रशिक्षण।

महात्मा गाँधी का भारत आगमन

1915 में 46 वर्ष की उम्र में गाँधी जी भारत लौट आये, और भारत की स्थिति का सूक्ष्म अध्ययन किया। गोपाल कृष्ण गोखले (गाँधी जी के राजनीतिक गुरु) की सलाह पर गाँधी जी नें एक वर्ष शान्तिपूर्ण बिना किसी आन्दोलन के व्यतीत किया। इस समय में उन्होंने भारत की वास्तविक स्थिति से रूबरू होने के लिये पूरे भारत का भ्रमण किया। 1916 में गाँधी जी नें अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना की। फरवरी 1916 में गाँधी जी ने पहली बार बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय में मंच पर भाषण दिया। जिसकी चर्चा पूरे भारत में हुई।

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में सक्रिय भूमिका

चम्पारण और खेडा आन्दोलन (1917-1918)

साल 1917 में बिहार के चम्पारण जिले में रहने वाले किसानों के हक के लिये गाँधी जी ने आन्दोलन किया। यह गाँधी जी का भारत में प्रथम सक्रिय आन्दोलन था, जिसनें गाँधी जी को पहली राजनैतिक सफलता दिलाई। इस आन्दोलन में उन्होंने अहिंसात्मक सत्याग्रह को अपना हथियार बनाया और इस प्रयोग में प्रत्याशित सफलता भी अर्जित की।

19 वीं शताब्दी के अन्त में गुजरात के खेड़ा जिले के किसान अकाल पड़ने के कारण असहाय हो गये और उस समय उपभोग की वस्तुओं के भी दाम बहुत बढ़ गये थे। ऐसे में किसान करों का भुगतान करने में बिल्कुल असमर्थ थे। इस मामले को गाँधी जी ने अपने हाथ में लिया और सर्वेंट ऑफ इण्डिया सोसायटी के सदस्यों के साथ पूरी जाँच-पड़ताल के बाद अंग्रेज सरकार से बात की और कहा कि जो किसान लगान देने की स्थिति में है वे स्वतः ही दे देंगे बशर्तें सरकार गरीब किसानों का लगान माफ कर दें। ब्रिटिश सरकार ने यह प्रस्ताव मान लिया और गरीब किसानों का लगान माफ कर दिया।

1918 में अहमदाबाद मिल मजदूरों के हक के लिये भूख हङताल

1918 में अहमदाबाद के मिल मालिक कीमत बढने के बाद भी 1917 से दिये जाने वाले बोनस को कम बंद कर करना चाहते थे। मजदूरों ने माँग की बोनस के स्थान पर मजदूरी में 35% की वृद्धि की जाये, जबकि मिल मालिक 20% से अधिक वृद्धि करना नहीं चाहते थे। गाँधी जी ने इस मामले को सौंपने की माँग की। किन्तु मिल मालिकों ने वादा खिलाफी करते हुये 20% वृद्धि की। जिसके खिलाफ गाँधी जी नें पहली बार भूख हङताल की। यह इस हङताल की सबसे खास बात थी। भूख हङताल के कारण मिल मालिकों को मजदूरों की माँग माननी पङी।

इन आन्दोलनों ने गँधी जी को जनप्रिय नेता तथा भारतीय राजनीति के प्रमुख स्तम्भ के रुप में स्थापित कर दिया।

खिलाफत आन्दोलन (1919-1924)

तुर्की के खलीफा के पद की दोबारा स्थापना करने के लिये देश भर में मुसलमानों द्वारा चलाया गया आन्दोलन था। यह एक राजनीतिक-धार्मिक आन्दोलन था, जो अंग्रेजों पर दबाव डालने के लिये चलाया गया था। गाँधी जी ने इस आन्दोलन का समर्थन किया। इस आन्दोलन का समर्थन करने का मुख्य उद्देश्य स्वतंत्रता आन्दोलन में मुसलिमों का सहयोग प्राप्त करना था।

असहयोग आन्दोलन (1919-1920)

प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के दौरान प्रेस पर लगे प्रतिबंधों और बिना जाँच के गिरफ्तारी वे आदेश को सर सिडनी रोलेट की अध्यक्षता वाली समिति ने इन कडे नियमों को जारी रखा। जिसे रोलेट एक्ट के नाम से जाना गया। जिसका पूरे भारत में व्यापक स्तर पर विरोध हुआ। उस विरोधी आन्दोलन को असहयोग आन्दोलन का नाम दिया गया। असहयोग आन्दोलन के जन्म का मुख्य कारण रोलट एक्ट और जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड (1919) था।

गाँघी जी अध्यक्षता में 30 मार्च 1919 और 6 अप्रैल 1919 को देश व्यापी हङताल का आयोजन किया गया। चारों तरफ देखते ही देखते सभी सरकारी कार्य ठप्प हो गये। अंग्रेज अधिकारी इस असहयोग के हथियार के आगे बेवस हो गये। 1920 में गाँधी जी कांग्रेस के अध्यक्ष बने और इस आन्दोलन में भाग लेने के लिये भारतीय जनमानस को प्रेरित किया। गाँधी जी की प्रेरणा से प्रेरित होकर प्रत्येक भारतीय ने इसमें बढ-चढ कर भाग लिया।

इस आन्दोलन को और अधिक प्रभावी करने के लिये और हिन्दू- मुसलिम एकता को मजबूती देने के उद्देश्य से गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन को खिलाफत आन्दोलन से जोङ दिया।

सरकारी आकडों के अनुसार साल 1921 में 396 हडतालें आयोजित की गयी जिसमें 6 लाख श्रमिकों ने भाग लिया था और इस दौरान लगभग 70 लाख कार्यदिवसों का नुकसान हुआ था। विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों और कालेजों में जाना बन्द कर दिया, वकीलों ने वकालात करने से मना कर दिया और श्रमिक वर्ग हङताल पर चला गया। इस प्रकार प्रत्येक भारतीय नागरिक ने अपने अपने ढंग से गाँधी जी के इस आन्दोलन को सफल बनाने में सहयोग किया। 1857 की क्रान्ति के बाद यह सबसे बङा आन्दोलन था जिसने भारत में ब्रिटिश शासन के अस्तित्व को खतरें में डाल दिया था।

चौरी-चौरा काण्ड (1922)

1922 तक आते आते यह देश का सबसे बङा आन्दोलन बन गया था। एक हङताल की शान्तिपूर्ण विरोध रैली के दौरान यह अचानक हिंसात्मक रुप में परिणित हो गया। विरोध रैली के दौरान पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करके जेल में डालने से भीङ आक्रोशित हो गयी। और किसानों के एक समूह ने फरवरी 1922 में चौरी-चौरा नामक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी। इस घटना में कई निहत्थे पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गयी।

इस घटना से गाँधी जी बहुत आहत हुये और उन्होंने इस आन्दोलन को वापस ले लिया। गांधी जी ने यंग इण्डिया में लिखा था कि, “आन्दोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मैं हर एक अपमान, हर एक यातनापूर्ण बहिष्कार, यहाँ तक की मौत भी सहने को तैयार हूँ।”

सविनय अवज्ञा आन्दोलन (12 मार्च 1930)

इस आनदोलन का उद्देश्य पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त करना था। गाँधी जी और अन्य अग्रणी नेताओं को अंग्रेजों के इरादों पर शक होने लगा था कि वे अपनी औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान करने की घोषणा को पूरी करेगें भी या नहीं। गाँधी जी ने अपनी इसी माँग का दबाव अंग्रेजी सरकार पर डालने के लिये 6 अप्रैल 1930 को एक और आन्दोलन का नेतृत्व किया जिसे सविनय अवज्ञा आन्दोलन के नाम से जाना जाता है।

इसे दांङी मार्च या नमक कानून भी कहा जाता है। यह दांङी मार्च गाँधी जी ने साबरमती आश्रम से निकाली। इस आन्दोलन का उद्देश्य सामूहिक रुप से कुछ विशिष्ट गैर-कानूनी कार्यों को करके सरकार को झुकाना था। इस आन्दोलन की प्रबलता को देखते हुये सरकार ने तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन को समझौते के लिये भेजा। गाँधी जी ने यह समझौता स्वीकार कर लिया और आन्दोलन वापस ले लिया।

भारत छोडो आन्दोलन (अगस्त 1942)

क्रिप्श मिशन की विफलता के बाद गाँधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ अपना तीसरा बङा आन्दोलन छेङने का निर्णय लिया। इस आन्दोलन का उद्देश्य तुरन्त स्वतंत्रता प्राप्त करना था। 8 अगस्त 1942 काग्रेंस के बम्बई अधिवेशन में अंग्रेजों भारत छोङों का नारा दिया गया और 9 अगस्त 1942 को गाँधी जी के कहने पर पूरा देश आन्दोलन में शामिल हो गया। ब्रिटिश सरकार ने इस आन्दोलन के खिलाफ काफी सख्त रवैया अपनाया। इस आन्दोलन को दबाने में सरकार को एक वर्ष से अधिक समय लगा।

भारत का विभाजन और आजादी

अंग्रेजों ने जाते जाते भी भारत को दो टुकङों में बाँट दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों की स्थिति बहुत कमजोर हो गयी थी। उन्होंने भारत को आजाद करने के संकेत दे दिये थे। भारत की आजादी के साथ ही जिन्ना के नेतृत्व में एक अलग राज्य पाकिस्तान की भी माँग होने लगी। गाँधी जी देश का बँटवारा नहीं होने देना चाहते थे। किन्तु उस समय परिस्थितियों के प्रतिकूल होने के कारण देश दो भागों में बँट गया।

महात्मा गाँधी की मृत्यु (30 जनवरी 1948)

नाथूराम गोडसे और उनके सहयोगी गोपालदास ने 30 जनवरी 1948 को शाम 5 बजकर 17 मिनट पर बिरला हाउस में गाँधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी। जवाहर लाल नेहरु ने गाँधी जी की हत्या की सूचना इन शब्दों में दी, ‘हमारे जीवन से प्रकाश चला गया और आज चारों तरफ़ अंधकार छा गया है। मैं नहीं जानता कि मैं आपको क्या बताऊँ और कैसे बताऊँ। हमारे प्यारे नेता, राष्ट्रपिता बापू अब नहीं रहे।’

गाँधी जी का जीवन-चक्र (टाईम-लाइन) एक नजर मेः-

1879 – जन्म – 2 अक्टूबर, पोरबंदर (गुजरात)।

1876 – गाँधी जी के पिता करमचंद गाँधी की राजकोट में बदली, परिवार सहित राजकोट आना और कस्तूरबा माखन जी से सगाई।

1879 – 21 जनवरी 1879 को राजकोट के स्थानीय स्कूल में दाखिला।

1881 – राजकोट हाई स्कूल में पढाई।

1883 – कस्तूरबा माखन जी से विवाह।

1885 – गाँधी जी के पिता की मृत्यु, इसी वर्ष इनके पहले पुत्र का जन्म और कुछ समय बाद उसकी मृत्यु।

1887 – राजकोट हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की, सामलदास कॉलेज (भावनगर) में प्रवेश।

1888 – पहले पुत्र हरीलाल का जन्म, बैरिस्टर की पढाई के लिये इंग्लैण्ड के लिये प्रस्थान।

1891 – बैरिस्टर की पढाई करके भारत लौटे, अपनी अनुपस्थिति में माता पुतलीबाई के निधन का समाचार, पहले बम्बई बाद में राजकोट में वकालात की असफल शुरुआत।

1892 – दूसरे पुत्र मणिलाल गाँधी का जन्म।

1893 – अफ्रीकी व्यापारी दादा अब्दुला के कानूनी सलाहकार का प्रस्ताव को स्वीकार कर अफ्रीका (डरबन) के लिये प्रस्थान, 31 मई 1893 को प्रिटोरिया रेल हादसा, रंग-भेद का सामना।

1894 – दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष के प्रथम चरण का प्रारम्भ, नेटाल इण्डियन कांग्रेस की स्थापना।

1896 – भारत आगमन (6 महीने के लिये) और पत्नी और एक पुत्र को लेकर अफ्रीका वापस गये।

1897 – तीसरे पुत्र रामदास का जन्म।

1899 – बोअर युद्ध में ब्रिटिश की मदद के लिये भारतीय एम्बुलेंस सेवा प्रदान की।

1900 – चौथे और अन्तिम पुत्र देवदास का जन्म।

1901 – अफ्रीकी भारतियों को आवश्यकता के समय मदद करने के लिये वापस आने का आश्वासन देकर परिवार सहित स्वदेश आगमन, भारत का दौरा, कांग्रेस अधिवेशन में भाग और बबंई में वकालात का दफ्तर खोला।

1902 – अफ्रीका में भारतियों द्वारा बुलाये जाने पर अफ्रीका के लिये प्रस्थान।

1903 – जोहान्सवर्ग में वकालात दफ्तर खोला।

1904 – इण्डियन ओपिनियन सप्ताहिक पत्र का प्रकाशन।

1906 – जुल्लु युद्ध के दौरान भारतियों को मदद के लिये प्रोत्साहन, आजीवन ब्रह्मचर्य का संकल्प, एशियाटिक ऑर्डिनेन्स के विरोध में प्रथम सत्याग्रह।

1907 – ब्लैक एक्ट (भारतियों और अन्य एशियाई लोगों का जबरदस्ती पंजीयन) के विरोध में सत्याग्रह।

1908 – दक्षिण अफ्रीका (जोहान्सवर्ग) में पहली जेल यात्रा, दूसरा सत्याग्रह (पुनः जेल यात्रा)।

1909 – दक्षिण अफ्रीकी भारतियों की ओर से पक्ष रखने के इंग्लैण्ड यात्रा, नवम्बर (13-22 तारीख के बीच) में वापसी के दौरान हिन्द स्वराज पुस्तक की रचना।

1910 – 30 मई को जोहान्सवर्ग में टाल्सटाय और फिनिक्स सेंटमेंट की स्थापना।

1913 – द ग्रेट मार्च का नेतृत्व, 2000 भारतीय खदान कर्मियों की न्युकासल से नेटाल तक की पदयात्रा।

1915 – 21 वर्ष बाद भारत वापसी।

1916 – साबरमती नदी के किनारे (अहमदाबाद में) आश्रम की स्थापना, बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय की स्थापना पर प्रथम बार गाँधी जी का मंच से भाषण।

1917 – बिहार के चम्पारन जिले में नील किसानों के हक के लिये सत्याग्रह आन्दोलन।

1918 – अहमदाबाद में मिल मजदूरों की हक की लङाई में मध्यस्था

1919 – रोलेट एक्ट और जलियावाला बाग हत्याकांड के विरोध में सत्याग्रह छेङा, जो आगे चलकर असहयोग आन्दोलन (1920) के नाम से प्रसिद्ध हुआ, यंग इण्डिया (अंग्रेजी) और नवजीवन (गुजराती) सप्ताहिक पत्रिका का संपादन।

1920 – जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में केसर-ए-हिन्द की उपाधि वापस की, होमरुल लीग के अध्यक्ष निर्वाचित हुये।

1921 – असहयोग आन्दोलन के अन्तर्गत बंबई में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई, साम्प्रदायिक हिंसा के विरोध में 5 दिन का उपवास।

1922 – चौरी-चौरा कांड के कारण असहयोग आन्दोलन को वापस लिया, राजद्रोह का मुकदमा और 6 वर्ष का कारावास।

1924 – बेलगाम कांग्रेस अधिवेसन में अध्यक्ष चुने गये, साम्प्रदायिक एकता के लिये 21 दिन का उपवास।

1928 – कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में भाग, पूर्ण स्वराज का आह्वान।

1929 – कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस घोषित करके राष्ट्रव्यापी आन्दोलन आरम्भ।

1930 – नमक कानून तोङने के लिये साबरमती आश्रम से दांङी यात्रा जिसे सविनय अवज्ञा आन्दोलन का नाम दिया।

1931 – गाँधी इरविन समझौता, गाँधी जी ने दूसरे गोलमाज सम्मेलन में भाग लेने को तैयार।

1932 – यरवदा पैक्ट को ब्रिटिश स्वीकृति।

1933 – साबरमती तट पर बने आश्रम का नाम हरिजन आश्रम रखकर देश में अस्पृश्यता विरोधी आन्दोलन छेङा, हरिजन नामक सप्ताहिक पत्र का प्रकाशन।

1934 – अखिल भारतीय ग्रामोद्योग की स्थापना।

1936 – वर्धा में सेवाश्रम की स्थापना।

1937 – दक्षिण भारत की यात्रा।

1940 – विनोबा भावे को पहले व्यक्तिगत सत्याग्रही के रुप में चुना गया।

1942 – क्रिप्स मिशन की असफलता, भारत छोङो अभियान की शुरुआत, सचिव मित्र महादेव देसाई का निधन।

1944 – 22 फरवरी को गाँधी जी की पत्नी कस्तूरबा गाँधी जी की मृत्यु।

1946 – बंगाल के साम्प्रदायिक दंगो के संबंध में कैबिनेट मिशन से भेंट।

1947 – साम्प्रदायिक शान्ति के लिये बिहार यात्रा, जिन्ना और गवर्नल जनरल माउन्टबैटेन से भेंट, देश विभाजन का विरोध।

1948 – बिङला हाउस में जीवन का अन्तिम 5 दिन का उपवास, 20 जनवरी को प्रार्थना सभा में विस्फोट, 30 जनवरी को प्रार्थना के लिये जाते समय नाथूराम गोडसे द्वारा हत्या।

गाँधी जी के अनमोल वचन

  • “पाप से घृणा करो, पापी से नहीं”।
  • “जो बदलाव आप दुनिया में देखना चाहते है, वह पहले स्वंय में लाये।”
  • “वास्तविक सौन्दर्य ह्रदय की पवित्रता में है|”
  • “अहिंसा ही धर्म है, वही जिंदगी का एक रास्ता है|”
  • “गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है।”
  • “चरित्र की शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए|”
  • “जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं, वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है|”
  • “जब भी आप एक प्रतिद्वंद्वी के साथ सामना कर रहे हैं। प्यार के साथ उसे जीतना।”
  • “अहिंसा, किसी भी प्राणी को विचार, शब्द या कर्म से चोट नहीं पहुंचाना है, यहाँ तक कि किसी प्राणी के लाभ के लिए भी नहीं।”
  • “जहाँ प्यार है, वहाँ जीवन है।”
  • “मैं आपके मसीहा (ईशा) को पसन्द करता हूँ, मैं आपके ईसाइयों को पसंद नहीं करता। आपके ईसाई आपके मसीहा (ईशा) के बहुत विपरीत हैं।”
  • “सबसे पहले आपकी उपेक्षा करते है, तब वे आप पर हंसते हैं, तब वे आप से लड़ते हैं, तब आप जीतते है।”
  • “मैं खुद के लिए कोई पूर्णता का दावा नहीं करता। लेकिन मैं सच्चाई के पीछे एक भावुक साधक का दावा करता हूँ, जो भगवान का दूसरा नाम हैं।”
  • “मेरे पास दुनिया को पढ़ाने के लिए कोई नई बात नहीं है। सत्य और अहिंसा पहाड़ियों के जैसे पुराने हैं। मैंनें पूर्ण प्रयास के साथ विशाल पैमाने पर दोनों में प्रयोगों की कोशिश है, जितना मैं कर सकता था।”
  • “कमज़ोर कभी माफ नहीं कर सकते। क्षमा ताकतवर की विशेषता है।”
  • “आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी।”
  • “खुशी जब मिलेगी जब जो आप सोचते है, कहते है, और जो करते है, सामंजस्य में हों।”
  • “ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो। ऐसे सीखो की तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो।”
  • “किसी राष्ट्र की संस्कृति उसके लोगों के दिलों और आत्माओं में बसती है|”
  • “कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं|”
  • “जिज्ञासा के बिना ज्ञान नहीं होता | दुःख के बिना सुख नहीं होता|”
  • “विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है|”
  • “यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है।”
  • “राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है|”
  • “चिंता के समान शरीर का क्षय और कुछ नहीं करता, और जिसे ईश्वर में जरा भी विश्वास है उसे किसी भी विषय में चिंता करने में ग्लानि होनी चाहिए।”
  • “हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है|”
  • “काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है|”
  • “लम्बे-लम्बे भाषणों से कहीं अधिक मूल्यवान इंच भर कदम उठाना है।”
  • “आपका कोई काम महत्वहीन हो सकता है, किन्तु महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें।”
  • “मेरी आज्ञा के बिना मुझे कोई नुकसान नहीं पहुँचा करता।”
  • “क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है।”
  • “क्षणभर भी बिना काम के रहना ईश्वर से चोरी समझो। मैं आन्तरिक और बाहरी सुख का दूसरा कोई भी रास्ता नहीं जानता।”
  • “अहिंसा में इतनी ताकत है कि वह विरोधियों को भी अपना मित्र बना लेती है और उनका प्रेम प्राप्त कर लेती है।”
  • “मैं हिन्दी के जरिये प्रांतीय भाषाओं को दबाना नहीं चाहता बल्कि उनके साथ हिन्दी को भी मिला देना चाहता हूँ।”
  • “एक धर्म सभी भाषणों से परे है।”
  • “किसी में विश्वास करना और उसे ना जीना बेईमानी है।”
  • “बिना उपवास के कोई प्रार्थना नहीं और बिना प्रार्थना के कोई उपवास नहीं।”
  • “मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।”
  • “मानवता का सबसे बङा हथियार शान्ति है।”

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महात्मा गांधी का भारत छोडो भाषण | Mahatma Gandhi speech in Hindi

भारत छोडो आन्दोलन – Quit India Movement पर महात्मा गांधी भाषण – Mahatma Gandhi Speech – 8 अगस्त 1942 को A.I.C.C. मुंबई में दिया गया महात्मा गांधी का भाषण सबसे बेहतरीन भाषणों में से एक है। आइये उनके उस भाषण को जानते है – और उससे क्या सिख मिलती है ये देखते हैं।

भारत छोडो अभियान गोवलिया टैंक, मुंबई – 8 अगस्त 1942

भारत छोडो आन्दोलन की शाम महात्मा गांधी – Mahatma Gandhi ने 8 अगस्त 1942 को मुंबई के गोवलिया टैंक में एक प्रेरणादायी भाषण दिया।

Mahatma Gandhi Speech Quit India Movement

महात्मा गांधी का भारत छोडो भाषण – Mahatma Gandhi speech in Hindi

प्रस्ताव पर चर्चा शुरू करने से पहले मै आप सभी के सामने एक या दो बात रखना चाहूँगा, मै दो बातो को साफ़-साफ़ समझना चाहता हूँ और उन दो बातो को मै हम सभी के लिये महत्वपूर्ण भी मानता हूँ। मै चाहता हूँ की आप सब भी उन दो बातो को मेरे नजरिये से ही देखे, क्योकि यदि आपने उन दो बातो को अपना लिया तो आप हमेशा आनंदित रहोंगे।

यह एक महान जवाबदारी है। कयी लोग मुझसे यह पूछते है की क्या मै वही इंसान हूँ जो मै 1920 में हुआ करता था, और क्या मुझमे कोई बदलाव आया है। ऐसा प्रश्न पूछने के लिये आप बिल्कुल सही हो।

मै जल्द ही आपको इस बात का आश्वासन दिलाऊंगा की मै वही मोहनदास गांधी हूँ जैसा मै 1920 में था। मैंने अपने आत्मसम्मान को नही बदला है।

आज भी मै अहिंसा से उतनी ही नफरत करता हूँ जितनी उस समय करता था। बल्कि मेरा बल तेज़ी से विकसित भी हो रहा है। मेरे वर्तमान प्रस्ताव और पहले के लेख और स्वभाव में कोई विरोधाभास नही है।

वर्तमान जैसे मौके हर किसी की जिंदगी में नही आते लेकिन कभी-कभी एखाद की जिंदगी में जरुर आते है। मै चाहता की आप सभी इस बात को जानो की अहिंसा से ज्यादा शुद्ध और कुछ नही है, इस बात को मै आज कह भी रहा हूँ और अहिंसा के मार्ग पर चल भी रहा हूँ।

हमारी कार्यकारी समिति का बनाया हुआ प्रस्ताव भी अहिंसा पर ही आधारित है, और हमारे आन्दोलन के सभी तत्व भी अहिंसा पर ही आधारित होंगे। यदि आपमें से किसी को भी अहिंसा पर भरोसा नही है तो कृपया करके वो इस प्रस्ताव के लिये वोट ना करे।

मै आज आपको अपना बात साफ़-साफ़ बताना चाहता हूँ। भगवान ने मुझे अहिंसा के रूप में एक मूल्यवान हथियार दिया है। मै और मेरी अहिंसा ही आज हमारा रास्ता है।

वर्तमान समय में जहाँ धरती हिंसा की आग में झुलस चुकी है और वही लोग मुक्ति के लिये रो रहे है, मै भी भगवान द्वारा दिये गए ज्ञान का उपयोग करने में असफल रहा हूँ, भगवान मुझे कभी माफ़ नही करेगा और मै उनके द्वारा दिये गए इस उपहार को जल्दी समझ नही पाया। लेकिन अब मुझे अहिंसा के मार्ग पर चलना ही होंगा। अब मुझे डरने की बजाये आगे देखकर बढ़ना होंगा।

हमारी यात्रा ताकत पाने के लिये नहीं बल्कि भारत की आज़ादी के लिये अहिंसात्मक लढाई के लिये है। हिंसात्मक यात्रा में तानाशाही की संभावनाये ज्यादा होती है जबकि अहिंसा में तानाशाही के लिये कोई जगह ही नही है। एक अहिंसात्मक सैनिक खुद के लिये कोई लोभ नही करता, वह केवल देश की आज़ादी के लिये ही लढता है। कांग्रेस इस बात को लेकर बेफिक्र है की आज़ादी के बाद कौन शासन करेंगा।

आज़ादी के बाद जो भी ताकत आएँगी उसका संबंध भारत की जनता से होंगा और भारत की जनता ही ये निश्चित करेंगी की उन्ही ये देश किसे सौपना है। हो सकता है की भारत की जनता अपने देश को पेरिस के हाथो सौपे। कांग्रेस सभी समुदायों को एक करना चाहता है नाकि उनमे फुट डालकर विभाजन करना चाहता है।

आज़ादी के बाद भारत की जनता अपनी इच्छानुसार किसे भी अपने देश की कमान सँभालने के लिये चुन सकती है। और चुनने के बाद भारत की जनता को भी उसके अनुरूप ही चलना होंगा।

मै जानता हु की अहिंसा परिपूर्ण नही है और ये भी जानता हूँ की हम अपने अहिंसा के विचारो से फ़िलहाल कोसो दूर है लेकिन अहिंसा में ही अंतिम असफलता नही है। मुझे पूरा विश्वास है, छोटे-छोटे काम करने से ही बड़े-बड़े कामो को अंजाम दिया जा सकता है। ये सब इसलिए होता है क्योकि हमारे संघर्षो को दखकर अंततः भगवान भी हमारी सहायता करने को तैयार हो जाते है।

मेरा इस बात पर भरोसा है की दुनिया के इतिहास में हमसे बढ़कर और किसी देश ने लोकतांत्रिक आज़ादी पाने के लिये संघर्ष किया होंगा। जब मै पेरिस में था तब मैंने कार्लाइल फ्रेंच प्रस्ताव पढ़ा था और पंडित जवाहरलाल नेहरु ने भी मुझे रशियन प्रस्ताव के बारे में थोडा बहुत बताया था। लेकिन मेरा इस बात पर पूरा विश्वास है की जब हिंसा का उपयोग कर आज़ादी के लिये संघर्ष किया जायेंगा तब लोग लोकतंत्र के महत्त्व को समझने में असफल होंगे।

जिस लोकतंत्र का मैंने विचार कर रखा है उस लोकतंत्र का निर्माण अहिंसा से होंगा, जहाँ हर किसी के पास समान आज़ादी और अधिकार होंगे। जहाँ हर कोई खुद का शिक्षक होंगा। और इसी लोकतंत्र के निर्माण के लिये आज मै आपको आमंत्रित करने आया हूँ। एक बार यदि आपने इस बात को समझ लिया तब आप हिन्दू और मुस्लिम के भेदभाव को भूल जाओंगे। तब आप एक भारतीय बनकर खुद का विचार करोंगे और आज़ादी के संघर्ष में साथ दोंगे।

अब प्रश्न ब्रिटिशो के प्रति आपके रवैये का है। मैंने देखा है की कुछ लोगो में ब्रिटिशो के प्रति नफरत का रवैया है। कुछ लोगो का कहना है की वे ब्रिटिशो के व्यवहार से चिढ चुके है। कुछ लोग ब्रिटिश साम्राज्यवाद और ब्रिटिश लोगो के बिच के अंतर को भूल चुके है। उन लोगो के लिये दोनों ही एक समान है।

उनकी यह घृणा जापानियों की आमंत्रित कर रही है। यह काफी खतरनाक होंगा। इसका मतलब वे एक गुलामी की दूसरी गुलामी से अदला बदली करेंगे। हमें इस भावना को अपने दिलोदिमाग से निकाल देना चाहिये। हमारा झगडा ब्रिटिश लोगो के साथ नही हैं बल्कि हमें उनके साम्राज्यवाद से लढना है। ब्रिटिश शासन को खत्म करने का मेरा प्रस्ताव गुस्से से पूरा नही होने वाला। यह किसी बड़े देश जैसे भारत के लिये कोई ख़ुशी वाली बात नही है की ब्रिटिश लोग जबरदस्ती हमसे धन वसूल रहे है।

हम हमारे महापुरुषों के बलिदानों को नही भूल सकते। मै जानता हूँ की ब्रिटिश सरकार हमसे हमारी आज़ादी नही छीन सकती, लेकिन इसके लिये हमें एकजुट होना होंगा। इसके लिये हमें खुदको घृणा से दूर रखना चाहिये। खुद के लिये बोलते हुए, मै कहना चाहूँगा की मैंने कभी घृणा का अनुभव नही किया। बल्कि मै समझता हूँ की मै ब्रिटिशो के सबसे गहरे मित्रो में से एक हु।

आज उनके अविचलित होने का एक ही कारण है, मेरी गहरी दोस्ती। मेरे दृष्टिकोण से वे फ़िलहाल नरक की कगार पर बैठे हुए है। और यह मेरा कर्तव्य होंगा की मै उन्हें आने वाले खतरे की चुनौती दूँ। इस समय जहाँ मै अपने जीवन के सबसे बड़े संघर्ष की शुरुवात कर रहा हूँ, मै नही चाहता की किसी के भी मनमे किसी के प्रति घृणा का निर्माण हो।

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3 thoughts on “महात्मा गांधी का भारत छोडो भाषण | Mahatma Gandhi speech in Hindi”

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काफी अच्छी जानकारी है,

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kashish mehra ji,

Thanks for comment, aapke sujhav ko dhyan main rakhakar jald se jald gandhi ke likhe hue letters ko publish karane ki koshish karenge. Aap hamase jude rahe.

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Acchi janakari hai aapki Site par bhiAachi janakari hai ! blog temmplet 1 number 🙂

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महात्मा गांधी पर निबंध | Mahatma Gandhi Essay in Hindi

महात्मा गांधी पर निबंध, 200, 250, 300, 500, 1000 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi, 200, 250, 300, 500, 1000 words, Mahatma Gandhi Par Nibandh Hindi Mein)

Mahatma Gandhi Essay in Hindi – मोहनदास करमचन्द गांधी एक ऐसे महान पुरुष थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा और मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था. गांधी जी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे और उनकी ख्याति न केवल अपने देश में बल्कि पुरे संसार में भी फैली हुई थी. गांधी का कहना था कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने से ही भारत को स्वतंत्र किया जा सकता है, और इसी अटूट विश्वास के फलस्वरूप उन्हें जनता का भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ. गांधी जी ने भारत की आजादी के लिए यही रास्ता चुना और वे किसी भी तरह की अहिंसक कार्रवाई के घोर विरोधी थे.

गांधी जी ने आखिरकार सत्य और अहिंसा को अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल करके कई वर्षों तक ब्रिटिश हुकूमत के अधीन रहे भारत देश को आजाद कराया. भारत में अंग्रेजों द्वारा भारतीय जनता पर अत्याचार किए जा रहे थे और निर्बलों तथा रक्षाहीनों का पूंजीवादी शोषण अपने चरम पर था. गांधीजी को इन सभी कारकों के परिणामस्वरूप राजनीति में प्रवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उन्होंने मानवता को अपने धर्म के रूप में देखा था.

गांधीजी का कहना था, मैं तब तक धार्मिक जीवन व्यापन नहीं कर सकता जब तक कि मैं खुद को पूरी मानवता के साथ आत्मसात नहीं कर लेता और मैं इसे तब तक पूरा नहीं कर सकता जब तक मैं राजनीति में नहीं आता. राजवैद्य जीवराम कालिदास ने साल 1915 में पहली बार गांधी जी के लिए “महात्मा” की उपाधि का प्रयोग किया. था. चूंकि उन्होंने देश की स्वतंत्रता में सबसे बड़ा योगदान दिया, इसलिए महात्मा गांधी को भारतीय लोग भगवान के रूप में पूजते हैं, जो उन्हें बापू के रूप में संदर्भित करते हैं. आज के इस आर्टिकल में हम आपको महात्मा गाँधी पर निबंध ( Mahatma Gandhi Essay in Hindi ) बताने जा रहे है.

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

Table of Contents

महात्मा गांधी पर निबंध (Short and Long Essay on Mahatma Gandhi in Hindi)

महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (mahatma gandhi essay in hindi 200 words).

महात्मा गांधी का जन्म पश्चिम भारत (अब का गुजरात) में 2 अक्टूबर वर्ष 1869 को हुआ. इनकी माँ का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गाँधी था. गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद्र गाँधी था था. इनके पिता काठियावाड़ की रियासत के दीवान हुआ करते थे. माता की आस्था और स्थानीय जैन रीति-रिवाजों के फलस्वरूप गांधीजी के जीवन पर इस धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा. 13 साल की उम्र में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा से हुआ था.

गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से पूरी हुई, इसके बाद वे राजकोट और अहमदाबाद गए जहां से उन्होंने आगे की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह लंदन चले गए जहां से उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की.

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महात्मा गांधी का सोचना था कि  भारतीय शिक्षा को संचालित करने के लिए सरकार नहीं, बल्कि समाज को जागरूक होना चाहिए. इस वजह से महात्मा गांधी ने एक बार भारत की शिक्षा को “द ब्यूटीफुल ट्री” से संबोधित किया था. उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया. इनका कहना और सपना था कि देश का प्रत्येक नागरिक शिक्षित हो. और “शोषण विहिन समाज की स्थापना” करना गांधीजी का मूल मंत्र था.

महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay In Hindi 250 Words)

हमारे देश भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ. गांधीजी की माता पुतलीबाई और पिता करमचंद गांधी थे. मोहनदास करमचंद्र गांधी को  ज्यादातर लोग बापू या राष्ट्रपिता के रूप में संदर्भित करते हैं. इस बात का कोई निश्चित रिकॉर्ड नहीं है कि शुरू में महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में किसने संदर्भित किया था, लेकिन साल 1999 में गुजरात के उच्च न्यायालय के समक्ष जस्टिस बेविस पारदीवाला द्वारा लाए गए एक मामले के परिणामस्वरूप, रवींद्रनाथ टैगोर ने सबसे पहले सभी टेस्टबुक में गांधीजी को फादर ऑफ नेशन कहा, और इसके बाद यह आदेश जारी किया.

गांधी जी जब विदेश से वकालत की पढाई करके लौटे तब भारत में अंग्रेजी हुकूमत का राज था. इस अंग्रेजी हुकूमत की नीवं की उखाड़ फैकने के लिए महात्मा गांधी जी ने कई क्रांतिकारी लड़ाई लड़ी. देश को आजादी दिलाने के लिए स्वराज और नमक सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, दाढ़ी मार्च, स्वतंत्रता और भारत का विभाजन और भारत छोड़ो आंदोलन निकाले गए.

अंत में महात्मा गांधी के नेतृत्व और कई प्रयासों के कारण भारत को आजादी मिली. गांधी जी ने भारत की आजादी के लिए सत्य और अहिंसा का रास्ता चुना. महात्मा गांधी से पहले भी लोग सत्य और अहिंसा के बारे में जानते थे, परन्तु गांधी जी ने जिस प्रकार शान्ति और अहिंसा के मार्ग पर चलकर सत्याग्रह किया, उससे अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा. गांधी जी का जीवन सादगी पूर्ण था. वे स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल पर जोर देते थे और हमेशा सफेद वस्त्र धारण करते थे.

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay In Hindi 500 Words)

भारत की आजादी में महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने लौह मन वाले देश की जनता को 200 साल से भी ज्यादा समय से चली आ रही ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाई.

महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन

नीचे हम आपको महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन के बारे में बताने जा रहे हैं-

चंपारण सत्याग्रह आंदोलन – साल 1917 में महात्मा गांधीजी के निर्देशन में बिहार के चंपारण क्षेत्र में सत्याग्रह आंदोलन हुआ. इसे चंपारण का सत्याग्रह भी कहा जाता है. यह गांधी के नेतृत्व में भारत में प्रारंभिक सत्याग्रह आंदोलन था. गांधी ने किसान आंदोलन के दौरान भारत में पहला सफल सत्याग्रह प्रयोग किया. यह आंदोलन नील उत्पादकों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ था, जो एक जबरदस्त और सफल आंदोलन बन गया.

खेड़ा आंदोलन – यह आंदोलन भी किसान से जुड़ा आंदोलन था। जब गुजरात के एक गाँव खेड़ा में बाढ़ आई, तो स्थानीय किसानों ने अधिकारियों से करों (टैक्स) को माफ़ करने के लिए गुहार लगाई. इसे लेकर गांधी जी ने हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की. और किसानों ने कर न देने का संकल्प लिया. साथ ही किसानों ने सामाजिक बहिष्कार का आयोजन किया. परिणामस्वरूप वर्ष 1918 में सरकार ने अकाल के अंत तक राजस्व कर संग्रह की शर्तों में ढील दी.

रॉलेट एक्ट का   विरोध – अंग्रेजी सरकार ने साल 1919 में बढ़ते आंदोलनों के भीतर स्वतंत्रता की बढ़ती आवाज को दबाने के लिए रॉलेट एक्ट लाया गया. इसे काला कानून भी कहा जाता है. इस एक्ट के अंतर्गत वायसराय कुछ कामों की छुट मिल गई जिसमे किसी भी राजनेता को किसी भी पल गिरफ्तार करने और बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार किया जा सकता है. गांधी के रहते हुए भारत की जनता ने इस एक्ट का पुनर्जोर विरोध किया.

असहयोग आंदोलन – गांधी जी और कांग्रेस के नेतृत्व में साल 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू किया गया. गांधीजी का सोचना था कि ब्रिटिश हुकूमत में निष्पक्ष न्याय प्राप्त करना असंभव था, इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से देश के सहयोग को हटाने के लिए असहयोग आंदोलन की योजना बनाई. इस आंदोलन ने देश की आजादी में एक नया जीवन प्रदान किया.

नमक सत्याग्रह – नमक सत्याग्रह को दांडी सत्याग्रह और दांडी मार्च के रूप में जाना जाता है. साल 1930 में जब अंग्रेजी हुकूमत ने नमक टैक्स लगाया तो महात्मा गांधी ने इस कानून के विरोध में यह आंदोलन शुरू किया. गांधी सहित 78 लोग अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से 390 किलोमीटर पैदल चलकर दांडी के तटीय गांव पहुंचे. यह यात्रा 12 मार्च को शुरू हुई और 6 अप्रैल, 1930 तक चली. कुल 24 दिनों तक चली इस यात्रा में हाथों पर नमक प्राप्त करके नमक-विरोधी नियम का उल्लंघन करने का आह्वान किया गया.

दलित आंदोलन – 8 मई, 1933 को, महात्मा गांधी ने छुआछूत की व्यापक प्रथा के विरोध में दलित आंदोलन शुरू किया. इस आंदोलन ने देश को इस हद तक प्रभावित किया कि छुआछूत काफी हद तक समाप्त हो गया. गांधी जी ने इससे पहले साल 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की भी स्थापना की थी.

भारत छोड़ो आंदोलन – साल 1942 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बॉम्बे सत्र के दौरान गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. यह आंदोलन ब्रिटिश प्रभुत्व के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ. इस आंदोलन के कारण अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा.

महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन (10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi)

  • गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है.
  • गांधी जी का जन्म गुजरात के पोरबंदर जिले में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था.
  • इनकी माँ का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गांधी था.
  • इनके पिता एक दीवान थे और माँ जैन धर्म के प्रति सद्भावना थी.
  • सिर्फ 13 साल की उम्र में इनका विवाह कस्तूरबा के साथ हुआ.
  • स्कूल और कॉलेज की पढाई भारत से और कानून की पढाई लंदन से पूरी की.
  • देश की आजादी के दौरान पहला आंदोलन चम्पारण था.
  • गांधी जी देश के राष्ट्रपिता के साथ साथ राजनीतिक और समाज सुधारक भी थे.
  • गांधीजी द्वारा निर्मित प्रथम ‘सत्याग्रह आश्रम’ मौजूदा समय में एक राष्ट्रीय स्मारक है.
  • गांधी जी के जीवन में तीन मूल मन्त्र – सत्य, अहिंसा और ब्रम्हचर्य.

निष्कर्ष – आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया महात्मा गाँधी पर निबंध ( Mahatma Gandhi Essay in Hindi ). उम्मीद करते है आपको यह जानकरी जरूर पसंद आई होगी.

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Mahatma Gandhi Essay – छात्रों के लिए महात्मा गांधी पर निबंध

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  • Updated on  
  • अगस्त 10, 2024

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

भारत के स्वतंत्रता सेनानी और बापू के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने अंग्रेज़ों की गुलामी से भारत को आज़ाद कराने के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया। आज़ादी के लिए उन्होंने चंपारण, खेड़ा, आंदोलन, नमक आंदोलन और भारत छोड़ो सहित कई आंदोलन किए। स्वतंत्रता में योगदान और उनके बारे में बच्चों को जानकारी रहे इसलिए महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) लिखने के लिए स्कूल में दिया जाता है और कई परीक्षाओं में गांधी जी के बारे में पूछा भी जाता है। इसलिए आपकी मदद के लिए इस ब्लॉग में 100, 200 और 500 शब्दों में महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) दिया गया है।

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महात्मा गांधी पर 100 शब्दों में निबंध इस प्रकार है –

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 गुजरात के पोरबंदर गांव में हुआ था। गांधीजी का भारत की स्वतंत्रता में अहम योगदान था। गांधीजी हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलते थे, वे लोगों से आशा करते थे कि वे भी अहिंसा का रास्ता अपनाएं। 1930 दांडी यात्रा करके नमक सत्याग्रह किया था। लोग गांधीजी को प्यार से बापू कहते हैं। गांधीजी ने अपनी वकालत की पढ़ाई लंदन से पूरी की थी। बापू हिंसा के खिलाफ थे और अंग्रेजों के लिए काफी बड़ी मुश्किल बने हुए थे। आजादी में बापू के योगदान के कारण उन्हें राष्ट्रपिता का ओहदा दिया गया। बापू हमेशा साधारण सा जीवन जीते थे, वे चरखा चलाकर कर सूत कातते थे और उसी से बनी धोती पहना करते थे।

महात्मा गांधी पर निबंध

यह भी पढ़ें – महात्मा गांधी के जीवन की घटनाएं, जो देती हैं आगे बढ़ने का संदेश और प्रेरणा

महात्मा गांधी पर 200 शब्दों में निबंध इस प्रकार है –

2 अक्टूबर, 1869 को भारत के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। जिन्हें महात्मा , गांधी जी, महान आत्मा और कुछ लोगों द्वारा उन्हें बापू के नाम से जाना जाता है। महात्मा गांधी वह नेता थे जिन्होंने 200 से अधिक वर्षों से भारतीय जनता को ब्रिटिश उपनिवेशवाद की बेड़ियों से भारत को मुक्त कराया था। बचपन से वह सामान्य ही रहे थे और उस समय किसी ने अनुमान नहीं लगाया होगा कि लड़का देश में लाखों लोगों को एक कर देगा और दुनिया भर में लाखों लोगों का नेतृत्व करेगा।

दूसरी तरफ स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष से लेकर आज तक और आगे के लिए भी उनका नाम इतिहास के पन्नों पर दर्ज है। महात्मा गांधी को उनकी अहिंसक, अत्यधिक बौद्धिक और सुधारवादी विचारधाराओं के लिए जाना जाता है। महान व्यक्तित्वों में माने जाने वाले, भारतीय समाज में गांधी का कद बेजोड़ है क्योंकि उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने के उनके श्रमसाध्य प्रयासों के लिए ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जाना जाता है। गांधी जी की शिक्षा का विचार मुख्य रूप से चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों, नैतिकता और मुक्त शिक्षा पर केंद्रित था। वह इस बात की वकालत करने वाले पहले लोगों में से थे कि शिक्षा को सभी के लिए मुफ्त और सभी के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो।

500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in Hindi इस प्रकार है –

महात्मा गांधी, जिन्हें बापू और राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक नेताओं में से एक थे। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था और उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी था और वह राजकोट के दीवान रह चुके थे। गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था और वह धर्मिक विचारों और नियमों का पालन करती थीं। कस्तूरबा गांधी उनकी पत्नी का नाम था वह उनसे 6 माह बड़ी थीं। कस्तूरबा और गांधी जी के पिता मित्र थे, इसलिए उन्होंने अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दी। कस्तूरबा गांधी ने हर आंदोलन में गांधी जी का सहयोग दिया था।

गांधी जी ने अपनी शिक्षा इंग्लैंड में पूरी की, जहां से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। वकील बनने के बाद, वे दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के खिलाफ हो रहे नस्लीय भेदभाव का सामना किया और उनके जीवन में सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का बीजारोपण हुआ।

दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए, गांधी जी ने सत्याग्रह का मार्ग अपनाया और अन्याय के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रतिरोध किया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और इस संघर्ष के दौरान उनके अंदर एक ऐसा नेतृत्व कौशल विकसित हुआ, जिसने उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया। 1915 में भारत लौटने के बाद, गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और अंग्रेजी शासन के खिलाफ अनेक आंदोलनों का नेतृत्व किया।

महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे महत्वपूर्ण आंदोलन हुए, जिनमें लाखों भारतीयों ने हिस्सा लिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। 1920 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की, जिसमें लोगों से अपील की गई कि वे ब्रिटिश सरकार की नौकरियों, विदेशी वस्त्रों, और संस्थानों का बहिष्कार करें। इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को हिला कर रख दिया और भारतीयों के मन में स्वतंत्रता के प्रति जागरूकता पैदा की।

1930 में गांधी जी ने नमक सत्याग्रह का नेतृत्व किया, जिसे दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक कर के खिलाफ एक अहिंसक विरोध था। गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च किया और वहां समुद्र से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन की नींव को कमजोर कर दिया और यह स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण चरण बना।

गांधी जी का जीवन सादगी, आत्मसंयम, और मानवता की सेवा के लिए समर्पित था। वे समाज में व्याप्त छुआछूत और जातिगत भेदभाव के खिलाफ भी संघर्षरत रहे। उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और समाज में समानता और समरसता की भावना को बढ़ावा दिया। 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की और छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की। उनका उद्देश्य समाज से अस्पृश्यता को समाप्त करना और दलितों को समान अधिकार दिलाना था।

महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए भारत छोड़ो आंदोलन ने ब्रिटिश शासन को यह संदेश दिया कि भारतीय अब और अधिक समय तक गुलामी में नहीं रह सकते। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को गांधी जी ने “करो या मरो” का नारा देते हुए इस आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन ने स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम चरण की शुरुआत की और 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी, लेकिन उनके विचार और सिद्धांत आज भी दुनिया भर में प्रासंगिक हैं। गांधी जी ने हमें सत्य, अहिंसा, और सेवा का मार्ग दिखाया, जो आज भी हमें प्रेरणा देता है। उनकी जीवन यात्रा और उनके द्वारा किए गए संघर्ष, मानवता के इतिहास में एक उज्ज्वल अध्याय के रूप में सदैव याद किए जाएंगे।

यह भी पढ़ें – नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को क्यों मारा?

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में इस प्रकार है –

देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले महात्मा गाँधी को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता है। उनके द्वारा अपनाई गई सादगी, आत्मसंयम और संघर्ष की राह ने न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाई, बल्कि पूरी दुनिया को भी अहिंसक संघर्ष के महत्व से अवगत कराया। गांधी जी ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दी, जिसमें उन्होंने देश के हर वर्ग, जाति और धर्म के लोगों को एकजुट कर उनके भीतर आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता का भाव जागृत किया। उनकी विचारधारा और आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक अद्वितीय अध्याय के रूप में दर्ज हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।

महात्मा गांधी, जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, एक महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और अहिंसा के पुजारी थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई और उन्हें “राष्ट्रपिता” के रूप में भी सम्मानित किया जाता है।

गांधी जी की शिक्षा इंग्लैंड में हुई, जहां से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। वकील बनने के बाद वे दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के खिलाफ हो रहे भेदभाव का सामना किया और यहीं से उनके जीवन में सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का बीजारोपण हुआ। दक्षिण अफ्रीका में 21 साल बिताने के बाद, गांधी जी भारत लौटे और ब्रिटिश शासन के खिलाफ विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व किया।

गांधी जी के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का आयोजन किया गया, जिनमें असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन प्रमुख हैं। उनकी नीतियों में सत्य, अहिंसा, स्वदेशी, और आत्मनिर्भरता का महत्व था। गांधी जी ने भारतीय समाज को जाति-भेद, छुआछूत, और सामाजिक अन्याय के खिलाफ जागरूक किया और स्वतंत्रता संग्राम को एक नैतिक आधार प्रदान किया।

1947 में भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी गांधी जी ने सामाजिक समरसता और शांति की दिशा में काम जारी रखा। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा उनकी हत्या कर दी गई, लेकिन उनके सिद्धांत और विचारधारा आज भी पूरी दुनिया में प्रेरणा का स्रोत हैं। गांधी जी का जीवन एक ऐसा मार्गदर्शक है, जो मानवता को सत्य, अहिंसा और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

महात्मा गांधी, जिन्हें बापू के नाम से भी जाना जाता है, ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान दिया। उनके नेतृत्व में किए गए विभिन्न आंदोलनों ने न केवल भारत को स्वतंत्रता की दिशा में अग्रसर किया, बल्कि दुनिया को भी अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। महात्मा गांधी द्वारा किए गए ये आंदोलन न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण अध्याय हैं, बल्कि वे दुनिया को सत्य और अहिंसा की ताकत का अहसास भी कराते हैं। गांधी जी के नेतृत्व में किए गए ये आंदोलन भारत की स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हुए और आज भी उनकी शिक्षाएं और आदर्श मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। यहां महात्मा गांधी द्वारा किए गए प्रमुख आंदोलनों का वर्णन किया गया है:

1. चंपारण सत्याग्रह (1917)

चंपारण सत्याग्रह महात्मा गांधी द्वारा भारत में किया गया पहला बड़ा आंदोलन था। यह बिहार के चंपारण जिले में हुआ, जहां ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानों से जबरन नील की खेती करा रहे थे। इस अन्याय का सामना करने के लिए गांधी जी ने सत्याग्रह का मार्ग अपनाया, जिससे ब्रिटिश सरकार को नील की खेती के अत्याचार को समाप्त करने पर मजबूर होना पड़ा। यह आंदोलन भारतीय किसानों की पहली बड़ी जीत थी और गांधी जी के नेतृत्व को पूरे देश ने स्वीकारा।

2. असहयोग आंदोलन (1920-1922)

जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद, गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध करना और स्वराज की प्राप्ति करना था। गांधी जी ने लोगों से अपील की कि वे सरकारी नौकरियों, विदेशी वस्त्रों, और ब्रिटिश संस्थानों का बहिष्कार करें। लाखों भारतीयों ने इस आंदोलन में हिस्सा लिया, जिससे ब्रिटिश सरकार को भारी नुकसान हुआ। हालाँकि, चौरी चौरा कांड के बाद गांधी जी ने इस आंदोलन को वापस ले लिया, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया।

3. नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च, 1930)

महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया नमक सत्याग्रह , जिसे दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटिश सरकार के नमक कर के खिलाफ एक अहिंसक विरोध था। 12 मार्च 1930 को गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च किया और वहां समुद्र से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन की जड़ें हिला दीं और यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण पड़ाव बना।

4. दलित आंदोलन (1932)

महात्मा गांधी ने दलितों के अधिकारों के लिए भी संघर्ष किया। 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की और छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की। उनका उद्देश्य समाज से अस्पृश्यता को समाप्त करना और दलितों को समान अधिकार दिलाना था। इसके लिए उन्होंने उपवास और सत्याग्रह का सहारा लिया, जिससे भारतीय समाज में जागरूकता आई और दलितों के उत्थान के लिए कई सुधार किए गए।

5. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की, जिसका नारा था “करो या मरो”। इस आंदोलन का उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से तत्काल स्वतंत्रता दिलाना था। गांधी जी के इस आह्वान पर पूरे देश में लाखों लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को समझा दिया कि अब भारतीयों को अधिक समय तक गुलाम नहीं रखा जा सकता, और इसके बाद ही स्वतंत्रता के लिए अंतिम चरण की तैयारियां शुरू हुईं।

महात्मा गांधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े और भारत को आज़ादी दिलाई।

यह भी पढ़ें – महात्मा गांधी के सत्याग्रह पर निबंध

महात्मा गांधी पर एक अच्छा निबंध लिखने के लिए सरल और स्पष्ट भाषा का उपयोग करें, ऐतिहासिक तथ्यों और गांधी जी के विचारों को सटीक रूप से प्रस्तुत करें, निबंध में अनुच्छेदों के बीच तारतम्यता बनाए रखें, ताकि पूरा निबंध एक संगठित और प्रवाहयुक्त लगे। इसके अतिरिक्त कई बिंदु यहां दिए गए हैं, जिनका पालन करके आप Mahatma Gandhi Essay in Hindi लिख सकते हैं –

  • निबंध की शुरुआत महात्मा गांधी के परिचय से करें।
  • गांधी जी का पूरा नाम, जन्मतिथि, जन्मस्थान, और प्रमुख उपाधियां जैसे “राष्ट्रपिता” और “बापू” का उल्लेख करें।
  • उनके जीवन के प्रमुख उद्देश्यों और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका का संक्षिप्त परिचय दें।
  • गांधी जी के प्रारंभिक जीवन के बारे में लिखें, जैसे उनके परिवार, बचपन, और शिक्षा का वर्णन करें।
  • इंग्लैंड में उनकी कानून की पढ़ाई और दक्षिण अफ्रीका में उनके संघर्ष का उल्लेख करें।
  • दक्षिण अफ्रीका में उनके जीवन के अनुभवों और कैसे वहां के नस्लीय भेदभाव ने उनके विचारों को प्रभावित किया, इस पर लिखें।
  • गांधी जी द्वारा चलाए गए प्रमुख आंदोलनों का वर्णन करें।
  • हर आंदोलन की शुरुआत, उद्देश्यों, और उसके परिणामों का विस्तार से वर्णन करें।
  • गांधी जी के अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों का उल्लेख करें।
  • गांधी जी के सामाजिक सुधारों पर प्रकाश डालें, जैसे छुआछूत विरोधी आंदोलन, दलित अधिकार, और महिला सशक्तिकरण।
  • गांधी जी की जीवनशैली, उनके विचार, और उनके प्रमुख सिद्धांत जैसे सत्य, अहिंसा, और स्वराज (आत्म-शासन) के बारे में लिखें।
  • उनके द्वारा चलाए गए स्वदेशी और ग्राम स्वराज के आंदोलनों का वर्णन करें।
  • 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या का उल्लेख करें और इस दुखद घटना के प्रभाव पर लिखें।
  • गांधी जी को विश्व में प्रेरणा स्रोत के रूप में कैसे देखा जाता है, इस के बारे में भी आप लिख सकते हैं।
  • निबंध का समापन महात्मा गांधी की शिक्षा और उनके सिद्धांतों के महत्व को रेखांकित करते हुए करें।
  • गांधी जी के जीवन से हमें क्या सीखने को मिलता है, और उनकी विचारधारा आज भी क्यों प्रासंगिक है, इसके बारे में लिखें।

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में PDF Download

गांधी के अनमोल विचार (Gandhi Quotes in Hindi) जिन्हें आप अपने निबंध में शामिल कर सकते हैं –

आजादी का कोई अर्थ नहीं है यदि इसमें गलतियां करने की आजादी शामिल न हों। -महात्मा गांधी

डर शरीर का रोग नहीं है, यह आत्मा को मारता है। -महात्मा गांधी

उफनते तूफ़ान को मात देना है तो अधिक जोखिम उठाते हुए हमें पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ना होगा। -महात्मा गांधी

ऐसे जिएं कि जैसे आपको कल मरना है और सीखें ऐसे जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है । -महात्मा गांधी

आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी। -महात्मा गांधी

यह भी पढ़ें – महात्मा गाँधी के अनमोल विचार

महात्मा गांधी के बारे में कुछ रोचक तथ्य यहां दिए हैं, जिसके बारे में Mahatma Gandhi Essay in Hindi लिखते समय विचार कर सकते हैं –

  • महात्मा गांधी की मातृ-भाषा गुजराती थी।
  • महात्मा गांधी ने राजकोट के अल्फ्रेड हाई स्कूल से पढ़ाई की थी।
  • महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को ही अंतरराष्ट्रीय अंहिसा दिवस के रूप मे विश्वभर में मनाया जाता है।
  • वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे उनके दो भाई और एक बहन थी।
  • माधव देसाई, गांधी जी के निजी सचिव थे।
  • महात्मा गांधी की हत्या बिरला भवन के बगीचे में हुई थी।
  • महात्मा गांधी और प्रसिद्ध लेखक लियो टॉलस्टॉय के बीच लगातार पत्र व्यवहार होता था।
  • महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह संघर्ष के दोरान, जोहांसबर्ग से 21 मील दूर एक 1100 एकड़ की छोटी सी कालोनी, टॉलस्टॉय फार्म स्थापित की थी।
  • महात्मा गांधी का जन्म शुक्रवार को हुआ था, भारत को स्वतंत्रता भी शुक्रवार को ही मिली थी तथा महात्मा गांधी की हत्या भी शुक्रवार को ही हुई थी।
  • महात्मा गांधी के पास नकली दांतों का एक सेट हमेशा मौजूद रहता था।

यह भी पढ़ें – जानें भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ‘बापू’ से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

गांधी जी के बयानों, पत्रों और जीवन के सिद्धांतों, प्रथाओं और विश्वासों ने राजनीतिज्ञों और विद्वानों को आकर्षित किया है, जिसमें उन्हें प्रभावित किया है। कुछ लेखक उन्हें नैतिक जीवन और शांतिवाद के प्रतिमान के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जबकि अन्य उन्हें उनकी संस्कृति और परिस्थितियों से प्रभावित एक अधिक जटिल, विरोधाभासी और विकसित चरित्र के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिसकी जानकारी नीचे दी गई है:

  • सत्य और सत्याग्रह – गांधी ने अपना जीवन सत्य की खोज और पीछा करने के लिए समर्पित कर दिया, और अपने आंदोलन को सत्याग्रह कहा, जिसका अर्थ है “सत्य के लिए अपील करना, आग्रह करना या उस पर भरोसा करना”। एक राजनीतिक आंदोलन और सिद्धांत के रूप में सत्याग्रह का पहला सूत्रीकरण 1920 में हुआ, जिसे उन्होंने उस वर्ष सितंबर में भारतीय कांग्रेस के एक सत्र से पहले ” असहयोग पर संकल्प ” के रूप में पेश किया।
  • अहिंसा – हालांकि अहिंसा के सिद्धांत को जन्म देने वाले गांधी जी नहीं थे, वे इसे बड़े पैमाने पर राजनीतिक क्षेत्र में लागू करने वाले पहले व्यक्ति थे। अहिंसा की अवधारणा का भारतीय धार्मिक विचार में एक लंबा इतिहास रहा है, इसे सर्वोच्च धर्म माना जाता है। 
  • गांधीवादी अर्थशास्त्र – गांधी जी सर्वोदय आर्थिक मॉडल में विश्वास करते थे, जिसका शाब्दिक अर्थ है “कल्याण, सभी का उत्थान”। समाजवाद मॉडल की तुलना में एक बहुत अलग आर्थिक मॉडल था।
  • बौद्ध, जैन और सिख – गांधी जी का मानना ​​था कि बौद्ध, जैन और सिख धर्म हिंदू धर्म की परंपराएं हैं, जिनका साझा इतिहास, संस्कार और विचार हैं।
  • मुस्लिम – गांधी के इस्लाम के बारे में आम तौर पर सकारात्मक और सहानुभूतिपूर्ण विचार थे और उन्होंने बड़े पैमाने पर कुरान का अध्ययन किया। उन्होंने इस्लाम को एक ऐसे विश्वास के रूप में देखा जिसने शांति को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया, और महसूस किया कि कुरान में अहिंसा का प्रमुख स्थान है।
  • ईसाई – गांधी ने ईसाई धर्म की प्रशंसा की। वह ब्रिटिश भारत में ईसाई मिशनरी प्रयासों के आलोचक थे, क्योंकि वे चिकित्सा या शिक्षा सहायता को इस मांग के साथ मिलते थे कि लाभार्थी ईसाई धर्म में परिवर्तित हो जाए। सीधे शब्दों में समझें तो गांधीजी हर धर्म का सम्मान और विश्वास करते थे।
  • महिला – गांधी जी ने महिलाओं की मुक्ति का पुरजोर समर्थन किया, और “महिलाओं को अपने स्वयं के विकास के लिए लड़ने के लिए” आग्रह किया। उन्होंने पर्दा, बाल विवाह, दहेज और सती प्रथा का विरोध किया।
  • अस्पृश्यता और जातियां – गांधी जी ने अपने जीवन के शुरुआती दिनों में अस्पृश्यता के खिलाफ बात की थी। 
  • नई शिक्षा प्रणाली, बुनियादी शिक्षा – गांधी जी ने शिक्षा प्रणाली के औपनिवेशिक पश्चिमी प्रारूप को खारिज कर दिया।

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सादा जीवन, उच्च विचार।

महात्मा गांधी जी को भारत में राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया जाता है। स्वतंत्र भारत के संविधान द्वारा महात्मा को राष्ट्रपिता की उपाधि प्रदान किए जाने से बहुत पहले, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे।

गांधी की मां पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थीं। उनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। वह नियमित रूप से उपवास रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं।

गाँधी का मत था स्वराज का अर्थ है जनप्रतिनिधियों द्वारा संचालित ऐसी व्यवस्था जो जन-आवश्यकताओं तथा जन-आकांक्षाओं के अनुरूप हो।

इसका सूत्रपात सर्वप्रथम महात्मा गांधी ने 1894 ई. में दक्षिण अफ़्रीका में किया था।

महात्मा गांधी, मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से, (जन्म 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, भारत- मृत्यु 30 जनवरी, 1948, दिल्ली), भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, और लेखक जो अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बने।

महात्मा गांधी

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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Gandhi Jayanti Speech : गांधी जयंती पर दें यह छोटा और सरल भाषण, मिलेगा इनाम

Gandhi jayanti speech : गांधी जी ने न सिर्फ देश के लिए आजादी की लड़ाई लड़ी, बल्कि समाज सुधार के कार्य भी किए। गांधी जयंती के अवसर पर स्कूली बच्चे नीचे दिया गया है भाषण दे सकते हैं।.

Gandhi Jayanti Speech : गांधी जयंती पर दें यह छोटा और सरल भाषण, मिलेगा इनाम

Gandhi Jayanti Speech 2023: 2 अक्टूबर का दिन देश में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और राजनेता महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। देश के लोगों ने उन्हें बापू कहकर पुकारा। देशभर में गांधी जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय अवकाश होता है। महात्मा गांधी के बलिदान और देश को आजादी कराने में उनके बेहद महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रपिता का ओहदा दिया गया है। गांधी जी ने न सिर्फ देश के लिए आजादी की लड़ाई लड़ी, बल्कि समाज सुधार के कार्य भी किए। गांधी जयंती के दिन बापू द्वारा दी गई शिक्षाओं को याद करने के लिए देशभर में और पूरे विश्व में कई कार्यक्रम होते हैं। स्कूल-कॉलेजों में इस दिन वाद विवाद, भाषण व निबंध प्रतियोगिताएं होती हैं। अगर आप भी  भाषण व निबंध प्रतियोगिता में हिस्सा लेना चाह रहे हैं तो यहां से आइडिया ले सकते हैं। 

Gandhi Jayanti Speech 2023: 2 अक्टूबर गांधी जयंती पर भाषण

सभी आदरणीय अध्यापक गण और प्यारे मित्रों, आप सबको मेरा प्रणाम दुनिया के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने गांधी जी के बारे में कहा था कि “भविष्य में आने वाली पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था।” आज 2 अक्टूबर को उसी करिश्माई नेतृत्व एवं शानदार व्यक्तित्व वाले, महान स्वतंत्रता सेनानी और 19वीं सदी के सबसे सम्मानित राजनेता महात्मा गांधी की जयंती है। पूरा देश महात्मा गांधी की जयंती पर उन्हें नमन कर श्रद्धांजलि दे रहा है। आजादी में उनके संघर्ष को याद कर रहा है। हम सब भी यहां गांधी जयंती के अति महत्वपूर्ण दिवस के अवसर पर एकत्रित हुए है। मैं भी गांधी को नमन करता हूं और उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं।    राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ। लोग उन्हें आदर के साथ बापू कहकर बुलाते थे। भारत सरकार ने आज के दिन को राष्ट्रीय पर्व घोषित किया हुआ है। महात्मा गांधी की ताकत सत्य और अहिंसा के सिद्धांत थे। सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलकर उन्होंने आजादी की लड़ाई में कई आंदोलन किए और अंग्रजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। उनके चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, दांडी सत्याग्रह, भारत छोड़ा आंदोलन ने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव कमजोर करने में बड़ा रोल अदा किया। 

Gandhi Jayanti Speech In Hindi : 2 अक्टूबर गांधी जयंती पर दे सकते हैं यह आसान भाषण

गांधी जी के पास अद्भुत नेतृत्व क्षमता थी। गांधी जी ने विचारों ने भारत के देशभक्तों की दो पीढ़ियों को प्रेरित किया, नतीजतन लोग आजादी की लड़ाई से जुड़ते रहे। उन्होंने अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व व विचारों  से स्वतंत्रता आंदोलन को जबरदस्त धार दी। गांधी जी समाज में फैली बुराइयों जैसे छुआछूत, शराब, जातीय भेदभाव, असमानता, महिलाओं के साथ भेदभाव के भी घोर विरोधी थी। उन्होंने सिर्फ आजादी की ही लड़ाई नहीं लड़ी बल्कि समाज में दलितों की स्थिति बेहतर करने व उन्हें बराबरी का हक दिलाने के लिए भी लड़ाई लड़ी। दलित आंदोलन किया। छुआछूत के खिलाफ जबरदस्त आवाज उठाई।

उनके अहिंसा के सिद्धांत को पूरी दुनिया ने सलाम किया, यही वजह है कि पूरा विश्व आज का दिन अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर भी मनाता है। महात्मा गांधी की महानता, उनके कार्यों व विचारों के कारण ही 2 अक्टूबर को स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तरह राष्ट्रीय पर्व का दर्जा दिया गया है। वह कहते थे कि आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी। 

वैसे तो गांधी जयंती पर बापू को याद करने के लिए देश भर में कार्यक्रम होते हैं लेकिन प्रमुख कार्यक्रम दिल्ली के राजघाट पर होता है। राजघाट गांधी जी का समाधि स्थल है। गांधी जयंती पर देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व अन्य नेतागण राजघाट आकर बापू की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। प्रार्थना सभा में राम धुन व गांधी जी के प्रिय भजनों का गान होता है। 

बापू के विचार हमेशा से न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे विश्व का मार्गदर्शन करते आए हैं और आगे भी करते रहेंगे। अपने और समाज के भीतर बदलाव लाकर ही हम शांतिपूर्ण व न्यायपूर्ण समाज का निर्माण कर पाएंगे। हमें गांधीजी के संदेशों को समझकर, उसका अर्थ जानकर अनुसरण करना चाहिए। गांधी दर्शन भारत और वैश्विक समस्याओं के हल में काफी प्रासंगिक है और भविष्य में भी रहेगा। आइए हम गांधीवादी मूल्यों को अपने जीवन और कार्यों में उतारने का साझा संकल्प लें।

जय हिंद। जय भारत। भारत माता की जय। 

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गांधी: मोहनदास से महात्मा बनने का सफर.

  • 01 Oct, 2022 | विमल कुमार

short speech on mahatma gandhi in hindi

2 अक्तूबर को महात्मा गांधी की जयंती है। आज गांधी होते तो 153 वर्ष के हो गए होते। इतने लंबे वक्त तक जिंदा रहना तो बेहद कठिन है लेकिन जन के मन में गांधी आज भी जिंदा हैं। 30 जनवरी 1948 को शारीरिक प्रस्थान से गांधी का अंत नहीं हुआ। शारीरिक प्रस्थान से किसी का अंत होता भी नहीं है। अपनी मौत के बाद भी सभी जीते हैं, हाँ कोई कम और कोई ज्यादा। गांधी शारीरिक रूप से 125 वर्ष तक जीने की इच्छा रखते थे लेकिन तत्कालीन हिंदुस्तान की हालत को देखते हुए 79 वर्ष की उम्र में उन्होंने कहा कि “मैं अब जिंदा रह कर क्या करूँगा, अब मैं और नहीं जीना चाहता।” गांधी हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनके विचारों का प्रसार लगातार होता रहा और होता रहेगा। ‛हरिजन’ में उन्होंने लिखा भी था कि, “उम्र से बूढ़ा होने पर भी मुझे नहीं लगता कि मेरा आंतरिक विकास रुक गया है या काया के विसर्जन के बाद रुक जाएगा।” आज गांधी संपूर्ण विश्व में एक गतिमान विचार के रूप में मौजूद हैं। निर्मल वर्मा ने गांधी के बारे में ठीक ही कहा है, “गांधी दुनिया में सबसे कम जगह घेरने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने जगह घेरी तो दिल और दिमाग में।”

2 अक्तूबर को पूरी दुनिया में “अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस” के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 जून, 2007 को एक प्रस्ताव पारित कर दुनिया से यह आग्रह किया कि वे शांति और अहिंसा के विचार पर अमल करें और महात्मा गांधी के जन्मदिवस को "अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस" के रूप में मनाएँ। इस दिवस का उद्देश्य है, सम्पूर्ण विश्व में शांति स्थापित करना और अहिंसा का मार्ग अपनाना। इसके अतिरिक्त शांति, सहिष्णुता, समझ और अहिंसा की संस्कृति को बढ़ावा देना। संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव के अनुसार यह दिन "शिक्षा और जन जागरूकता सहित अहिंसा के संदेश को प्रसारित करने" का एक अवसर है।

व्यक्तित्व और कृतित्व-

गांधी के मोहनदास से महात्मा बनने का सफर इतना आसान नहीं है। इस सफर को मात्र कुछ शब्दों में समेटा भी नहीं जा सकता। आइंस्टाइन का यह कथन गांधी की महत्ता बताने के लिये पर्याप्त है कि “आने वाली पीढ़ियाँ विश्वास नहीं करेंगी कि इस धरती पर गांधी जैसा कोई हाँड-माँस का शरीर रहा होगा।”

रामचंद्र गुहा ठीक कहते हैं कि, “गांधी ने जो दो दशक दक्षिण अफ्रीका में बिताए वे गांधी को महात्मा बनने की राह पर ले गए।” गांधी के व्यक्तित्व को उनके पारिवारिक संस्कारों ने जरूर गढ़ा था लेकिन गांधी के मुखर व्यक्तित्व की निर्मिती में दक्षिण अफ्रीका प्रवास का महत्वपूर्ण योगदान है। दक्षिण अफ्रीका में प्रवास के 21 वर्षों में गांधी का जीवन और विचार कई महत्त्वपूर्ण बदलावों से गुजरे।

दक्षिण अफ्रीका प्रवास के दौरान गांधी को कई प्रकार के अपमानजनक अनुभव मिले। उन्होंने इस अपमान के विरुद्ध संघर्ष की राह का चुनाव किया। दक्षिण अफ्रीका में ही उन्होंने सार्वजनिक जीवन में पदार्पण किया और लगातार विस्तार करते गए। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका तथा भारत में संगठित प्रयास के लिये ‘नटाल इंडियन कांग्रेस' (1894), ट्रांसवाल ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन(1902), हरिजन सेवक संघ (1933) जैसे संगठनों का निर्माण किया।

अपने विचारों के प्रसार के लिये उन्होंने इंडियन ओपिनियन, ग्रीन पम्फलेट, नवजीवन, यंग इंडिया, हरिजन जैसे समाचार पत्रों का प्रकाशन किया। अपने विचारों को मूर्त रूप देने के लिये फिनिक्स आश्रम, टॉलस्टॉय फॉर्म, साबरमती तथा सेवाग्राम जैसे महत्वपूर्ण आश्रमों की स्थापना भी की। जो कि स्वराज्य प्राप्ति में सहायक साबित हुए।

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन एवं गांधी-

दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटते समय गांधी के पास एक सुस्पष्ट कार्यपद्धती और भारत के पुनरुत्थान के लिये एक सुविचारित कार्यक्रम था। चंपारण आंदोलन(1917), खेड़ा सत्याग्रह(1918), अहमदाबाद मिल हड़ताल(1918) में सफल नेतृत्व की बदौलत गांधी भारत आगमन के चार सालों के अंदर ही प्रभावशाली राष्ट्रीय नेता के तौर पर उभरे। उनकी नैतिकतावादी भाषा, जटिल व्यक्तित्व, स्पष्ट दृष्टि, सांस्कृतिक प्रतीकों का इस्तेमाल, आचरण और असाधारण आत्मविश्वास ने देशवासियों को प्रभावित किया। असहयोग आंदोलन(1920) सविनय अवज्ञा आंदोलन(1930) और भारत छोड़ो आंदोलन(1942) गांधी के प्रयोगों के माध्यम से भारतीय जनमानस का ब्रिटिश उपनिवेशवादी सत्ता के प्रति आक्रोश को अभिव्यक्त करने का माध्यम बना। जिससे स्वाधीनता की राह आसान हुई। गांधी की अनुपस्थिति में हम भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की कल्पना नहीं कर सकते हैं।

गांधी को समझने हेतु उनके चिंतन को समझना बेहद जरूरी है। उनका चिंतन बहुआयामी है। इसका मुख्य कारण गांधी बहुत सारे विचारों से प्रभावित थे और अनुभव के आधार पर उनमें स्वीकारोक्ति का भी भाव था। गांधी हिंदू धर्म के विभिन्न ग्रंथों मुख्य रूप से गीता और रामायण से प्रभावित थे। अहिंसा और शांति का विचार उन्होंने बौद्ध धर्म से लिया था। अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य का विचार उन्होंने जैन धर्म से स्वीकार किया था। इस्लाम की बंधुता और ईसाईयत का दया भाव उनको प्रभावित करता था। इसके अतिरिक्त गांधी टॉलस्टॉय, थोरो और रस्किन के विचारों से भी प्रभावित थे।

गांधी ने अपने मत के पक्ष में सदैव वाद-विवाद और संवाद किया। स्वाधीनता संग्राम के दौरान गांधी ने जितने भी कदम उठाए, उनका यही उद्देश्य था कि अपने विचारों को जमीन पर उतारा जा सके। उनके लिये वे विचार निरर्थक थे जिन्हें जिया न जा सके। जहाँ ज़रूरी लगा गांधी अपना मत परिवर्तन करने से हिचके भी नहीं। गांधी सदैव सिद्धांत निर्माण के बजाय कर्म में विश्वास करते रहे।

गांधी के जीवन और चिंतन का सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष साध्य और साधन की पवित्रता रही। गांधी यहीं पर पश्चिम के मैकियावेली जैसे विचारकों से अलग दिखते हैं। गांधी के भीतर आजीवन एक नैतिक संघर्ष चलता रहा। इसे वे आत्मपरीक्षण कहते थे। गांधी एक-एक भाव की जाँच करते थे। जो ग्रहण करने योग्य होता था उसके अनुरूप आचरण करते थे। गांधी धर्म को भी नैतिक अनुशासन की व्यवस्था मानते थे। गांधी के संपूर्ण चिंतन का अवलोकन करने के पश्चात हम कह सकते हैं कि वह एक ‛नैतिक आदर्शवादी’ हैं। उनके राजनीतिक विचारों के आलोक में उन्हें ‛दार्शनिक अराजकतावादी’ भी कहा जाता है।

गांधी के महत्त्वपूर्ण विचारों को निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत समझा जा सकता है-

सत्य और अहिंसा-

गांधी के लिये अहिंसा साधन है और सत्य साध्य है। उनका मानना था कि उन्होंने सत्य की अपनी खोज में अहिंसा को प्राप्त किया है। वे कहते हैं, “मेरे लिये अहिंसा का स्थान स्वराज से पहले है।” गांधी के लिये सत्य कोई अंतिम दावा नहीं था। सत्य उनके लिये प्रयोग का विषय था। उनका मानना था सत्य अपने-अपने अनुभव और विवेक की प्रयोगशाला में स्वयं को परखने की चीज है। वे कहते हैं, “मेरे निरंतर अनुभव ने यह विश्वास दिला दिया है कि सत्य से अलग कोई ईश्वर नहीं है।” इसलिये उन्होंने अपनी आत्मकथा का नाम भी “सत्य के साथ मेरे प्रयोग” रखा।

गांधी के लिये सत्याग्रह, स्वराज प्राप्ति का साधन है। जिसके लिये वे असहयोग और सविनय अवज्ञा जैसी नैतिक दबाव वाली तकनीकों का प्रयोग करते हैं। वे सत्य पर अडिग रहते हुए हृदय परिवर्तन पर बल देते हैं। हम कह सकते हैं कि सत्याग्रह एक प्रकार से सामाजिक क्रांति का गांधीवादी तरीका है। के. एल. श्रीधरानी ने इसे ‛हिंसाविहीन युद्ध’ भी कहा है।

गांधी के लिये स्वराज प्राप्ति का अर्थ सिर्फ राजनीति स्वतंत्रता प्राप्त करना नहीं है बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और नैतिक स्वाधीनता है। व्यक्ति के लिये वह इसे स्वनियंत्रण से जोड़ते हैं। गांधी कहते हैं- “मैं ऐसे भारत के निर्माण का प्रयत्न करूँगा जिसमें निर्धन से निर्धन मनुष्य भी यह अनुभव करेगा कि यह मेरा अपना देश है और इसके निर्माण में मेरा पूरा अपना हाथ है।”

गांधी औद्योगीकरण का विरोध करते हुए आत्मनिर्भरता हेतु स्वदेशी पर बल देते हैं। औद्योगिक सभ्यता के इस दौर में गांधी का स्वदेशी से संबंधित विचार देश के आर्थिक निर्माण का मार्गदर्शक सिद्धांत है। उन्होंने भारतीय समाज की संस्कृति का स्मरण कराने वाले प्रतीकों का समूह बनाया। जिसमें चरखा, खादी, गाय एवं गांधी टोपी शामिल था।

सर्वोदय का अर्थ है सबका उदय। यह एक प्रकार से गांधीवादी समाजवाद है। सर्वोदय ऊपर से नीचे नहीं नीचे से ऊपर जाने वाला रास्ता है। समाज की बुनियाद इकाइयों और संरचनाओं से इसकी शुरुआत होती है। गांधी ने सभी वर्गों मुख्य रूप से अछूतों, महिलाओं, कामगारों एवं किसानों के उत्थान के लिये रचनात्मक कार्यक्रमों का भी संचालन किया। सर्वोदय की अवधारणा से ही भूदान आंदोलन का जन्म हुआ।

आधुनिकता सभ्यता और गांधी-

महात्मा गांधी राष्ट्र उत्थान के लिये सभी प्रकार के विचारों का स्वागत करते थे लेकिन किसी भी देश की उन्नति के लिये उस देश की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था को सिर्फ पश्चिमी सभ्यता में ढालने के पक्षधर नहीं थे। उनका दृढ़ विश्वास था कि पश्चिमी सभ्यता मनुष्य को उपभोक्तावाद का रास्ता दिखा कर नैतिक पतन की ओर ले जाती है; नैतिक उत्थान का रास्ता आत्मसंयम और त्याग की भावना की मांग करता है। गांधी जी ने पश्चिमी सभ्यता और आधुनिक सभ्यता को समवर्ती मानते हुए उसकी विस्तृत समीक्षा की। वर्ष 1927 में 'यंग इंडिया' के अंतर्गत उन्होंने लिखा कि, “ मैं यह नहीं मानता कि इच्छाओं को बढ़ाने, उनकी पूर्ति के साधन जुटाने से संसार अपने लक्ष्य की ओर एक कदम भी बढ़ पाएगा। आज की दुनिया में दूरी और समय के अंतराल को कम करने, भौतिक इच्छाओं को बढ़ाने और उनकी तृप्ति के लिये धरती का कोना-कोना छान मारने की अंधी दौड़ चल रही है, वह मुझे बिल्कुल पसंद नहीं। यदि आधुनिक सभ्यता के यही सब लक्षण हैं और मुझे इसके यही लक्षण समझ आते हैं तो मैं इसे शैतानी सभ्यता कहता हूँ।”

गांधी जी ने 'हिंद स्वराज' के अंतर्गत लिखा है कि, “आधुनिक सभ्यता दिखावटी तौर पर समानता के सिद्धांत को सम्मान देती है, परंतु यथार्थ के धरातल पर यह प्रजातिवाद को बढ़ावा देती है। इसमें अश्वेत जातियों को मानवीय गरिमा से वंचित रखा जाता है और उनका भरपूर शोषण किया जाता है। कहीं उन्हें दास बनाकर तो कहीं बंधुआ मजदूर बनाकर रखा जाता है।” गांधीजी के अनुसार, “आधुनिक सभ्यता के अंतर्गत चेतन की तुलना में जड़ को, प्राकृतिक जीवन की तुलना में यांत्रिक जीवन को और नैतिकता की तुलना में राजनीति और अर्थशास्त्र को ऊँचा स्थान दिया जाता है।”

गांधी की प्रासंगिकता-

गांधी बीसवीं सदी के सबसे सार्थक, सक्रिय और सार्वजनिक जीवन जीने वाले व्यक्तित्व रहे। आज 21वीं सदी के दो दशक बाद भी गांधी और उनके विचार संपूर्ण विश्व के लिये जरूरी प्रतीत होते हैं। वैश्वीकृत, समकालीन आधुनिक भौतिकतावादी समाज में जहाँ असंतोष ,अवसाद, असमानता व असंवेदनशीलता जैसी समस्याएँ हावी हैं वहाँ विकास से जुड़ी समस्याओं के संदर्भ में गांधीवादी चिंतन ना सिर्फ प्रासंगिक है बल्कि इसमें विशेष अभिरुचि भी ली जा रही है। गांधी के विचारों को आधार बनाकर कई देशों ने स्वाधीनता हासिल की।

चूँकि गांधी सदैव विकेंद्रीकरण के समर्थक रहे इसलिये गांधी का चिंतन वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के लिये बेहद उपयोगी है। गांधी ने श्रम की गरिमा को मानव गरिमा से जोड़ा। पूंजीवाद और मानव मूल्यों के क्षरण के इस दौर में मानव गरिमा को बचाए रखने हेतु गांधी का चिंतन बेहद जरूरी है। विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय संकट से जूझ रहे संपूर्ण विश्व के समक्ष गांधी का चिंतन ना सिर्फ धारणीय विकास के अनुकूल है बल्कि सामाजिक समावेशन को बढ़ाने वाला है।

आज गांधी की बहुत मूर्तियाँ बनवाई जा चुकी हैं लेकिन असल प्रश्न यह है कि विचार और आचरण रूप में वह हमारी चेतना और व्यवहार में हैं और रहेंगे कि नहीं?

गांधी जयंती के अवसर पर आज हमें गांधी को महज रस्म अदायगी तक याद करने से बचना होगा। गांधी का व्यक्तित्व और चिंतन न सिर्फ भारत बल्कि संपूर्ण विश्व के लिये एक धरोहर है वर्तमान में इसे संरक्षित और संवर्द्धित करने की आवश्यकता है।

विमल कुमार

विमल कुमार, राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। अध्ययन-अध्यापन के साथ विमल विभिन्न अखबारों और पत्रिकाओं में समसामयिक सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर स्वतंत्र लेखन और व्याख्यान के लिए चर्चित हैं। इनकी अभिरुचियाँ पढ़ना, लिखना और यात्राएं करना है।

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महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi  : दोस्तो आज हमने महात्मा गांधी पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।

इस लेख के माध्यम से हमने एक Mahatma Gandhi जी के जीवन का और उनके आंदोलनों वर्णन किया है इस निबंध की सहायता से हम भारत के सभी लोगों को हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी और उनके विचारों के बारे में बताएंगे।

Short Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

महात्मा गांधी हमारे देश के राष्ट्रपिता माने जाते हैं उन्हें बच्चा-बच्चा बापू के नाम से भी जानता है। Mahatma Gandh i ने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों से इन अहिंसा पूर्वक की लड़ाई लड़ी थी।

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनचंद करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

Get some best Essay On Mahatma Gandhi In Hindi for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 students

महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा गुजरात के ही एक स्कूल में हुई थी और उन्होंने इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई करी थी। वहां पर उन्होंने देखा कि अंग्रेज लोग काले गोरे का भेद भाव करते हैं

और भारतीय लोगों से बर्बरता पूर्वक व्यवहार करते है। यह बात में बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी इसके खिलाफ उन्होंने भारत आकर आंदोलन करने की ठानी।

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भारत आते ही Mahatma Gandhi ने गरीबों के लिए कई हिंसक आंदोलन किए और अंत में उन्होंने “भारत छोड़ो आंदोलन” प्रारंभ किया जिसके कारण हमारे देश को आजादी मिली थी।

भारत की आजादी के 1 साल बाद महात्मा गांधी जी की 30 जनवरी 1948 में नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी थी।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 400 Words

महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।

Mahatma Gandhi का जन्म गुजरात राज्य के एक छोटे से शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो की अंग्रेजी हुकूमत में एक दीवान के रूप में कार्य करते थे।

उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि गृहणी थी वे हमेशा पूजा पाठ में लगी रखी थी इसका असर हमें गांधी जी का सीन देखने को मिला है वह भी ईश्वर में बहुत आस्था रखते है।

महात्मा गांधी के जीवन पर राजा हरिश्चंद्र के व्यक्तित्व का बहुत अधिक प्रभाव था इसी कारण उनका झुकाव सत्य के प्रति बढ़ता गया।

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Mahatma Gandhi का व्यक्तित्व है बहुत ही साधारण और सरल था इसका असर हमें उनके अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों में देखने को मिलता है उन्होंने कभी भी हिंसात्मक आंदोलन नहीं किए हुए हमेशा अहिंसा और सत्याग्रह को हथियार के रूप में काम में लेते थे।

उन्होंने अपना पूरा जीवन हमारे भारत देश के लिए समर्पित कर दिया था उन्हीं के अथक प्रयासों से हम आज एक आजाद देश में सुकून की सांस ले पा रहे है। महात्मा गांधी जी ने भारत में अपने जीवन का पहला आंदोलन चंपारण से प्रारंभ किया गया था

जिसका नाम बाद में चंपारण सत्याग्रह ही रख दिया गया था इस आंदोलन में उन्होंने किसानों को उनका हक दिलाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया था।

इसी प्रकार उन्होंने खेड़ा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह (दांडी यात्रा) जैसे और भी आंदोलन किए थे जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे।

उन्होंने अपने जीवन का अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन किया था जो कि अंग्रेजों को मुझसे भारत को आजादी दिलाने के लिए हुआ था इसी आंदोलन के कारण हमें वर्ष 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी।

लेकिन गांधीजी भारत की इस आजादी को ज्यादा दिन देख नहीं पाए क्योंकि आजादी के 1 साल बाद ही नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। यह दिन हमारे देश के लिए बहुत ही दुखद था इस दिन हमने एक महान व्यक्ति को खो दिया था।

नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या तो कर दी लेकिन उनके विचारों को नहीं दबा पाया आज भी उनके विचारों को अमल में लाया जाता है।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 1800 words

प्रस्तावना –

महात्मा गांधी एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक और महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। इसीलिए भारत में उन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से पुकारा जाता है। भारत का प्रत्येक व्यक्ति महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित है। उनके विचारों और उनके द्वारा किए गए भारत के लिए आंदोलन को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत के लोगों को समर्पित कर दिया था इसी समर्पण की भावना के कारण उन्होंने भारत के लोगों के हितों के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन आंदोलन किए थे जिनमें वे पूरी तरह से सफल रहे थे। उनका अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के ताबूत पर अंतिम कील साबित हुई।

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उनके सम्मान में पूरे विश्व भर में 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है और भारत में महात्मा गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी आज हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनके विचार हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।

प्रारंभिक जीवन –

महात्मा गांधी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था उनके पिताजी करमचंद गांधी अंग्रेजी हुकूमत के दीवान के रूप में काम करते थे उनकी माताजी पुतलीबाई गृहणी थी वह भक्ति भाव वाली महिला थी जिन का पूरा दिन लोगों की भलाई करने में बीतता था।

जिसका असर हमें गांधी जी के जीवन पर भी देखने को मिलता है। महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य की पोरबंदर शहर में हुआ था। महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था । महात्मा गांधी की प्रारंभिक पढ़ाई गुजरात में ही हुई थी।

Mahatma Gandhi बचपन में अन्य बच्चों की तरह ही शरारती थे लेकिन धीरे-धीरे उनके जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटती गई जिनके कारण उनके जीवन में बदलाव आना प्रारंभ हो गया था। उनका विवाह 13 साल की छोटी सी उम्र में ही कर दिया गया था उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था जिन्हें प्यार से लोग “बा” के नाम से पुकारते थे। उस समय बाल विवाह प्रचलन में था इसलिए गांधी जी का विवाह बचपन में ही कर दिया गया था।

उनके बड़े भाई ने उनको पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेज दिया था। 18 वर्ष की छोटी सी आयु में 4 सितंबर 1888 को गांधी यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए। 1891 में महात्मा गांधीजी इंग्लैंड से बैरिस्टरी पास करके सुदेश आए और मुंबई में वकालत प्रारंभ कर दी।

अहिंसावादी जीवन का प्रारंभ –

महात्मा गांधी के जीवन में एक अनोखी घटना घटने के कारण उन्होंने अहिंसा वादी जीवन जीने का प्रण ले लिया था। दक्षिण अफ्रीका में प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने 1899 के एंगलो बोअर युद्ध के समय स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर मदद की थी लेकिन इस युद्ध की विभीषिका को देख कर अहिंसा के रास्ते पर चलने का कदम उठाया था इसी के बल पर उन्होंने कई आंदोलन अनशन के बल पर किये थे जो कि अंत में सफल हुए थे।

उन्होंने ऐसे ही दक्षिण अफ्रीका के जोल विद्रोह के समय एक सैनिक की मदद की थी जिसे लेकर वे 33 किलोमीटर तक पैदल चले थे और उस सैनिक की जान बचाई थी। जिसे प्रतीत होता है कि महात्मा गांधी के जीवन के प्रारंभ से ही रग-रग में मानवता और करुणा की भावना भरी हुई थी।

राजनीतिक जीवन का प्रारंभ –

दक्षिण अफ्रीका में जब गांधी जी वकालत की पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान उन्हें काले गोरे का भेदभाव झेलना पड़ा। वहां पर हमेशा भारतीय एवं काले लोगों को नीचा दिखाया जाता था। एक दिन की बात है उनके पास ट्रेन की फर्स्ट एसी की टिकट थी लेकिन उन्हें ट्रेन से धक्के मार कर बाहर निकाल दिया गया और उन्हें मजबूरी में तृतीय श्रेणी के डिब्बे में यात्रा करनी पड़ी।

यहां तक कि उनके लिए अफ्रीका के कई होटलों में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। यह सब बातें गांधीजी के दिल को कचोट गई थी इसलिए उन्होंने राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निर्णय लिया ताकि वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटा सके।

भारत में महात्मा गांधी का प्रथम आंदोलन –

महात्मा गांधी जी का भारत में प्रथम आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ का क्योंकि अंग्रेजों ने किसानों से खाद्य फसल की पैदावार कम करने और नील की खेती बढ़ाने को जोर दे रहे थे और एक तय कीमत पर अंग्रेजी किसानों से नील की फसल खरीदना चाहते थे।

इसके विरोध में Mahatma Gandhi जी ने अंग्रेजों के खिलाफ वर्ष 1917 में चंपारण नाम के गांव में आंदोलन छेड़ दिया था। अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बाद भी गांधीजी मानने को तैयार नहीं थे अंत में अंग्रेजों को गांधी जी की सभी बातें माननी पड़ी। बाद में इस आंदोलन को चंपारण आंदोलन के नाम से जाना गया।

इस आंदोलन की सफलता से गांधीजी में और विश्वास पैदा हुआ और उन्होंने जान लिया था कि अहिंसा से ही वे अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ सकते है।

खेड़ा सत्याग्रह –

खेड़ा आंदोलन में Mahatma Gandhi ने किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए ही किया था। वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा नाम के गांव में भयंकर बाढ़ आई थी जिसके कारण किसानों की सारी फसलें बर्बाद हो गई थी और वहां पर भयंकर अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।

इतना सब कुछ होने के बाद भी अंग्रेजी हुकूमत के अफसर करो (Tax) में छुट नहीं करना चाहते थे। वह किसानों से फसल बर्बाद होने के बाद भी कर वसूलना चाहते थे। लेकिन किसानों के पास उन्हें देने के लिए कुछ नहीं था तो किसानों ने यह बात गांधी जी को बताई।

गांधीजी अंग्रेजी हुकूमत के इस बर्बरता पूर्वक निर्णय से काफी दुखी हुए फिर उन्होंने खेड़ा गांव से ही अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसा पूर्वक आंदोलन छेड़ दिया। महात्मा गांधी के साथ आंदोलन में सभी किसानों ने हिस्सा लिया जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के हाथ पांव फूल गए और उन्होंने खेड़ा के किसानों का कर (Tax) माफ कर दिया। इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह के नाम से जाना गया।

असहयोग आंदोलन –

अंग्रेजी हुकूमत के भारतीयों पर बर्बरता पूर्ण जुल्म करने और जलियांवाला हत्याकांड के बाद महात्मा गांधी जी को समझ में आ गया था कि अगर जल्द ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कुछ नहीं किया गया तो यह लोग भारतीय लोगों को अपनी क्रूर नीतियों से हमेशा खून चूसते रहेंगे।

महात्मा गांधी जी पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था जिसके बाद वर्ष 1920 में Mahatma Gandhi ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत कर दी । इस आंदोलन के अंतर्गत गांधी जी ने सभी देशवासियों से निवेदन किया कि वे विदेशी वस्तुओं का उपयोग बंद कर दें और स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं।

इस बात का लोगों पर इतना असर हुआ कि जो लोग ब्रिटिश हुकूमत के अंदर काम करते थे उन्होंने अपने पदों से इस्तीफा देना चालू कर दिया था। सभी लोगों ने अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए स्वदेशी सूती वस्त्र पहने लगे थे।

इस आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे। लेकिन आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया था और चोरा चोरी जैसे बड़े कांड होने लगे थे जगह-जगह लूटपाट हो रही थी। गांधी जी का अहिंसा पूर्ण आंदोलन हिंसा का रुख अपना रहा था। इसलिए गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। इस आंदोलन के कारण उन्हें 6 वर्ष की जेल की सजा भी हुई थी।

नमक सत्याग्रह –

ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता दिन प्रतिदिन भारतीयों पर बढ़ती ही जा रही थी। ब्रिटिश हुकूमत ने नया कानून पास करके नमक पर अधिक कर लगा दिया था। जिसके कारण आम लोगों को बहुत अधिक परेशानी हो रही थी।

नमक पर अत्यधिक कर लगाए जाने के कारण महात्मा गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नमक पर भारी कर लगाए जाने के विरोध में दांडी यात्रा प्रारंभ की जो कि 6 अप्रैल 1930 को गुजरात के दांडी नामक गांव में समाप्त हुई।

इस यात्रा में गांधी जी के साथ हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। दांडी गांव पहुंचकर गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत के कानून की अवहेलना करते हुए खुद नमक का उत्पादन किया और लोगों को भी स्वयं नमक के उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस आंदोलन की खबर देश विदेश में आग की तरह फैल गई थी जिसके कारण विदेशी देशों का भी ध्यान इस आंदोलन की तरफ आ गया था यह आंदोलन गांधी जी की तरफ से अहिंसा पूर्वक लड़ा गया था जो कि पूर्णत: सफल रहा। इस आंदोलन को नमक सत्याग्रह और दांडी यात्रा के नाम से जाना जाता है।

नमक आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत विचलित हो गई थी और उन्होंने इस आंदोलन में सम्मिलित होने वाले लोगों में से लगभग 80000 लोगों को जेल भेज दिया था।

भारत छोड़ो आंदोलन –

महात्मा गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत को भारत से जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया गया । इस आंदोलन की नींव उसी दिन पक्की हो गई थी जिस दिन गांधी जी ने नमक आंदोलन सफलतापूर्वक किया था।

उन्हें विश्वास हो गया था कि अंग्रेजों को अगर भारत से बाहर क देना है तो उसके लिए अहिंसा का रास्ता ही सबसे उत्तम रास्ता है। महात्मा गांधी ने यह आंदोलन कब छेड़ा जब द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और ब्रिटिश हुकूमत अन्य देशों के साथ युद्ध लड़ने में लगी हुई थी।

द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण अंग्रेजों की हालत दिन प्रति दिन खराब होती जा रही थी उन्होंने भारतीय लोगों को लिखते विश्वयुद्ध में शामिल करने का निर्णय लिया। लेकिन भारतीय लोगों ने उन्हें नित्य विश्वयुद्ध से अलग रखने पर जोर दिया।

बाद में ब्रिटिश हुकूमत के वादा करने पर भारतीय लोगों ने द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का साथ दिया। ब्रिटिश हुकूमत ने वादा किया था कि वे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत को स्वतंत्र कर देंगे। यह सब कुछ भारत छोड़ो आंदोलन के प्रभाव के कारण ही हो पाया और वर्ष 1947 में भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिल गई।

महात्मा गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन पूर्ण रूप से सफल रहा। इसकी सफलता का श्रेय सभी देशवासियों को भी जाता है क्योंकि उन्हीं की एकजुटता के कारण इस आंदोलन में किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं हुई और अंत में सफलता प्राप्त हुई।

उपसंहार –

Mahatma Gandhi बहुत ही सरल स्वभाव के व्यक्ति थे वे हमेशा सत्य और अहिंसा में विश्वास रखते थे। उन्होंने हमेशा गरीब लोगों का साथ दिया था। जब देश में जाति, धर्म और अमीर गरीब के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा था तब गांधी जी ने ही गरीबों को साथ लेते हुए उन्हें “हरिजन” का नाम लिया और इसका मतलब भगवान के लोग होता है।

उनके जीवन पर भगवान बुद्ध के विचारों का बहुत प्रभाव था इसी कारण उन्होंने अहिंसा का रास्ता बनाया था। उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा हुआ था लेकिन अंत में उन्हें सफलता प्राप्त हुई थी। उन्होंने भारत देश के लिए जो किया है उसके लिए धन्यवाद सब बहुत कम है।

हमें उनके विचारों से सीख लेनी चाहिए आज लोग एक दूसरे से छोटी छोटी बात पर झगड़ा करने लगते हैं और हर एक छोटी सी बात पर लाठी और बंदूके चलाने लगते है। गांधी जी ने कहा था कि जो लोग हिंसा करते हैं वे हमेशा नफरत और गुस्सा दिलाने की कोशिश करते है। गांधीजी के अनुसार अगर शत्रु पर विजय प्राप्त करनी है तो हम अहिंसा का मार्ग भी अपना सकते है। जिसको अपनाकर गांधी जी ने हमें ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलवाई थी।

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10 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi”

Rohit ji app ne sahi bola

apke essay ka koi app hai महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद प्रवीण विश्नोई जी, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे

Bhut Accha laga ye padh ke or hame ghadhi Ji ke bare me kafi jankari basil hui or isko Yaar Karna bhi easy hoga kyoki ye saral shbdo me tha or aasha karte he ese hi hame Jo chaye wo ese hi mile

Nishat khan ji, hum aap ko aise hi saral bhasha me content dete rahnge. Parsnsha ke liye aap ka bhut bhut Dhanyawad.

Mahatma Gandhi the legend me hamare liye kya kuch nhi kiya par tabh bhi kuch log unhe abhi bhi Bura Bolte h

Arti Nanda ji aap ne sahi bola aap chahe kitne bhi sahi hi log kuch na kuch to kahe ge, log to bhagvaan ko bhi dosh dete hai gandhi ji to bhi insaan the.

Mahatma gandhi bhale hee kyu na rahe lakin us kee yad aabhi bhee ham sab ke dilo dimag mai hai

Rohit ji app ne sahi bola, Mahatma gandhi ji ke vichar aaj bhi hamare saath hai.

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short speech on mahatma gandhi in hindi

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Gandhi Jayanti Short Speech in Hindi: गांधी जयंती पर इन टिप्स से दें स्पीच, बज उठेंगी तालियां

Gandhi jayanti speech: महात्मा गांधी की जयंती हर वर्ष 2 अक्टूबर को मनाई जाती है। इस बार यानि कि 2023 में गांधीजी की 154वीं जयंती है। इस मौके पर स्कूलों सहित अन्य शिक्षण संस्थानों में प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है। जिसमें स्टूडेंट्स भाषण देते हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स की मदद के लिए हम यहां पर टिप्स बता रहे हैं, जिसका पालन करके वे बेहतरीन भाषण दे सकते हैं।.

Gandhi Jayanti Speech In Hindi

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10 Line on Mahatma Gandhi in Hindi | महात्मा गांधी पर लघु निबंध

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अगर आप  Short Essay on Mahatma Gandhi  या  महात्मा गांधी पर १० लाइन हिंदी  में  खोज रहे हैं तो यह आपके लिए सबसे अच्छी जगह है। हमारे पास सभी प्रकार के कक्षा के छात्रों के लिए Short Essay है। इसमें हम आपको  कक्षा 1 के छात्र से कक्षा 12 तक के छात्र के लिए सर्वश्रेष्ठ   महात्मा गांधी पर १० पंक्ति   दीये हे ।

महात्मा गांधी भारत के महान और शक्तिशाली नेता थे। गांधी जी को “ बापू ” के नाम से भी जाना जाता है। वह सत्य और अहिंसा से प्रेम करता है। वह इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई करता है। हम उनके जन्मदिन को हर साल गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं। लंबे समय के बाद भारत को 15 अगस्त 1947 में महात्मा गांधी की मदद से आजादी मिली।

short speech on mahatma gandhi in hindi

Full NameMahondas Karamchand Gandhi
Father NameKaba Gandhi
Mother NamePutlibaia
Wife NameKasturba Gandhi
Born2 October 1869 in Porba

Table of Contents

10 Line on Mahatma Gandhi for Kids

Pattern 1  –  10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for classes 1, 2, 3, 4, and 5 Students.

  • महात्मा गांधी एक महान नेता थे।
  • उनका नाम महंदस करमचंद गांधी था।
  • उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था।
  • हम उन्हें बापू कहते हैं।
  • वह पिता या हमारे राष्ट्र के हैं।
  • उनका जन्म गुजरात के पूबंदर में हुआ था।
  • वह फल और अहिंसा से प्यार करता था।
  • उनके पिता का नाम करमचंद (काबा गांधी) था।
  • उनकी माता का नाम पुतलीबिया था
  • वह भारत के एक शक्तिशाली नेता थे।

10 Line on Mahatma Gandhi for Students

Pattern 2 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for classes 6, 7, 8, and 9 Students.

  • महात्मा गांधी भारत के एक महान और शक्तिशाली नेता थे
  • महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को ग्युसरत के पोरबंदर में हुआ था ।
  • उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था ।
  • उनके पिता का नाम करमचंद गांधी (काबा गांधी) और माता का नाम पाटलीबाई था।
  • उनका जन्मदिन हर साल गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।
  • उन्होंने कानून का अध्ययन इंग्लैंड में किया और गांधीजी सत्य में विश्वास करते थे।
  • भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ।
  • महात्मा गांधी हमारे राष्ट्रपिता हैं।
  • गांधीती को बापू के नाम से भी जाना जाता है और उन्हें सत्य और अहिंसा से प्यार था।
  • 30 जनवरी 1942 को उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी उनकी मालिश हमेशा हमारे देश का मार्गदर्शन करेगी

10 Line on Mahatma Gandhi for Higher Class Students

Pattern 3 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 10,11 12, and Competitive Exams Students.

  • महात्मा गांधी भारत के एक महान नेता और शक्तिशाली नेता थे, हम उन्हें बापू कहते हैं।
  • 2nd October 1869 को गुजरात के पोबन्दर में महात्मा गांधी को वरदान मिला था।
  • उनका असफल नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबैया था।
  • उन्होंने नागरिक अधिकार क्षण, दांडी यात्रा, भारत छोड़ो आंदोलन आदि जैसे कई महत्वपूर्ण आंदोलन शुरू किए।
  • उन्होंने इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई की और 1891 में बैरिस्टर बने।
  • 1893 में वे दक्षिण अफ्रीका गए और हमारे लोगों के अधिकार के लिए काम किया। वे भारत लौट आए और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए।
  • उन्होंने राष्ट्र की एकता के लिए काम किया और अपने नेतृत्व में अस्पृश्यता की समस्या को दूर किया।
  • गांधीजी हमेशा सत्य में विश्वास करते थे और वे “अहिंसा” में भी विश्वास करते थे जिसका अर्थ है अहिंसा।
  • सुभाष चंद्र बेस ने गांधी को राष्ट्रपिता कहा उसके बाद सरोजिनी नायडू ने भी 1947 के सम्मेलन में इसी उपाधि का उल्लेख किया।
  • 30 जनवरी, 1948 को उनका निधन हो गया था। उनके संदेश हमेशा हमारे राष्ट्र का मार्गदर्शन करेंगे

10 Lines Essay on Mahatma Gandhi in Odia

Pattern 4 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 10,11 12, and Competitive Exams Students.

  • ମହାତ୍ମା ଗାନ୍ଧୀ ଭାରତର ଜଣେ ମହାନ ତଥା ଶକ୍ତିଶାଳୀ ନେତା ଥିଲେ
  • ମହାତ୍ମା ଗାନ୍ଧୀ 2 ଅକ୍ଟୋବର 1869 ରେ ଜିସୁରାଟର ପୋରବନ୍ଦରରେ ଜନ୍ମଗ୍ରହଣ କରିଥିଲେ।
  • ତାଙ୍କର ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ନାମ ଥିଲା ମୋହନଦାସ କରମଚାନ୍ଦ ଗାନ୍ଧୀ |
  • ତାଙ୍କ ପିତାଙ୍କ ନାମ କରମଚାନ୍ଦ ଗାନ୍ଧୀ (କବା ଗାନ୍ଧୀ) ଏବଂ ମାତାଙ୍କ ନାମ ପାଟଲିବାଇ |
  • ତାଙ୍କ ଜନ୍ମଦିନ ପ୍ରତିବର୍ଷ ଗାନ୍ଧୀ ଜୟନ୍ତୀ ଭାବରେ ପାଳନ କରାଯାଏ |
  • ସେ ଇଂଲଣ୍ଡରେ ଆଇନ ଅଧ୍ୟୟନ କରିଥିଲେ ଏବଂ ଗାନ୍ଧୀ ସତ୍ୟରେ ବିଶ୍ୱାସ କରୁଥିଲେ।
  • 15 ଅଗଷ୍ଟ 1947 ରେ ଭାରତ ସ୍ୱାଧୀନ ହେଲା।
  • ମହାତ୍ମା ଗାନ୍ଧୀ ଆମ ଦେଶର ପିତା।
  • ବାପୁ ନାମରେ ଜଣାଶୁଣା ଗାନ୍ଧୀ ସତ୍ୟ ଏବଂ ଅହିଂସାକୁ ଭଲ ପାଉଥିଲେ।
  • 30 ଜାନୁୟାରୀ 1942 ରେ ତାଙ୍କୁ ଗୁଳି କରାଯାଇଥିଲା, ତାଙ୍କର ମସାଜ ଆମ ଦେଶକୁ ସର୍ବଦା ମାର୍ଗଦର୍ଶନ କରିବ |

10 Lines Essay on Mahatma Gandhi in Telugu

Pattern 5 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 10,11 12, and Competitive Exams Students.

  • మహాత్మా గాంధీ భారతదేశానికి గొప్ప మరియు శక్తివంతమైన నాయకుడు
  • మహాత్మా గాంధీ 1869 అక్టోబరు 2న పోర్బందర్, గ్యుసరత్‌లో జన్మించారు.
  • అతని పూర్తి పేరు మోహన్ దాస్ కరంచంద్ గాంధీ.
  • అతని తండ్రి పేరు కరంచంద్ గాంధీ (కాబా గాంధీ) మరియు తల్లి పేరు పాట్లీబాయి.
  • ఆయన జన్మదినాన్ని ప్రతి సంవత్సరం గాంధీ జయంతిగా జరుపుకుంటారు.
  • అతను ఇంగ్లాండ్‌లో న్యాయశాస్త్రం అభ్యసించాడు మరియు గాంధీ సత్యాన్ని విశ్వసించాడు.
  • భారతదేశం 1947 ఆగస్టు 15న స్వతంత్రం పొందింది.
  • మహాత్మా గాంధీ మన జాతిపిత.
  • బాపు అని కూడా పిలువబడే గాంధీ సత్యం మరియు అహింసను ఇష్టపడేవారు.
  • అతను 30 జనవరి 1942న కాల్చి చంపబడ్డాడు, అతని మసాజ్ ఎల్లప్పుడూ మన దేశానికి మార్గదర్శకంగా ఉంటుంది

10 Lines Essay on Mahatma Gandhi in Marathi

Pattern 6 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 10,11 12, and Competitive Exams Students.

  • महात्मा गांधी हे भारताचे महान आणि शक्तिशाली नेते होते
  • महात्मा गांधी यांचा जन्म 2 ऑक्टोबर 1869 रोजी पोरबंदर, ग्युसरात येथे झाला.
  • त्यांचे पूर्ण नाव मोहनदास करमचंद गांधी होते.
  • त्यांच्या वडिलांचे नाव करमचंद गांधी (काबा गांधी) आणि आईचे नाव पाटलीबाई होते.
  • त्यांचा जन्मदिवस दरवर्षी गांधी जयंती म्हणून साजरा केला जातो.
  • त्यांनी इंग्लंडमध्ये कायद्याचा अभ्यास केला आणि गांधींना सत्यावर विश्वास होता.
  • 15 ऑगस्ट 1947 रोजी भारत स्वतंत्र झाला.
  • महात्मा गांधी हे आपल्या राष्ट्राचे जनक आहेत.
  • बापू म्हणून ओळखल्या जाणाऱ्या गांधींना सत्य आणि अहिंसा आवडत असे.
  • 30 जानेवारी 1942 रोजी त्यांची गोळ्या झाडून हत्या करण्यात आली, त्यांची मसाज आपल्या देशाला नेहमीच मार्गदर्शन करेल.

Last Words on Mahatma Gandhi

हम Student के पढ़ाई के लिए ही Article बनाते है। कैसे एक Student आसानी से अपने Homework के साथ साथ अपने General Knowledge को कैसे बढ़ा सकता है? सिर्फ उसीके बारे मै ही हमरे सारे Article है। एक Student के लिए जीतने भी जरूरती eassy है जो मदत कर सकता है उनके पढ़ाई मै वो सारे Essay को हमने पोस्ट किए है।

इसके साथ साथ किस तरह से आप आसानी से Essay लिख सकते है या Essay लिखने का आसान तरीका को भी आप जान पाओगे और ये एस्से आपको 7 भासा में मिल जाएगा, आप आपके बहस के अनुसार एशे पढ़ सकते है। इसके बाद Student के General Knowledge के लिए जीतने भी General Quiz है जो आसान करेगा Student के पढ़ाई या उनके जीतने भी Quiz Competition है उन सभी मै अपना बेहतर देने के लिए मदत करेगा।

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References Links:

  • https://en.wikipedia.org/wiki/Mahatma_Gandhi
  • https://www.britannica.com/biography/Mahatma-Gandhi
  • https://artsandculture.google.com/entity/mahatma-gandhi/m04xfb?hl=en

FAQ About Gandhiji

महात्मा गांधी की पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी

महात्मा गांधी के 4 बच्चे थे

महात्मा गांधी के पिता का नाम कबा गाँधी है

अपनी आँखों को ढँकते हैं, जो कोई बुराई नहीं देखता; किकाज़रू, अपने कानों को ढँकता है, जो कोई बुराई नहीं सुनता; और इवाजारू ने अपना मुंह ढांप लिया, और कोई बुराई नहीं करता ये महात्मा गांधी के 4 नियम हे

महात्मा गांधी ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 18 उपवास किए। उनका सबसे लंबा उपवास 21 दिनों तक चला।

Subhas Chandra Bose ने 6 जुलाई 1944 को सिंगापुर रेडियो पर अपने संबोधन के दौरान उन्हें Mahatma Gandhi को राष्ट्रपिता या “Bapu” भी कहा।

महात्मा गांधी ने बॉम्बे के गोवालिया टैंक मैदान में एक भीड़ से कहा, करो या मरो का नारा दिया था

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Thank you for your blog post.Really looking forward to read more. Really Great.

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  • Speech On Mahatma Gandhi

Speech on Mahatma Gandhi

Been assigned to write a speech on Mahatma Gandhi? Don’t really know what details to add in your speech? Here are a few examples to help you write a good one.

Mahatma Gandhi Speech in English for Students

Short speech on mahatma gandhi, faqs on mahatma gandhi.

Mahatma Gandhi was one of the national leaders who fought for the Indian Independence. In fact, he was the one who led the successful campaign for India’s Independence from British rule. Gandhi was a student of law, but he gave up his profession and chose to fight for his nation. According to him, “An eye for an eye will only make the whole world blind.” He followed non-violence and believed that violence was not the answer to everything.

He said, “Be the change that you wish to see in the world”, and that is exactly what he did with his life. He was the change. He did what was necessary for the freedom of his fellow citizens and cared the least about his own life. He spearheaded numerous movements that led to his arrest and a lot of other life threatening situations.

Gandhi was called ‘Mahatma’ for a reason. He was a great soul in the eyes of his fellow Indians. His continuous efforts and perseverance are what brought all the leaders and people together to stand against the British. He made everyone believe that, together, they could win their country back.

There are many people we look up to as role models. Mahatma Gandhi can for sure be on that list as one of the greatest leaders in history. To be a leader like him is what one should aspire to be. To stand in front, take the first hit and live an exemplary life paving the way for future leaders to be.

“My life is my message”, said Mahatma Gandhi. Mohandas Karamchand Gandhi, born on October 2, 1869 in Porbandar, was a lawyer, social activist, politician and writer. He became the head of the nationalist movement for Indian Independence. It is for his unassuming acts that he has been hailed as the Father of the Nation. It is to honour him that we celebrate Gandhi Jayanti on the 2 nd of October every year, which is also declared as a national holiday.

He played a very prominent role in India’s freedom struggle. Movements like the Dandi March, the Quit India Movement, the Non-Cooperation Movement, etc., were carried out under his leadership. Anyone who knows how life was in the pre-independent India would never fail to appreciate the kind of work Mahatma Gandhi has done for the country. Today is just another day to remind each of us how grateful we should be and the kind of life we should aspire to lead. Let us all try our best to start living our lives in a much more meaningful way, one day at a time. Let us also inspire the younger generation to work hard for the progress of our country, for the future of our country is in our hands.

What are Mahatma Gandhi’s famous lines?

Here are a few famous quotes of Gandhi. “Live as if you were to die tomorrow. Learn as if you were to live forever.” “Happiness is when what you think, what you say, and what you do are in harmony.” “The best way to find yourself is to lose yourself in the service of others.”

What is Gandhi’s most popular work?

‘The Story of My Experiments with Truth’ is the most notable work of Mahatma Gandhi. This is an autobiography detailing his life and his experiences.

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short speech on mahatma gandhi in hindi

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Short speech on Mahatma Gandhi in Hindi - Gandhi jayanti short speech in hindi

Today, we are sharing short speech on Mahatma Gandhi . This article can help the students who are looking for information about Mahatma Gandhi in Hindi . This short speech is very simple and easy to speak about it. The level of this speech is medium so any students can give speech on this topic. This article is generally useful for class 1, class 2, and class 3 .

Short speech on Mahatma Gandhi in Hindi

Short speech on Mahatma Gandhi in Hindi

  • मन्नानिये मुख्य अतिथि , आदर्निये अध्यापक गन, अभिवावकों और यहाँ उपस्थित मेरे सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार ।
  • आज 2 अक्टूबर है जो की महात्मा गाँधी जी का जन्मदिन है ।
  • महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहन दास करम चंद गाँधी था ।
  • पर वे बापू के नाम से ज्यादा प्रसिद्ध थे , उन्हें राष्ट्रीय पिता भी कहा जाता है।
  • उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर गुजरात में हुआ था ।
  • उनके पिता का नाम करम चंद गांधी और उनकी माता का नाम पुतली बाई था ।
  • और उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था जिसका विवाह गाँधी जी से 13 वर्ष की आयु में हुआ था ।
  • गाँधी जी अपनी कानून की पढ़ाई इंग्लैंड में पूरा किया ।
  • उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ महान और एतेहासिक आन्दोलन को भी शुरू किया जो सत्याग्रह आन्दोलन और भारत छोडो आन्दोलन थे ।
  • 1948 को नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गाँधी जी की गोली मर कर हत्या कर दी ।
  • उनकी मृत्यु के समय उन्होंने " हे राम " कहा था।
  • उनका समाधि राज घाट दिल्ली में स्थित है।
  • उनके समाधी पर भी " हे राम " लिखा है ।
  • "स्वच्छ भारत मिशन" उनकी याद में शुरू हुआ।
  • सुनने के लिए धन्यवाद "जय हिंद, जय भारत"।

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गांधी जयंती पर शोर्ट स्पीच का विडियो देखें

Children in school, are often invited to give short speech on Mahatma Gandhi in Hindi . We help the students to do their homework in an effective way. If you liked this article, then please comment below and tell us how you liked it. We use your comments to further improve our service. We hope you have got some learning on the above subject. You can also visit my YouTube channel that is https://www.youtube.com/synctechlearn. You can also follow us on Facebook https://www.facebook.com/synctechlearn .

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  • Hindi Diwas is celebrated on the 14th of September every year.
  • It marks the adoption of Hindi as the official language of India.
  • Hindi unites people across different regions of our country.
  • It reflects our culture, history, and values.
  • Hindi is one of the most spoken languages in the world.
  • We should take pride in speaking and learning Hindi.
  • Hindi is not just a language, but a symbol of national unity.
  • Share your thoughts with full confidence and stats to make your speech more impactful.
  • Motivate your audience to respect and use the Hindi language. You can say, "Let us all take pride in speaking Hindi and promise to use it in our daily lives."
  • Finish your speech by repeating the importance of Hindi Diwas. You can end by saying, "On this Hindi Diwas, let us celebrate our national language and keep it alive for future generations."
  • Always end your speech by thanking the audience. You can say, "Thank you, and Jai Hind!"

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